Health & Fitness

इन 12 हेल्थ सिग्नल्स को अनदेखा न करें(12 health signals you should never ignore)

अक्सर हम छोटी-छोटी हेल्थ प्रॉब्लम्स को ये सोचकर अनदेखा कर देते हैं कि ये तो मामूली-सी बात है, लेकिन ऐसा करना ठीक नहीं. हो सकता है ये किसी बड़ी बीमारी का सिग्नल हो.

1. वज़न कम न होना

कई बार बहुत ज़्यादा एक्सरसाइज़ और जमकर डायटिंग करने के बावजूद वज़न कम नहीं होता. इसका मतलब है कि आपके हार्मोंस ही आपके विरोध में काम कर रहे हैं, इसलिए और ़ज़्यादा एक्सरसाइज़ या डायटिंग करने की बजाय डॉक्टर की सलाह लें. वज़न घटाने में मुश्किल होने का एक सामान्य कारण ङ्गपॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोमफ है. यह एक तरह का हार्मोनल असंतुलन है, जो 10 में से 1 महिला को होता है. यह असंतुलन युवावस्था में शुरू होता है, परंतु कई सालों तक इसके लक्षण दिखाई नहीं देते, इसलिए इसका निदान नहीं हो पाता. इसके लक्षण हैं- मुंहासे, चेहरे पर अतिरिक्त बाल, अनियमित पीरियड्स, गर्भधारण में प्रॉब्लम, बालों का गिरना आदि. ऐसा होने पर किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह से सोनोग्राफी एवं कुछ टेस्ट करवाएं. सही दवाइयां, डॉक्टर द्वारा दी गई डायट और एक्सरसाइज़ फॉलो करने से अतिरिक्त वज़न एवं अन्य नकारात्मक परिणाम दूर हो जाएंगे.

2. गर्दन का अकड़ना

ऑफ़िस में लंबे समय तक काम करने पर गर्दन अकड़ना सामान्य बात है, मगर बच्चों में गर्दन की अकड़न के साथ तेज़ बुख़ार और सिरदर्द होना एक ख़तरनाक लक्षण है. इसमें ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड में संक्रमण हो सकता है, जिसे ङ्गमैनेनजाइटिसफ कहते हैं. बिना समय गंवाए तुरंत डॉक्टर के पास पहुंचें. यदि बच्चा ऊपर देख पा रहा है, पैरों की ओर झुक सकता है और रोशनी में देखने में उसे कोई परेशानी नहीं हो रही है, तो उपरोक्त बीमारी नहीं है, पर डॉक्टर की सलाह अवश्य लें.

3. दृष्टि धुंधली होना

जब भी आंखों में कोई तकलीफ़ होती है, जैसे- आंख लाल होना, आंखों में दर्द होना, पानी बहना आदि तो अक्सर लोग अपने आप आईड्रॉप्स डाल लेते हैं, जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए.
नेत्र विशेषज्ञ डॉ. नेहा श्रीराव के अनुसार, ङ्गङ्घउम्र बढ़ने के साथ-साथ पास की चीज़ें देखने या पढ़ने में तकलीफ़ होना सामान्य बात है, परंतु यदि अचानक दृष्टि में परिवर्तन हो या धुंधला दिखने लगे, तो यह डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर, मोतियाबिंद या रेटिनल डिसऑर्डर हो सकता है. यदि धुंधलेपन के साथ नियमित रूप से फ्लैशेस (चमक) या स्पॉट्स दिखाई देते हों, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.

4. बहुत प्यास लगना

डायबेटोलॉजिस्ट डॉ. शशांक जोशी के अनुसार, ङ्गङ्घबहुत प्यास लगना, बार-बार पेशाब जाना डायबिटीज़ के लक्षण हो सकते हैं. कई बार इन लक्षणों के साथ वज़न भी कम होता है. बड़ों में यह ङ्गटाइप 2 डायबिटीज़फ और बच्चों में ङ्गजुवीनाइल डायबिटीज़फ कहलाता है. डायबिटीज़ अपने साथ कई बीमारियां लेकर आती है, इसलिए इसे ङ्गसाइलेंट डिसीज़फ कहते हैं. इसके साथ हृदयरोग, हार्टअटैक, अंधापन, किडनी ख़राब होना और कैंसर का भी रिस्क रहता है. डॉक्टर की सलाह से डायट, व्यायाम, दवाइयों या इंसुलिन के प्रयोग से इस बीमारी को कंट्रोल में रखा जा सकता है.

5. टेस्टिकल में बदलाव

सेक्सोलॉजिस्ट डॉ. राजीव आनंद के अनुसार, ङ्गङ्घपुरुष अपने पेनिस साइज़ को लेकर अक्सर परेशान होते हैं, परंतु टेस्टिकल (वृषण) में बदलाव की ओर उनका ध्यान ही नहीं होता. पुरुषों को टेस्टिकल में दर्द, गांठ, सूजन या अन्य बदलाव के प्रति सावधान रहना चाहिए. टेस्टिकल में कड़ापन या सूजन होने पर तुरंत डॉक्टर से चेकअप करवाएं, क्योंकि यह ङ्गटेस्टिकुलर कैंसरफ का लक्षण हो सकता है. 75% पुरुषों में यह बीमारी 20 से 45 वर्ष की उम्र में होती है.

6. रात को पैरों में दर्द होना

यदि आपके पैर बहुत थके हुए हैं और रात को बेड पर जाते ही दर्द शुरू हो जाता है, तो यह ङ्गस्ट्रेस फ्रैक्चरफ हो सकता है. यह एक छोटा-सा क्रैक होता है, जो तब बनता है, जब हड्डियां ़ज़्यादा चलने-फिरने का दबाव नहीं झेल पातीं. यह एक सामान्य बात है, मगर यह कभी-कभी ङ्गलो बोन डेंसिटीफ का संकेत भी हो सकता है. कई बार यह आराम करने से ठीक भी हो जाता है. यदि फिर भी ठीक न हो, तो समय नष्ट न करें, तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.

