शादी से पहले और शादी के बाद, इन 15 विषयों पर ज़रूर करें बात! (15 Things Every Couple Should Discuss Before Marriage)

शादी एक ज़िम्मेदारी है और उससे जुड़ी बहुत-सी ज़िम्मेदारियां शादी के बाद अपने आप जुड़ती चली जाती हैं, इसलिए शादी के रिश्ते की गंभीरता को समझकर उससे जुड़े हर पहलू पर विचार किया जाना बेहद ज़रूरी है, ताकि रिश्ते में आगे चलकर समस्या न हो.

शादी से पहले
कुछ विषय ऐसे होते हैं, जिन पर शादी से पहले ही बात कर ली जाए, तो बेहतर होता है, ताकि आगे चलकर कोई विवाद न हो. 

अपने और होनेवाले पार्टनर का बेसिक नेचर: हर इंसान की सोच और नेचर अलग होता है, लेकिन क्या आप दोनों एक-दूसरे की सोच के साथ निबाह सकते हैं? कहीं आप दोनों में से कोई एक या दोनों ही बहुत ज़्यादा ईगोइस्ट, ग़ुस्सैल या ज़िद्दी तो नहीं, कहीं बहुत पिछड़े या पुराने विचारों का तो नहीं, कहीं बहुत ख़र्चीला या बहुत कंजूस तो नहीं, बहुत शककरनेवाला तो नहीं… कुल मिलाकर आपको एक-दूसरे के मूल स्वभाव को समझने की ज़रूरत है ताकि यह जाना जा सके कि आपसी सामंजस्य हो पाएगा या नहीं.

करियर: आप दोनों व आप दोनों के घरवाले भी करियर को लेकर क्या सोचते हैं, शादी के बाद करियर को आगे बढ़ाने केबारे में क्या राय है, एक-दूसरे से किस तरह का सहयोग चाहते हैं, इन बातों को पहले ही तय कर लें ताकि आगे चलकरकोई विवाद ना हो.

आर्थिक ज़िम्मेदारियां और फाइनेंशियल प्लानिंग: आपकी किस तरह की आर्थिक ज़िम्मेदारियां हैं, कोई लोन है, घर के सदस्यों की आर्थिक ज़िम्मेदारियां हैं इन पर खुलकर बात करें, वर्ना आगे चलकर परेशानी हो सकती है. इसके अलावा आपके जॉइंट अकाउंट्स, इंडिपेंडेंट अकाउंट्स, घर के ख़र्च व ज़िम्मेदारियां किस तरह से पूरी करनी हैं, किसके हिस्से कौन-सी ड्यूटी आएगी, किसको कितना ख़र्च करना होगा आदि बातों पर चर्चा करना बेहतर होगा.

कंट्रासेप्शन और फैमिली प्लानिंग: इन बातों पर चर्चा न करने का नतीजा ही होता है- एक्सिडेंटल प्रेग्नेंसी यानी अनचाहा गर्भ. ऐसा होने पर आपकी आगे की बहुत-सी प्लानिंग बदल जाती है, जिसमें फाइनेंस से लेकर करियर तक शामिल है. ऐसे में फैमली प्लानिंग से लेकर कंट्रासेप्शन यानी किस तरह का कंट्रासेप्शन यूज़ और किसे और कब तक यूज़ करना है इस पर चर्चा ज़रूर कर लें.

शादी का ख़र्च व लेन-देन: शादी सिंपल करनी है या कितना ख़र्च करना है और दोनों तरफ़ से कौन कितना ख़र्च करेगा इस पर सहमति ज़रूरी है. ऐसा न हो कि होनेवाला पार्टनर या उसकी फैमिली कुछ ज़्यादा ही उम्मीद लगाकर बैठी हो. बेहतर होगा कि लड़का और लड़की ख़ुद अपनी आर्थिक स्थिति की सही तस्वीर पेश करें. 

किसी भी तरह की लत, कमज़ोरी, आदतें, शौक, शारीरिक व मानसिक समस्या: शादी से पहले लोग सामनेवाले के बारे में कई जगहों से व रिश्तेदारों से पता करते ही हैं, तो किसी और से ग़लत बातें व ग़लत तरी़के से कोई बात पहुंचे उससे अच्छा होगा कि आप ख़ुद अपनी कमज़ोरियों, लत, आदतों व समस्याओं के विषय में बात कर लें. 
इसके अलावा आपके शौक़ और स्पेंडिंग हैबिट्स के बारे में भी चर्चा कर लें, ताकि बाद में कोई यह न कह सके कि पहले पता होता तो शादी ही न करता/करती.

