relationship and romance

पहला अफ़ेयर: वो हम न थे, वो तुम न थे… (Pahla Affair… Love Story: Wo Hum Na Thay, Wo Tum Na Thay)

आज फिर उसे देखा… अपने हमसफ़र के साथ, उसकी बाहों में बाहें डाले झूम रही थी… बड़ी हसीन लग रही थी और उतनीही मासूम नज़र आ रही थी… वो खुश थी… कम से कम देखने वालों को तो यही लग रहा था… सब उनको आदर्श कपल, मेड फ़ॉर ईच अदर… वग़ैरह वग़ैरह कहकर बुलाते थे… अक्सर उससे यूं ही दोस्तों की पार्टीज़ में मुलाक़ात हो जाया करतीथी… आज भी कुछ ऐसा ही हुआ.  मैं और हिना कॉलेज में एक साथ ही थे. उसे जब पहली बार देखा था तो बस देखता ही रह गया था… नाज़ों से पली काफ़ीपैसे वाली थी वो और मैं एक मिडल क्लास लड़का.  ‘’हाय रौनक़, मैं हिना. कुछ रोज़ पहले ही कॉलेज जॉइन किया है, तुम्हारे बारे में काफ़ी सुना है सबसे. तुम कॉलेज में काफ़ीपॉप्युलर हो, पढ़ने में तेज़, बाक़ी एक्टिविटीज़ में भी बहुत आगे हो… मुझे तुम्हारी हेल्प चाहिए थी…’’ “हां, बोलिए ना.” “मेरा गणित बहुत कमजोर है, मैंने सुना है तुम काफ़ी स्टूडेंट्स की हेल्प करते हो, मुझे भी पढ़ा दिया करो… प्लीज़!” “हां, ज़रूर क्यों नहीं…” बस फिर क्या था, हिना से रोज़ बातें-मुलाक़ातें होतीं, उसकी मीठी सी हंसी की खनक, उसके सुर्ख़गाल, उसके गुलाबों से होंठ और उसके रेशम से बाल… कितनी फ़ुर्सत से गढ़ा था ऊपरवाले ने उसे… लेकिन मैं अपनी सीमाजानता था… सो मन की बात मन में ही रखना मुनासिब समझा.  “रौनक़, मुझे कुछ कहना है तुमसे.” एक दिन अचानक उसने कहा, तो मुझे लगा कहीं मेरी फ़ीलिंग्स की भनक तो नहीं लगगई इसे, कहीं दोस्ती तो नहीं तोड़ देगी मुझसे… मन में यही सवाल उमड़-घुमड़ रहे थे कि अचानक उसने कहा, “मुझे अपनाहमसफ़र मिल गया है… और वो तुम हो रौनक़, मैं तुमसे प्यार करती हूं!”  मेरी हैरानी की सीमा नहीं थी, लेकिन मैंने हिना को अपनी स्थिति से परिचित कराया कि मैं एक साधारण परिवार कालड़का हूं, उसका और मेरा कोई मेल नहीं, पर वो अपनी बात पर अटल थी. बस फिर क्या था, पहले प्यार की रंगीन दुनिया में हम दोनों पूरी तरह डूब चुके थे. कॉलेज ख़त्म हुआ, मैंने अपने पापा केस्मॉल स्केल बिज़नेस से जुड़ने का निश्चय किया जबकि हिना चाहती थी कि मैं बिज़नेस की पढ़ाई के लिए उसके साथविदेश जाऊं, जो मुझे मंज़ूर नहीं था.  “रौनक़ तुम पैसों की फ़िक्र मत करो, मेरे पापा हम दिनों की पढ़ाई का खर्च उठाएंगे.”  “नहीं हिना, मैं अपने पापा का सहारा बनकर इसी बिज़नेस को ऊंचाई तक के जाना चाहता हूं, तुम्हें यक़ीन है ना मुझ पर? मैं यहीं रहकर तुम्हारा इंतज़ार करूंगा.” ख़ैर भारी मन से हिना को बाय कहा पर कहां पता था कि ये बाय गुडबाय बन जाएगा. हिना से संपर्क धीरे-धीरे कम होनेलगा था. वो फ़ोन भी कम उठाने लगी थी मेरा. मुझे लगा था कोर्स में व्यस्त होगी, लेकिन एक दिन वो लौटी तो देखा उसकीमांग में सिंदूर, गले में मंगलसूत्र था… मेरी आंखें भर आई…  “रौनक़, मुझे ग़लत मत समझना, जय से मेरी मुलाक़ात अमेरिका में हुई, उसने मुझे काफ़ी सपोर्ट किया, ये सपोर्ट मुझेतुमसे मिलना चाहिए था पर तुम्हारी सोच अलग है. जय का स्टैंडर्ड भी मुझसे मैच करता है, बस मुझे लगा जय और मैं एकसाथ ज़्यादा बेहतर कपल बनेंगे… पर जब इंडिया आई और ये जाना कि तुम भी एक कामयाब बिज़नेसमैन बन चुके हो, तोथोड़ा अफ़सोस हुआ कि काश, मैंने जल्दबाज़ी न की होती…” वो बोलती जा रही थी और मैं हैरान होता चला जा रहा था… “रौनक़, वैसे अब भी कुछ बिगड़ा नहीं है, हम मिलते रहेंगे, जय तो अक्सर टूर पर बाहर रहते हैं तो हम एक साथ अच्छाटाइम स्पेंड कर सकते हैं…”  “बस करो हिना, वर्ना मेरा हाथ उठ जाएगा… इतनी भोली सूरत के पीछा इतनी घटिया सोच… अच्छा ही हुआ जो वक़्त नेहमें अलग कर दिया वर्ना मैं एक बेहद स्वार्थी और पैसों से लोगों को तोलनेवाली लड़की के चंगुल से नहीं बच पाता… तुममेरी हिना नहीं हो… तुम वो नहीं, जिससे मैंने प्यार किया था, तुमको तो मेरी सोच, मेरी मेहनत और आदर्शों से प्यार हुआकरता था, इतनी बदल गई तुम या फिर नकाब हट गया और तुम्हारी असली सूरत मेरे सामने आ गई, जो बेहद विद्रूप है! तुम मुझे डिज़र्व करती ही नहीं हो… मुझे तो धोखा दिया, जय की तो होकर रहो! और हां, इस ग़लतफ़हमी में मत रहना किमैं तुम जैसी लड़की के प्यार में दीवाना बनकर उम्र भर घुटता रहूंगा, शुक्र है ऊपरवाले ने मुझे तुमसे बचा लिया…” “अरे रौनक़, यार पार्टी तो एंजॉय कर, कहां खोया हुआ है…?” मेरे दोस्त मार्टिन ने टोका तो मैं यादों से वर्तमान में लौटा औरफिर डान्स फ़्लोर पर चला गया, तमाम पिछली यादों को हमेशा के लिए भुलाकर, एक नई सुनहरी सुबह की उम्मीद केसाथ! गीता शर्मा 

June 16, 2022

पहला अफेयर… लव स्टोरी: छोटी-सी मुलाक़ात! (Pahla Affair… Love Story: Chhoti-Si Mulaqat)

