Short Stories

रंग तरंग- नज़र लग जाएगी‌ (Satire- Nazar Lag Jayegi)

यह नज़र लगना बड़ी भारी चीज़ है. अब आपसे क्या बताएं, हम तो जिस दिन डॉक्टर के कहने से सेब खा लें, उस दिन डर लगता है किसी की नज़र न लग जाए. एक मिठाई का टुकड़ा जीभ पर रखते ही इधर-उधर देखते हैं, कहीं कोई नज़र न लगा दे और शुगर न हो जाए.
अपन तो पांच हज़ार के मोबाइल को दो का बताते हैं कि कोई नज़र न लगा दे. हर समय डरते रहते हैं कहीं कोई सेकंड हैंड मारुति 800 पर नज़र न लगा दे और एक्सीडेंट्स न हो जाए.

हम भारतीयों को नज़र बड़ी जल्दी लगती है. हमारा बस चले, तो बच्चे को पेट में ही काला टीका लगा दें, जिससे पैदा होते ही वह दाई या नर्स की नज़र से बचा रहे. कहते है भले ही किसी को बड़ी से बड़ी सेना न हरा सके, मगर अगर किसी के साम्राज्य को बुरी नज़र लग गई, तो उसे डूबने से कोई नहीं बचा सकता. अच्छे-अच्छे बच्चों का करियर अपने रिश्तेदारों की नज़र लगने से ख़राब हो जाता है. बड़े-बड़े अरबपति नज़र लगते ही खाक में मिल जाते हैं. किसी फिल्म स्टार या सिंगर का करियर भले ही टॉप पर चल रहा हो, नज़र लगी नहीं की वह फ्लॉप हो गया.
कहने का मतलब ये समझिए कि किसी को बर्बाद करना हो, तो सब कुछ छोड़ कर उस पर नज़र लगाते रहिए. देखिए बड़ी मुश्किल बात है मेरा तो मानना है तरक़्क़ी करना बड़ा मुश्किल काम है. यक़ीन मानिए दो कमरे का फ्लैट लेना हो या टाटा नैनो, आसान नहीं है, इसके लिए बड़ी मेहनत करनी पड़ती है. फिर क़िस्मत भी अच्छी होनी चाहिए. बच्चा इंजीनियरिंग में सेलेक्ट हो, नब्बे प्रतिशत से ऊपर नंबर लाए, आईएएस, पीसीएस बने नाम-शोहरत कमाए, इसके लिए मेहनत के साथ क़िस्मत और ऊपरवाले का सपोर्ट भी चाहिए. मानी हुई बात है ऐसे में हम बड़े आदमी बनने से रहे, जो बड़ी मुश्किल से हमारे बहुत से अपने बन गए हैं. अब कोई कैसे भी कुछ बन जाए हमारे दिल में हूक तो उठती ही है.
“देखो तुम्हारे बुआ के बेटे ने कैसे प्रिलिम क्लीयर कर लिया और तुम हो कि हाई स्कूल में अटके पड़े हो, लानत है कभी तो अकल से काम लिया करो.”
इधर हम अपने बच्चे को डांटते हैं और उधर अपने रिश्तेदार को बधाई देते हैं, “भाईसाहब बधाई हो, रोहित ने तो कमाल कर दिया पहले ही एटेम्पट में प्रिलिम क्लीयर हो गया. नज़र न लगे हमारे रोहित को. बड़ा होनहार बच्चा है.”
“जी आख़िर बेटा किसका है.”
“भले ही रोहित के पापा मुहल्ले लेवल पर कोई कंपटीशन न जीत पाए हों, लेकिन आज तो वो महान हो गए हैं.” इतना कह कर वो दिल से इतनी आग निकालेता है, आहें भरता है कि नज़र लगे बिना नहीं रहती. रोहित बेचारा मेंस में फंस जाता है और तब इस बधाई देने वाले के कलेजे को ठंडक पहुंचती है, “बड़ा आया था आईएएस बनने वाला… अरे ख़ानदान में कोई अफ़सर बना है, जो ये कलक्टर बनेगा. तुक्के से एक एक्ज़ाम क्या निकाल लिया वो शुक्ला की पैर ही ज़मीन पर नहीं पड़ रहे थे. भले हमारा पप्पू टॉप ना करे, पूरे घर की देखभाल तो करता है.”

