मैं बिकने के लिए तैयार हूंख़रीद सकते हो तो ख़रीद लोबस मुझे ख़रीदने के लिएइंसानियत और सत्य की पूंजी लानाइसे…
मेरी पलकों पर कुछ बूंदें टिकी हैं क्या गुज़रे हुए लम्हों से गुज़र रहा हूंकहीं ऐसा तो नहीं अपनी ज़िंदगी में ख़ुद के…
दूरियां दिलों में थींऔर हम उसे आंसुओं में ढालते रहेनफ़रतें काग़ज़ी थींऔर हम दिल में पालते रहे ख़्वाब नींद में थेऔर हम…
भोर के सफ़ेद मखमली कोहरे मेंहम एक साथ खड़े थेयह सत्य अंकित है मेरे स्मृति पटल परज्यों पाषाण पर खुदाकोई…
पगडंडियाँ कभी झूठ नहीं बोलतीं निश्चित रूप से गन्तव्य तक पहुँचाती है अनुभवी लोगों का पदचिह्न होती हैं वह विजेताओं…
यह युद्ध की ललकार तो नहीं थी फिर क्यों? तुम्हारे अदृश्य चक्रव्यूह की दुरूह रचना में मैं स्वयं ही चली…
कह दिया सब नई बात को बहाना कोई बाकी रहे चाहती हूं कि मेरी चाहतों में चाहना तेरा बाकी रहे…
पानी-पानी समां है, बूंदों सा बिखर जाना एक तेरा छा जाना, एक मेरा बरस जाना बस एक यही तो मौसम…
हूं बूंद या बदली या चाहे पतंग आसमान तुम बनो हूं ग़ज़ल या कविता या कोई छंद अल्फ़ाज़ तुम बनो…
स्त्री शक्ति का अवतार है वो प्रेम, ममता, वात्सलय और स्नेह से मालामाल है जगत को जीवन देने वाली वो…
कितना अजीब है ना दिसंबर और जनवरी का रिश्ता जैसे पुरानी यादों और नए वादों का क़िस्सा… दोनों काफ़ी नाज़ुक…
तुम मिल जाओगी किसी गली में तो कमाल हो जाएगा मगर पता है कि आज भी इस बात पर बवाल…