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महिलाओं में क्यों बढ़ रहा है स्ट्रेस, क्या हैं साइड इफेक्ट्स? (Why Women Are More Stressed Than Men? What Are The Side Effects)

दिन-रात की भागदौड़, घर-बाहर की दोहरी ज़िम्मेदारियां निभाने का बोझ, करियर में आगे बढने की ख़्वाहिश… रिश्तों में समझौता करने और पति की हर ग़लती को माफ करके परिवार को जोड़े रखने की उम्मीदें… कारण कई हैं बदलते समाज, बदलती ज़िम्मेदारियां और बदलती भूमिकाओं ने महिलाओं को ख़ुशियां, आत्मनिर्भरता, क़ामयाबी दी है तो कई तरह के स्ट्रेस भी दिए हैं. यही वजह है कि महिलाएं को पुरुषों से ज़्यादा स्ट्रेस होता है.  कई शोधों से भी ये बात सामने आई है कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं अधिक स्ट्रेस लेती हैं और पुरुषों की तुलना में स्ट्रेस उनकी हेल्थ को ज़्यादा प्रभावित भी करता है. शायद यही कारण है कि हार्ट अटैक से मरनेवाले पुरुषों का प्रतिशत 38 है जबकि महिलाओं का 47 है. इसलिए महिलाओं के लिए ज़रूरी है कि वो अपने स्ट्रेस लेवल और कारण को पहचानें व उन्हें दूर करने की कोशिश करें.

क्यों होता है इतना स्ट्रेस?

– पुरुषों की तुलना में महिलाओं में स्ट्रेस के कई कारण हैं, ख़ासकर शादीशुदा महिलाओं में.

– तेज़ ऱफ़्तार ज़िंदगी, घर और बाहर के काम का दोहरा दबाव, तनाव, रिश्तों और कैरियर के बीच संतुलन बैठाने की जद्दोज़ेहद आदि कई कारण हैं जिनसे महिलाओं में दिल की बीमारियों का ख़तरा बढा है.

– पुरुषों के मुकाबले वे काफ़ी संवेदनशील और भावुक होती हैं. क्रोध, दुख,  मानसिक तनाव और डिप्रेशन का असर महिलाओं के दिल पर पुरुषों की अपेक्षा ज़्यादा पड़ता है.

– शादीशुदा महिलाओं को प्रोफेशनल फ्रंट पर तो बेस्ट करना ही होता है, घर में पति, बच्चों, सास-ससुर और तमाम रिश्तेदारों को भी मैनेज करना होता है. इतनी अधिक ज़िम्मेदारियां उन्हें स्ट्रेस ही देती हैं.

– अविवाहित महिलाओं पर भी घर-बाहर और सामाजिक ज़िम्मेदारियों का बोझ होता ही है. उस पर सब कुछ अकेले ही करने का दबाव उन्हें तनावग्रस्त कर देता है.

– महिलाएं रिश्तों के प्रति ज़्यादा समर्पित होती हैं, रिश्तों से उनका जुड़ाव भी गहरा होता है और रिश्तों में उन्हें वही समर्पण नहीं मिलता तो वे टूट जाती हैं.

– घर में खाना बनाने, सफाई और सभी घरेलू काम करने से लेकर बच्चे संभालने तक की ज़िम्मेदारी आज भी महिलाओं की है.

– शादी करके दूसरे घर-परिवार में जाकर निभाना उसी को पड़ता है. ससुराल में जाकर नए परिवार के सामंजस्य बिठाना उसी की ज़िम्मेदारी है.

– सारे रिश्ते-नाते निभाने की उम्मीदें भी उसी से की जाती हैं. परिवार या आस-पड़ोस में कोई शादी-ब्याह हो या कोई सुख-दुख का मौका- उसे ही सब निभाना पड़ता है. इसी तरह तीज-त्योहार मनाने, सारे परंपराओं-संस्कारों का पालन भी वही करती है.

– भले ही वो करियर की किसी भी ऊंचाई पर पहुंच गई हो, क़ामयाबी की मिसाल कायम की हो, फिर भी उससे परफेक्ट होममेकर बनने की उम्मीद अब भी बरकरार है.

