Short Stories

कहानी- शगुन (Short Story- Shagun)

अकेले में तो खैर अब भी जब कभी मौक़ा मिलता है, तो कुलदीप आशा को चोटी से पकड़ कर खींचता था. कभी बाजू की चुटकी काट लेता था, तो कभी जीभ निकाल कर चिढ़ाता था. कुलदीप ने आशा का नाम ‘बुद्धो ताई’ रखा हुआ था, क्योंकि आशा भी ताई की तरह ही पुरखों जैसी बातें करती रहती थी.

“अब पूरा दिन आंगन ही लीपती रहेगी या चूल्हे-चौके का भी कुछ करेगी? तेरे बापू हल खोलकर आते ही होंगे.” बिस्नी की झल्लाहट का आशा पर कुछ असर ही नहीं हुआ. अपने आप में खोई हल्के-हल्के गुनगुनाते हुए आशा तो बस आंगन गोबर से लीपे जा रही थी. उसकी चुनरी बार-बार गोबर के लेप में आ गिरती. उसके मन में कई बार आया कि उतार कर रख दे, मगर बापू के डर से ऐसा न कर पाई. वे ऐसे देखते ही घुड़क देंगे कि क्यूं नंगे सिर घूम रही है. कई बार इस गोबर सनी चुनरी को उसने अपने गले में लपेट लिया. कांच की चूड़ियों को भी थोड़ा बहुत गोबर लग गया था.
उसे इतनी अच्छी लिपाई न आती थी जितनी अच्छी उसकी मां बिस्नी को. वैसे तो घर के कमरों, रसोई तथा बरामदे में फ़र्श था, मगर घर का आंगन, पशुओं का बाड़ा तथा एक कोने में स्थित कड़ियों वाला कमरा कच्चा था जिनकी लिपाई करनी पड़ती थी.
आशा को कभी-कभार यूं गोबर की लिपाई करनी अच्छी लगती थी. बिस्नी तो मीन-मेख निकालती रहती. कभी
कहती गोबर अधिक मिला दी. कई बार आशा दिन चढ़े तक लीपती रहती, तो उसकी मां डांटती, “इतनी भी अक्ल नहीं तुझे कि धूप में लिपा हुआ फट जाएगा. सुबह या शाम ठंडे वक़्त में लिपाई किया कर.” इन्हीं बातों से आशा चिढ़ जाती.
गोबर लीपने में ख़ूब मज़ा आता था उसे. मज़े से ठंडी-ठंडी गीली मिट्टी में मुलायम-मुलायम गोबर मिला कर नर्म-नर्म ज़मीन पर फिराते रहो जैसे मेहंदी के घोल में हाथों को मल रही हो. बिस्नी फिर झल्ला उठी थी.
“सुनती है, आज राखी का दिन है. फटाफट काम ख़त्म करके नहा ले. सूरज कितना चढ़ आया है.”
आशा खीझी हुई सी बोली, “बस मां, थोड़ा सा ही तो रहता है. तुम तो पीछे ही पड़ गई.”
हर साल राखी के दिन आशा कितनी ख़ुश होती थी. वह महीनों से इस दिन के इंतज़ार में रहती थी. बाज़ार से दो ख़ास राखियां लाती. एक अपने भाई अशोक के लिए तथा दूसरी कुलदीप के लिए. कुलदीप की कोई बहन तो थी नहीं, इसलिए बचपन से आशा ही उसे राखी बांधती आई थी.

