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झलक दिखला जा 10 के जजों पर फूटा शिल्पा शिंदे का गुस्सा, वीडियो में माधुरी दीक्षित, नोरा फतेही और करण जौहर को खूब सुनाई खरी खोटी (Shilpa Shinde Got Angry With The Judges Of ‘Jhalak Dikhla ja 10’, Scolded Karan Johar, Madhuri Dixit And Nora Fatehi In The Video)

टीवी का डांस रियलिटी शो 'झलक दिखला जा' पिछले कई दिनों से चर्चा में बना हुआ है. दरअसल कुछ दिनों पहले ही शो में एक…

टीवी का डांस रियलिटी शो ‘झलक दिखला जा’ पिछले कई दिनों से चर्चा में बना हुआ है. दरअसल कुछ दिनों पहले ही शो में एक बड़ा धमाका हुआ है. टीवी की फेमस एक्ट्रेस शिल्पा शिंदे को शो से बाहर होना पड़ा. शो से बाहर आने के बाद एक्ट्रेस ने अपने ऑफिशियल इंस्टा हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वो झलक दिखला जा के जजेस पर जमकर अपनी भड़ास निकालती हुई दिखाई दे रही हैं.

फोटो सौजन्य – इंस्टाग्राम

शिल्पा शिंदें ने नोरा फतेही और माधुरी दीक्षित के बारे में तो बात की ही, लेकिन करण जौहर के लिए उनका गुस्सा सबसे ज्यादा दिख रहा है. अपने इस वीडियो क्लिप के जरिये शिल्पा शिंदे सेलिब्रिटी कंटेस्टेंट के साथ अन्याय होने की बात कह रही हैं. आप भी देखें शिल्पा शिंदे का वो वीडियो –

शिल्पा शिंदे का ये वीडियो बाहर आने के बाद से तहलका सा मच गया है. अपने इस वीडियो के जरिये शिल्पा ‘झलक दिखला जा’ के जजेस पर अपना गुस्सा निकाल रही हैं. फैंस को हैप्पी दिवाली विश करने के बाद शिल्पा वीडियो में आगे कहती हैं, “मैंने निया का लास्ट परफॉर्मेंस देखा, उसके ऊपर जो पॉइंट दिए और कमेंट किए मैं चुप रही. करण जौहर ने कमेंट किया कि आपके परफॉर्मेंस में कहीं डांस नहीं दिखा. आपको सेलिब्रिटी कंटेस्टेंट भी चाहिए. आपको तीन मिनट में क्या-क्या चाहिए. मैं पूछना चाहती हूं करण सर, क्या आप धर्मा प्रोडक्शन की फिल्म के लिए साइन करने जा रहे हैं? क्या आप उन्हें ऑस्कर या नेशनल अवॉर्ड देंगे?” शिल्पा यही नहीं रुकती हैं. उन्होंने आगे कहा कि, “एक सेलिब्रिटी 3 मिनट के परफॉर्मेंस के लिए क्या-क्या करता है आपको इसका अंदाजा भी है.”

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फोटो सौजन्य – इंस्टाग्राम

वीडियो में बोलते हुए शिल्पा शिंदे आगे कहती हैं, “आप रुबीना का वीडियो निकाल के देखें, कोई भी दुर्घटना हो सकती थी. कोई भी नतीजा हो सकता था. इसके बाद क्या इसके जिम्मेदार जजेस होते. बाद में मोमबत्ती लेकर रास्ते में निकल जाने का कोई मतलब नहीं है, जब इंसान है तो उसकी कदर करो बाद में चिल्लाओ मत.”

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फोटो सौजन्य – इंस्टाग्राम

इसके अलावा एक और वीडियो में शिल्पा शिंदे ने कहा कि वो शो के खिलाफ नहीं हैं, वो तो इसे काफी ज्यादा पसंद करती हैं और इसे फॉलो भी करती हैं. शिल्पा ने कहा कि, “करण सर को डांस बिल्कुल भी नहीं आता, अगर उनको कमेंट करना है तो अपनी चीजों पर करें. मेरा मतलब है कॉस्ट्यूम देखें, मेकअप, सेट-अप देखो. करण सर आप डांस के ऊपर कैसे बोल सकते हैं.” इसके अलावा नोरा फतेही के लिए शिल्पा शिंदे ने कहा कि आप एक हिंदी रियलिटी शो को जज कर रही हो तो थोड़ा हिंदी सीख कर आओ तो अच्छा होगा.

