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क्या है दीपक जलाने के नियम? (What Are The Rules For Lighting A Diya?)

शास्त्रों में पूजा-पाठ के दौरान जिन कुछ चीज़ों का महत्व है, उन्हीं में से एक है पूजा के दौरान दीया जलाना. पूजा करते हुए दीपक जलाने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं. दीया या दीपक जलाने के नियम और उनसे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दे रहे हैं ज्योतिष और वास्तु एक्सपर्ट पंडित राजेंद्रजी.

यह मान्यता रही है कि दीया सही वक़्त पर और सही तरीक़े से ही जलाया जाना चाहिए, तभी भगवान का आशीर्वाद मिलता है. यहां पर हम आपको बता रहे हैं कि दीपक जलाने के दौरान किन बातों का ध्यान रखा जाना ज़रूरी है.


दीपक जलाना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस विधि के साथ ही किसी भी पूजा का अंत माना जाता है, जैसे- फल-फूल चढ़ाना, स्नान-ध्यान पूजा का हिस्सा है, वैसे ही इसका भी अलग महत्व है.
माना जाता है कि भगवान के सामने रोशनी करना ख़ुद के जीवन से अंधकार को दूर करना है.

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दीया जलाने के लिए वैसे तो घी के दीपक को अच्छा माना जाता है, लेकिन अलग-अलग अवसरों पर अलग-अलग तेल और अलग तरह की बाती लगती है, जैसे- शनिवार को घी की बजाय सरसों तेल से दीपक जलाना चाहिए.
हमेशा कोशिश करें कि दो बातियों को आपस में गूंथकर ही दीया लगाया जाए.
एक बाती वाला दीया तभी शुभ माना जाता है, जब वो फूलबाती हो यानी बीच में हो.
दो बातियों वाला दीपक पूजा को संपूर्ण करता है.
जो दीपक आप जलाने जा रहे हों, वो कभी भी खंडित यानी टूटा-फूटा नहीं होना चाहिए.
खंडित दीया जलाने से दीया न जलाना बेहतर है, इससे पूजा का सारा पुण्य चला जाता है.


दीया जलाएं, तो उसमें अच्छी तरह से घी या तेल डाल दें.
बाती को भी थोड़ा ऊपर की ओर खींच दें, इससे दीया तेल के पूरा ख़त्म होने तक जलता रहेगा.
दीपक का बीच में बुझना शुभ नहीं माना जाता, ख़ासकर पूजा के बीच में.
बूझ चुके दीये की बाती को कहीं इधर-उधर डालने की बजाय मिट्टी में फेंकें. कचरे में बाती फेंकना सारे शुभ प्रभाव को ख़त्म कर देता है.

दीपक जलाते समय इस मंत्र को बोले-

दीपज्योति: परब्रह्म: दीपज्योति: जनार्दन:।
दीपोहरतिमे पापं संध्यादीपं नामोस्तुते।।
शुभं करोतु कल्याणमारोग्यं सुखं सम्पदां।
शत्रुवृद्धि विनाशं च दीपज्योति: नमोस्तुति।।

दीपक की लौ पूर्व दिशा की ओर रखने से आयु में वृद्धि होती है.

ध्यान रहे कि दीपक की लौ पश्चिम दिशा की ओर रखने से दुख बढ़ता है.

दीपक की लौ उत्तर दिशा की ओर रखने से धन लाभ होता है.

दीपक की लौ कभी भी दक्षिण दिशा की ओर न रखें, ऐसा करने से जन या धनहानि होती है.


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दीपक ज्ञान और रोशनी का प्रतीक है. पूजा में दीपक का विशेष महत्व है. आमतौर पर विषम संख्या में दीप प्रज्जवलित करने की परंपरा चली आ रही है. दरअसल, दीपक जलाने का कारण यह है कि हम अज्ञान का अंधकार मिटाकर अपने जीवन में ज्ञान के प्रकाश के लिए पुरुषार्थ करें.
हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार पूजा के समय दीपक लगाना अनिवार्य माना गया है. आरती कर घी का दीपक लगाने से घर में सुख-समृद्धि आती है. इससे घर में लक्ष्मी का स्थाई रूप से निवास होता है.

Photo Courtesy: Freepik

Usha Gupta

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