आयुर्वेद में जामुन को डायबिटीज़ में क्यों उपयोगी माना गया है? डायबिटीज़ की गंभीर अवस्था में जहां इंसुलिन और ट्राईप्सोजन…
मंत्रों का असर मंदिरों में और अधिक बढ़ जाता है... मंत्रों को यदि मंदिरों में जपा व सुना जाए, तो उनका प्रभाव काफ़ी अधिक होता है, क्योंकि मंदिर गुंबदाकार से शब्द जब टकराकर वापस आते हैं, तो मन-मस्तिष्क में नई ऊर्जा भर देते हैं. मंदिर का गुंबदाकार उनके प्रभाव को कई गुना बढ़ा देता है. यही वजह है कि मंदिरों के आकर को भी वैज्ञानिक तरीक़े से गढ़ा जाता है. जितना हंसेंगे, उतना हेल्दी रहेंगे... रिसर्च बताते हैं कि जो लोग ज़्यादा हंसते हैं, वो शारीरिक व मानसिक तकलीफ़ों को बेहतर तरी़के से टैकल व टॉलरेट कर…
वैदिक काल से ही वायुमंडल का शुद्धीकरण करता आ रहा है कपूर पूजा के दौरान या आरती के समय घरों में भी कपूर जलाने का चलन वैदिक काल से चला आ रहा है. इसके पीछे वैज्ञानिकतथ्य यही है कि कपूर जलाने से वायुमंडल शुद्ध होता है, क्योंकि वो हानिकारक संक्रामक बैक्टीरिया को नष्ट करके भीनी-भीनी शुद्ध ख़ुशबू से वातावरण को महका देता है. बीज मंत्र क्या होते हैं? बीज मंत्र किसी भी मंत्र का लघु रूप होते हैं, जो काफ़ी प्रभावी होते हैं. ये मात्र एक अक्षर के होते हैं, लेकिन इनका प्रभावइतना गहरा होता है कि स्वास्थ्य की कुंजी इनमें छुपी होती है. भजन को भी एक प्रकार का मंत्र माना है कीर्तन, प्रार्थना या भजन को भी एक प्रकार का मंत्र ही माना गया है, क्योंकि एक निश्चित लय, ताल व समयावधि में इन्हेंगाने पर आपका संपर्क भीतर की आध्यात्मिक ऊर्जा से होता है व सारे टॉक्सिन्स दूर हो जाते हैं. मेडिटेशन करता है कई मानसिक रोगों को कंट्रोल रिसर्च कहते हैं कि मेडिटेशन घबराहट को कम करके कई तरह के मानसिक रोगों को भी नियंत्रित करने में सक्षम है. यहफोबिया, लत, विकृत सोच, ऑबसेसिव कंपलसिव डिसऑर्डर आदि में भी फ़ायदेमंद है. मेडिटेशन डिप्रेशन और स्ट्रेस पैदा…
पूजनीय है गंगा, साथ ही औषधीय गुणों से भरपूर भी... गंगा नदी को हम मां मानते हैं, इसके पीछे का विज्ञान यह है कि गंगा जल औषधीय गुणों से भरपूर है. वैज्ञानिकों का कहनाहै कि गोमुख से निकलकर मैदानों में आने तक नदी कई प्राकृतिक स्थानों, वनस्पतियों से होकर गुज़रती है, जिससे उसकेपानी में बैक्टीरिया को मारने की शक्ति होती है. स्वास्थ्य का ख़ज़ाना है बेलपत्र... शिवजी की पूजा में बेलपत्र बेहद शुभ व उनके प्रिय माने जाते हैं, लेकिन बेलपत्र के हेल्थ बेनीफिट्स भी हैं- इसका काढ़ाबुखार व श्वास रोग में, हृदय को स्वस्थ रखने में कारगर है. मुंह में छाले होने पर इसके पत्ते को चबाएं. यह शरीर की गर्मी वपेट की बीमारियों को भी दूर करता है. माथे भस्म लगाने के फ़ायदे यज्ञ के बाद भस्म वा विभूति को माथे पर लगाना शुभ माना जाता है. इसके वैज्ञानिक कारण हैं. आज्ञा चक्र पर भस्म लगानेसे शरीर के चक्र जागृत हो जाते हैं, जिससे निगेटिव एनर्जी अंदर नहीं आ पाती और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह भी बेहतरहोता है. भस्म शरीर में मौजूद अतिरिक्त नमी को सोख लेती है और आपको सर्दी से बचाती है. रुद्राक्ष पहनने से ब्रेन-हार्ट होते हैं स्ट्रॉन्ग रुद्राक्ष की माला पहनने से न सिर्फ ब्रेन और हार्ट स्ट्रॉन्ग होते हैं, बल्कि ब्लड प्रेशर भी नॉर्मल बना रहता है, क्योंकि रुद्राक्ष मेंमेडिसिनल प्रॉपर्टीज़ होती हैं, इसी वजह से यह हिंदू धर्म में पूजनीय है. यह एंटैसिड और एंटी-इंफ्लेमेटरी भी है. जादू की झप्पी होती है हेल्दी रिचर्स बताते हैं कि गले मिलने से हैप्पी व हेल्दी हार्मोंस रिलीज़ होते हैं. दरअसल गले मिलने से ऑक्सिटोसिन हार्मोंस कास्तर तुरंत बढ़ता है, जो अकेलापन, तनाव और ग़ुस्से जैसी नकारात्मक भावनाओं को ख़त्म करता है. यह भी पढ़ें: कृष्ण की माखनचोरी हो, गर्भावस्था में मंत्रों…