70 और 80 के दशक की मशहूर एक्ट्रेस जीनत अमान उस दौर में कई लोगों की ड्रीम गर्ल थीं. लेकिन ये ज़ीनत का बैडलक ही…
70 और 80 के दशक की मशहूर एक्ट्रेस जीनत अमान उस दौर में कई लोगों की ड्रीम गर्ल थीं. लेकिन ये ज़ीनत का बैडलक ही रहा कि हजारों लोगों के दिलों की धड़कन ज़ीनत को रियल लाइफ में कभी प्यार नसीब ही नहीं हुआ. उनकी लाइफ में प्यार तो कई बार आया, लेकिन वो प्यार उनकी ज़िंदगी में ठहर नहीं सका.
जिन लोगों से ज़ीनत का नाम जोड़ा गया, उनमें संजय खान से उनका रिश्ता सबसे ज़्यादा सुर्ख़ियों में रहा. कहते हैं संजय से उन्होंने शादी भी कर ली थी, लेकिन संजय ने उन्हें इतने चोट पहुंचाये जिसे ज़ीनत ज़िंदगी भर नहीं भूल पाईं. एक बार तो संजय ने ज़ीनत को सरेआम इतना मारा था कि वो खून से लथपथ हो गई थीं.
‘अब्दुल्लाह’ फिल्म के सेट पर मिले थे जीनत अमान और संजय खान
जीनत और संजय का अफेयर जिस समय शुरू हुआ था, उस समय संजय शादीशुदा थे और उनके तीन बच्चे भी थे. इसके बावजूद जीनत अमान उन्हें अपना दिल दे बैठीं. दोनों के बीच फिल्म ‘अबदुल्ला’ के सेट पर प्यार शुरू हुआ था. फ़िल्म की शूटिंग के दौरान दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ने लगीं. दोनों के अफेयर की खबरें भी सुर्खियां बन गईं. इसके बाद संजय और जीनत भी पार्टीज और पब्लिक इंवेट्स पर भी साथ में जाने लगे. कहते हैं लोगों ने जीनत को आगाह भी किया था कि वो संजय खान से दूर रहें, लेकिन जीनत उनके प्यार में पागल हो गई थीं और कहती थीं- मैं संजय से बहुत प्यार करती हूं और हर कदम में उनका साथ दूंगी. बताया तो यह भी जाता है कि ‘अब्दुल्लाह’ की शूटिंग के दौरान ही दोनों ने जैसलमेर में छुपकर शादी भी कर ली थी. शादी के बाद जीनत अपने काम पर लौट गईं और अपनी फिल्मों की शूटिंग में बिजी हो गईं.
जब संजय खान ने ज़ीनत पर लगाया अवैध सम्बंध का आरोप
कहते हैं एक दिन जीनत लोनावला में शूटिंग कर रही थीं और संजय ने उन्हें अचानक सब कुछ छोड़कर मुंबई आने के लिए कहा. वह ‘अब्दुल्लाह’ के एक गाने का कुछ हिस्सा फिर से शूट करना चाहते थे. लेकिन जीनत पहले ही दूसरी फिल्म को अपनी डेट दे चुकी थीं. उन्होंने ये बात संजय खान को बताई तो संजय भड़क गए और उन्होंने जीनत पर फिल्म के मेकर्स के साथ अवैध संबंध का आरोप लगा दिया. इस बात का जीनत को बहुत बुरा लगा. उन्होंने मुम्बई लौटने पर संजय खान से बात करने का फैसला किया.
जब खून से लथपथ जीनत अमान के बाल पकड़कर पीटते रहे थे संजय खान
आखिर ज़ीनत संजय खान से मिलने सीधे उनके घर पहुंच गईं. वो उनसे मिलकर डेट्स के बारे में भी बात करना चाहती थीं, लेकिन घर पहुंचने पर उन्हें पता चला कि संजय खान होटल ताज में पार्टी कर रहे हैं. इसके बाद जीनत सीधे पार्टी में ताज पहुंच गईं. पार्टी में जीनत को अचानक देखकर सब सन्न रह गए. सब संजय के गुस्सैल स्वभाव के बारे में जानते थे. संजय ने जीनत से पूछा कि वो यहां क्यों आई हैं? उनकी पत्नी जरीन भी जीनत के वहां इस तरह पहुंचने से काफी नाराज हो गई थीं.
