डायबिटीज़ और इन तकलीफ़ों में बेहद फ़ायदेमंद है जामुन (20 Amazing Benefits of Eating Black Plum (Jamun)

जामुन को सबसे अधिक मधुमेह यानी डायबिटीज़ को कंट्रोल करने के लिए जाना जाता है. जामुन में आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन, फाइबर और कार्बोहाइड्रेड प्रचुर मात्रा होता है, इस कारण ये बच्चों की सेहत के लिए भी काफ़ी अच्छा है. जामुन पाचन क्रिया को ठीक रखने, दांत, आंख, पेट संबंधी समस्याओं को दूर करने के साथ-साथ किडनी स्टोन के लिए भी बेहद फ़ायदेमंद है.

घरेलू नुस्ख़े

  • डायबिटीज़ वाले जामुन की 100 ग्राम जड़ को साफ़ करके उसे 250 मि. ली. पानी में पीस लें. इसमें 20 ग्राम मिश्री डालकर सुबह-शाम भोजन से पहले पीएं. 300-500 मि. ग्रा. जामुन के बीज को सूखाकर उसका चूर्ण बनाकर दिनभर में तीन बार लेने से भी डायबिटीज़ फ़ायदा होता है. या फिर 250 ग्राम जामुन के पके हुए फलों को 500 मि. ली. उबलते हुए पानी में डालें. कुछ देर उबलने के बाद ठंडा करके मसलकर कपड़े से छान लें. इस जूस को हर रोज़ तीन बार पीएं.
  • बार-बार उल्टी होने पर आम व जामुन के पत्तों को 20-20 ग्राम की मात्रा में लें. इसे 400 मि. ली. पानी में उबालें. जब एक चौथाई बच जाए, तब इसे ठंडा करके पीएं.
  • अगर गले की कोई बीमारी है, तो हर रोज़ 10-15 मि. ली. जामुन का रस पीएं. साथ ही जामुन के पेड़ की छाल का चूर्ण बनाकर शहद मिलाकर लेने से भी गले के दर्द में लाभ मिलता है.
  • लिवर में सूजन है, तो 10 मि. ली. जामुन की गुठली का रस लें. अगर जामुन का सिरका भी हर रोज़ 10 मि. ली. सेवन करें, तो लिवर के बढ़ने के विकार में फ़ायदा होता है.
  • आंखें दुखती हैं या फिर आंखों से जुड़ी कोई समस्या है, तो 15-20 जामुन के पत्तों को 400 मि. ली. पानी में उबाल लें. जब वह एक चौथाई बच जाए, तब इससे आंखों को धोएं.


