Kavay

काव्य- कल रात भर… (Poetry- Kal Raat Bhar…)

पिघलता रहाकतरा-कतरा आसमानअधजगी आंखों मेंकल रात भर… नींद नहीं आईबदलता रहा करवटेंबिस्तर किसी की याद मेंकल रात भर… स्याह बादलों…

September 14, 2024

काव्य- झरोखा… (Poetry- Jharokha…)

कोई याद खटखटाती रहीउम्र भर खिड़कीदरवाज़े चेतना के, परखुल न सका कोईयाद का झरोखा कहींरूह कसमसाती रहीसदियों तक…तब फलक से…

September 4, 2024

कविता- हे गोपाला, नंद के लाला… (Poetry- Hey Gopala, Nand Ke Lala…)

हे गिरिधारी, कृष्ण कन्हैयानटवर नागर बंसी बजैय्यामनमोहक है छवि  तुम्हारीहे मुरलीधर धेनु चरैय्या। हे गोपाला, नंद के लालातुम्हरे सँग खेलत…

August 27, 2024

गीत- शुभ जन्माष्टमी (Geet- Shubh Janmashtami)

मुरली मोहन मदन मुरारी, सबके दिल में बसते हो।हे बंशीधर सर्व जगत के, कण-कण में तुम मिलते हो। नटवर नागर…

August 26, 2024

कविता- बेटा और बेटी (Poetry- Beta Aur Beti)

बेटे और बेटी में है कितना अंतरये अक्सर ही सुनती आई हूं मैंचलो ये माना मैंने कि है अंतरलेकिन इस…

July 24, 2024

काव्य- क्या मैं दंडमुक्त नहीं हुई अभी?.. (Poem- Kya Main Dandmukt Nahi Huyi Abhi?..)

संस्कृति के धुंधलके में कहींसमाज नेमेरे माथे पर चस्पां कर दिएचंद लेबलममतामयी, त्यागमयी,कोमलांगी.. और चाहा उसनेजिऊं मैं वैसे हीभूल जाऊं…

July 16, 2024

काव्य- नए युग का निर्माण करो… (Poetry- Naye Yug Ka Nirman Karo…)

नारी तुम निर्मात्री होदो कुलों की भाग्य विधात्री होसृजन का है अधिकार तुम्हेंतुम ही जीवन धात्री हो तुमसे ही उत्पन्न…

June 15, 2024

कविता- सफलता सांझी है (Poem- Saflata Sanjhi Hai)

मत भूल सफलता सांझी हैकुछ तेरी है, कुछ मेरी हैमां-बाप और बच्चे सांझे हैंकुछ रिश्ते-नाते सांझे हैंकुछ ज़िम्मेदारी सांझी हैकुछ…

May 27, 2024

कविताएं- एहसास के समंदर… (Poetry- Ehsas Ke Samandar)

जज़्बात... कहां मिलते हैं ऐसे लोगजो बांट दें ख़ुशियां अपने दामन की चेहरे पर बिना झिझक लाएसमेट लें दर्द किसी अनजान शख़्स…

May 22, 2024

कविता- रसिक प्रेम (Poetry- Rasik Prem)

रसिक श्यामलेकर अधरों पर मुस्कानछेड़ वंशिका की तानपुकार रहे राधा नाम राधामन ही मन रिझायेरसिक मन को समझायेश्याम तेरे बिनये…

May 20, 2024

काव्य- मां… (Poem- Maa…)

जिसके जगने से ही सुबह होती है घर में वो होती है मां.. बिन बोले दुख दर्द जान ले औलाद…

May 12, 2024

कविता- मां का आंचल… (Poetry- Maa Ka Aanchal)

कभी धूप में छांव बन जाती है कभी पसीने में रूमाल बन जाती है थाम लो जो एक बार इसे…

May 10, 2024
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