उसकी तोतली बोली पहली बार साम्या के कानों में मिश्री घोल रही थी. उसकी उजली हंसी साम्या की आत्मा पर…
मैं सोचने लगी- यह एकदम कैसा बदलाव आ गया विजय पाल में. प्रायश्चित के किस क्षण ने उनकी आंखों पर…