सेक्स और वर्स्ट नाइट से जुड़े डर: यह बहुत ही अहम् विषय है, क्योंकि आपकी शादीशुदा ज़िदगी की ख़ुशियां बहुत हद तक इस पर ही टिकी होती हैं. बेहतर होगा इस पर भी बात करने से हिचकिचाएं नहीं. 

शादी के बाद
शादी तो हो गई, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि अब आप दोनों के कम्यूनिकेट करने की ज़रूरत ही नहीं. बल्कि अब तो और ज़्यादा ज़रूरत है, क्योंकि शेयरिंग ही आपके रिश्ते को अधिक केयरिंग बनाएगी. तो कुछ बातों पर ज़रूर बात करें. 

अपनी असहजता: आप दोनों ही नए रिश्ते में बंधे हो, तो ज़ाहिर है कि असहजता कहीं न कहीं होगी है, ऐसे में बिना एक-दूसरे को बताए कंफ्यूज़न पैदा होगा, क्योंकि आप दोनों ही एक-दूसरे से उम्मीदें लगाकर बैठे हो और जब वो पूरी होती नहीं दिखेंगी, तो लगेगा कि कुछ तो ग़लत है. आपको घर का माहौल या घरवालों का व्यवहार या फिर पार्टनर का ही व्यवहार अगर असहज कर रहा हो, तो बात करें और पार्टनर को बताएं, पता चला कि बात छोटी-सी है लेकिन उस पर चर्चा न करके वो बड़ी नज़र आने लगी. 

घर का काम और ज़िम्मेदारियों को बंटवारा: ऐसा नहीं होना चाहिए कि नई दुल्हन पर ही सारे काम का बोझ आ जाए और ऐसा भी नहीं होना चाहिए कि नई-नवेली होने का फ़ायदा उठाकर काम को हाथ ही न लगाया जाए. कोशिश करें कि साथ-साथ काम करते-करते ही सभी को अपनी ज़िम्मेदारियों का अंदाज़ा आप करा दें और स्वयं अपनी भी ज़िम्मेदारियों को आप समझें. यहां तक कि अपने पति को भी उनके हिस्से का काम व ज़िम्मेदारी सौंपें, क्योंकि आप दोनों वर्किंग हैं, तो घर का काम भी मिल-जुलकर करना ज़रूरी है.

शादी की गंभीरता को समझना: बैचलर लाइफ अलग होती है और शादी के बाद बहुत कुछ बदल जाता है. आप दोनों की ही ज़िम्मेदारियां बदलती व बढ़ती हैं, ऐसे में लापरवाही छोड़कर गंभीर और ज़िम्मेदार होना पड़ता है. हो सकता है अपनी आदतें व शौक़ भी बदलने पड़ें, ऐसे में मुंह फुलाने की बजाय या दुखी होने की बजाय आपसी सहयोग से काम लें. इन बातों पर आपस में बैठकर चर्चा करें और समझें कि अब हम अकेले नहीं बल्कि एक परिवार हो गए हैं, ऐसे में यह बदलाव होने लाज़िमी हैं, तो दुख कैसा. दोस्तों व सहेलियों के साथ अधिक टाइम बिताने से अच्छा है आपस में एक-दूसरे के साथ समय बिताएं और अगर एक पार्टनर यह न समझ रहा हो, तो दूसरा उसे समझाए. 

बचत और फ्यूचर प्लानिंग: भविष्य के लिए और बेहतर भविष्य के लिए बचत बेहद ज़रूरी है. माना नई-नई शादी हुई है, तो इसका यह मतलब नहीं कि बस घूमो-फिरो, मूवीज़ देखो, पार्टीज़ करो. हनीमून के बाद ख़्वाबों के आसमान से ज़मीन पर आ जाना ही बेहतर होता है. आप दोनों को इस पर खुलकर न स़िर्फ बात करनी होगी, बल्कि प्लानिंग भी मिलकर करनी होगी कि कहां और कैसे सेविंग्स हों. 

बच्चे: माना फैमिली प्लानिंग कर ली, लेकिन हालातों के मद्देनज़र उसे बदलना भी पड़ सकता है, तो आप दोनों में से किसी एक को भी लग रहा हो कि इसमें बदलाव की ज़रूरत है, तो मन ही मन कुढ़ने की बजाय चर्चा करें और दूसरे पार्टनर को भी यह समझना होगा कि पहले जो प्लानिंग पर हो चुकी वो पत्थर की लकीर नहीं है, अगर इसमें बदलाव करने से आपका रिश्ते व भविष्य बेहतर हो सकता है, तो क्यों नहीं?
एक्सीडेंटल प्रेग्नेंसी: यह किसी के भी साथ हो सकता है, तमाम प्रयासों के बाद भी अगर यह हो जाता है, तो एक-दूसरे पर दोषारोपण या ग़ुस्सा करने की बजाय बात करें, क्योंकि बातचीत ही एकमात्र विकल्प है. एक-दूसरे का संभालें और समझाएं कि यह समान्य सी बात है और ऐसा हो जाता है. तनाव लेने से समस्या का समाधान नहीं होता.