“आप मेरी सीट पर बैठे हैं मिस्टर… “  “जी शशिकांत… यही नाम है मेरा और हां, सॉरी आपकी विंडो सीट है आप यहां बैठ जाइए , मैं अपनी साइड सीट पर बैठजाता हूं!” “शुक्रिया” “वेल्कम मिस…?” “जी नेहा नाम है मेरा…” पता नहीं क्यों उस मनचले टाइप के लड़के से मैं भी फ़्रेंडली हो गई थी. मैं बस के रास्ते से मसूरी जारही थी और उसकी सीट भी मेरी बग़ल में ही थी, रास्तेभर उसकी कमेंट्री चल रही थी…  “प्रकृति भी कितनी ख़ूबसूरत होती है, सब कुछ कितना नपा-तुला होता है… और एक हम इंसान हैं जो इस नाप-तोल को, प्रकृति के संतुलन को बस बिगाड़ने में लगे रहते हैं… है ना नेहा… जी” मैं बस मुस्कुराकर उसकी बातों का जवाब दे देती… मन ही मन सोच रही थी कब ये सफ़र ख़त्म होगा और इससे पीछाछूटेगा… इतने में ही बस अचानक रुक गई, पता चला कुछ तकनीकी ख़राबी आ गई और अब ये आगे नहीं जा सकेगी… शाम ढल रही थी और मैं अकेली घबरा रही थी…  “नेहा, आप घबराओ मत, मैं हूं न आपके साथ…” शशि मेरी मनोदशा समझ रहा था लेकिन था तो वो भी अनजान ही, आख़िर इस पर कैसे इतना भरोसा कर सकती हूं… ऊपर से फ़ोन चार्ज नहीं था…  “नेहा आप मेरे फ़ोन से अपने घरवालों को कॉल कर सकती हैं, वर्ना वो भी घबरा जाएंगे…” शशि ने एक बार फिर मेरे मनको भांप लिया था…  मैंने घर पर बात की और शशि ने भी उनको तसल्ली दी, शशि फ़ौज में था… तभी शायद इतना ज़िंदादिल था. किसी तरहशशि ने पास के छोटे से लॉज में हमारे ठहरने का इंतज़ाम किया.  मैं शांति से सोई और सुबह होते ही शशि ने कार हायर करके मुझे मेरी मंज़िल तक पहुंचाया…  “शुक्रिया दोस्त, आपने मेरी बहुत मदद की, अब आप अंदर चलिए, चाय पीकर ही जाना…” मैंने आग्रह किया तो शशि नेकहा कि उनको भी अपने घर जल्द पहुंचना है क्योंकि शाम को ही उनको एक लड़की को देखने जाना है रिश्ते के लिए…  “कमाल है, आपने पहले नहीं बताया, मुबारक हो और हां जल्दी घर पहुंचिए…” मैंने ख़ुशी-ख़ुशी शशि को विदा किया.  “नेहा, बेटा जल्दी-जल्दी फ्रेश होकर अब आराम कर ले, शाम को तुझे लड़केवाले देखने आनेवाले हैं…” मम्मी की आवाज़सुनते ही मैं भी जल्दी से फ्रेश होकर आराम करने चली गई. शाम को जब उठी तो देखा घर में एक अजीब सा सन्नाटा पसरा था…  “मम्मी-पापा क्या हुआ? आप लोग ऐसे उदास क्यों बैठे हो?” “नेहा, पता नहीं बेटा वो लड़केवाले अब तक नहीं आए और उनके घर पर कोई फ़ोन भी नहीं उठा रहा…” पापा ने कहा तोमैंने उनको समझाया, “इतनी सी बात के लिए परेशान क्यों हो रहे हो, नेटवर्क प्रॉब्लम होगा और हो सकता है किसी वजहसे वो न आ पाए हों… कल या परसों का तय कर लेंगे…” ये कहकर मैं अपने रूम में आ गई तो देखा फ़ोन चार्ज हो चुकाथा. ढेर सारे मैसेज के बीच कुछ तस्वीरें भी थीं जो पापा ने मुझे भेजी थीं… ओपन किया तो मैं हैरान थी… ये तो शशि कीपिक्स हैं… तो इसका मतलब शशि ही मुझे देखने आनेवाले थे… मैं मन ही मन बड़ी खुश हुई लेकिन थोड़ी देर बाद ही येख़ुशी मातम में बदल गई जब शशि के घर से फ़ोन आया कि रास्ते में शशि की कैब पर आतंकी हमला हुआ था जिसमें वोशहीद हो गए थे…  मेरी ख़ुशियां मुझे मिलने से पहले ही बिछड़ गई थीं… मैंने शशि के घर जाने का फ़ैसला किया, पता…

May 11, 2022

पति-पत्नी का रिश्ता दोस्ती का हो या शिष्टाचार का? क्या पार्टनर को आपका बेस्ट फ्रेंड होना ज़रूरी है? (Should Husband And Wife Be Friends? The Difference Between Marriage And Friendship)