इसके बाद संजय उन्हें एक कमरे में ले गए और फिर वो हुआ जिसकी जीनत ने कभी उम्मीद भी नहीं की थी. संजय ने जीनत के बाल पकड़कर उन्हें बुरी तरह पीटा. वह बार बार जीनत को उठाते और उनके गिरने तक पीटते रहते. इतना ही नहीं जरीन भी जब उस कमरे में पहुंचीं तो उन्होंने जीनत को पीटना शुरू कर दिया. पार्टी में मौजूद सभी गेस्ट जानते थे कि कमरे में क्या हो रहा है, लेकिन जीनत की मदद के लिए कोई आगे नहीं आया. आखिरकार वहां मौजूद एक होटल स्टाफ ने जीनत को बचाया. वो खून से लथपथ हो चुकी थीं और लगातार रोए जा रही थीं.
कहते हैं इस पिटाई से लगी चोट को ठीक होने में कई दिन लग गए थे, लेकिन इतना सब होने के बावजूद उन्होंने संजय के खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं कराई और संजय से प्यार करती रहीं.
पहले भी कई बार मारपीट कर चुके थे संजय खान
खुद जीनत के डॉक्टर ने इस बात का खुलासा किया था कि ये पहली बार नहीं था कि संजय खान ने जीनत को मारा हो. वो अक्सर ही जीनत की बुरी तरह पिटाई करते थे.”इससे पहले भी जीनत जब आई थीं तो उनकी आंखों में बहुत ज़्यादा चोट लगी हुई थी और उनके रिब्स में भी चोटें आई थीं, तब मैंने जीनत को एक्स रे करने की भी सलाह दी थी.”
8 साल बाद मज़हर खान से की शादी
8 साल बाद जब वो इस दर्द से उबरीं तो उन्होंने 34 साल की उम्र में एक्टर मजहर खान से शादी कर की, लेकिन मजहर के साथ भी उनका रिश्ता खराब रहा था. खबरें थीं कि मज़हर खान भी जीनत के साथ मारपीट किया करते थे. आखिर 1998 में मज़हर की डेथ हो गई. इस तरह जीनत को दोबारा भी प्यार में तकलीफें ही मिलीं.
बॉलीवुड के मोस्ट एलिजिबल बैचलर और हैंडसम हंक सलमान खान की फैन्स के बीच जबरदस्त…
“बच्चे हमारी ज़िंदगी का सबसे अहम् हिस्सा हैं. सोसायटी से कटकर ज़िंदगी जी जा सकती…
अपने बेबाक बयानों के लिए मशहूर कंगना रनौत ने हाल ही में फिल्म मेकर करण…
वैसे तो बॉलीवुड की कई रील लाइफ जोड़ियां दर्शकों के दिलों पर सालों से राज…
प्रियंका चोपड़ा (Priyanka Chopra) के बाद अब सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर अमाल मलिक (Amaal Mallik)…
ये माना समय बदल रहा है और लोगों की सोच भी. समाज कहने को तो पहले से कहीं ज़्यादा मॉडर्न ही गया है. लाइफ़स्टाइल बदल गई, सुविधाएं बढ़ गईं, लग्ज़री चीजों की आदतें हो गई… कुल मिलाकर काफ़ी कुछ बदल गया है, लेकिन ये बदलाव महज़ बाहरी है, दिखावाहै, छलावा है… दिखाने के लिए तो हम ज़रूर बदले हैं लेकिन भीतर से हमारी जड़ों में क़ैद कुछ रूढ़ियां आज भी सीना ताने वहीं कि वहींऔर वैसी कि वैसी खड़ी हैं… थमी हैं… पसरी हुई हैं. जी हां, यहां हम बात वही बरसों पुरानी ही कर रहे हैं, बेटियों की कर रहे हैं, बहनों की कर रहे हैं और माओं की कर रहे हैं… नानी-दादी, पड़ोसन और भाभियों की कर रहे हैं, जो आज की नई लाइफ़स्टाइल में भी उसी पुरानी सोच के दायरों में क़ैद है और उन्हें बंदी बना रखा हैखुद हमने और कहीं न कहीं स्वयं उन्होंने भी. भले ही जीने के तौर तरीक़ों में बदलाव आया है लेकिन रिश्तों में आज भी वही परंपरा चली आ रही है जिसमें लड़कियों को बराबरी कादर्जा और सम्मान नहीं दिया जाता. क्या हैं इसकी वजहें और कैसे आएगा ये बदलाव, आइए