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Khushbu Singh

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ये माना समय बदल रहा है और लोगों की सोच भी. समाज कहने को तो पहले से कहीं ज़्यादा मॉडर्न ही गया है. लाइफ़स्टाइल बदल गई, सुविधाएं बढ़ गईं, लग्ज़री चीजों की आदतें हो गई… कुल मिलाकर काफ़ी कुछ बदल गया है, लेकिन ये बदलाव महज़ बाहरी है, दिखावाहै, छलावा है… दिखाने के लिए तो हम ज़रूर बदले हैं लेकिन भीतर से हमारी जड़ों में क़ैद कुछ रूढ़ियां आज भी सीना ताने वहीं कि वहींऔर वैसी कि वैसी खड़ी हैं… थमी हैं… पसरी हुई हैं. जी हां, यहां हम बात वही बरसों पुरानी ही कर रहे हैं, बेटियों की कर रहे हैं, बहनों की कर रहे हैं और माओं की कर रहे हैं… नानी-दादी, पड़ोसन और भाभियों की कर रहे हैं, जो आज की नई लाइफ़स्टाइल में भी उसी पुरानी सोच के दायरों में क़ैद है और उन्हें बंदी बना रखा हैखुद हमने और कहीं न कहीं स्वयं उन्होंने भी.  भले ही जीने के तौर तरीक़ों में बदलाव आया है लेकिन रिश्तों में आज भी वही परंपरा चली आ रही है जिसमें लड़कियों को बराबरी कादर्जा और सम्मान नहीं दिया जाता. क्या हैं इसकी वजहें और कैसे आएगा ये बदलाव, आइए जानें.  सबसे बड़ी वजह है हमारी परवरिश जहां आज भी घरों में खुद लड़के व लड़कियों के मन में शुरू से ये बात डाली जाती है कि वोदोनों बराबर नहीं हैं. लड़कों का और पुरुषों का दर्जा महिलाओं से ऊंचा ही होता है. उनको घर का मुखिया माना जाता है. सारे महत्वपूर्ण निर्णय वो ही लेते हैं और यहां तक कि वो घर की महिलाओं से सलाह तक लेना ज़रूरी नहीं समझते. घरेलू कामों में लड़कियों को ही निपुण बनाने पर ज़ोर रहता है, क्योंकि उनको पराए घर जाना है और वहां भी रसोई में खाना हीपकाना है, बच्चे ही पालने है तो थोड़ी पढ़ाई कम करेगी तो चलेगा, लेकिन दाल-चावल व रोटियां कच्ची नहीं होनी चाहिए.ऐसा नहीं है कि लड़कियों की एजुकेशन पर अब परिवार ध्यान नहीं देता, लेकिन साइड बाय साइड उनको एक गृहिणी बनने कीट्रेनिंग भी दी जाती है. स्कूल के बाद भाई जहां गलियों में दोस्तों संग बैट से छक्के मारकर पड़ोसियों के कांच तोड़ रहा होता है तो वहीं उसकी बहन मां केसाथ रसोई में हाथ बंटा रही होती है.ऐसा नहीं है कि घर के कामों में हाथ बंटाना ग़लत है. ये तो अच्छी बात और आदत है लेकिन ये ज़िम्मेदारी दोनों में बराबर बांटीजाए तो क्या हर्ज है? घर पर मेहमान आ जाएं तो बेटियों को उन्हें वेल्कम करने को कहा जाता है. अगर लड़के घर के काम करते हैं तो आस-पड़ोस वाले व खुद उनके दोस्त तक ताने देते हैं कि ये तो लड़कियों वाले काम करता है.मुद्दा यहां काम का नहीं, सोच का है- 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