हर रिश्ते की अपनी खूबसूरती होती है और उसी के साथ-साथ हर रिश्ते की अपनी मर्यादा भी होती है. कहते हैं रिश्ता तभीज़्यादा टिकाऊ होता है जब आप उसमें कुछ छूट यानी स्पेस या आज़ादी देते हैं और वहीं ये भी सच है कि कुछ ज़्यादा हीकैज़ुअल अप्रोच आपके रिश्ते के लिए घातक भी साबित हो सकती है. पति-पत्नी का रिश्ता भी ऐसा ही प्यारा सा रिश्ता है, जिसमें विश्वास, दोस्ती और मर्यादा का समन्वय ज़रूरी होता है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या अपने रिश्ते को बेहतर बनाने के लिए इसमें दोस्ती का पुट ज़्यादा होना चाहिए या फिर शिष्टाचार का पालन ज़्यादा करना चाहिए? पति-पत्नी के बीच दोस्ताना व्यवहार अच्छा तो है लेकिन सात फेरों के बंधन में बंधने के बाद वो रिश्ता थोड़ा बदलजाता है. इस रिश्ते को सम्मान और लिहाज़ से सींचना पड़ता है.इसमें विश्वास की नींव डालनी पड़ती है. इसमें प्यार और दोस्ती भी निभानी पड़ती है. ऐसे में आप या हम कोई एक दायरा नहीं बना सकते कि क्या कम हो और क्या ज़्यादा, क्योंकि हर कपल अलग होता है. उसकी सोच और अपने रिश्ते से उम्मीद भी अलग ही होती है. हां इतना ज़रूर हम तय कर सकते हैं कि इस रिश्ते में दोस्ती कब और कैसे निभाई जाए और शिष्टाचार का पालन कब और कितना किया जाए.ज़ाहिर से बात है कि अगर आप दोनों दोस्त नहीं बनेंगे तो आपका रिश्ता महज़ औपचारिक बनकर रह जाएगा, जिसमें एक झिझक और संकोच हमेशा बना रहेगा. ऐसे में न खुलकर दिल की बात शेयर कर सकेंगे, न एक साथ मिलकर हंस सकेंगे और न दोस्तों की तरह शिकायतेंकर सकेंगे, इसलिए दोस्ती पहला स्टेप है पति-पत्नी के रिश्ते की बुनयाद को मज़बूती देने की तरफ़. एक दोस्त की तरह उनका दुःख बांटें, उनका विश्वास जीतें. पता है लोग अपने प्रेमी-प्रेमिका या पति-पत्नी से जोबातें शेयर करने से झिझकते हैं वो बातें वो खुलकर अपने दोस्तों के साथ शेयर करते हैं, इसकी वजह जानते हैं? क्योंकि लगभग सभी का ये मानना है कि दोस्त हमें जज नहीं करते, वो हमें और हमारी कमज़ोरियों को बेहतर तरीक़ेसे समझते हैं. यही वजह है कि आपको सबसे पहले अपने पार्टनर को हर बात पर जज करना, परखना बंद करना होगा और उसकीजगह उनको समझना शुरू करना होगा, ताकि आप ही एक-दूसरे के सबसे अच्छे दोस्त बन जाएं.अगर पति को कोई कलीग खूबसूरत और स्टाइलिश लगती है तो वो खुलकर कह सके बिना इस डर के कि आप इसआधार पर उनके चरित्र को जज न करें बल्कि ये सोचें कि ये तो इंसानी फ़ितरत है, आपके पार्टनर आपसे शेयर तोकर रहे हैं.इसी तरह अगर पत्नी भी अपने किसी मेल दोस्त या कलीग की सराहना करती है तो पति को उसे स्पोर्टिंगली लेना चाहिए. आपका रिश्ता ऐसा होना चाहिए जिसमें छोटी-छोटी बातों से आपको परखे जाने का डर न हो. इन बातों से आपके रिश्ते पर असर न हो. इस तरह से दोस्ती का एक रिश्ता आपको क़ायम करना चाहिए. वहीं दूसरी ओर ये भी न हो कि रिश्ते में आप दोनों इतने बेपरवाह हो जाएं कि बस सिर्फ़ दोस्त ही बनकर रह जाएं. शिष्टाचार का मतलब ये न निकालें कि रिश्ते को औपचारिक बना लें. लेकिन हां, एक-दूसरे का सम्मान करें. दूसरों के सामने एक-दूसरे को बेवजह टोकें नहीं. सॉरी, थैंक्यू और प्लीज़ जैसे मैजिक वर्ड्स का इस्तेमाल न स़िर्फ शिष्टता दर्शाता है, बल्कि रिश्ते को मज़बूत भी बनाता है.इसलिए आपसी बातचीत में शब्दों का चयन भी बहुत मायने रखता है.ध्यान रहे आप एक-दूसरे के पार्टनर हैं न कि गार्जियन, इसलिए स्कूलिंग न करें एक-दूसरे की.एक-दूसरे की सलाह लें, हर छोटे-बड़े मसले पर. शेयर करें, केयर करें. पार्टनर की राय का सम्मान करें. एक-दूसरे से परिवार वालों को भी रेस्पेक्ट दें. दूसरों के सामने बहुत ज़्यादा सवाल-जवाब न करें, अगर कहीं कोई संदेह है तो अकेले में बात करें. एक-दूसरे के काम में हाथ बंटाना भी शिष्टाचार है और शादी में ये बहुत ज़रूरी है.अपनों से बात करते वक़्त हम अक्सर अपने शब्दों के चयन पर ध्यान नहीं देते. हम यह सोचते हैं कि अपनों के साथ क्या औपचारिकता करना और इसी सोच के चलते हम अक्सर शिष्टता भूल जाते हैं. चाहे अपने हों या अन्य लोग, तमीज़ से, प्यार से बात करेंगे, तो सभी को अच्छा ही लगेगा. अपनों के साथ तो और भीसतर्क रहना चाहिए, क्योंकि हमारे द्वारा कहा गया कोई भी कटु शब्द उन्हें ज़्यादा हर्ट कर सकता है, जिससे मन-मुटाव हो सकता है. गलती होने पर माफ़ी मांगने से पीछे न हटें. अपने ईगो को एक तरफ़ रखकर यही सोचें कि गलती किसी से भी होसकती है, अगर आपसे भी हुई है तो पार्टनर से माफ़ी मांगें. इसके अलावा खाने-पीने से संबंधित शिष्टाचार भी ज़रूरी है. बहुत ज़्यादा आवाज़ करके या जल्दी-जल्दी न खाएं. पर्सनल हाईजीन यानी खुद को साफ़-स्वच्छ रखना भी शिष्टता में आता है. अपने पार्टनर और रिश्ते के प्रति इतनेबेपरवाह न हो जाएं कि अपनी ओर ध्यान ही न दें. पार्टनर भले ही कहें नहीं लेकिन उनको भी ये पसंद नहीं आएगा, इसलिए पर्सनल हाईजीन से लेकर ओरल हाईजीन का भी ख़याल रखें. कुल मिलाकर दोस्ती और शिष्टाचार के बीच एक सामंजस्य, समन्वय और संतुलन ही रिश्ते की सफलता की चाभी है. हनी शर्मा 

April 19, 2022

पहला अफेयर: प्यार की मंज़िल (Pahla Affair… Love Story: Pyar Ki Manzil)