जानें. सबसे बड़ी वजह है हमारी परवरिश जहां आज भी घरों में खुद लड़के व लड़कियों के मन में शुरू से ये बात डाली जाती है कि वोदोनों बराबर नहीं हैं. लड़कों का और पुरुषों का दर्जा महिलाओं से ऊंचा ही होता है. उनको घर का मुखिया माना जाता है. सारे महत्वपूर्ण निर्णय वो ही लेते हैं और यहां तक कि वो घर की महिलाओं से सलाह तक लेना ज़रूरी नहीं समझते. घरेलू कामों में लड़कियों को ही निपुण बनाने पर ज़ोर रहता है, क्योंकि उनको पराए घर जाना है और वहां भी रसोई में खाना हीपकाना है, बच्चे ही पालने है तो थोड़ी पढ़ाई कम करेगी तो चलेगा, लेकिन दाल-चावल व रोटियां कच्ची नहीं होनी चाहिए.ऐसा नहीं है कि लड़कियों की एजुकेशन पर अब परिवार ध्यान नहीं देता, लेकिन साइड बाय साइड उनको एक गृहिणी बनने कीट्रेनिंग भी दी जाती है. स्कूल के बाद भाई जहां गलियों में दोस्तों संग बैट से छक्के मारकर पड़ोसियों के कांच तोड़ रहा होता है तो वहीं उसकी बहन मां केसाथ रसोई में हाथ बंटा रही होती है.ऐसा नहीं है कि घर के कामों में हाथ बंटाना ग़लत है. ये तो अच्छी बात और आदत है लेकिन ये ज़िम्मेदारी दोनों में बराबर बांटीजाए तो क्या हर्ज है? घर पर मेहमान आ जाएं तो बेटियों को उन्हें वेल्कम करने को कहा जाता है. अगर लड़के घर के काम करते हैं तो आस-पड़ोस वाले व खुद उनके दोस्त तक ताने देते हैं कि ये तो लड़कियों वाले काम करता है.मुद्दा यहां काम का नहीं, सोच का है- ‘लड़कियोंवाले काम’ ये सोच ग़लत है. लड़कियों को शुरू से ही लाज-शर्म और घर की इज़्ज़त का वास्ता देकर बहुत कुछ सिखाया जाता है पर संस्कारी बनाने के इसक्रम में लड़के हमसे छूट जाते हैं.अपने घर से शुरू हुए इसी असमानता के बोझ को बेटियां ससुराल में भी ताउम्र ढोती हैं. अगर वर्किंग है तो भी घरेलू काम, बच्चों व सास-ससुर की सेवा का ज़िम्मा अकेले उसी पर होता है. ‘अरे अब तक तुम्हारा बुख़ार नहीं उतरा, आज भी राजा बिना टिफ़िन लिए ऑफ़िस चला गया होगा. जल्दी से ठीक हो जाओ बच्चेभी कब तक कैंटीन का खाना खाएंगे… अगर बहू बीमार पड़ जाए तो सास या खुद लड़की की मां भी ऐसी ही हिदायतें देती है औरइतना ही नहीं, उस लड़की को भी अपराधबोध महसूस होता है कि वो बिस्तर पर पड़ी है और बेचारे पति और बच्चे ठीक से खानानहीं खा पा रहे. ये चिंता जायज़ है और इसमें कोई हर्ज भी नहीं, लेकिन ठीक इतनी ही फ़िक्र खुद लड़की को और बाकी रिश्तेदारों को भी उसकीसेहत को लेकर भी होनी चाहिए. घर के काम रुक रहे हैं इसलिए उसका जल्दी ठीक होना ज़रूरी है या कि स्वयं उनकी हेल्थ केलिए उसका जल्दी स्वस्थ होना अनिवार्य है? पति अगर देर से घर आता है तो उसके इंतज़ार में खुद देर तक भूखा रहना सही नहीं, ये बात बताने की बजाय लड़कियों को उल्टेये सीख दी जाती है कि सबको खिलाने के बाद ही खुद खाना पत्नी व बहू का धर्म है. व्रत-उपवास रखने से किसी की आयु नहीं घटती और बढ़ती, व्रत का संबंध महज़ शारीरिक शुद्धि व स्वास्थ्य से होता है, लेकिनहमारे यहां तो टीवी शोज़ व फ़िल्मों में इन्हीं को इतना ग्लोरीफाई करके दिखाया जाता है कि प्रिया ने पति के लिए फ़ास्ट रखा तोवो प्लेन क्रैश में बच गया… और इसी बचकानी सोच को हम भी अपने जीवन का आधार बनाकर अपनी ज़िंदगी का