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  • पथरी या किडनी स्टोन की तकलीफ़ में जामुन रामबाण इलाज है. पके हुए जामुन को खाने से पथरी गल कर निकल जाती है. साथ ही 10 मि. ली. जामुन के रस में सेंधा नमक मिलाकर प्रतिदिन 2-3 बार पीने से मूत्राशय में रहनेवाली पथरी भी टूटकर बाहर निकल जाती है.
  • मोतियाबिन्द में जामुन की गुठली के चूर्ण को शहद में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें. रोज़ सुबह-शाम दो गोली खाएं. इन्हीं गोलियों में थोड़ा शहद मिलाकर काजल की तरह आंखों में लगाएं, इससे भी लाभ होगा.
  • कान से पस निकलने पर जामुन की गुठली को शहद में अच्छी तरह से डुबोकर कान में एक दो बूंद डालें.
  • पायरिया या दांत संबंधी किसी समस्या में जामुन के पत्तों की राख बनाकर मंजन की तरह रगड़ें. इसके अलावा जामुन के पके हुए फलों के रस को मुंह में भरकर अच्छी तरह हिलाकर कुल्ला करने से भी पायरिया की समस्या दूर होती है.
  • डायरिया में भी जामुन फ़ायदेमंद है. जामुन के पत्तों का रस बनाकर 100 मि. ली. बकरी के दूध 5-10 मि. ली. की मात्रा में मिलाकर पीएं.
  • गठिया के दर्द को कम करने के लिए जामुन की जड़ को उबालकर पीस लें. इसे जोड़ों पर रगड़ने से दर्द में लाभ मिलता है.
  • पेचिश में जामुन की छाल का 10 मि. ली. जूस निकालकर 10 मि. ली. बकरी के दूध के साथ सेवन करें. इसके अलावा जामुन के पेड़ की छाल का चूर्ण बनाकर उसमें दो चम्मच शहद मिलाएं. इसे पाव लीटर दूध के साथ लें. यदि जामुन के पेड़ की छाल को 500 मि. ली. पानी में पकाकर जब एक चौथाई रह जाए, तब उसे पीएं. इससे भी पेचिश में फ़ायदा होता है.
  • बवासीर या पाइल्स होने पर जामुन के 20 मि. ली. जूस में शक्कर मिलाकर दिन में तीन बार लें.
  • पीलिया होने पर 10-15 मि. ली. जामुन के रस में दो चम्मच शहद मिलाकर पीएं. इससे पीलिया के अलावा खून की कमी व रक्त-विकार में भी फ़ायदा होता है.
  • सिफलिस रोग में प्रभावित हिस्से में जामुन के पत्तों से पकाया हुआ तेल लगाएं.

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  • त्वचा के विकारों, जैसे- दाद, खुजली में जामुन के रस को लगाने से आराम मिलता है.
  • घाव होने जामुन के पेड़ की छाल को बारीक़ पीसकर घाव पर छिड़कने से घाव तुरंत भर जाता है या फिर जामुन के तने को उबालकर काढ़ा बना लें. इससे घाव को धोने से भी घाव जल्दी ठीक होते हैं.
  • जूतों के कारण पैर में ज़ख़्म हो जाए, तो जामुन की गुठली को पानी में पीसकर लगाएं.
  • जामुन के 8-10 पत्तों को पीसकर लेप करने से आग से जला बना सफ़ेद दाग़ मिट जाता है.

सुपर टीप
मुंह में छाले होने पर जामुन के पत्तों के रस से कुल्ला करने से फ़ायदा होता है.

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Usha Gupta

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पहला अफेयर: चूड़ियों  की खनक (Pahla Affair… Love Story: Choodiyon Ki Khanak)