शाम को मैं कॉलेज से आज जल्दी ही निकल गई. आर्ट गैलरी में मेरे पसंदीदा चित्रकार आदित्य के चित्रों की एकल प्रदर्शनी लगी है, तो मैं अपने आप को रोक न सकी. कुछ सालों से मैं आदित्य जी के चित्रों को पत्र-पत्रिकाओं में देखती आ रही हूं और उनके चित्रों ने गहराई तक मेरे मन को प्रभावित किया है. कार आर्ट गैलरी की ओर जा रही थी और मन तीस वर्षपूर्व की ओर भाग रहा था. पता नहीं क्यों आज मुझे अपने पहले प्यार उदय की बहुत याद आ रही है. उन दिनों मैं अपने मामाजी के घर रहकर कॉलेज की पढ़ाई कर रही थी. बचपन में ही मैं अपने माता-पिता को खो चुकी थी. निसंतान मामा-मामी ने ही मुझे पाल-पोसकर बड़ा किया था. उदय नाम का युवक मामाजी के घर के ऊपरी हिस्से में किराए पर रहने आया था. वह कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था. हमारे बीच कोई बातचीत नहीं होती थी, बस आते-जाते नज़रें टकरा जाती थी और हल्की-सी मुस्कान दोनों के चेहरे पर दौड़ जाती थी. उसके गंभीर और शांत चेहरे पर कुछ बात ज़रूर थी, जो मुझे बरबस अपनी ओर खींच रही थी. एक बार देखने के बाद घंटों उसका चेहरा आंखों के सामने घूमता रहता था.  सर्दी के दिन थे. उस दिन कॉलेज की छुट्टी थी. रंग-बिरंगे फूलों से लदी क्यारियों के बीच लॉन में मैं सफेद शाल ओढ़े गुनगुनी धूप में बैठी हुई थी. “रंगीन गुलों के बीच सफेद परी कौन आ गई” आवाज़ सुनकर मैं चौंक गई. पलटकर देखा उदय खड़ा मुसकुरा रहा था. पहली बार उसकी आवाज़ सुनी थी और वह भी गुदगुदाने वाली. मैंने भी मौका नहीं छोड़ा  "कोचिंग से शायरी सीखकर आ रहे हो क्या?" "शायरी कोचिंग में नहीं सिखाई जाती मैडम, वो तो ज़ुबान पर आ ही जाती है." उसकी इस बात पर ठहाका लगाकर हम दोनों ही हंसने लगे. किसी इंटरव्यू की तैयारी करना है कहकर वह तुरंत चला गया. ऐसा लगा हमारे बीच संकोच और झिझक की दीवार अब टूट चुकी है. लेकिन अफसोस कि वही हमारी आखिरी मुलाकात थी. मामाजी ने शायद हमें हंसतेहुए देख लिया था. उसका उन्होंने न जाने क्या अर्थ समझा और उदय से क्या कहा मालूम नहीं, दूसरे दिन सबेरे मुझे पताचला उदय कमरा खाली करके जा चुका है. उसका इस तरह से चले जाना मुझे असह्य पीड़ा दे गया. मैं मन ही मन उसे चाहने लगी थी. वह मेरा पहला प्यार था. उसे मैं कभी भुला नहीं पाई. मेरा मन किसी और से शादी करने को तैयार नहींहुआ. मैंने जीवन भर अविवाहित रहने का फैसला किया.  आर्ट गैलरी के गेट पर जैसे ही कार पहुंची मेरा फ्लैश बैक चलचित्र भी अवरुद्ध हो गया. प्रदर्शनी में चित्रकार आदित्य जीकी एक से बढ़कर एक पेंटिंग लगी हुई थी. हर पेंटिंग मन को लुभा रही थी.  मुझे जब पता चला आदित्य जी थोड़ी देर पहले दर्शकों के बीच यहीं थे और अभी बाहर लॉन में बैठे हैं तो मैं उनसे मिलनेलॉन की ओर गई. आदित्य जी किसी पुस्तिका में डूबे हुए थे. मेरे 'नमस्ते' की आवाज़ सुनकर उन्होंने पुस्तक को बंद कर मेरी ओर नज़र उठाकर देखा.…

March 6, 2022

पहला अफेयर… क्या ये प्यार था? (Pahla Affair… Love Story: Kya Ye Pyar Tha?)

कॉलेज का वो दौर, वो दिन आज भी याद आते हैं मुझे. 18-19 की उम्र में भला क्या समझ होती है. मैं अपने बिंदास अंदाज़में मस्त रहती थी. कॉलेज में हम चार दोस्तों का ग्रुप था. उसमें मैं अकेली लड़की थी, लेकिन मुझे लड़कों के साथ रहने परभी कभी कुछ अटपटा नहीं लगा. उनमें से सिद्धार्थ तो सीरियस टाइप का था,पर  दूसरा था सुबीर, जो कुछ ज़्यादा ही रोमांटिक था. उसे मेरे बाल और कपड़ों की बड़ी चिंता रहती. लेकिन अजीब से रोमांटिक अंदाज़ में उसके बात करने से मुझेबड़ी चिढ़ होती थी. लेकिन इन सबसे अलग था हमारे ग्रुप का वो तीसरा लड़का, नाम नहीं लिखना चाहती, पर हां, सुविधा के लिए अवनि कहसकते हैं. करीब चार साल तक हमारा साथ रहा, लेकिन पढ़ाई और घर के सदस्यों के हाल चाल जानने तक तक ही हमारी बातचीतसीमित थी. आगे भी एक साल ट्रेनिंग के दौरान भी हम साथ थे, लेकिन हमारे डिपार्टमेंट अलग थे और काफ़ी दूर-दूर थे. वो दौर ऐसा था कि लड़के-लड़कियों का आपस में बात करना समाज की नज़रों में बुरा माना जाता था, लेकिन अवनिआधे घंटे के लंच टाइम में भी पांच मिनट निकाल कर मुझसे मिलने ज़रूर आता था, बस थोड़ी इधर-उधर की बातें करके चला जाता. फिर वो समय भी आ गया जब साल भर की ट्रेनिंग भी ख़त्म होने को आई और अवनि को उसके भाई ने नौकरी के लिएअरब कंट्री में बुला लिया था. उसकी कमी खल तो रही थी लेकिन हमारे बीच सिर्फ़ एक दोस्ती का ही तो रिश्ता था. वो जबभी अपने पैरेंट्स से मिलने इंडिया आता तो मुझसे भी ज़रूर मिलकर जाता. मेरे घर में सभी लोग उससे बड़े प्यार से मिलते थे, वो था ही इतना प्यारा. निश्छल आंखें और बिना किसी स्वार्थ के दोस्तीनिभाना- ये खूबी थी उसकी. मैं अक्सर सोचती कि हम दोनों के बीच कुछ तो ख़ास और अलग है, एक लगाव सा तो ज़रूरहै, वही लगाव उसे भारत आते ही मुझ तक खींच लाता था. वो जब भी आता मेरी लिए बहुत सारे गिफ़्ट्स भी लाता. उसे पता था कि मेकअप का शौक़ तो मुझे था नहीं, इसलिए वो मेरे लिए परफ़्यूम्स, चॉक्लेट्स और भी न जाने क्या-क्या लाता.  इसी बीच उसकी शादी भी तय हो गई और जल्द ही उसने सात फेरे ले लिए. मैं खुश थी उसके लिए, लेकिन उसकी शादी में मैं नहीं जा पाई. हां, अगले दिन ज़रूर गिफ्ट लेकर अवनि और उसकी पत्नीसे मिली. इसके बाद उससे अगली मुलाकात तब हुई, जब वो अपने एक साल के बेटे को लेकर मुझसे मिलने आया.  कुछ समय बाद मेरी भी शादी हो गई. वो भी मेरी शादी में नहीं आ पाया. फिर मैं भी घर-परिवार में इतनी खो गई कि कुछसोचने का वक़्त ही नहीं मिला. लेकिन दिल के किसी कोने में, यादों की धुंधली परतों में उसका एहसास कहीं न कहीं था. मुझे याद आया कि आख़री बार जब उससे मिली थी तो जाते समय उसने एक फिल्मी ग़ज़ल सुनाई, जिसका कुछ-कुछअर्थ था कि मैं अपना वादा पूरा नहीं कर पाया, इसलिए मुझे फिर जन्म लेना होगा…  उसे सुनकर मैं भी अनसुलझे से सवालों में घिरी रही. अब घर-गृहस्थी में कुछ राहत पाने के बाद यूं ही अवनि का ख़यालआया और मन में हूक सी उठी. मैंने एक दिन सोशल मीडिया पर अवनि को ढूंढ़ने की कोशिश की और मैं कामयाब भी होगई. हमारे बीच थोड़ी-बहुत बात हुई और जब मैंने उससे पूछा कि इतने वक़्त से कहां ग़ायब थे, न कोई संपर्क, न हाल-चाल पूछा, मेरी इस बात पर उसने कहा, "तुम्हारी याद तो बहुत आई, पर मैंने सोचा तुम अपनी गृहस्थी में व्यस्त हो, तोबेवजह डिस्टर्ब क्यों करना.” मैं हैरान रह गई उसकी यह बात सुनकर कि अवनि इतनी भावुक बात भी कर सकता है? फिर काफ़ी दिन तक हमारी बातनहीं हुई. एक दिन मैं अपने लैपटॉप पर कुछ देख रही थी कि अचानक अवनि का मैसेंजर पर वीडियो कॉल आया, क्योंकि अरब देशों…

