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‘बिग बॉस-16’ फेम सुम्बुल तौकीर के पिता तौकीर खान कर रहे हैं दूसरी शादी, एक्ट्रेस ने किया कन्फर्म, बोली- हमारे परिवार में नई बहन आ रही है! (Sumbul Touqeer Father Touqeer Khan Is Getting Married For The Second Time, Actress Confirm Her Father’s Second Marriage)

बिग बॉस-16 से घर-घर में अपनी पहचान बनाने वाली सुम्बुल तौकीर इन दिनों बहुत खुश हैं. उनकी खुशियों की वजह की है कि सुम्बुल तौकीर के पिता दूसरी शादी कर रहे हैं. इस बात को लेकर एक्ट्रेस बहुत खुश हैं.

पॉपुलर एक्ट्रेस सुम्बुल तौकीर अपनी प्रोफेशनल लाइफ के साथ-साथ पर्सनल लाइफ को लेकर चर्चा में रहती हैं. इस बार एक्ट्रेस अपनी नहीं अपने पिता की वजह से चर्चा में हैं. एक्ट्रेस के पिता के चर्चा में रहने का कारण है कि सुम्बुल तौकीर के पिता तौकीर हसन खान एक बार फिर से निकाह करने के लिए तैयार है.

सूत्रों से मिली खबर के अनुसार- इमली एक्ट्रेस सुम्बुल तौकीर के पिता तौकीर हसन खान दोबारा निकाह करने जा रहे हैं. एक्ट्रेस के पिता तलाकशुदा नीलोफर से  निकाह करने जा रहे हैं. तलाकशुदा नीलोफर की पहले निकाह से एक बेटी भी है। सूत्रों से ये भी पता चला है कि एक्ट्रेस के पिता और नीलोफर अगले हफ्ते इंटीमेट सेरेमनी में निकाह करेंगे.इतना ही नहीं सुम्बुल अपनि फैमिली में नए मेंबर्स का वेलकम करने के लिए बहुत उत्साहित है.

ई टाइम्स के साथ सुम्बुल की हुई बातचीत में बताया कि हमारे अब्बा कई वर्षों से हमारी इंस्पीरेशन और सपोर्ट रहे हैं. मैं और मेरी बहन सानिया अब्बा के लिए बहुत खुश हैं. हमारे बड़े पापा इकबाल हसन खान ने इस शादी में अहम भूमिका निभाई. मैं उनकी आभारी हूं.

