कहानी- जैनिटर से मिला गुरु ज्ञान 3 (Story Series- Jenitor Se Mila Guru Gyan 3)

“सुनो, वहां तो वह अकेला है, ख़ूबसूरत है, अच्छी पगार है; पता नहीं कैसी-कैसी लड़कियों के साथ डेट पर भी जाता होगा.”

उत्तर में मैं केवल मुस्कुरा देता, तो मुझ पर ही झल्ला पड़ती.
“यार तुम तो टिपिकल हिन्दुस्तानी सास बन रही हो. कहीं तुम्हारे रोहन ने किसी गोरी मेम को पसंद कर लिया तो क्या करोगी?”
“चुप रहो जी, शुभ शुभ बोलो, मेरा पुत्तर ऐसा नहीं है. अच्छा ये बताओ ये डेटिंग में क्या करते हैं?”

 

 

… वक़्त अब चल नहीं रहा था, दौड़ रहा था. पर अपने संघर्ष के ज़माने में हमने अपने शरीर पर जो अत्याचार किए थे उसका प्रतिफल भी तो मिलना था, वह मिला और भरपूर मिला. हम दोनों व्याधियों के चलते-फिरते लैब बन गए और दवाइयां हमारे ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर का हिस्सा.
एक दिन शुभांगी ने पूछ ही लिया, “यहां तो सब इतनी मेहनत करते हैं, लोग कई-कई शिफ्टों में काम करते हैं, पर उनका हाल तो हमारी तरह नहीं होता?” उत्तर मुझ से वह बेहतर जानती थी. हमारा जीवन, जीने का तरीक़ा. फिर हिंदुस्तान से हम भौगोलिक तौर पर भले दूर हो गए हों, वह हम से दूर कब हुआ. यहां रहते हुए भी जिन्हें हम छोड़ आए थे, उनकी चिन्ता तो सदा साथ थी- मानसिक और यथाशक्ति आर्थिक भी. ख़ैर इसी मुल्क की कहावत है न- देयर इज नो फ्री लंच… हर सफलता अपना क़ीमत वसूलती है. फिर भी मन को एक संतोष था, जो पाने निकले थे पाया और क़ीमत तो चुकानी ही थी उसकी.
फिर वह दिन भी आ पहुंचा जब रोहन ने अपनी पढ़ाई पूरी की और वह भी शानदार सफलता के साथ. डिग्री मिलना और शिकागो की एक प्रतिष्ठित संस्थान में बिज़नेस एनालिस्ट की नौकरी का प्रस्ताव लगभग साथ-साथ आया. प्रस्ताव पाकर हम सब कितने ख़ुश हुए थे. शुभांगी तो बच्चों की तरह उछल रही थी, पर साथ ही उसके चेहरे पर चिंता की लकीर भी खिंच गई. वह हम से दूर चला जाएगा. लाख पढ़ी-लिखी हो मां, पर जीवन के इस कठोर सत्य को स्वीकारना उसके लिए मुश्किल होता है. आख़िर एक दिन हम भी पूरे परिवार को ग़मगीन कर सात समंदर पार चले आए थे. आज हमारा एकलौता पुत्र हमसे सैकडों मील दूर जा रहा था. लगा जैसे समय ने हमारी निष्ठुरता का बदला लिया हो. भरे मन से हमने रोहन को बिदा किया. एक शुद्ध देसी मां-बाप की तरह हम एक अमेरिकी नागरिक को रहने, खाने-पीने की हिदायत दे रहे थे और उसके चेहरे पर एक शैतानीभरी मुस्कुराहट थी. उसे देख शुभांगी ने लगभग चीखते हुए कहा था, “मेरी जान जा रही है और तू हंस रहा है.”
शिकागो जा कर रोहन अपने काम में लग गया, पर हर रात विडियो कॉल पर बात करने की शुभांगी के हुक्म का ईमानदारी के साथ पालन करता. कुछ समय बीते, तो शुभांगी को दूसरी चिंता सताने लगी,
“सुनो, वहां तो वह अकेला है, ख़ूबसूरत है, अच्छी पगार है; पता नहीं कैसी-कैसी लड़कियों के साथ डेट पर भी जाता होगा.”
उत्तर में मैं केवल मुस्कुरा देता, तो मुझ पर ही झल्ला पड़ती.
“यार तुम तो टिपिकल हिन्दुस्तानी सास बन रही हो. कहीं तुम्हारे रोहन ने किसी गोरी मेम को पसंद कर लिया तो क्या करोगी?”

यह भी पढ़ें: क्या आप भी डेटिंग ऐप्स पर तलाशते हैं प्यार और कमिटमेंट? (Dating Apps: Can You Find True Love Online?)

“चुप रहो जी, शुभ शुभ बोलो, मेरा पुत्तर ऐसा नहीं है. अच्छा ये बताओ ये डेटिंग में क्या करते हैं?”
“अब मुझे क्या पता, तुम तो मेरे साथ ही आई थी, मुझे डेटिंग का मौक़ा ही कहा मिला. तुम से भी तो इतना उदार न बना गया कि मुझे इसकी इजाज़त दे देती, बस केवल अनुभव के लिए. यदि ऐसा किया होता, तो आज मैं बता पाता डेटिंग के बारे में.”
तो इस तरह हास-परिहास में रोहन की अनुपस्थिति में हम उसकी यादों को दिल से लगाए समय गुज़ारते.

अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें…


प्रो. अनिल कुमार

 

अधिक शॉर्ट स्टोरीज के लिए यहाँ क्लिक करें – SHORT STORIES

Usha Gupta

Share
Published by
Usha Gupta

Recent Posts

कहानी- इस्ला 4 (Story Series- Isla 4)

“इस्ला! इस्ला का क्या अर्थ है?” इस प्रश्न के बाद मिवान ने सभी को अपनी…

March 2, 2023

कहानी- इस्ला 3 (Story Series- Isla 3)

  "इस विषय में सच और मिथ्या के बीच एक झीनी दीवार है. इसे तुम…

March 1, 2023

कहानी- इस्ला 2 (Story Series- Isla 2)

  “रहमत भाई, मैं स्त्री को डायन घोषित कर उसे अपमानित करने के इस प्राचीन…

February 28, 2023

कहानी- इस्ला 1 (Story Series- Isla 1)

  प्यारे इसी जंगल के बारे में बताने लगा. बोला, “कहते हैं कि कुछ लोग…

February 27, 2023

कहानी- अपराजिता 5 (Story Series- Aparajita 5)

  नागाधिराज की अनुभवी आंखों ने भांप लिया था कि यह त्रुटि, त्रुटि न होकर…

February 10, 2023

कहानी- अपराजिता 4 (Story Series- Aparajita 4)

  ‘‘आचार्य, मेरे कारण आप पर इतनी बड़ी विपत्ति आई है. मैं अपराधिन हूं आपकी.…

February 9, 2023
© Merisaheli