अभिन्न हिस्साबना लेते हैं. बहू की तबीयत ठीक नहीं तो उसे उपवास करने से रोकने की बजाय उससे उम्मीद की जाती है और उसकी सराहना भी कि देखोइसने ऐसी हालत में भी अपने पति के लिए उपवास रखा. कितना प्यार करती है ये मेरे राजा से, कितनी गुणी व संस्कारी है. एक मल्टी नेशनल कंपनी में काम करने वाली सुप्रिया कई दिनों से लो बीपी व कमज़ोरी की समस्या झेल रही थी कि इसी बीचकरवा चौथ भी आ गया. उसने अपनी सास से कहा कि वो ख़राब तबीयत के चलते करवा चौथ नहीं कर पाएगी, तो उसे जवाब मेंये कहा गया कि अगर मेरे बेटे को कुछ हुआ तो देख लेना, सारी ज़िंदगी तुझे माफ़ नहीं करूंगी. यहां बहू की जान की परवाहकिसी को नहीं कि अगर भूखे-प्यासे रहने से उसकी सेहत ज़्यादा ख़राब हो गई तो? लेकिन एक बचकानी सोच इतनी महत्वपूर्णलगी कि उसे वॉर्निंग दे दी गई. आज भी हमारे समाज में पत्नियां पति के पैर छूती हैं और उनकी आरती भी उतारती दिखती हैं. सदा सुहागन का आशीर्वाद लेकरवो खुद को धन्य समझती हैं… पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद मिलने पर वो फूले नहीं समाती हैं… ऐसा नहीं है कि पैर छूकर आशीर्वाद लेना कोई ग़लत रीत या प्रथा है, बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद बेहद ज़रूरी है और ये हमारेसंस्कार भी हैं, लेकिन पति को परमेश्वर का दर्जा देना भी तो ग़लत है, क्योंकि वो आपका हमसफ़र, लाइफ़ पार्टनर और साथी है. ज़ाहिर है हर पत्नी चाहती है कि उसके पति की आयु लंबी हो और वो स्वस्थ रहे लेकिन यही चाहत पति व अन्य रिश्तेदारों कीलड़की के लिए भी हो तो क्या ग़लत है? और होती भी होगी… लेकिन इसके लिए पति या बच्चों से अपनी पत्नी या मां के लिए दिनभर भूखे-प्यासे रहकर उपवास करने कीभी रीत नहीं… तो फिर ये बोझ लड़कियों पर क्यों?अपना प्यार साबित करने का ये तो पैमाना नहीं ही होना चाहिए.बेटियों को सिखाया जाता है कि अगर पति दो बातें कह भी दे या कभी-कभार थप्पड़ भी मार दे तो क्या हुआ, तेरा पति ही तो है, इतनी सी बात पर घर नहीं छोड़ा जाता, रिश्ते नहीं तोड़े जाते… लेकिन कोई उस लड़के को ये नहीं कहता कि रिश्ते में हाथ उठानातुम्हारा हक़ नहीं और तुमको माफ़ी मांगनी चाहिए.और अगर पत्नी वर्किंग नहीं है तो उसकी अहमियत और भी कम हो जाती, क्योंकि उसके ज़हन में यही बात होती है कि जो कमाऊसदस्य होता है वो ही सबसे महत्वपूर्ण होता है. उसकी सेवा भी होनी चाहिए और उसे मनमानी और तुम्हारा निरादर करने का हक़भी होता है.मायके में भी उसे इसी तरह की सीख मिलती है और रिश्तेदारों से भी. यही कारण है कि दहेज व दहेज के नाम पर हत्या वआत्महत्या आज भी समाज से दूर नहीं हुईं.बदलाव आ रहा है लेकिन ये काफ़ी धीमा है. इस भेदभाव को दूर करने के लिए जो सोच व परवरिश का तरीक़ा हमें अपनाना हैउसे हर घर में लागू होने में भी अभी सदियों लगेंगी, क्योंकि ये अंतर सोच और नज़रिए से ही मिटेगा और हमारा समाज व समझअब भी इतनी परिपक्व नहीं हुईं कि ये नज़रिया बदलनेवाली नज़रें इतनी जल्दी पा सकें. पत्नी व महिलाओं को अक्सर लोग अपनी प्रॉपर्टी समझ लेते हैं, उसे बहू, बहन, बेटी या मां तो समझ लेते हैं, बस उसे इंसान नहींसमझते और उसके वजूद के सम्मान को भी नहीं समझते.गीता शर्मा