बैकअप प्लान और इमर्जेंसी फंड्स: यह कभी भी काम आ सकता है, क्योंकि इमर्जेंसी भी कभी भी हो सकती है. कभी कोई दुर्घटना या बीमारी या फिर किसी भी तरह की समस्या आने पर आपके पास बैकअप प्लान होना चाहिए, तो वो प्लान क्या हो, किस रूप में हो और उस पर किस तरह से अमल हो इस पर बात और प्लानिंग ज़रूरी है. यह भी ज़रूरी नहीं कि इमर्जेंसी फंड्स स़िर्फ बीमारी या समस्या पर ही काम आए, अगर घर में, रिश्तेदारी में कोई शादी प्लान हो गई या बच्चे की किसी हॉबी क्लास के लिए पैसों की ज़रूरत हुई, तो उन्हें वहां भी यूज़ किया जा सकता है. लेकिन यह सब कुछ बातों के ज़रिए ही संभव है, क्योंकि बात होगी, तो ही तो प्लानिंग हो पाएगी. 

एंटरटेनमेंट को इग्नोर न करें: रिफ्रेश फील करने के लिए कभी बाहर खाना, हॉलिडे प्लान करना भी ज़रूरी है. अगर हॉलिडे प्लान करना है, तो सालभर मूवीज़ व बाहर डिनर डेट और गैरज़रूरी शॉपिंग पर थोड़ा ब्रेक लगा लें और अगर इस साल हॉलिडे नहीं जाना, तो अपने फंड्स को किसी अन्य काम पर खर्च करें.  

बेहतर होगा कि अपने आइडियाज़, अपने डर, अपनी ख़ुशियां, अपने ग़म आपस में साझा करें, क्योंकि बिना बात के बात नहीं बनेगी और बात होगी, तभी तो बात बनेगी.

– गणपति  

यह भी पढ़ें: नई दुल्हन के लिए संकोच-शर्मो-हया किन मामलों में ज़रूरी, किनमें ग़ैरज़रूरी! (Dos And Don’ts For Newlywed Bride)

Geeta Sharma

Share
Published by
Geeta Sharma

Recent Posts

डेंगू से बचाव के लिए चमत्कारी १७ घरेलू उपाय (17 Effective Home Remedies for Dengue)

* डेंगू में खून में प्लेटलेट्स बहुत कम हो जाता है, बॉडी में प्लेटलेट्स को…

November 20, 2024

कहानी- गृहिणी (Short Story- Grihinee)

"… मैं नहीं कहती कि शोभा या रंजिता भाभी घर से बाहर मौज-मस्ती करने जाती…

November 20, 2024

दीपिका पादुकोण आणि रणवीर सिंहने भाड्याने दिलं आपलं आलिशान घर, एका महिन्याचं भाडं ऐकून व्हाल थक्क (Ranveer Singh And Deepika Padukone Rental Apartment In Prabhadevi 3 Years For 7 Lakh Rupees Per Month)

बॉलीवूडमधील बेस्ट कपल रणवीर सिंह आणि दीपिका पादुकोण नेहमीच सोशल मीडियावर चर्चेत असतात. त्यांच्या कामाचे…

November 20, 2024

सिनेमे चालले नाहीतर बाथरूममध्ये जाऊन रडतो शाहरुख खान, स्वत:च दिली कबुली (‘I cry a lot in my bathroom’: Shah Rukh Khan’s heartbreaking confession about failure)

बॉलिवूडचा बादशाह शाहरुख खानला मिळालेले स्टारडम आणि प्रेम हे प्रत्येक अभिनेत्याचे स्वप्न असते. किंग खानचे…

November 20, 2024

प्रेमासाठी कायम तरसत राहिल्या झीनत अमान, ३ लग्न करुनही वैवाहिक आयुष्याचं सुख नाहीच ( Zeenat Aman Struggle Story For True Love)

एके काळच्या सर्वोत्कृष्ट अभिनेत्री झीनत अमान यांचा जन्म १९ नोव्हेंबर १९५१ रोजी मुंबईत झाला. अभिनेत्रीच्या…

November 20, 2024
© Merisaheli