Jyotish aur Dharm

शिवलिंग पर जल अर्पण क्यों करते हैं? (Why Is Water Offered On The Shivling?)

शास्त्रों में कहा गया है कि शिव कृपा पाने के लिए पूरे नियम से शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए, क्योंकि जल धारा भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और नियम से इसे शिवलिंग पर चढ़ाने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इससे जुड़ी तमाम जानकारियां दे रहे हैं ज्योतिष-वास्तु शास्त्री पंडित राजेंद्रजी.

किस दिशा की ओर चढ़ाएं जल
शिवलिंग पर जल उत्तर दिशा की ओर मुंह करके जल चढ़ाएं, क्योंकि उत्तर दिशा को शिवजी का बायां अंग माना जाता है, जो माता पार्वती को समर्पित है. इस दिशा की ओर मुंह करके जल अर्पित करने से भगवान शिव और माता पार्वती दोनों की कृपा दृष्टि प्राप्त होती है.

कौन से पात्र से अर्पित करें जल
शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय सबसे ज़्यादा ध्यान में रखने वाली बात ये है कि आप किस पात्र से जल अर्पित करें. जल चढ़ाने के लिए सबसे अच्छे पात्र तांबे, चांदी और कांसे के माने जाते हैं. स्टील के पात्र से शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए. जल अर्पण के लिए सर्वोत्तम पात्र तांबे का है, इसलिए इसी पात्र से जल चढ़ाना उत्तम है.
लेकिन तांबे के पात्र से शिवजी को दूध न चढ़ाएं, क्योंकि तांबे में दूध विष के समान बन जाता है.

यह भी पढ़ें: श्रावण मास में ऐसे करें पूजा- शिवजी तुरंत होंगे राजी और बरसाएंगे असीम कृपा… (#Shravan2023 How To Worship Lord Shiva During Shravan Month?)

कभी भी शिवलिंग पर तेजी से जल नहीं चढ़ाना चाहिए
शास्त्रों में भी बताया गया है कि शिवजी को जल धारा अत्यंत प्रिय है, इसलिए जल चढ़ाते समय ध्यान रखें कि जल के पात्र से धार बनाते हुए धीरे से जल अर्पित करें. पतली जल धार शिवलिंग पर चढाने से भगवान शिव की विशेष कृपा दृष्टि प्राप्त होती है.

बैठकर चढ़ाएं जल
हमेशा शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय ध्यान रखें कि बैठकर ही जल अर्पित करें. यहां तक कि रुद्राभिषेक करते समय भी खड़े नहीं होना चाहिए. खड़े होकर जल चढ़ाने पर शिवजी के ऊपर जल गिरने के बाद हमारे पैरों में उसके छींटें लगते हैं, जो सही नहीं है.

शंख से न चढ़ाएं शिवलिंग पर जल
कभी भी शिवलिंग पर शंख से जल नहीं चढ़ाना चाहिए. शिवपुराण के अनुसार, शिवजी ने शंखचूड़ नाम के दैत्य का वध किया था. ऐसा माना जाता है कि शंख उसी दैत्य की हड्डियों से बने होते हैं, इसलिए शिवलिंग पर शंख से जल नहीं चढ़ाना चाहिए.


जल के साथ कुछ और भी मिलाएं
कभी भी शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए जल के पात्र में कोई अन्य सामग्री मिलाएं. कोई भी सामग्री, जैसे- पुष्प, अक्षत या रोली जल में मिलाने से उनकी पवित्रता बढ़ जाती. इसलिए भगवान शिव की कृपा दृष्टि पाने के लिए हमेशा जल में कुछ मिलाकर ही चढ़ाना चाहिए. जल में कुछ बूंदें नमर्दा, गंगा आदि पवित्र नदियों की ज़रूर मिलानी चाहिए.

वस्तु अर्पित करने के बाद जल चढ़ाएं
आप यदि भगवान शिव को शहद, दूध, दही या किसी प्रकार का रस अर्पित करते हैं, तो वह जल में ना मिलाएं. कोई भी वस्तु भगवान को अलग से चढ़ाएं. फिर उसके बाद में जल अर्पित करें.
शिवलिंग पर केवल शुद्ध देसी भारतीय गाय का कच्चा दूध ही चढ़ाना चाहिए, अन्य प्रकार का दूध बिल्कुल भी ना चढ़ाएं.
सावन के पवित्र महीने में पूर्ण समर्पित भाव से भोलेनाथ की पूजा-उपासना करके आनंद प्राप्त करें. इस बार सावन दो महीने का रहेगा.


न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दु:खं न मन्त्रो न तीर्थं न वेदो न यज्ञः।
अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता चिदानन्द रूप: शिवोऽहं शिवोऽहम्।।


भगवान शिव अनादि और अनन्त हैं. सम्पूर्ण विश्व की अभिव्यक्ति हैं. इस विश्व का हर कण ही शिव है. एक से अनेक होकर एकमात्र शिव ही इस विश्वरूप में क्रीड़ा कर रहे हैं.
शास्त्रों के अनुसार शिव को महादेव इसलिए कहा गया है कि वे देवता, दैत्य, मनुष्य, नाग, किन्नर, गंधर्व, पशु-पक्षी व समस्त वनस्पति जगत के भी स्वामी हैं.

यह भी पढ़ें: श्रावण मास पर विशेष- रुद्राभिषेक में शिव निवास का विचार… (Shravan Special- Rudrabhishek Mein Shiv Niwas Ka Vichar…)

शिव का एक अर्थ ‘कल्याणकारी’ भी है. शिव की आराधना से सम्पूर्ण सृष्टि में अनुशासन, समन्वय और प्रेम भक्ति का संचार होने लगता है. शिव ही हैं, जिन पर ब्रह्माण्ड के नियम को पालन करवाने की ज़िम्मेदारी है, इसीलिए, स्तुति गान कहता है-
हे! देव, मैं आपकी अनन्त शक्ति को भला कैसे समझ सकता हूँ.? अतः, हे शिव! आप जिस रूप में भी हों, उसी रूप को आपको मेरा प्रणाम! हम जितना विनम्र होंगे, प्रभु उतना ही हममें प्रकट होंगे. जब भक्ति जगती है, तब औदार्य आता है. जो जितना उदार है, वो प्रभु के उतना ही निकट है.
भगवान शिव के नाम का उच्चारण करने से ही दुखों का निवारण हो जाता है. हमें भगवान शिव के प्रति अटूट आस्था और विश्वास रखना चाहिए.
देवों के देव भगवान शिव सृष्टि के प्रकट देव हैं, जो भक्तों की सूक्ष्म आराधना से श्रद्धा भाव से ही प्रसन्न हो जाते हैं. शिव का नाम लेते ही सभी दुखों का नाश होता है. ऐसे भूतभावन भगवान महादेव बाबा को समर्पित श्रावण माह आपके लिए अभीष्ट सिद्धि में सहायक हो.

Photo Courtesy: Freepik

यह भी पढ़ें: रुद्राभिषेक: रूद्र अर्थात भूत भावन शिव का अभिषेक (Rudrabhishek- Sawan 2023)


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Usha Gupta

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