2019 कुछ टीवी स्टार्स के लिए बेहद खास रहा, वे इस साल पहली बार पैरेंट्स बने और अपने परिवार में नन्हें मेहमान का स्वागत किया…
2019 कुछ टीवी स्टार्स के लिए बेहद खास रहा, वे इस साल पहली बार पैरेंट्स बने और अपने परिवार में नन्हें मेहमान का स्वागत किया और दुनिया के साथ पूरे उत्साह व उमंग के साथ इस खास खबर को शेयर किया.
कपिल शर्मा
कपिल शर्मा की पत्नी गिन्नी चतरथ ने 10 दिसंबर को बेटी को जन्म दिया. इस खुशखबरी को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए कपिल ने लिखा कि मैं बहुत खुश हूं. इस खुशी को मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता. गिन्नी और मुझे बेटी चाहिए थी और हमें इस बात की खुशी है कि भगवान ने हमें प्यारी सी गुड़िया से नवाजा. इस खूबसूरत परी के लिए मैं भगवान का जितना शुक्रिया अदा करूं, वो कम है. आपको बता दें कि कपिल की शादी दिसंबर 2018 में हुई थी.
करण पटेल
ये है मोहब्बतें स्टार करण पटेल की पत्नी अंकिता भार्गव ने 14 दिसंबर को बेटी को जन्म दिया और उन्होंने उसका नाम मेहर रखा है. इस कपल ने प्रेग्नेंसी की खबर काफी समय तक गुप्त रखी थी. बेटी के जन्म के बाद एक अखबार को दिए इंटरव्यू में करण ने कहा, ” मैं फिलहाल खुशी के मारे सुन्न पड़ गया हूं. इस तरह के इमोशन्स का अनुभव मैं पहली बार कर रहा हूं. आपको बता दें कि अंकिता का इससे पहले एक मिसकैरिज हुआ था, शायद यही वजह है कि इस कपल ने इस बार यह खबर छुपाकर रखी.
जय भंसाली और माही विज
जय और माही इस साल पहली बार बायोलॉजिकल पैरेंट्स बने, जब माही ने अगस्त में बेटी तारा को जन्म दिया. आपको बता दें कि जय और माही ने पहले से अपने स्टाफ के दो बच्चों को गोद लिया हुआ है और वे उन बच्चों का पूरा खर्च उठाते हैं, हालांकि वे बच्चे अपने पैरेंट्स के साथ रहते हैं. जय और माही की शादी 2010 में हुई थी और शादी के 9 साल बाद उन्हें यह खुशी मिली.
प्रिया अहूजा
लोकप्रिय टीवी सीरियल तारक मेहता का उल्टा चश्मा में रीता रिपोर्टर का रोल निभानेवाली प्रिया अहूजा ने इस साल 27 नवंबर को बेटे को जन्म दिया. प्रिया की शादी तारक मेहता के चीफ डायरेक्टर मालव राजदा से हुई है. प्रिया सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. वे प्रेग्नेंसी के दौरान अक्सर अपने इंस्टाग्राम पर बेबी बम्प के साथ पिक्स शेयर करती रहती थीं. इतना ही नहीं, वे बेबीमून के लिए मालदीव्स गई थी. बेटे के जन्म की खुशी को शेयर करते हुए प्रिया ने लिखा था, ”हमारा घर 2 फीट और बढ़ गया है. लड़का हुआ है. हम खुशी के मारे फूले नहीं समा रहे हैं. ”
सुरवीन चावला
मशहूर टीवी एक्ट्रेस सुरवीन चावला की शादी अक्षय ठक्कर से 2015 में हुई थी और उन्होंने इस साल अप्रैल में बेटी को जन्म दिया. कपल ने बेटी का नाम इवा रखा. इस बारे में बात करते हुए सुरवीन ने कहा था कि इस फीलिंग को शब्दों में बयां करना मुश्किल है. इसे सिर्फ अनुभव किया जा सकता है. आपको बता दें कि सुरवीन ने काफी समय तक अपनी शादी की बात छुपा कर रखी थी, उन्होंने दिसंबर 2017 में मीडिया को यह खबर बताई थी.
