"गंजी दुल्हन कितनी ख़राब दिखेगी न?" अनन्या ने मेरा हाथ थामकर पूछा. आज उसके चेहरे पर एक अजीब-सी ख़ुशी थी.…
इस बार मैंने चिल्लाकर पूछा था. पता नहीं ये मेरे मन का कौन-सा डर था, जो मुझे इतना अभद्र बना…
अंकल के बारे में सोचता, तो मन कसैला हो जाता. अपनी बीमारी का बहाना बनाकर वो अपनी बात मनवा ले…
"अनन्या, तुम ख़ुद सोचो न, तुम मेरी क्या हो! सब कुछ कहना पड़ेगा क्या?" उसकी हथेली पर आया पसीना मैं…
पता नहीं क्यों मैं उस दिन हां कहते हुए शरमा गया था. लेकिन आनेवाले कुछ सालों में मुझे अपने इस…