यह भी पढ़ें: व्यंग्य- संबोधन सूचक नया शब्द… (Satire- Sambodhan Suchak Naya Shabd…)

फिर अचानक उन्हें अपने नालायक पप्पू पर प्यार आएगा. वो बड़े प्यार से उसके सिर पर हाथ फेर कर कहेंगे, “जा बेटा, ज़रा कल्लू की जलेबी तो ले आ. देख बेटा कुछ कर. अभी रोहित का मेंस क्लीयर नहीं हुआ है. इस बार तू हाई स्कूल पास कर, मेरी नाक ऊँची हो जाएगी. इधर पप्पू के दिल को भी थोड़ी राहत मिलती है, चलो डैडी को कभी तो मेरा फेल होना बुरा नहीं लगा.” 
यह नज़र लगना बड़ी भारी चीज़ है. अब आपसे क्या बताएं, हम तो जिस दिन डॉक्टर के कहने से सेब खा लें, उस दिन डर लगता है किसी की नज़र न लग जाए. एक मिठाई का टुकड़ा जीभ पर रखते ही इधर-उधर देखते हैं, कहीं कोई नज़र न लगा दे और शुगर न हो जाए.
अपन तो पांच हज़ार के मोबाइल को दो का बताते हैं कि कोई नज़र न लगा दे. हर समय डरते रहते हैं कहीं कोई सेकंड हैंड मारुति 800 पर नज़र न लगा दे और एक्सीडेंट्स न हो जाए. अच्छा-भला चल फिर रहा हूं और कोई टोक दे, तो सौ-दो सौ बीमारियां गिना देते हैं कि कहीं नज़र न लग जाए.
हालत यह है कि कोई कच्छे में घूम रहा है, तो डर रहा है कहीं नज़र लग गई, तो यह कच्छा भी गया. ई रिक्शावाला परेशान है कहीं मेरी खोली पर नज़र न लग जाए, चाय-समोसा बेचनेवाला डरा हुआ है कहीं नज़र लग गई, तो यह काम-धंधा भी गया. हम पढ़े-लिखे लोग भी डरे हुए हैं कहीं नज़र लगी नहीं और छपना बंद हुआ. क़सम से इस नज़र और दिशा भ्रम ने जान ले रखी है. लोग तो यहां तक कहते हैं, “अबे इतना खुल के मत हंसा करो.”
तब मैं और ज़ोर से हंसता हूं. क्या यार अगर इस नज़र के चक्कर में रहता तो न जाने कितने गंडे, ताबीज़ और अंगूठी का बोझ ढो रहा होता. तब अगर एक तिनका भी गिर जाता तो वहम हो जाता ज़रूर कुछ बड़ा अनिष्ट होनेवाला है. मेरा पैर फिसलता तो लगता किसी की नज़र लग गई. मेरा पर्स कोई पॉकेट मार उड़ा लेता, तो मैं सोचता किसी की नज़र लगी है. जबकि तीन बार मेरा पर्स उड़ाया गया. तब मुझे हंसी आई. एक बार तो दो रुपए थे पर्स में. मैंने सोचा बेचारे को पर्स मारने का मेहनताना भी नहीं मिला. मुझे बता देता तो कम से कम दस रुपए, तो जेब में रखता. अरे मेरे पास है क्या कि कोई नज़र लगाएगा.
एक छोटी सी झोपड़ी में सिर छिपा लेता हूं, तो इसमें नज़र लगाने की कौन सी बात है. सादी दाल से दो रोटी खा लेता हूं प्यार के साथ. अब इसमें भी नज़र लगे, तो लगती रहे. सन् नब्बे के स्कूटर को चला लेता हूं यह कोई बड़ी बात  नहीं है.