सौम्या टंडन
भाबीजी घर पर हैं कि एक्ट्रेस सौम्या टंडन ने इस साल 18 जनवरी को बेटे मिरान को जन्म दिया. सौम्या ने बैंकर सौरभ देवेंद्र सिंह को 10 साल डेट करने के बाद दिसंबर 2016 में शादी की. बेटे के जन्म के बाद कपल की खुशी सातवें आसमान पर थी. सौम्या ने अपने बेटे की पिक मार्च में शेयर की. जिसे लोगों को खूब पसंद किया और उसकी तुलना तैमूर से की जाने लगी.
एकता कपूर
टीवी प्रोड्यूसर एकत कपूर इस साल सेरोगेसी के माध्यम में 27 जनवरी को बेटे रवि की मां बनीं. इस खबर को मीडिया के साथ शेयर करते हुए एकता ने लिखा कि भगवान की दया से मैंने अपने जीवन में बहुत सी सफलताएं देखी हैं, लेकिन इस खुशी को किसी भी चीज के साथ कंप्येर नहीं किया जा सकता. मैं अपनी खुशी को बयां नहीं कर सकती. जीवन में हर चीज आपके हिसाब से नहीं होती. लेकिन हर समस्या का कोई न कोई समाधान ज़रूर होता है और मुझे अपनी समस्या का समाधान मुझे मिल गया है और मैं पैरेंट बनकर बहुत खुश हूं. आपको बता दें कि एकता ने बेटे का नाम अपने पिता जितेंद्र के नाम पर रखा है. जितेंद्र का ऑरिजिनल नाम रवि है.
बॉलीवुड के मोस्ट एलिजिबल बैचलर और हैंडसम हंक सलमान खान की फैन्स के बीच जबरदस्त…
“बच्चे हमारी ज़िंदगी का सबसे अहम् हिस्सा हैं. सोसायटी से कटकर ज़िंदगी जी जा सकती…
अपने बेबाक बयानों के लिए मशहूर कंगना रनौत ने हाल ही में फिल्म मेकर करण…
वैसे तो बॉलीवुड की कई रील लाइफ जोड़ियां दर्शकों के दिलों पर सालों से राज…
प्रियंका चोपड़ा (Priyanka Chopra) के बाद अब सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर अमाल मलिक (Amaal Mallik)…
ये माना समय बदल रहा है और लोगों की सोच भी. समाज कहने को तो पहले से कहीं ज़्यादा मॉडर्न ही गया है. लाइफ़स्टाइल बदल गई, सुविधाएं बढ़ गईं, लग्ज़री चीजों की आदतें हो गई… कुल मिलाकर काफ़ी कुछ बदल गया है, लेकिन ये बदलाव महज़ बाहरी है, दिखावाहै, छलावा है… दिखाने के लिए तो हम ज़रूर बदले हैं लेकिन भीतर से हमारी जड़ों में क़ैद कुछ रूढ़ियां आज भी सीना ताने वहीं कि वहींऔर वैसी कि वैसी खड़ी हैं… थमी हैं… पसरी हुई हैं. जी हां, यहां हम बात वही बरसों पुरानी ही कर रहे हैं, बेटियों की कर रहे हैं, बहनों की कर रहे हैं और माओं की कर रहे हैं… नानी-दादी, पड़ोसन और भाभियों की कर रहे हैं, जो आज की नई लाइफ़स्टाइल में भी उसी पुरानी सोच के दायरों में क़ैद है और उन्हें बंदी बना रखा हैखुद हमने और कहीं न कहीं स्वयं उन्होंने भी. भले ही जीने के तौर तरीक़ों में बदलाव आया है लेकिन रिश्तों में आज भी वही परंपरा चली आ रही है जिसमें लड़कियों को बराबरी कादर्जा और सम्मान नहीं दिया जाता. क्या हैं इसकी वजहें और कैसे आएगा ये बदलाव, आइए जानें. सबसे बड़ी वजह है हमारी परवरिश जहां आज भी घरों में खुद लड़के व लड़कियों के मन में शुरू से ये बात डाली जाती है कि वोदोनों बराबर नहीं हैं. लड़कों का और पुरुषों का दर्जा महिलाओं से ऊंचा ही होता है. उनको घर का मुखिया माना जाता है. सारे महत्वपूर्ण निर्णय वो ही लेते हैं और यहां तक कि वो घर की महिलाओं से सलाह तक लेना ज़रूरी नहीं समझते. घरेलू कामों में लड़कियों को ही निपुण बनाने पर ज़ोर रहता है, क्योंकि उनको पराए घर जाना है और वहां भी रसोई में खाना हीपकाना है, बच्चे ही पालने है तो थोड़ी पढ़ाई कम करेगी तो चलेगा, लेकिन दाल-चावल व रोटियां कच्ची नहीं होनी चाहिए.