– वो आज भी बेहद इमोशनल है. रिश्तों से जुड़ी हर बात, हर फैसले वो दिमाग से नहीं, दिल से करती है और अपने परिवार, रिश्तेदार, फ्रेंड्स आदि से भी यही उम्मीद करती है. और अगर लोग उसे उतना प्यार-सम्मान नहीं देते, तो वो फ्रस्ट्रेट हो जाती है.

– महिलाओं में होनेवाले हार्मोनल बदलाव भी उन्हें तनावग्रस्त बनाते हैं जबकि पुरुषों के साथ ये स्थिति नहीं होती.

– मनोवैज्ञानिकों के अनुसार कई बार महिलाएं बेवजह भी स्ट्रेस लेती हैं. छोटी-छोटी बात को लेकर तनावग्रस्त हो जाती हैं, जबकि पुरुष ऐसी बातों को इग्नोर कर देते हैं

 – इतना ही नहीं महिलाएं किसी प्रॉब्लम का सोल्यूशन निकालने की बजाय उसी में उलझी रहती हैं और उसके हर पहलू पर बहुत ज़्यादा सोचती हैं.

इफेक्ट्स ऑफ स्ट्रेस

– लो एनर्जी महसूस होना

– लगातार सिरदर्द की शिकायत

– पेट संबंधी तकलीफें, उल्टी-सी महसूस होना

– मांसपेशियों में खिंचाव व दर्द की शिकायत

– सीने में दर्द और हार्टबीट का तेज़ हो जाना

– अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, अकेलापन या थकान महसूस होना

– भूख न लगना, किसी काम में न लगना या याददाश्त कमज़ोर होना

– अकारण वज़न कम हो जाना या बढ जाना

– सेक्स की इच्छा में कमी

तनाव से दूर रहने के  लिए क्या करें

तनाव कोई रोग नहीं है, लेकिन कई रोगों का कारण बन सकता है. इसलिए बेहतर होगा कि तनाव से दूर रहने की कोशिश की जाए.

– सबसे पहले तो ये समझने की कोशिश करें कि प्रॉब्लम्स लाइफ का हिस्सा हैं और हर कोई स्ट्रेस में है. इसलिए इसे लेकर ज़्यादा परेशान होने की ज़रूरत नहीं है.

– किसी भी प्रॉब्लम को लेकर अकेले परेशान होने की ज़रूरत नहीं. रिसर्च के अनुसार अगर आप स्ट्रेस में हैं तो इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपनी परेशानी किसी के साथ शेयर कर लें. इससे 70 प्रतिशत स्ट्रेस कम हो जाता है.

– हर व़क्त बस उसी प्रॉब्लम पर सोचते न रहें. ध्यान बांटने की कोशिश करें. अपना पसंदीदा म्युज़िक सुनें, गेम खेलें या सैर-सपाटे पर निकल जाएं.

– अगर रोने का मन कर रहा है तो जीभर कर रो लें. इससे मन हल्का हो जाता है और दिल का गुबार निकल जाता है और आप हल्का महसूस करती हैं.

– नियमित योग-व्यायाम और मेडीटेशन करें. सुबह टहलने की आदत डालें. इससे तनाव कम होता है.

– मूड ठीक न हो तो अपने आपमें ही खोए रहकर ख़ुद को और उदास न होने दें. ऐसे में मन बहलाने के लिए अपने फ्रेंड के साथ आउटिंग पर निकल जाएं या शॉपिंग का शौक हो तो शॉपिंग ही कर आएं. थोड़े ही समय में आप महसूस करेंगी कि आपका मूड फिर फ्रेश हो गया है.

– तनावग्रस्त होने पर खाली न बैठें, किसी काम में मन लगाएं. कुछ और न सूझ रहा हो तो घर की थोड़ी साफ़-सफ़ाई ही कर डालें. मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि तनाव को दूर भगाने का ये भी कारगर नुस्ख़ा है.

– प्रॉब्लम ज़्यादा लग रही हो तो किसी थेरेपिस्ट को कंसल्ट करें. इससे आप हालात को जल्दी और बेहतर तरीके से हैंडल कर पाएंगी.

                                                        श्रेया तिवारी

Pratibha Tiwari

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