यह भी पढ़ें: ना बनाएं कोविड सिंड्रोम रिश्ते, ना करें ये गलतियां, रखें इन बातों का ख़याल (Covid syndrome relationship: How much have relationships evolved in the pandemic, Mistakes to avoid in relationships)


मगर जब से आशा ने बुद्धो ताई तथा बापू के बीच कुलदीप और उसके अपने रिश्ते की सांठ-गांठ की खुसर-फुसर सुनी है, तब से आशा अजीब पेशोपेश में है कि इस साल वह कुलदीप को राखी बांधे या नहीं. राखियां तो इस बार भी वह दो ही लेकर आई थी, मगर न जाने क्यूं उसके मन में अजीब सी घबराहट हो रही थी कि वह कुलदीप के सामने राखी लेकर कैसे जाएगी? उसके मन का चोर ही उसे बेचैन कर रहा था.
लिपाई लगभग पूरी हो चुकी थी. बाल्टी को उठाकर खपरैल के कोने में रख दिया. ख़्यालों में खोई वह सोचने लगी कि चलो यह घोल फिर किसी दिन काम आ जाएगा, वह उठी. गोबर सने हाथ धोकर नहाने के लिए हैंड पंप से पानी निकालने लगी. आज वह उदास और बहुत थकी-थकी सी थी. सोचने लगी कि इतने वर्ष वह यूं ही कुलदीप को राखी बांधती रही. मगर जब से उसने होश
सम्भाला है कुलदीप को भैया कहकर नहीं बुलाया, बस उसे इसी बात का संतोष था.
रात तो जब से कुलदीप से अपने रिश्ते की बात सुनी है, तब से वह उड़ती रहती है. बुद्धो ताई ने उसके बापू से कहा था, “ईश्वर का दिया सब कुछ है उसके पास. ज़मीन पक्का घर है. कुलदीप बैंक में लगा हुआ है. अच्छी ख़ासी तनख़्वाह है. फिर सबसे बड़ी बात है कि लड़का शरीफ़ है. न कोई ऐब है.”
“मगर ताई, पार्वती से कहे कौन? इतनी बड़ी बात मैं ख़ुद तो न कह सकूंगा. हां, तुम कहो या बिस्नी. पहले टोहकर
देख लो.”
क्या बुद्धो ताई ने पार्वती चाची से पहले टोहकर देख लिया? क्या कहा होगा कुलदीप ने अपनी मां से. आशा के गाल तमता उठे. हाथ-पैर कांपने लगे. पूरे शरीर में झुरझुरी सी हुई. इस साल आशा बी. ए. कर लेगी. कुलदीप की यह शर्त भी पूरी हो जाऊगी कि लड़की बी. ए. होनी चाहिए. मगर सुना है कुलदीप के लिए एक रिश्ता शहर से आया है. नहीं नहीं, आशा का मन कहने लगा, ‘अगर बापू कहेंगे, तो पार्वती चाची ज़रूर हां कर देंगी.’
आशा को लगा जैसे कुलदीप को भी कुछ पता चल चुका है. चोर तो उसके मन में था. तभी तो उसके देखने का अंदाज़ बदलता जा रहा था. बात तो आशा से वह पहले भी कम ही करता था, मगर अब तो न के बराबर करने लगा था. हां, जब आशा दसवीं की परीक्षा में फेल हो गई थी, तब उसे गणित तथा अंग्रेज़ी पढ़ाते समय अकेले में ख़ूब गपशप किया करता था.

यह भी पढ़ें: भाई-बहन अब बन चुके हैं बेस्ट फ्रेंड्स, बदल रहा है इनके पारंपरिक रिश्तों का ट्रेंड… (From Brother-Sister To Best Friends… The Changing Trends Of Sibling Relationships)


