और प्यार? पापा की परिभाषा में आकर्षण! नहीं, आकर्षण तो जाड़ों की धूप की तरह दो पल में ढल जाता…
“तुम मेरी रूह की हमसफ़र हो, तुम मस्तिष्क से मेरी समवयस्क भी हो, और ये भी सच है कि मैं…
मैंने पलकें हल्के से खोलीं, तो उनकी एकटक ख़ुद को निहारती आंखों में प्यार का ब्रह्मांड देखा. जाने कितनी आकाशगंगाएं…
धीरे-धीरे मेरे प्रश्न पकते गए और साथ में उनके उत्तर भी. मैं उनकी भेजी मार्क्स, टॉलस्टाय, वर्ड्सवर्थ और जाने…
साल में एक बार आते और मेरी सारी अटपटी ख़्वाहिशों का पिटारा भरकर जाते. घाटी में दूर तक उतरकर नायाब…