February 2, 2022

पहला अफेयर: तेरा साथ है तो… (Pahla Affair… Love Story: Tera Sath Hai To)

मैं अपनी चचेरी बहन के पास अस्पताल में बैठी थी. उसका छोटा-सा एक्सीडेंट हुआ था और पांव में फ़्रैक्चर हो जाने कीवजह से वह तीन-चार दिनों के लिए एडमिट थी. मैं उसके पास कुर्सी पर बैठी कोर्स की किताब पढ़ रही थी कि तभी उसकेस्कूल के दोस्त उससे मिलने आए. दो लड़कियां और तीन लड़के. कुछ ही देर में बाकी सब तो चले गए लेकिन रश्मि काएक दोस्त, जिसका नाम जतिन था रुक गया. हम तीनों बातें करने लगे. बातों के सिलसिले में पूरी दोपहर कब निकल गईपता ही नहीं चला. दूसरे दिन फिर आने का वादा करके वह घर चला गया.  उसके जाने के बाद मैं यूं ही उसके बारे में सोचने लगी… बिखरे बालों वाला वह बहुत सीधा-सादा, भोला-सा लगा मुझे. रात में चाची रश्मि के पास रुकी और मैं घर चली गई. सुबह नहाकर जब वापस आई तो देखा जतिन महाराज पहले से ही वहां बैठे थे. चाची के चले जाने के बाद हम तीनों फिर गप्पे मारने लगे. एक आम और साधारण-सा चेहरा होने के बाद भीएक अजब-सी, प्यारी-सी रूमानियत थी जतिन के चेहरे पर और उसकी बातों में कि दिल और आंखें बरबस उसकी ओर खींची चली जाती थी. चार दोपहरें कब निकल गई पता नहीं चला. रश्मि को अभी डेढ़ महीना घर पर ही रहना था. इस बीच उसके बाकी दोस्तों के साथ ही जतिन भी घर आता रहा. वह स्कूल में होने वाली पढ़ाई की जानकारी रश्मि को देकर उसकी मदद करता और खाली समय में हम तीनों खूब बातें करते और मस्ती करते. अब तो जतिन से मेरी भी बहुत अच्छी दोस्ती हो गई थी. जिस दिन वह नहीं आता वो दिन खाली-खाली-सा लगता और मैं बेसब्री से उसका इंतजार करती. रश्मि भी हंसी-हंसी में उसे ताना मारती, "तुम मुझसे मिलने थोड़े ही आते हो, तुम तो चेतना से मिलने आते हो…" तब जतिन एक शर्मीली-सी हंसी भरी नज़र मुझ पर डाल कर सिर झुका लेता. बारहवीं पास होते ही मैं डेंटल कॉलेज में पढ़ने दूसरे शहर चली गई और जतिन भी आगे की पढ़ाई करने दूसरे शहर चला गया, लेकिन फोन पर हम बराबर संपर्क में बने रहते. कभी-कभी रात की ट्रेन से सफर करके जतिन मुझसे मिलने आता. दिन भर हम साथ में घूमते, लंच करते और रात की ट्रेन से वह वापस चल आ जाता. पढ़ाई खत्म होने तक हम दोनों को ही इस बात का एहसास हो चुका था कि हम दोस्ती से आगे बढ़ चुके हैं. हम एक-दूसरे से प्यार करने लगे हैं और अब अलग नहीं रह सकते. हम दोनों ही अपनी एक अलग रूमानी दुनिया बसा चुके हैं, जहां से लौटना अब संभव नहीं था. कितनी खूबसूरत थी वह दुनिया, बिल्कुल जतिन की दिलकश मुस्कुराहट की तरह और उसकी आंखों में झलकते प्यार सेसराबोर जिसमें मैं पूरी तरह भीग चुकी थी. नौकरी मिलते ही जतिन ने अपने घर में इस बारे में बात की. उसके माता-पिता अपने इकलौते बेटे की खुशी के लिए सहर्षतैयार हो गए, लेकिन मेरे पिताजी ने दूसरी जाति में शादी से साफ इनकार कर दिया. यहां तक कि जतिन के घर आने पर अपनी बंदूक तान दी. महीनों घर में तनाव बना रहा, लेकिन मैं जतिन के अतिरिक्त किसी और से शादी करने के लिए किसी भी हालत में तैयार न थी. महीनों बाद सब के समझाने पर पिताजी थोड़े नरम हुए. उन्होंने पंडित जी से कुंडली मिलवाई तोपंडित जी ने मुझे मंगली बता कर कहा कि यदि यह शादी हुई, तो लड़की महीने भर में ही विधवा हो जाएगी. साथ ही लड़के की कुंडली में संतान योग भी नहीं है. घर में सब पर वज्रपात हो गया. अब तो शादी की बिल्कुल ही मनाही हो गई. चार-पांच पंडितों ने यही बात की. अलबत्ता जतिन के घर वाले अब भी अपने बेटे की खुशी की खातिर इस शादी के लिए तैयार थे. बहुत संघर्षों और विवादों के बाद…

January 2, 2022

पहला अफेयर: प्यार की परिणति (Pahla Affair… Love Story: Pyar Ki Parinati)

कभी सोचा नही था यूं किसी से प्यार हो जाएगा… ये कहां जानती थी कि खुद का दिल खुद का…

December 4, 2021

65+ टिप्स: रिश्ता टूटने की नौबत आने से पहले करें उसे रिफ्रेश… (Love And Romance: 65+ Simple Tips To Refresh Your Relationship)

