म्यूज़िक कंपोज़र वाजिद खान इस साल दुनिया को अलविदा कह गए थे. किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे और इलाज के दूसरा वो कोरोना से भी संक्रमित हो गए थे, इसके बाद पहली जून को उनका देहांत हो गया था. वाजिद खान की पत्नी कमलरुख खान ने सोशल मीडिया पर इंटर-कास्ट मैरिज को लेकर अपना अनुभव शेयर किया है. उन्होंने लंबी सी पोस्ट शेयर की है जिसमें लिखा है- शादी से 10 साल पहले वो दोनों रिलेशनशिप में थे. एक साथ कॉलेज में पढ़ते थे.
कमलरुख ने लिखा- मैं पारसी हूं और वह मुस्लिम थे. जब हमारी शादी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत हुई थी, जिसमें शादी के बाद भी मुझे अपने धर्म को प्रैक्टिस करने का अधिकार मिलता है. मेरी परवरिश साधारण पारसी परिवार में हुई थी. हमारे घर में बोलने की और अपने विचार रखने की पूरी आज़ादी थी और हेल्दी डिबेट्स के लिए जगह थी. शिक्षा को प्रोत्साहित किया जाता था. लेकिन शादी के बाद, यही स्वतंत्रता, शिक्षा और अपनी बात रखने की आदत मेरे पति के परिवार के लिए सबसे बड़ी समस्या थी. एक शिक्षित, सोच वाली, स्वतंत्र राय वाली महिला उन्हें पसंद नहीं थी और फिर मैंने धर्मांतरण के दबाव का विरोध भी किया था. मैंने हमेशा सभी धर्मों का सम्मान किया, लेकिन मेरा धर्म परिवर्तन ना करना मेरे और मेरे पति के बीच दूरियों का कारण बन गया. हमारा रिश्ता टूटने की कगार पर आ गया था.
कमलरुख ने लिखा कि धर्मपरिवर्तन के लिए ना मानने पर उन्हें तलाक के लिए अदालत ले जाने के लिए डराया जा रहा था. मैं टूट गई थी और चीटेड फील कर रही थी, इमोशनली टूट गई थी लेकिन मेरे बच्चों से मुझे संभाला.
आज भी वाजिद का परिवार मुझे प्रताड़ित करता है. वाजिद खान के निधन के बाद भी उनके परिवार की तरफ़ से उत्पीड़न जारी है. वाजिद एक प्रतिभाशाली संगीतकार थे जिन्होंने म्यूज़िक के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था, लेकिन धार्मिक कट्टरता ने हमारे बीच खाई पैदा कर दी थी और वो इतना समय हमें नहीं देते थे जितना समर्पण म्यूज़िक के लिए था उनका. बच्चे और मैं उन्हें बहुत याद करते हैं और हम चाहते हैं हमें उनके और उनके परिवार की धार्मिक कट्टरता के कारण कभी परिवार और परिवार का सुख नहीं मिला. आज उनकी असामयिक मृत्यु के बाद, उनके परिवार का उत्पीड़न जारी है, लेकिन मैं अपने बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ रही हूं.
कमलरुख ने आखिर में लिखा- धर्मांतरण विरोधी कानून का राष्ट्रीयकरण किया जाना चाहिए ताकि मुझ जैसी महिलाओं को न्याय मिल सके और हमारा संघर्ष आसान हो सके, जो इंटरकास्ट मैरिज में धर्म परिवर्तन के ज़हर से लड़ रही हैं. सभी धर्म ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग हैं. जीने दो और जीने दो एक ही धर्म होना चाहिए जिसको हम सभी मानते हैं.
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