माला ने एक प्रेम से भीगा निवाला मेरी ओर बढ़ा दिया था.. छोले-भटूरे, अचार का स्वाद मेरी जिह्वा को नहीं,…
मैंने हंसते हुए कहा, "इतना सा बच्चा और क्या-क्या कह रही हो उसे." माला के चेहरे पर एक शिकायत आकर…
गाड़ी और ड्राइवर मुझे ढोकर ले जाएंगे क्लीनिक तक.. कभी-कभी मन ढोने के लिए भी तो कोई चाहिए होता है!…
मैं बाकी बातों को भूलकर उनके 'अब' पर अटककर रह जाती.. अब का क्या मतलब? यही न कि मायके…
आज सुबह से ये शांति मुझे बेचैन कर रही थी. सब कुछ करके देख लिया; तेज़ म्यूज़िक सुना, ध्यान, योगा…