Poonam Sharma

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जीवन में प्रेम जब दस्तक देता है तो उसका एहसास अत्यंत ख़ूबसूरत होता है और वो भी मेरे जैसे नीरस इंसान के लिएजिसके लिए प्रेम और उसका एहसास मात्र लैला-मजनू, हीर-रांझा वाले किताबों के काल्पनिक क़िस्से थे, पर जब तुम्हें पहली बार देखा तो मैं भी प्रेम के एहसास से रु-ब-रु हो गया.  वो काल्पनिक क़िस्से मुझे यथार्थ से लगने लगे थे. मुझे किंचित भी आभास न हुआ कि कब तुम मेनका बन आयी और मेरी विश्वामित्रि तपस्या भंग कर मेरे दिल में समाती चली गईं. उस दिन जब पहली बार तुम्हें मेले में चूड़ियों की दुकान परदेखा था तो मंत्र-मुग्ध-सा तुम्हें देखता ही रह गया. सलोना-सा मासूम चेहरा, कज़रारी आंखें और खुले लम्बे काले बालतुम्हारी सुंदरता में चार चांद लगा रहे थे. तुम्हारे हाथों में ढेर सारी चूड़ियां, उनकी खनखनाहट मेरे कानों में सरगम का रस घोल रहीं थीं. हर बात पर तुम्हारा चूड़ियों का खनखनाना मुझे मंत्रमुग्ध कर रहा था. उस दिन तुम सफ़ेद कलमकारी वाली कढ़ाई वाले सूट में अनछुई चांद की चांदनी लग रही थी. अनिमेश दृष्टि से तुम्हें देखता मैं जड़ चेतन हो गया था. तुम्हारी चूड़ियों की खनक से मैं वापिस यथार्थ के धरातल पर आ गया. मैं भी अपनी बहन के लिए चूड़ियां ख़रीदने आया था, तभी इत्तेफाकन ही हम दोनों ने एक लाल रंग की चूड़ी पर हाथ  लगा कर अपनी पसंद दुकानदार को ज़ाहिर कर दी. तुम्हारे कोमल हाथों के स्पर्श से मैं एकदम सिहर-सा  गया. तुम तो वहां से चली गईं, साथ में मेरा दिल और चैन भी ले गई. मैं मोहब्बत के अथाह सागर की गहराइयों मेंगोते खाने लगा. मुझे तुम्हारा नाम-पता कुछ भी नहीं मालूम था. मैं बस तुम्हारी एक झलक पाने के लिए बेचैन-सा रहने लगा था. कहते हैं ना मन की गहरियों से ढूंढ़ो तो भगवान भी मिल जाते हैं, अंतत: मैंने तुम्हारे बारे में पता लगा ही लिया. तुम तो मेरे सामने वाले कॉलेज में पढ़ती थीं और रोज़ बस से कॉलेज जाती थी. इतना नज़दीक पता मिलने से मेरी ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा. मैं रोज़ तुम्हारी चूड़ियों की खनखनाहट सुनने के लिए बस स्टॉप पर तुम्हारा इंतज़ार करने लगा… और तुम, तुम तोमुझे देख कर भी अनदेखा करने लगी. तुम्हारी अनदेखी मुझे बहुत तकलीफ़ देती थी, लेकिन फिर एक दिन मैंने किसी तरह हिम्मत जुटाई और अपने दिल की बात बताने की ठानी, लेकिन तब तुमसे बात करने की कोशिश में पता  चला ईश्वर ने तुम्हें फ़ुर्सत से गढ़ा था, पर वोतुम्हें आवाज़ देना भूल गया…और यही चूड़ियों की खनक ही तुम्हारी आवाज़ थी…तुम्हारी भाषा थी. तुम्हें डर था कि तुम्हारा यह सचजानकर कहीं मैं तुम्हें छोड़ न दूं, पर कहते हैं न "मोहब्बत कभी अल्फ़ाज़ों की मोहताज नहीं होती, ये तो वो ख़ूबसूरत एहसास है जिसमें आवाज़ की ज़रूरत नहीं होती" मैंने तो तुम्हें मन की गहराइयों से निस्वार्थ प्रेम किया था. और प्रेम तो समर्पण और त्याग की मूरत है और मैं इतना स्वार्थी नहीं था. धीरे -धीरे मैंने भी तुम्हारी और तुम्हारी चूड़ियों  की भाषा सीख ली. तुम्हारी इन चूड़ियों की खनक में सम्पूर्ण जीवनगुज़ारने का एक सुंदर सपना संजोने लगा. समय के साथ कब तुम्हारा कॉलेज पूरा हो गया पता ही नहीं चला. तुम आगेपढ़ना चाहती थीं… एक शिक्षिका बन कर अपने जैसे मूक लोगों के लिए प्रेरणा बन उन्हें राह दिखाकर उन्हें उनकी मंज़िल तक पहुंचाना चाहती थीं. बस फिर क्या था, तुम्हारे इसी हौसले और हिम्मत के आगे मैं नतमस्तक हो गया. एक-एक दिन तुम्हारे इंतज़ार और मिलनेकी आस में काट रहा था और आख़िर तुम्हारा सपना पूरा हो गया. मैंने भी अपने सपने को पूरा कर तुम्हें अपना हमसफ़र बना लिया और तुम्हारी इन चूड़ियों की खनक को हमेशा के लिए अपने जीवन की सरगम बना लिया.…

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