5 शिकायतें हर पति-पत्नी एक दूसरे से करते हैं और यही शिकायतें उनके बीच नोकझोंक की वजह भी बनती हैं. वो कौन-सी 5 शिकायते हैं जो हर कपल एक-दूसरे से करता है? आइए, हम आपको बताते हैं.
1) तुम अब पहले जैसे नहीं रहे
शादी के कुछ साल बाद हर शादीशुदा जोड़े की यही शिकायत रहती है. शादी के शुरुआती सालों में तो सब कुछ अच्छा लगता है, लेकिन साल-दो साल में ही मुहब्बत की स्किप्ट कमज़ोर पड़ने लगती है. दूसरे शब्दों में कहें तो तुम्हारे दीदार से सुबह की शुरुआत हो, तुम्हारे पहलू में ही हर शाम ढले के दावे धीरे-धीरे दम तोड़ने लगते हैं. शादी के बाद घर-परिवार की ज़िम्मेदारियों के बोझ तले मुहब्बत अपना असर खोने लगती है और एक-दूसरे में सिर्फ ख़ूबियां ढूढ़ने वाले शख़्स बात-बात पर एक-दूसरे की ख़ामियां गिनाने लगते हैं.
2) तुम अब मुझे पहले जैसा प्यार नहीं करते
शादी के कुछ साल बात पति-पत्नी की एक-दूसरे से शिकायत रहती है कि वो अब अपने पार्टनर को पहले जैसा प्यार नहीं करते. ऐसा क्यों होता है, इसका भी एक वैज्ञानिक कारण है. रॉबर्ट फ्रेयर द्वारा किये गए प्रयोगों के अनुसार, जब किसी को प्यार हो जाता है तो एक ख़ास तरह के न्यूरो कैमिकल फ़िनाइल इथाइल अमीन की वजह से उसे प्रेमी/प्रेमिका में ख़ामियां नज़र आना बंद हो जाता है. लेकिन यह रसायन हमेशा एक ही स्तर पर नहीं रहता. एक-दो बाद साल शरीर में इसका स्तर कम होता जाता है और चार-पांच साल बाद इसका प्रभाव शरीर पर बिल्कुल बंद हो जाता है. अतः इसके उतार-चढ़ाव का प्रभाव प्रेमियों के स्वभाव में भी साफ़ नज़र आता है. यानी जब प्रेम का उफान कम होने लगता है तो एक-दूसरे की ख़ूबियां ख़ामियों में बदलने लग जाती हैं.
3) तुम से कुछ उम्मीद करना ही बेकार है
पति-पत्नी की शिकायतों में से ये भी एक आम शिकायत है. एक-दूसरे पर दोषारोपण की एक ख़ास वजह होती है पति-पत्नी की एक-दूसरे से ज़रूरत से ़ज़्यादा उम्मीदें, जिसमें महिलाएं पुरुषों से कहीं आगे होती हैं. पुरुष पत्नी के साथ वैसा ही व्यवहार करता है, जैसा उसने अपने पिता का मां के प्रति देखा था, लेकिन पत्नी उसे एक अच्छे दोस्त, बहुत प्यार करने वाले प्रेमी, जिम्मेदार पिता के रूप में देखना चाहती है. क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट सीमा हिंगोरानी कहती हैं, हमारे पास ऐसे कई केस आते हैं जहां बीवी की शिक़ायत होती है कि पति उसका हाथ नहीं पकड़ते, ऑफ़िस जाते समय उसे किस नहीं करते. जबकि पुरुष की शिकायत होती है कि बीवी ज़रूरत से ज़्यादा उम्मीदें रखती है. दरअसल, स्त्री-पुरुष के ब्रेन की वायरिंग ही अलग-अलग होती है. पत्नी चाहती है कि पति उसे दिन में 2-3 बार फ़ोन करे, एसएमएस करे, जबकि पति को लगता है कि जब शाम को घर ही जाना है तो फ़ोन या एसएमएस की ज़रूरत क्या है.