यह भी पढ़ें: व्यंग्य- मैं अवसाद हूं… (Satire- Main Avsad Hoon…)

अरे अगर जन-धन खाते का अकाउंट है, तो नज़र लगा कर कोई क्या लूट लेगा. अब इतना सुंदर तो हू़ नहीं कि मॉडल बन जाऊं, तो मुझे देख कर कौन क्या नज़र लगाएगा. मैं किसी से जलन और कंपीटिशन रखता ही नहीं. ऊपरवाला जिसे दो दे रहा है देता रहे, अपने को क्या. अपन तो रूखी-सूखी खाया के ठंडा पानी पी, देख पराई चूपड़ी मत ललचावे जीव वाले लोग हैं. न नज़र लगाने में विश्वास करें और न नज़र लगने में. इन सब फ़ालतू बातों में क्यों अपनी ज़िंदगी ख़राब करना. मेरा तो साफ़ मानना है, जो नज़र लगा रहा है वह अपना दिल-दिमाग़ ख़राब करके ख़ुद का नुक़सान कर रहा है. जो इस नज़र से डर रहा है, वह बेचारा डर-डर कर मरा जा रहा नजर कुछ नहीं कर रही है, वह तो हमारे निगेटिव थॉट्स हैं, जो ख़ुद हमें दुधारी तलवार सा काटे जा रहे हैं, क्योंकि पिताजी कहते थे कसाई के मनाने से बछिया नहीं मरती अर्थात् ये नज़र लग जाने और लगा देने से कुछ नहीं होता. वह तो हम ख़ुद ऐसी बातों से अपना नुक़सान करते हैं और दूसरों को दोष देते हैं.

– मुरली मनोहर श्रीवास्तव 

Photo Courtesy: Freepik

अभी सबस्क्राइब करें मेरी सहेली का एक साल का डिजिटल एडिशन सिर्फ़ ₹599 और पाएं ₹1000 का कलरएसेंस कॉस्मेटिक्स का गिफ्ट वाउचर.

Usha Gupta

Share
Published by
Usha Gupta

Recent Posts

सलमान खान- घर में सभी को कहता था कि बड़ा होकर उनसे ही शादी करूंगा… (Salman Khan- Ghar mein sabhi ko kahta tha ki bada hokar unse hi shadi karunga…)

- ‘सिकंदर’ में मेरे साथ रश्मिका मंदाना हीरोइन है, तो हमारी उम्र के फासले को…

April 9, 2025

एकता कपूरच्या ‘क्योंकी सास भी कभी बहू थी’ मालिकेचा सीझन २ येणार (Ekta Kapoor Serial Kyunki Saas Bhi Kabhi Bahu Thi 2 Coming Soon)

टेलिव्हिजनची लोकप्रिय मालिका क्योंकी सास भी कभी बहू थी आता पुन्हा एकदा प्रेक्षकांचे मनोरंजन करण्यासाठी…

April 9, 2025

घर के कामकाज, ज़िम्मेदारियों और एडजस्टमेंट से क्यों कतराती है युवा पीढ़ी? (Why does the younger generation shy away from household chores, responsibilities and adjustments?)

माना ज़माना तेज़ रफ़्तार से आगे बढ़ रहा है, लेकिन उससे भी कहीं ज़्यादा तेज़ी…

April 9, 2025

कंगना राहत नसलेल्या घराचे वीज बिल तब्बल १ लाख, अभिनेत्रीचा मनाली सरकारला टोला (९ Kangana Ranaut stunned by 1 lakh electricity bill for Manali home Where She Dosent Stay )

बॉलिवूड अभिनेत्री कंगना राणौतने नुकतीच हिमाचल प्रदेशातील मंडी येथे एका राजकीय कार्यक्रमात हजेरी लावली. जिथे…

April 9, 2025

अमृतफळ आंबा (Amritpal Mango)

आंबा हे फळ भारतातच नव्हे, तर जगभरातही इतर फळांपेक्षा आवडतं फळ आहे, असं म्हटल्यास वावगं…

April 9, 2025
© Merisaheli