शाम को विनय को धिक्कारता हृदय रात में बिल्कुल बदल गया. जितना दूर वह विनय को भगाने का प्रयास करती,…
तुम्हें डर है कि तुम जर्जर हो रहे हो और मैं बेल के समान तुम्हारे अस्तित्व से लिपटी रहूंगी… नहीं…
रेल फिर लंबी सीटी के साथ चल दी थी. इस बार सुदीप दीप्ति के चेहरे के अज्ञात दर्द को स्पष्ट…
‘वह तो दूसरों के लिए हंसती है, अपने लिए कहां! रात को अकेले में बिस्तर पर सिसकती होगी. बस इतना…
इतने सारे प्रश्न और जवाबदेही से निर्मलाजी घबरा कर रोते हुए कहने लगीं कि वह चोर नहीं हैं. उन्हें सच…
तुम्हारे भीतर जब मैं गुजरता हूं तुम ख़ुद तुम कहां होते हो यह बात तुम जानते नहीं कि जिस पल …
“हां ज्योति, मैं तुमसे पूछ रहा हूं कि क्या जीवन के सफ़र में मेरी साथी बनोगी? मैं अभी शादी करने…
“मैं वसंत की तरह तुम्हारे जीवन में रंग-बिरंगे फूल भले ही ना खिला पाऊं, लेकिन सावन बन कर थोड़ी हरियाली…
“अरे, हिमांशु बेटा तुम? मैं तो तुम्हें पहचान ही नहीं सका. वर्षों बाद देख रहा हूं ना.” उनके चेहरे पर…
दैहिक स्तर से अलग था हमारा रिश्ता और ऐसे ही रहेगा. जिस शिद्दत से मैंने पहले उसे चाहा था, वैसे…