ऐसा नहीं है कि लड़कियों की एजुकेशन पर अब परिवार ध्यान नहीं देता, लेकिन साइड बाय साइड उनको एक गृहिणी बनने कीट्रेनिंग भी दी जाती है. स्कूल के बाद भाई जहां गलियों में दोस्तों संग बैट से छक्के मारकर पड़ोसियों के कांच तोड़ रहा होता है तो वहीं उसकी बहन मां केसाथ रसोई में हाथ बंटा रही होती है.ऐसा नहीं है कि घर के कामों में हाथ बंटाना ग़लत है. ये तो अच्छी बात और आदत है लेकिन ये ज़िम्मेदारी दोनों में बराबर बांटीजाए तो क्या हर्ज है? घर पर मेहमान आ जाएं तो बेटियों को उन्हें वेल्कम करने को कहा जाता है. अगर लड़के घर के काम करते हैं तो आस-पड़ोस वाले व खुद उनके दोस्त तक ताने देते हैं कि ये तो लड़कियों वाले काम करता है.मुद्दा यहां काम का नहीं, सोच का है- ‘लड़कियोंवाले काम’ ये सोच ग़लत है. लड़कियों को शुरू से ही लाज-शर्म और घर की इज़्ज़त का वास्ता देकर बहुत कुछ सिखाया जाता है पर संस्कारी बनाने के इसक्रम में लड़के हमसे छूट जाते हैं.अपने घर से शुरू हुए इसी असमानता के बोझ को बेटियां ससुराल में भी ताउम्र ढोती हैं. अगर वर्किंग है तो भी घरेलू काम, बच्चों व सास-ससुर की सेवा का ज़िम्मा अकेले उसी पर होता है. ‘अरे अब तक तुम्हारा बुख़ार नहीं उतरा, आज भी राजा बिना टिफ़िन लिए ऑफ़िस चला गया होगा. जल्दी से ठीक हो जाओ बच्चेभी कब तक कैंटीन का खाना खाएंगे… अगर बहू बीमार पड़ जाए तो सास या खुद लड़की की मां भी ऐसी ही हिदायतें देती है औरइतना ही नहीं, उस लड़की को भी अपराधबोध महसूस होता है कि वो बिस्तर पर पड़ी है और बेचारे पति और बच्चे ठीक से खानानहीं खा पा रहे. ये चिंता जायज़ है और इसमें कोई हर्ज भी नहीं, लेकिन ठीक इतनी ही फ़िक्र खुद लड़की को और बाकी रिश्तेदारों को भी उसकीसेहत को लेकर भी होनी चाहिए. घर के काम रुक रहे हैं इसलिए उसका जल्दी ठीक होना ज़रूरी है या कि स्वयं उनकी हेल्थ केलिए उसका जल्दी स्वस्थ होना अनिवार्य है? पति अगर देर से घर आता है तो उसके इंतज़ार में खुद देर तक भूखा रहना सही नहीं, ये बात बताने की बजाय लड़कियों को उल्टेये सीख दी जाती है कि सबको खिलाने के बाद ही खुद खाना पत्नी व बहू का धर्म है. व्रत-उपवास रखने से किसी की आयु नहीं घटती और बढ़ती, व्रत का संबंध महज़ शारीरिक शुद्धि व स्वास्थ्य से होता है, लेकिनहमारे यहां तो टीवी शोज़ व फ़िल्मों में इन्हीं को इतना ग्लोरीफाई करके दिखाया जाता है कि प्रिया ने पति के लिए फ़ास्ट रखा तोवो प्लेन क्रैश में बच गया… और इसी बचकानी सोच को हम भी अपने जीवन का आधार बनाकर अपनी ज़िंदगी का अभिन्न हिस्साबना लेते हैं. बहू की तबीयत ठीक नहीं तो उसे उपवास करने से रोकने की बजाय उससे उम्मीद की जाती है और उसकी सराहना भी कि देखोइसने