हम अक्सर अपने सबसे करीबी रिश्तों को ही गंभीरता से नहीं लेते. एक वक़्त के बाद हम उनके प्रति लापरवाह या यूं कहेंकि बेपरवाह से हो जाते हैं और यहीं से शुरुआत होने लगती है समस्याओं की. धीरे-धीरे कम्यूनिकेशन कम होने लगता गई, नीरसता बढ़ती जाती है और एक रोज़ अचानक महसूस होता है कि रिश्ते में रहकर भी आप अकेले हैं. जब रिश्ते इसदहलीज़ तक पहुंच जाते हैं तो उनको टूटने में भी ज़्यादा वक़्त नहीं लगता. बेहतर होगा कि ऐसी नौबत ही क्यों आने दें कि रिश्ता टूटने के कगार तक पहुंच जाए. क्यों न अपने रिश्ते को हमेशातारोताज़ा बनाए रखा जाए, लेकिन उसके लिए थोड़ी सी कोशिश करनी होगी, तो इन टिप्स को आज़माएं और अपने रिश्तेको रिफ्रेश करें… रिश्ता भले ही पुराना हो गया हो, लेकिन उसमें कुछ नया हमेशा ट्राई करते रहें.रिश्ते में अगर आप नया नहीं करेंगे वो वो बोरिंग होने लगेगा. आप हर दिन जैसे बाक़ी कामों के लिए समय निकालते हैं उसी तरह अपने पार्टनर और अपने रिश्ते के लिए भी रोज़वक़्त निकालें. इस वक़्त को आप सिर्फ़ अपने और अपने पार्टनर के लिए रखें. उसमें आप चाहें तो बैठकर चाय या कॉफ़ी पिएं, बातेंकरें, दिनभर की छोटी-बड़ी घटनाओं का ज़िक्र करें. ध्यान रहे इस वक़्त में आप शिकायतें न करें, सिर्फ़ पॉज़िटिव बातें करें.शेयर करने से ही रिश्तों में भावनाएं और गर्माहट बनी रहेगी. हमेशा शिकायतें ही न करते रहें. इससे नकारात्मकता फैलती है.हंसी-मज़ाक़ करें.कॉम्प्लिमेंट दें. एक-दूसरे को छेड़ें, मूड लाइट करें.रोमांस को ज़िंदगी से ग़ायब न होने दें. छोटी-छोटी कोशिशें रिश्तों में बड़ी मज़बूती लाती है. जिस तरह पार्टनर की खूबियों को अपनाते हैं वैसे ही उसकी कमियों को भी अपनाना सीखें. अपने हिसाब से किसी को भी बदलने के लिए फ़ोर्स न करें. ना ही बात-बात पर तानें दें. एक-दूसरे को स्पेस भी दें, हमेशा सिर पर सवार न रहें.हर छोटे-बड़े फ़ैसले में पार्टनर की राय भी ज़रूर लें.वीकेंड पर पिकनिक या आउटिंग की प्लानिंग करें. इससे रूटीन में थोड़ा बदलाव और नयापन आएगा.थोड़ा-बहुत झूठ भी बोलें, एक-दूसरे की झूठी तारीफ़ भी करें. ओवर रोमांटिक होने से रिश्ते में एक ताज़गी बनी रहतीहै.एक-दूसरे को गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड की तरह ट्रीट करें न कि पति-पत्नी की तरह.गिफ़्ट्स दें, सर्प्राइज़ प्लान करें. एक साथ जॉगिंग पर जाएं या शाम को वॉक पर जाएं. कोई हॉबी क्लास जॉइन करें.हर जगह बच्चों को लेकर जाने की ज़रूरत नहीं. सिर्फ़ आप दोनों रोमांटिक डेट पर जाएं.सेकंड हनीमून भी अच्छा आइडिया है. अपने पैरेंट्स या दोस्तों को बहुत ज़्यादा अपनी निजी ज़िंदगी में दख़ल न देने दें. सुनें सबकी पर करें अपने मन की. अपने रिश्ते को लेकर हमेशा पॉज़िटिव रहें. भले ही कुछ अनबन हो जाए आपस में लेकिन उसे रिश्ते का एक अंगमानकर स्वीकार लें. अगर सॉरी या थैंक यू कहने से काम बनता है तो झिझकें नहीं.अपने रिश्ते को अपनी प्राथमिकता बनाएं, न कि अपने ईगो को. अपने पार्टनर की ख़ुशी को तवज्जो दें न कि अपने अहम की तुष्टि को.  रिश्ते में नफ़ा-नुक़सान न सोचें, रिश्ते अपने आप में हमारी सबसे पहली ख़ुशी होनी चाहिए. अगर लंच साथ नहीं कर पाते तो कोशिश करें कि ब्रेकफ़ास्ट और डिनर साथ करें. भले ही सुबह थोड़ा जल्दी उठनापड़े. जब साथ हों तो वाक़ई में साथ रहें, अपने-अपने फ़ोन से ब्रेक ले लें.कभी एक प्यारभरा किस तो कभी अपने हाथों से कुछ स्पेशल बनाकर खिलाना वो जादू कर जाता है जो बड़े से बड़ाऔर महंगा तोहफ़ा भी नहीं कर पाता.अपने रिश्ते को रिफ्रेश करने के लिए बहुत ज़रूरी है कि अपनी सेक्स लाइफ़ को भी रोमांचित और रिवाइव करें. अपने घर का माहौल लाइट और रोमांटिक रखें. बेडरूम का डेकोर भी रोमांटिक हो.सेक्स को लेकर कुछ नया करें, कभी वीकेंड में स्वीट बुक करें तो कभी घर में ही नई जगह या नई पोज़ीशन ट्राई करें.पार्टनर को ये फ़ील कराएं कि वो आज भी आपको उतना ही अट्रैक्टिव लगते हैं जितना पहले. कभी फ़ोन पर हस्की वॉइस में बात करें.आई लव यू कहें या मैसेज करें. नॉटी बातें करने से झिझकें नहीं. कभी भी ये न सोचें कि अब बच्चे बड़े हो गए या वो मिडल एज में आ गए तो रोमांस करना सही नहीं.रोमांस की कोई एज नहीं होती, आप जब तक अपना दिल जवां और मूड ज़िंदादिल रखेंगे आपका रिश्ता उतना हीफ्रेश रहेगा.अपने रिश्ते को बेहतर करने के लिए एक अच्छा ऑप्शन ये भी है कि आप एक-दूसरे की जिम्मेदारियां बांटें, ताकिपार्टनर को लगे कि आप उनका साथ निभाने और बोझ कम करने के लिए हमेशा उनके साथ हैं.इसी तरह अपने पार्टनर को हर्ट करने से बचें. कड़वा न बोलें और अगर ग़ुस्से में कुछ मुंह से निकल भी जाए तो दिमाग़ठंडा होने पर माफ़ी मांग लें. इमोशनल ब्लैकमेलिंग से बचें. ये रवैया रिश्ते में ज़हर भर देता है, क्योंकि अपनों के साथ सौदेबाज़ी नहीं की जाती. उन्हें डरा-धमकाकर अपना काम नहीं निकलवाया जाता.अगर आप ऐसा कुछ करते हैं तो फ़ौरन अपना ये ऐटिट्यूड बदल दें. रोमांटिक म्यूज़िक सुनें वो भी साथ में या पुराने ऐल्बम निकालें, तस्वीरें देख कर बीते वक़्त को रिवाइव करें. पुरानीयादें ताज़ा करें. अपने पुराने दोस्तों के साथ पार्टी रखें. पुरानी रोमांटिक सिचूएशन्स को और दिनों को रिक्रीएट करें. हाईजीन और फिटनेस का ध्यान ज़रूर रखें. ना सिर्फ़ बॉडी हाईजीन या प्राइवट पार्ट्स की बल्कि ओरल हाईजीन और फिटनेस भी उतनी ही ज़रूरी है. ये न सिर्फ़ आपको हेल्दी रखती हैं बल्कि आपके रिश्ते को भी हेल्दी और फ्रेश रखती है.पार्टनर को या उसकी बातों को इग्नोर न करें या हल्के में न लें.माइंड गेम्स या पावर गेम्स न खेलें, रिश्तों में मैनिप्युलेशन आपके रिश्ते को तोड़ सकता है. पार्टनर को कंट्रोल में करने के उपाय न सोचें बल्कि उसका साथ देने की बात पर ज़ोर दें.अक्सर घरवाले या दोस्त-रिश्तेदार भी सलाह देते हैं कि ऐसा करोगे तो पार्टनर क़ाबू में रहेगा, आपकी हर बातमानेगा… दिन-रात आपको ही याद करेगा. इन चक्करों में न पड़ें, क्योंकि आपको लाइफ़ पार्टनर चाहिए न कि कोईरोबोट या गुड्डा-गुड़िया जो आपके इशारों पर नाचे.इन सबसे भले ही थोड़े समय के लिए आपको पार्टनर का अटेंशन मिल जाए, लेकिन लंबे समय तक यह करेंगे, तोपार्टनर की दिलचस्पी आप में कम हो जाएगी. रिश्ते में ठंडापन व ग़लतफ़हमियां बढ़ेंगी. जिससे रिश्ता टूट सकता है. इसी तरह पार्टनर की तारीफ़ या कामयाबी से जलें नहीं बल्कि गर्व करें. अगर पार्टनर थका हुआ है तो सेक्स के लिए ज़ोर न दें बल्कि एक हॉट मसाज देकर उसका मूड फ्रेश कर दें.चीट न करें और झूठ बोलने से बचें, क्योंकि झूठ रिश्तों को खोखला कर देता है, जिससे पार्टनर आप पर भरोसा नहींरख पाता. अपने साथी को अपने दोस्तों व ऑफ़िस कलीग से खुलकर मिलवाएं. अपने रिश्ते से उम्मीद और अपेक्षा सभी रखते हैं लेकिन ये ध्यान रहे कि ये अपेक्षाएं अनरीयलिस्टिक न हों.संयम और विश्वास रिश्ते में बेहद ज़रूरी हैं, आपका रिश्ता तभी तक ताज़ा रहेगा जब तक कि आप संयम औरविश्वास से काम लेंगे, क्योंकि संयम होगा तो नकारात्मकता नहीं पनपेगी और विश्वास होगा तो साथ बना रहेगा.रिश्ते को रिफ्रेश करने का एक और जादुई उपाय है- टच थेरेपी. जी हां, प्यार भरी, केयर से भरपूर हल्की से छुअन भीरिश्ते को रोमांचित कर जाती है.कभी सामान पकड़ाते समय हल्के से हाथ छू लिया, कभी नज़रों से ही प्यार से ही देख कर छू लिया, कभी किचन मेंकाम करती पत्नी को पीछे से आकर अचानक कमर से पकड़ किया तो कभी काम में डूबे पतिदेव के बालों मेंउंगलियों का कोमल स्पर्श दे दिया… ये तमाम बातें रिश्तों और रिश्ते में प्यार की ताज़गी को बनाए रखती हैं.साथ रह रहे हैं तो एक-दूसरे की हेल्थ के बारे में अपडेटेड रहें, एक-दूसरे के घरवालों की भी हेल्थ का पता रखें औरज़रूरत के वक्त साथ खड़े रहें. एक-दूसरे के घरवालों का पूरा सम्मान भी करें, इसका सीधा असर आपके रिश्तों परपड़ेगा और वो पॉज़िटिव और फ्रेश बना रहेगा.  गोल्डी शर्मा

