हज़ारों जतन करती हूं मैं लाखों यतन करती हूं बहुत हंसती-हंसाती हूं मैं यूं ही मुस्कुराती हूं कभी सखियों के…
मन को जो इतना मथा है हृदय में तेरे कितनी व्यथा है अब खोल दे बांहें यूं भर ना तू…
पृथ्वी घूमे धुरी पर, बदले दिन सँग रात।चक्कर काटे सूर्य के, शीत उष्ण बरसात। घेरे पृथ्वी को सदा, रेखाएँ हैं…
बचपन का सपना अचानक सच हो जाता हैजब मुझे दूल्हे के रूप मेंएक दिन सुपर हीरो मिल जाता हैअपने प्यार…
दिनभर की किच-किचऔर काम की आपाधापी में भी अक्सरसैंकड़ों मेंएक सेल्फी क्लिक करके मैं ख़ुद को सौंप देती हूंअदनी सी मुस्कुराहट…
यहांकोई भी व्याकरण नहीं होतीबारिश के गिरने कीन हीकोयल की कूक का कोई रागहवाओं के बहने का कोई नियम नहीं…
अतीत की ओरकिवाड़मज़बूती से भेड़और विस्मृति की चादर ओढ़मैं तो लगभग सो ही चुकी थीओ भूली हुई यादोंतुमने क्योंफिर आकरमेरा…
आज उम्र की इस दहलीज़ पर खड़ी हूंमैं जाऊं उधर, या कि अंदर लौट आऊं? चलती रही अब तक नियति…
इस दिवाली सौ दीपों में एक दीपक मन का भी जलानाजगमगाते दीपों के बीच केएक दीया ख़ुद को बनानाजो दूर करें मन…
आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में आता ये त्योहार है, दुर्गा पूजा कहते जिसको पूजे सब संसार है। दस दिवसीय…
नौ दिन की नवरात्रि हमकोकितना कुछ सिखलाती हैनारी ही निर्मात्री हैयह हमको बतलाती हैप्रथम दिवस शैलपुत्री की पूजामन को पावन…
न!कहीं मत जाओयूँ ही बैठे हमदेखते रहेंउस नभ खंड कोजहाँ अभी अभीइक सिंदूरी गोलासोने के सागर मेंडूब गया हैबिखरे हैं…