जीवन में प्रेम जब दस्तक देता है तो उसका एहसास अत्यंत ख़ूबसूरत होता है और वो भी मेरे जैसे नीरस इंसान के लिएजिसके लिए प्रेम और उसका एहसास मात्र लैला-मजनू, हीर-रांझा वाले किताबों के काल्पनिक क़िस्से थे, पर जब तुम्हें पहली बार देखा तो मैं भी प्रेम के एहसास से रु-ब-रु हो गया.  वो काल्पनिक क़िस्से मुझे यथार्थ से लगने लगे थे. मुझे किंचित भी आभास न हुआ कि कब तुम मेनका बन आयी और मेरी विश्वामित्रि तपस्या भंग कर मेरे दिल में समाती चली गईं. उस दिन जब पहली बार तुम्हें मेले में चूड़ियों की दुकान परदेखा था तो मंत्र-मुग्ध-सा तुम्हें देखता ही रह गया. सलोना-सा मासूम चेहरा, कज़रारी आंखें और खुले लम्बे काले बालतुम्हारी सुंदरता में चार चांद लगा रहे थे. तुम्हारे हाथों में ढेर सारी चूड़ियां, उनकी खनखनाहट मेरे कानों में सरगम का रस घोल रहीं थीं. हर बात पर तुम्हारा चूड़ियों का खनखनाना मुझे मंत्रमुग्ध कर रहा था. उस दिन तुम सफ़ेद कलमकारी वाली कढ़ाई वाले सूट में अनछुई चांद की चांदनी लग रही थी. अनिमेश दृष्टि से तुम्हें देखता मैं जड़ चेतन हो गया था. तुम्हारी चूड़ियों की खनक से मैं वापिस यथार्थ के धरातल पर आ गया. मैं भी अपनी बहन के लिए चूड़ियां ख़रीदने आया था, तभी इत्तेफाकन ही हम दोनों ने एक लाल रंग की चूड़ी पर हाथ  लगा कर अपनी पसंद दुकानदार को ज़ाहिर कर दी. तुम्हारे कोमल हाथों के स्पर्श से मैं एकदम सिहर-सा  गया. तुम तो वहां से चली गईं, साथ में मेरा दिल और चैन भी ले गई. मैं मोहब्बत के अथाह सागर की गहराइयों मेंगोते खाने लगा. मुझे तुम्हारा नाम-पता कुछ भी नहीं मालूम था. मैं बस तुम्हारी एक झलक पाने के लिए बेचैन-सा रहने लगा था. कहते हैं ना मन की गहरियों से ढूंढ़ो तो भगवान भी मिल जाते हैं, अंतत: मैंने तुम्हारे बारे में पता लगा ही लिया. तुम तो मेरे सामने वाले कॉलेज में पढ़ती थीं और रोज़ बस से कॉलेज जाती थी. इतना नज़दीक पता मिलने से मेरी ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा. मैं रोज़ तुम्हारी चूड़ियों की खनखनाहट सुनने के लिए बस स्टॉप पर तुम्हारा इंतज़ार करने लगा… और तुम, तुम तोमुझे देख कर भी अनदेखा करने लगी. तुम्हारी अनदेखी मुझे बहुत तकलीफ़ देती थी, लेकिन फिर एक दिन मैंने किसी तरह हिम्मत जुटाई और अपने दिल की बात बताने की ठानी, लेकिन तब तुमसे बात करने की कोशिश में पता  चला ईश्वर ने तुम्हें फ़ुर्सत से गढ़ा था, पर वोतुम्हें आवाज़ देना भूल गया…और यही चूड़ियों की खनक ही तुम्हारी आवाज़ थी…तुम्हारी भाषा थी. तुम्हें डर था कि तुम्हारा यह सचजानकर कहीं मैं तुम्हें छोड़ न दूं, पर कहते हैं न "मोहब्बत कभी अल्फ़ाज़ों की मोहताज नहीं होती, ये तो वो ख़ूबसूरत एहसास है जिसमें आवाज़ की ज़रूरत नहीं होती" मैंने तो तुम्हें मन की गहराइयों से निस्वार्थ प्रेम किया था. और प्रेम तो समर्पण और त्याग की मूरत है और मैं इतना स्वार्थी नहीं था. धीरे -धीरे मैंने भी तुम्हारी और तुम्हारी चूड़ियों  की भाषा सीख ली. तुम्हारी इन चूड़ियों की खनक में सम्पूर्ण जीवनगुज़ारने का एक सुंदर सपना संजोने लगा. समय के साथ कब तुम्हारा कॉलेज पूरा हो गया पता ही नहीं चला. तुम आगेपढ़ना चाहती थीं… एक शिक्षिका बन कर अपने जैसे मूक लोगों के लिए प्रेरणा बन उन्हें राह दिखाकर उन्हें उनकी मंज़िल तक पहुंचाना चाहती थीं. बस फिर क्या था, तुम्हारे इसी हौसले और हिम्मत के आगे मैं नतमस्तक हो गया. एक-एक दिन तुम्हारे इंतज़ार और मिलनेकी आस में काट रहा था और आख़िर तुम्हारा सपना पूरा हो गया. मैंने भी अपने सपने को पूरा कर तुम्हें अपना हमसफ़र बना लिया और तुम्हारी इन चूड़ियों की खनक को हमेशा के लिए अपने जीवन की सरगम बना लिया.…

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