October 21, 2021

पहला अफेयर: अलविदा! (Pahla Affair… Love Story: Alvida)

क्या अब भी कोई उम्मीद बाक़ी है तुम्हारे आने की? क्या अब भी कोई हल्की सी गुंजाइश बची है हमारी मोहब्बत की? क्योंआज भी हर आहट पर धड़क उठता है मेरा दिल, क्यों आज भी रह-रहकर ये महसूस होता है कि तुम हो, कहीं आसपास हीहो… लेकिन बस निगाहों से न जाने क्यों ओझल हो!  सात बरस गुज़र गए जय तुमको मेरी ज़िंदगी से गए हुए लेकिन मैं आज भी, अब भी उसी मोड़ पर रुकी तुम्हारा इंतज़ार कररही हूं… एक छोटी-सी बात पर यूं तनहा छोड़ गए तुम मुझे! मैं तो अपने घर भी वापस नहीं जा सकती क्योंकि सबसेबग़ावत करके तुम्हारे संग भागकर शादी जो कर ली थी मैंने. शुरुआती दिन बेहद हसीन थे, हां, घरवालों की कमी ज़रूरखलती थी पर तुम्हारे प्यार के सब कुछ भुला बैठी थी मैं. लेकिन फिर धीरे-धीरे एहसास हुआ कि तुम्हारी और मेरी सोच तोकाफ़ी अलग है. तुमको मेरा करियर बनाना, काम करना पसंद नहीं था, जबकि मैं कुछ करना चाहती थी ज़िंदगी में.  बस इसी बात को लेकर अक्सर बहस होने लगी थी हम दोनों में और धीरे-धीरे हमारी राहें भी जुदा होने लगीं. एक दिनसुबह उठी तो तुम्हारा एक छोटा-सा नोट सिरहाने रखा मिला, जिसमें लिखा था- जा रहा हूं, अलविदा!… और तुम वाक़ई जा चुके थे…  मन अतीत के गलियारों में भटक ही रहा था कि डोरबेल की आवाज़ से मैं वर्तमान में लौटी!  “निशा, ऑफ़िस नहीं चलना क्या? आज डिपार्टमेंट के नए हेड आनेवाले हैं…” “हां रेखा, बस मैं तैयार होकर अभी आई…” ऑफिस पहुंचे तो नए हेड के साथ मीटिंग शुरू हो चुकी थी… मैं देखकर स्तब्ध थी- जय माथुर! ये तुम थे. अब समझ मेंआया कि जब हमें बताया गया था कि मिस्टर जे माथुर नए हेड के तौर पर जॉइन होंगे, तो वो तुम ही थे. ज़रा भी नहीं बदले थे तुम, व्यक्तित्व और चेहरे पर वही ग़ुरूर!  दो-तीन दिन यूं ही नज़रें चुराते रहे हम दोनों एक-दूसरे से, फिर एक दिन तुम्हारे कैबिन में जब मैं अकेली थी तब एक हल्कीसे आवाज़ सुनाई पड़ी- “आई एम सॉरी निशा!” मैंने अनसुना करना चाहा पर तुमने आगे बढ़कर मेरा हाथ पकड़ लिया- “मैं जानता हूं, ज़िंदगी में तुम्हारा साथ छोड़कर मैंनेबहुत बड़ा अपराध किया. मैं अपनी सोच नहीं बदल सका, लेकिन जब तुमसे दूर जाकर दुनिया को देखा-परखा तो समझआया कि मैं कितना ग़लत था, लड़कियों को भी आगे बढ़ने का पूरा हक़ है, घर-गृहस्थी से अलग अपनी पहचान औरअस्तित्व बनाने की छूट है. प्लीज़, मुझे माफ़ कर दो और लौट आओ मेरी ज़िंदगी में!” “क्या कहा जय? लौट आओ? सात साल पहले एक दिन यूं ही अचानक छोटी-सी बात पर मुझे यूं अकेला छोड़ तुम चलेगए थे और अब मुझे कह रहे हो लौटने के लिए? जय मैं आज भी तुम्हारी चाहत की गिरफ़्त से खुद को पूरी तरह मुक्त तोनहीं कर पाई हूं, लेकिन एक बात ज़रूर कहना चाहूंगी कि तुमने मुझसे अलग रहकर जो भी परखा दुनिया को उसमें तुमने येभी तो जाना ही होगा कि बात जब स्वाभिमान की आती है तो एक औरत उसके लिए सब कुछ क़ुर्बान कर सकती है. तुमनेमेरे स्वाभिमान को ठेस पहुंचाई और अपनी सुविधा के हिसाब से मेरी ज़िंदगी से चले गए वो भी बिना कुछ कहे-सुने… औरआज भी तुम अपनी सुविधा के हिसाब से मुझे अपनी ज़िंदगी में चाहते हो!  मैं ज़्यादा कुछ तो नहीं कहूंगी, क्योंकि तुमने भी जाते वक़्त सिर्फ़ अलविदा कहा था… तो मैं भी इतना ही कहूंगी- सॉरीबॉस!” इतना कहकर मैं वहां से चली आई. ऐसा लगा मानो बरसों का एक बोझ जो सीने और अपने अस्तित्व पर रखा था वो उतरगया हो… अब सब कुछ साफ़ था और बेहद हल्का, क्योंकि बरसों पुराना मेरा इंतज़ार अब ख़त्म हो चुका था, ज़िंदगी की नई राह अब मेरा इंतज़ार कर रही थी!  - रिंकी शर्मा…