अकेले में तो खैर अब भी जब कभी मौक़ा मिलता है, तो कुलदीप आशा को चोटी से पकड़ कर खींचता था. कभी बाजू की चुटकी काट लेता था, तो कभी जीभ निकाल कर चिढ़ाता था. कुलदीप ने आशा का नाम ‘बुद्धो ताई’ रखा हुआ था, क्योंकि आशा भी ताई की तरह ही पुरखों जैसी बातें करती रहती थी.
आशा सोचने लगी, ‘ख़ुद भी कितना बुद्ध है, शर्मीला कहीं का. क्या लड़के भी इस तरह करते हैं. बिल्लू को देखो कैसे राह चलती लड़कियों पर फब्तियां कसता है. किसी की चोटी खींच लेता है, तो किसी का सरेआम रास्ता रोक लेता है. उस दिन तो बिल्लू ने कमाल ही कर दिया था.’
आशा मन्दिर से लौट रही थी गली में काफ़ी अंधेरा था. आशा बेखटके आ रही थी. पता नहीं कहां एक कोने में अपने घर के आसपास बिल्लू खड़ा था. एकदम उसके सामने आते हुए बोला, “क्या बात है? अरे मैडम, ऐसी भी क्या बेरूखी? हमसे भी कभी बात कर लिया करो.” हिम्मत देखो उसकी, रास्ता रोक कर बांह पकड़ते हुए बोला, “आशा, मैं तेरे लिए जान भी दे सकता हूं, एक बार…” वह कहने को हुई थी, “जान तो तू सारे गांव की लड़कियों पर छिड़कता फिरता है. एक जान है कहां-कहां देगा. लम्बरदार का भतीजा है न, इसलिए तेरी इन करतूतों के लिए पंचायत भी तुझे डांट-डपट कर छोड़ देती है. मगर हम लड़कियों की इज़्ज़त…” मगर यह सब कहने की हिम्मत नहीं कर सकी आशा.
बेहद डरी हुई, घबराई हुई बोली, “कुछ शर्म है तुझे, कोई देख ले तो क्या कहे?” बिल्लू की तो मानो हिम्मत बढ़ती ही जा रही थी. दूसरा हाथ भी पकड़ता हुआ बोला, “अच्छा छोड़ दूंगा मगर एक…” और उस कमीने ने अपने बदबूदार होंठों से आशा के गाल पर चूम लिया. पूरी शक्ति लगा कर बड़ी मुश्किल से वह उससे छूट कर भागी. आशा ने सोचा कि मां को बता दे, मगर बता नहीं पाई. कहीं मां उसी को ही ग़लत न समझ ले. तब से देर-सबेर आशा ने मन्दिर जाना छोड़ दिया था.
बाल्टी तो कब की पानी से भर चुकी थी और वह ख़्यालों में खोई हुई हैंड पंप चलाए जा रही थी. उसने भरी हुई बाल्टी गुसलखाने के अन्दर रख दी और किवाड़ बंद कर लिए.
काफ़ी देर वह पानी के पास बैठी रही. जब वह मैट्रिक में थी. कुलदीप कॉलेज में पढ़ता था, तब इतने हैंडपंप नहीं थे. आशा ने एक बार कुलदीप को कुएं पर नहाते देखा था. छाती पर बाल, घनी मूछें, मोटी-मोटी आंखें, सुन्दर गोरे हाथ, लम्बी-लम्बी उंगलियां, यह सब सोचकर शरीर में अजीब-सी झुरझुरी होने लगी.

यह भी पढ़ें: लाइफस्टाइल को बनाएं बेहतर इन हेल्दी हैबिट्स से (Make Our Lifestyle Better With These Healthy Habits)


