“क्या कहा तुमने?" मैं लगभग चीख पड़ा और साथ ही की-बोर्ड पर दौड़ती मेरी उंगलियां भी रुक गईं. मुझे थोड़े…
"हां, मुझे समाजशास्त्र का ज्ञान बिल्कुल नहीं है, पर तुम्हारा शास्त्र जो बतलाता है वह तुम्हे ही मुबारक हो. मैं…
“तुमने संचिता के परिवार के बारे में पूछताछ की?" "अरे पूछना क्या था. सुना नहीं कितने संघर्ष करते हुए आगे…
"आंटी, मैं आपके कमरे में अपने समान रख लूं?" "हां... हां... क्यों नहीं." इतना सुनते शुभांगी लट्टू हो गई. मुझे…
“सुनो, वहां तो वह अकेला है, ख़ूबसूरत है, अच्छी पगार है; पता नहीं कैसी-कैसी लड़कियों के साथ डेट पर भी…
काम करते-करते जब कभी हम थक जाते, तो जगन को मन ही मन दो गलियां देते, पर उसका यह शब्द…