मिर्गी (Epilepsy) को लेकर लोगों के मन में कई तरह की ग़लतफ़हमियां घर कर चुकी हैं. लोगों के मन में आज भी यही धारणा बनी हुई है कि इस रोग का कोई इलाज संभव नहीं है या फिर इससे पीड़ित व्यक्ति सामान्य जीवन नहीं जी सकता, लेकिन लोगों की यह धारणा बिल्कुल ग़लत है. आइए, मिर्गी से जुड़े मिथकों की सच्चाई जानते हैं.
मिथ- मिर्गी ठीक नहीं होती.
फैक्ट- मिर्गी का इलाज मुमकिन है और क़रीब 80-85 फ़ीसदी मरीज़ दवा से ठीक हो जाते हैं.
मिथ- दवाओं के भारी साइडइफेक्ट् होते हैं.
फैक्ट- मिर्गी की दवाओं के कुछ साइड इफेक्ट्स होते हैं, जैसे-सुस्ती, नींद ज़्यादा आना, मानसिक धीमापन, वज़न बढ़ जाना आदि, लेकिन ये इस बीमारी से बड़े नहीं हैं. ज़रूरत पड़ने पर डॉक्टर दवा बदल भी देते हैं.
मिथ- मिर्गी एक पागलपन है.
फैक्ट- मिर्गी पागलपन बिल्कुल नहीं है. यह तो न्यूरो से जुड़ी एक बीमारी है, जिसका सही इलाज मिलने पर मरीज़ सामान्य ज़िंदगी जी सकता है.
मिथ- मरीज़ सामान्य ज़िंदगी नहीं जी सकता.
फैक्ट- मरीज़ सामान्य ज़िंदगी जी सकता है. बस, उसे ड्राइविंग, स्वीमिंग या एडवेंचर स्पोर्ट्स जैसी कुछ चीज़ों से परहेज़ करना होता है.
मिर्गी के सभी मामलों में रोगी का शरीर ऐंठ जाता है.
फैक्ट- मिर्गी के दौरे के कई प्रकार होते हैं। कुछ मामलों में रोगी की संवेदनाएं बदल जाती हैं, कुछ मामलों में रोगी दोहरा काम करते हैं, कुछ मामलों में औरस (auras) का अनुभव हो सकता है. हालांकि मिर्गी के कई मामलों में रोगी के शरीर में ऐंठन हो जाना सामान्य है लेकिन सभी में नहीं.
मिथकः मिर्गी किसी भी समय आ सकती है.
फैक्टः नींद की कमी, चमकती रोशनी, तनाव, शराब, मासिक धर्म के दौरान हार्मोनल परिवर्तन, धूम्रपान आदि जैसे कारण मिर्गी के हमलों को तेज कर सकते हैं.
मिथः मिर्गी का दौरा पड़ते समय रोगी को जोर से पकड़ लेना चाहिए.
फैक्ट- मिर्गी के रोगी को कभी दबाना नहीं चाहिए. उसके आसपास से खतरनाक वस्तु हटा देनी चाहिए. उसके मुंह को सीधा रखना चाहिए. उसके कपड़ों को ढीला कर देना चाहिए. अगर उसने चश्मा पहना है तो उसे हटा दें। उसके मुंह में कुछ भी डालने का प्रयास ना करें. आम तौर पर मिर्गी का दौरा 5 मिनट तक रहता है. अगर इससे अधिक रहता है तो उसे तुरंत अस्पताल ले जाएं.
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