August 4, 2021

पहला अफेयर: अधूरा प्यार, मुकम्मल एहसास! (Pahla Affair, Love Story: Adhura Pyar, Mukammal Ehsaas)

ये भीगता मौसम, ये बरसती फ़िज़ा… मन के किसी कोने में तुम्हारी यादों की सोंधी महक को फिर हवा दे जाते हैं… जब-जब ये बारिश होती है, तन के साथ-साथ मन को भी भिगो देती है… कैसी अजीब सी कशिश थी तुम्हारी उस सादगी में भी, कैसी रूमानियत थी तुम्हारी आंखों की उस सच्चाई में भी… मेरा पहला जॉब वो भी इतने बड़े बैंक में. थोड़ा डर लग रहा थालेकिन तुमने मुझे काफ़ी कम्फ़र्टेबल फील कराया था. हर वक्त मेरी मदद की और न जाने कैसे धीरे-धीरे एक दिन अचानक मुझे ये एहसास हुआ कि कहीं मैं प्यार में तो नहीं?  कुछ दिन अपने दिल को समझने और समझाने में ही बीत गए और उसके बाद मैंने निर्णय ले लिया कि तुमसे अपनीफ़ीलिंग्स का इज़हार कर दूंगी क्योंकि घर में भी मेरी शादी को लेकर बात चलने लगी थी.  मैंने देर करना ठीक नहीं समझा और कहीं न कहीं मुझे भी ये लगने लगा था कि तुम्हारा भी खिंचाव और लगाव है मेरीतरफ़. मैंने लंच में तुमसे बिना झिझके साफ़-साफ़ अपने दिल की बात कह दी. तुमने भी बड़े सहज तरीक़े से मुझसे कहाकि तुम भी मुझसे प्यार करने लगे हो लेकिन एक सच है जो तुम मुझे बताना चाहते हो, लेकिन शाम को फ़ुर्सत में…  ‘निशांत, कहो क्या कहना चाहते हो?’ ‘निधि मैंने तुमको अपने घर इसलिए बुलाया कि बात गंभीर है और मैं तुमको अंधेरे में नहीं रखना चाहता. निधि ये तस्वीर मेरी 3 साल की बेटी किट्टू की है.’  ‘तुम शादीशुदा हो? तो तुमने मुझे अपने घर क्यों बुलाया? तुम्हारी पत्नी और बेटी कहां हैं?’ ‘निधि, यही सब बताने के लिए तो बुलाया है तुम्हें! मेरी पत्नी और मैं अलग रहते हैं. हमने तलाक़ का फ़ैसला लिया है. किट्टू भी राधिका के साथ ही है. मेरी पत्नी राधिका को मेरी सादगी और सहजता पसंद नहीं थी. उसको शुरू से लगता था कि मैंऔरों की तरह स्मार्ट नहीं. उसकी ख्वाहिशें भी बहुत बड़ी थीं जो मैं पूरी न कर सका, इसलिए हमने अलग होने का फ़ैसला किया है.’ ‘निशांत मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं, मैं तुमसे बेहद प्यार करती हूं और तलाक़ तक तो क्या, ताउम्र तुम्हारा इंतज़ार कर सकती हूं!’  इसके बाद सब कुछ ठीक चल रहा था, मेरी शामों में रूमानियत घुलने लगी थी, दिन रंगीन हो ही रहे थे कि निशांत ने बताया उसकी बेटी किट्टू बहुत बीमार है और राधिका वापस घर लौट आई है क्योंकि किट्टू अपने मम्मी-पापा दोनों के साथ रहना चाहती थी. किट्टू की रिपोर्ट्स से पता चला कि उसको ब्रेन ट्यूमर है और सर्जरी करनी पड़ेगी, जो काफ़ी रिस्की है!  मैंने निशांत को कहा कि फ़िलहाल वो किट्टू पर ध्यान दे.  ‘क्या बात है निशांत, तुम इतने उलझे-उलझे क्यों रहते हैं इन दिनों? किट्टू ठीक हो जाएगी, ज़्यादा सोचो मत!’ ‘निधि किट्टू की फ़िक्र तो है ही लेकिन एक और बात है, राधिका काफ़ी बदल गई है. उसका कहना है कि किट्टू हम दोनों केसाथ रहना चाहती है और उसकी ख़ातिर वो खुद को बदलना चाहती है, लेकिन मैंने उसे अपने और तुम्हारे रिश्ते के बारे मेंबता दिया है, राधिका को कोई आपत्ति नहीं, पर किट्टू की ज़िद का क्या करूं. वो बस यही कहती है कि उसको मम्मी-पापा दोनों के साथ रहना है!…

July 13, 2021

पुरुषों की 10 आदतें, जो सुधारे नहीं सुधरतीं (10 Things You Can Never Change About A Man)

मैडम को तैयार होने में कम से कम दो घंटे तो लगते ही हैं… घर की चाबी भूल जाएंगी, मगर…

May 26, 2021
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