ऐसी हालत में भी अपने पति के लिए उपवास रखा. कितना प्यार करती है ये मेरे राजा से, कितनी गुणी व संस्कारी है. एक मल्टी नेशनल कंपनी में काम करने वाली सुप्रिया कई दिनों से लो बीपी व कमज़ोरी की समस्या झेल रही थी कि इसी बीचकरवा चौथ भी आ गया. उसने अपनी सास से कहा कि वो ख़राब तबीयत के चलते करवा चौथ नहीं कर पाएगी, तो उसे जवाब मेंये कहा गया कि अगर मेरे बेटे को कुछ हुआ तो देख लेना, सारी ज़िंदगी तुझे माफ़ नहीं करूंगी. यहां बहू की जान की परवाहकिसी को नहीं कि अगर भूखे-प्यासे रहने से उसकी सेहत ज़्यादा ख़राब हो गई तो? लेकिन एक बचकानी सोच इतनी महत्वपूर्णलगी कि उसे वॉर्निंग दे दी गई. आज भी हमारे समाज में पत्नियां पति के पैर छूती हैं और उनकी आरती भी उतारती दिखती हैं. सदा सुहागन का आशीर्वाद लेकरवो खुद को धन्य समझती हैं… पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद मिलने पर वो फूले नहीं समाती हैं… ऐसा नहीं है कि पैर छूकर आशीर्वाद लेना कोई ग़लत रीत या प्रथा है, बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद बेहद ज़रूरी है और ये हमारेसंस्कार भी हैं, लेकिन पति को परमेश्वर का दर्जा देना भी तो ग़लत है, क्योंकि वो आपका हमसफ़र, लाइफ़ पार्टनर और साथी है. ज़ाहिर है हर पत्नी चाहती है कि उसके पति की आयु लंबी हो और वो स्वस्थ रहे लेकिन यही चाहत पति व अन्य रिश्तेदारों कीलड़की के लिए भी हो तो क्या ग़लत है? और होती भी होगी… लेकिन इसके लिए पति या बच्चों से अपनी पत्नी या मां के लिए दिनभर भूखे-प्यासे रहकर उपवास करने कीभी रीत नहीं… तो फिर ये बोझ लड़कियों पर क्यों?अपना प्यार साबित करने का ये तो पैमाना नहीं ही होना चाहिए.बेटियों को सिखाया जाता है कि अगर पति दो बातें कह भी दे या कभी-कभार थप्पड़ भी मार दे तो क्या हुआ, तेरा पति ही तो है, इतनी सी बात पर घर नहीं छोड़ा जाता, रिश्ते नहीं तोड़े जाते… लेकिन कोई उस लड़के को ये नहीं कहता कि रिश्ते में हाथ उठानातुम्हारा हक़ नहीं और तुमको माफ़ी मांगनी चाहिए.और अगर पत्नी वर्किंग नहीं है तो उसकी अहमियत और भी कम हो जाती, क्योंकि उसके ज़हन में यही बात होती है कि जो कमाऊसदस्य होता है वो ही सबसे महत्वपूर्ण होता है. उसकी सेवा भी होनी चाहिए और उसे मनमानी और तुम्हारा निरादर करने का हक़भी होता है.मायके में भी उसे इसी तरह की सीख मिलती है और रिश्तेदारों से भी. यही कारण है कि दहेज व दहेज के नाम पर हत्या वआत्महत्या आज भी समाज से दूर नहीं हुईं.बदलाव आ रहा है लेकिन ये काफ़ी धीमा है. इस भेदभाव को दूर करने के लिए जो सोच व परवरिश का तरीक़ा हमें अपनाना हैउसे हर घर में लागू होने में भी अभी सदियों लगेंगी, क्योंकि ये अंतर सोच और नज़रिए से ही मिटेगा और हमारा समाज व समझअब भी इतनी परिपक्व नहीं हुईं कि ये नज़रिया बदलनेवाली नज़रें इतनी जल्दी पा सकें. पत्नी व महिलाओं को अक्सर लोग अपनी प्रॉपर्टी समझ लेते हैं, उसे बहू, बहन, बेटी या मां तो समझ लेते हैं, बस उसे इंसान नहींसमझते और उसके वजूद के सम्मान को भी नहीं समझते.गीता शर्मा