कितनी ही देर वह चुपचाप बैठी पानी को निहारती रही. कभी हाथों को डुबोती, कभी पांवों पर पानी डालती. उसका बचपन लौट आया था. पानी से खेलने में उसे सुखद अनुभूति हो रही थी. आज वह हरेक काम पूरी तन्मयता से करना चाहती थी. आज उसे कोई जल्दी नहीं थी. वह चाहती थी कि आज कुलदीप के सम्मुख जाना न पड़े. काश आज का दिन पंख लगा उड़ जाए या आज की सुबह शाम में तब्दील हो जाए.
नहा कर निकली तो आशा कुछ हल्का-हल्का महसूस कर रही थी. नया सूट पहना था- बेंगनी रंग की कमीज और सफ़ेद तंग सलवार, जो विशेष तौर पर नए फैशन के अनुसार उसने शहर से बनवाई. इस सूट में आशा किसी शहर की लड़की से कम नहीं दिख रही थी.
जब वह अपने भाई अशोक को राखी बांध रही थी, तो बिस्नी चौखट के अन्दर पांव रखते हुए कहा, “देखा, इतनी देर लगा दी तूने. कुलदीप कब का तेरा इंतज़ार करके दफ़्तर चला गया है.” सुनते ही आशा का चेहरा खिल उठा. चहकते हुए उसने बर्फी टुकड़ा अशोक के मुंह में रख दिया. उसका बापू खेतों से लौट आया था.
दिन बीते, महीने बीते. आशा ने बी.ए. कर लिया. उसके भाई अशोक की शादी हो गई. इन्द्रे ने पार्वती से खुलकर बात नहीं की. उससे पहले ही कुलदीप की सगाई शहर में हो गई. अब शादी की रात ख़ूब जमघट था. आशा का चेहरा ख़ुशी से दमक रहा था. उसने दूर चमचम करती सिल्क का गुलाबी सूट पहना हुआ था और सुनहरी गोरे किनारे और रंग-बिरंगे सितारों से जड़ी चुनरी. आशा ख़ुश थी, मगर अन्दर से उसे अजीब-सा महसूस हो रहा था. वह किसी शहर में पैदा हुई होती. तभी उसकी सहेली किरण ने उसकी चिकोटी काटते हुए कहा, “दिल ग़म से जल रहा है.” आशा ने लजाते हुए मुंह फेर लिया, कुलदीप उसे ही देख रहा था.
बुद्धो ताई बोल उठी, “बहन का शगुन किसे देगा कुलदीपे.” बिस्नी बोल पड़ी, “आशा तो है, जो उसे हर साल राखी बांधती है.” पार्वती के कहने पर आशा ने कुलदीप के हाथ मेहंदी की परात में डुब दिए. पार्वती ने रुपए आशा की झोली में डाल दिया.

– जसविंदर शर्मा

अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES

अभी सबस्क्राइब करें मेरी सहेली का एक साल का डिजिटल एडिशन सिर्फ़ ₹599 और पाएं ₹1000 का कलरएसेंस कॉस्मेटिक्स का गिफ्ट वाउचर.

Usha Gupta

Share
Published by
Usha Gupta

Recent Posts

श्रीराम नवमी : ‘मुखी राम विश्राम तेथेच आहे’ (Shri Ram Navami)

रामनवमी हा सण चैत्र नवरात्रीच्या नवव्या दिवशी साजरा केला जातो. आज राम नवमी आहे. भगवान…

April 17, 2024

बालक आणि पालक…(Child And Parent…)

मुलांकडून रास्त अपेक्षा ठेवणं हेच बालसंगोपनाचं गमक आहे; पण दुर्दैवानं परिस्थिती अगदी गळ्याशी येईपर्यंत बर्‍याच…

April 17, 2024

Exercise Anytime, Anywhere!

With the Christmas spirit in the air, pleasant weather and a full social schedule, people…

April 17, 2024

बीमारियों से दिलाएंगी छुटकारा अदरक की ये इफेक्टिव होम रेमेडीज़ (11 Surprising Health Benefits Of Ginger)

यूं तो अदरक हमारे रोज़मर्रा के खानपान में शामिल ही रहता है, फिर वो सुबह…

April 16, 2024

लहान मुलांना धाडस आणि जिद्दीचं बाळकडू देणाऱ्या ॲनिमेटेड ‘बुनी बियर्स’ चित्रपटाचे पोस्टर लॉंच! (The Poster Launch Of The Animated Movie ‘Bunny Bears’, Which Gives Courage And Stubbornness To Children!)

कोवळ्या वयात असणाऱ्या मुलांच्या अंगी चांगल्या संस्कारांची जर पेरणी झाली, तर मुलं मोठी होऊन नक्कीच…

April 16, 2024
© Merisaheli