7. शिशुओं का मां से आई कॉन्टेक्ट न होना

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. सुभाष जांबेकर के अनुसार, ङ्गङ्घशिशु 2 महीने का होते ही मां को पहचानने लगता है. मां की नज़रों से नज़रें मिलाता है, मुस्कुराता है और ख़ुश होता है. यदि बच्चा आई कॉन्टेक्ट नहीं कर पा रहा है, अपनी ही दुनिया में मशगूल-सा लगता है, तो सावधान होने की ज़रूरत है. वह ङ्गऑटिज़्मफ का शिकार हो सकता है. ऐसे में तुरंत पीडियाट्रिशियन यानी शिशु रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें. जिन शिशुओं में ऑटिज़्म के लक्षण जल्दी पकड़ में आ जाते हैं, उन्हें ङ्गइंटेंसिव थेरेपीफ दी जाती है, जिसका आगे चलकर काफ़ी लाभ होता है.

8. शिशु का तेज़-तेज़ सांसें लेना

अक्सर हम सोचते हैं कि छोटे बच्चे आवाज़ के साथ तेज़ सांसें लेते हैं. यदि ऐसा बच्चों में दिखाई दे रहा है, तो ङ्गब्रीदिंग रेटफ नापें. इसके लिए देखें कि बच्चा एक मिनट में कितनी बार सांस लेता है? 3 महीने के बच्चे एक मिनट में 60 बार, 3 से 12 महीने के बच्चे 50 बार और युवा 20 बार सांस लेते हैं. यदि ब्रीदिंग रेट उपरोक्त पैमाने से ़ज़्यादा हो, तो उसी समय डॉक्टर के पास ले जाएं. यह ङ्गरेस्पिरेटरी डिस्ट्रेसफ हो सकता है, जिसमें सांस लेने में तकलीफ़ होती है और यह जीवन के लिए घातक हो सकता है.

9. इरेक्शन प्रॉब्लम

सेक्सोलॉजिस्ट डॉ. राजीव आनंद के अनुसार, ङ्गङ्घइसमें लिंग में इरेक्शन नहीं हो पाता. इरेक्शन न होने के सायकोलॉजिकल कारण भी हो सकते हैं, जैसे- ग़ुस्सा, मूड ख़राब होना, तनाव, चिंता, व्याकुलता, अतीत की कोई घटना, पति-पत्नी के संबंधों का ठीक न होना आदि. इस समस्या में सेक्स काउंसलिंग या सेक्स थेरेपी से लाभ होता है. यदि इरेक्शन प्रॉब्लम अक्सर होने लगे, तो सावधान हो जाएं. इसके कई अन्य कारण हो सकते हैं, जैसे- पिट्यूटरी ग्लैंड, थायरॉइड ग्लैंड का डिसऑर्डर, टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन के लेवल का कम होना इत्यादि. इसके अलावा इरेक्शन प्रॉब्लम कई गंभीर बीमारियों, जैसे- हृदय रोग, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़ या स्पाइनल कॉर्ड प्रॉब्लम का लक्षण हो सकता है. इस तरह की समस्या होने पर डॉक्टर से संपर्क करें.

10. महिलाओं में पीड़ादायक सेक्स

यदि 30 या 40 वर्ष की उम्र में सेक्स पीड़ादायक हो रहा है, जिसमें लुब्रिकेंट लगाकर भी कोई फ़ायदा नहीं हो रहा, तो यह योनि का सामान्य सूखापन नहीं है. यह योनि के संक्रमण, यूटरस में फाइब्रॉइड, ट्यूमर की शुरुआत या गंभीर एंडोमेट्रियोसिस हो सकता है. कई बार हैवी और पीड़ादायक पीरियड्स भी आ सकते हैं.

11. अत्यधिक थकान

अत्यधिक थकान महसूस होना भी ठीक नहीं, यह किसी बीमारी का लक्षण भी हो सकता है. यदि आप रोज़ भरपूर नींद ले रहे हैं, सामान्य खाना खा रहे हैं, आपके रूटीन में कोई बदलाव नहीं हुआ और फिर भी थकान महसूस होती है, तो शायद आप एनीमिया न्यूट्रीशनल डेफिशियंसी या किसी अन्य बीमारी से पीड़ित हैं. इसे शरीर का एक संकेत समझकर डॉक्टर से मिलकर आवश्यक टेस्ट्स करवाएं और उनकी सलाह से उपचार करवाएं.

12. आंखों की पुतली पर स़फेद रिंग

कई बार युवावस्था में भी आंख की पुतली के चारों ओर स़फेद रिंग आ जाती है. इसे नज़रअंदाज़ न करें. यह बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को दर्शाता है. अतः कोलेस्ट्रॉल टेस्ट करवाएं. यदि 50 वर्ष की उम्र में इस तरह का लक्षण है, तो यह कोलेस्ट्रॉल के कारण नहीं, बल्कि फैट जमा होने के कारण होता है. कई लोगों में हाई कोलेस्ट्रॉल के साथ आंखों के चारों ओर की त्वचा पर स़फेद या पीले रंग की गांठ हो जाती है. डॉक्टर की सलाह से रिस्क फैक्टर्स, जैसे- हृदय रोग की फैमिली हिस्ट्री, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़ आदि की जांच करवाएं. हाई कोलेस्ट्रॉल को जीवनशैली में परिवर्तन लाकर कंट्रोल में रखा जा सकता है.

– डॉ. नेहा

 

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