आज उम्र की इस दहलीज़ पर खड़ी हूंमैं जाऊं उधर, या कि अंदर लौट आऊं? चलती रही अब तक नियति…
इस दिवाली सौ दीपों में एक दीपक मन का भी जलानाजगमगाते दीपों के बीच केएक दीया ख़ुद को बनानाजो दूर करें मन…
आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में आता ये त्योहार है, दुर्गा पूजा कहते जिसको पूजे सब संसार है। दस दिवसीय…
नौ दिन की नवरात्रि हमकोकितना कुछ सिखलाती हैनारी ही निर्मात्री हैयह हमको बतलाती हैप्रथम दिवस शैलपुत्री की पूजामन को पावन…
न!कहीं मत जाओयूँ ही बैठे हमदेखते रहेंउस नभ खंड कोजहाँ अभी अभीइक सिंदूरी गोलासोने के सागर मेंडूब गया हैबिखरे हैं…
ख़ुद की तलाश में निकलती हूंमानो हर रोज़ अपने ही वजूद को तराशती हूं मैं समेट कर पूरे घर को समय…
कोई याद खटखटाती रहीउम्र भर खिड़कीदरवाज़े चेतना के, परखुल न सका कोईयाद का झरोखा कहींरूह कसमसाती रहीसदियों तक…तब फलक से…
हे गिरिधारी, कृष्ण कन्हैयानटवर नागर बंसी बजैय्यामनमोहक है छवि तुम्हारीहे मुरलीधर धेनु चरैय्या। हे गोपाला, नंद के लालातुम्हरे सँग खेलत…
ऊंचे पर्वत पर बैठे शिव हैंसागर तीरे देखो शिव हैंभारत के हर कण कण मेंजन मानस के मन में शिव हैं…
बेटे और बेटी में है कितना अंतरये अक्सर ही सुनती आई हूं मैंचलो ये माना मैंने कि है अंतरलेकिन इस…
टूटा हुआ चांदरात की स्याह चादर में छेदबेसुध पड़ी धरतीऊंघते से पेड़ऐसी ही एक रात मेंभागती रही मैंवीरान सड़कों परकिसी…
मत भूल सफलता सांझी हैकुछ तेरी है, कुछ मेरी हैमां-बाप और बच्चे सांझे हैंकुछ रिश्ते-नाते सांझे हैंकुछ ज़िम्मेदारी सांझी हैकुछ…