4) तुम्हें तो मुझमें स़िर्फ कमियां नज़र आती हैं
शादी के कुछ समय बाद पति-पत्नी हर बात में एक-दूसरे की कमियां गिनाने लगते हैं. ऐसा वो जानबूझकर या सोच-समझकर नहीं करते, लेकिन फिर भी उनकी शिकायतें बनी रहती हैं. एक ऐड एजेंसी में कार्यरत मेघना पुरी कहती हैं, पुरुष समझते हैं कि पत्नी को हमेशा उनसे शिकायत रहती है, लेकिन इसके पीछे वजह भी तो साफ़ है, क्योंकि तकलीफ़ पत्नियों को ही ज़्यादा होती है. आज ज़्यादातर औरतें घर, ऑफिस, फायनांस सारा कुछ एक साथ संभाल रही हैं, इसके बावजूद उनकी स्थिति पहले जैसी, बल्कि पहले से बदतर हो गई है. उनकी एडिशनल ज़िम्मेदारियों को तो पति एक्सेप्ट कर लेते हैं, बाहरी दुनिया में उनसे मॉडर्न अप्रोच भी रखते हैं, लेकिन जहां घर की बात आती है तो उन्हें वैसी ही पारंपरिक पत्नी चाहिए होती हैं जैसी उनकी मां या दादी थीं.
5) तुम मुझे चैन से जीने क्यों नहीं देती?
शादी के बाद लगभग हर पुरुष की ये शिकायत होती है कि उनकी बीवी बात-बात में उन्हें टोकती है, उन्हें आज़ादी से जीने नहीं देती. ऐसे में पुरुष या तो पत्नी से झूठ बोलकर मनमानी कर लेते हैं या फिर ढीठ बन जाते हैं. एक प्राइवेट फ़र्म में कार्यरत प्रणव सिन्हा कहते हैं, जहां तक फ्रीडम की बात है तो मुझे इसमें किसी का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं. मैं प्राची (पत्नी) के पर्सनल मैटर में ख़ुद भी हस्तक्षेप नहीं करता, लेकिन जब वो इतनी स्मोकिंग क्यों करते हो, तुम्हारा यूं रात-रात तक दोस्तों से घिरे रहना मुझे बिल्कुल पसंद नहीं, तुम्हारे ऑफ़िस की लड़कियां इतनी रात गये फोन क्यों करती हैं, इतना वल्गर एसएमएस किसने भेजा जैसी बेहूदा कम्प्लेंट्स करती है तो मैं चिढ़ जाता हूं. भई मैं क्यों किसी के लिए अपनी ख़ुशी को दांव पर लगाऊं, फिर चाहे वो मेरी पत्नी ही क्यों न हो.
प्यार जताने या एक-दूसरे पर दोषारोपण करने का सभी कपल्स का तरीक़ा भले ही अलग-अलग हो, लेकिन ये बात तो तय है कि जब भी पार्टनर से ज़रूरत से ज़्यादा उम्मीद की जाती है तब रिश्ते में कड़ुवाहट का सिलसिला भी शुरू हो जाता है. प्यार के इतिहास, भूगोल पर टीका-टिप्पणी किये बिना यदि प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो की तर्ज़ पर स़िर्फ महसूस किया जाए या निभाया जाए तो शायद हम प्यार के इस ख़ूबसूरत रिश्ते का उम्रभर लुत्फ़ उठा सकते हैं.
प्यार में आसक्ति ज़रूरी है
रटगर्स यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता और ‘व्हाई वी लव’ किताब की लेखिका हेलन फिशर के अनुसार, प्यार हमारे पास तीन रूपों में आता है. पहला वासना, दूसरा चाहत और तीसरा आसक्ति. वासना और चाहत तो समय के साथ ख़त्म होने लगते हैं, लेकिन यही चाहत यदि आसक्ति में बदल जाए तो फिर यह बंधन ज़िंदगीभर का साथ बन जाता है.
सीखें प्यार निभाने के 5 असरदार तरी़के
1) ज़रूरत से ज़्यादा अपेक्षाओं से बचें.
2) प्यार करें, अधिकार जताएं, पर हुकूमत न करें.
3) पति-पत्नी के परंपरागत फ्रेम से बाहर निकलकर अच्छे दोस्त बनें.
4) पज़ेसिव होने से बचें.
5) क़रीब रहें, पर इतना भी नहीं कि सांस लेना मुश्क़िल लगने लगे. रिश्तों के स्पेस को समझें.
– कमला बडोनी
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