संजना का 6 साल का बेटा रोहन स्कूल में सबको मारता रहता है. शाम को पार्क में खेलते हुए भी वह ऐसा ही करता है. संजना को कई बार दूसरे बच्चों की मांओं ने रोहन के इस बर्ताव के बारे में आगाह भी किया, लेकिन वो इस बात को मानने को तैयार ही नहीं होती. किसी के शिकायत करने पर वो कोई बहाना बनाकर वहां से उठ जाती है या फिर बात को टालने की कोशिश करती है. कभी-कभी वह रोहन को प्यार से झूठी डांट लगाती है और अगले ही पल उसे वहां से ले जाती है. धीरे-धीरे बच्चों ने रोहन के साथ खेलना बंद कर दिया. संजना दिनभर अपने पति रोहित से दूसरे बच्चों की शिकायत करती कि बच्चों का अपना ग्रुप है और कोई रोहन के साथ नहीं खेलना चाहता, लेकिन रोहित भली-भांति जानते थे कि ग़लती रोहन की है. वे संजना को बार-बार समझाने की कोशिश करते कि रोहन की भी ग़लती हो सकती है, परंतु संजना जैसे यह मानने को तैयार ही नहीं थी. यदि आप भी संजना जैसी ही मां हैं, तो संभल जाइए, क्योंकि ऐसा करके आप अपने बच्चे को ख़ुद ही बिगाड़ रही हैं. आइए, जानते हैं कि पैरेंट्स के इस व्यवहार के पीछे क्या वजह होती है?
ऐसे कई मामलों में देखा गया है कि मांएं इतनी कम उम्र में बच्चे के साथ सख़्ती से पेश नहीं आना चाहतीं, लेकिन वो शायद यह बात नहीं समझतीं कि परवरिश स़िर्फ ममता न्योछावर करके नहीं की जा सकती. बच्चों की परवरिश करते हुए कई बार हमें कठोर भी होना पड़ता है. यदि कम उम्र से ही बच्चों को सिखाया जाए कि दोस्तों की रिस्पेक्ट करनी चाहिए, उनकी बात सुननी चाहिए, उनके साथ मिलकर रहना चाहिए, तो यक़ीनन बच्चे ये बात गांठ बांध लेंगे. जब कोई आकर आपसे बच्चे की शिकायत करे, कोई रिश्तेदार या पड़ोसी/मित्र उसके बारे में कोई राय दे, तो उनकी बात ग़ौर से सुनें और बच्चे के व्यवहार पर ख़ुद नज़र रखें. यदि बर्ताव में कुछ ग़लत लग रहा है, तो उसे सुधारने की कोशिश करें. हो सकता है, अपने बच्चे को समझाने के लिए आपको कभी-कभार उससे सख़्ती से भी पेश आना पड़े, लेकिन इसमें कुछ ग़लत नहीं है. आपकी डांट बच्चे का भविष्य सुधार सकती है, लेकिन उसकी ग़लतियों को नज़रअंदाज़ करने पर उसका भविष्य ख़राब हो सकता है.
अपने बच्चे से तो हर किसी को प्यार होता है, मगर कुछ मांएं बच्चे के प्यार में इस कदर अंधी हो जाती हैं कि उन्हें कभी उसकी ग़लती दिखाई नहीं देती. वो हर हाल में अपने बच्चे को ही सही ठहराती हैं, भले ही उसने कितनी भी बड़ी ग़लती क्यों न की हो. अक्सर देखा गया है कि जिन कपल्स को बच्चा देर से होता है, उनमें बच्चे के प्रति अंधा स्नेह ज़्यादा होता है. वो हर हाल में बच्चे को ख़ुश देखना चाहते हैं, लेकिन उन्हें इस बात का ज़रा भी एहसास नहीं होता कि उनका ये अंधा प्यार उनके लाड़ले/लाड़ली के भविष्य को अंधकारमय बना सकता है. विशेषज्ञों के मुताबिक़, बच्चों को छोटी उम्र से ही सही-ग़लत की शिक्षा दी जानी चाहिए. उन्हें अपनी ग़लती का एहसास होना चाहिए और जब तक आप उन्हें ग़लती सुधारने के लिए नहीं कहेंगी, वो आगे भी इसे दोहराते रहेंगे. जब आप उन्हें प्यार से समझाएंगी, तो निश्चय ही उन्हें अपनी ग़लती का एहसास होगा और वो उसे सुधारने की पूरी कोशिश करेंगे.
दुनिया में कोई भी इंसान हर चीज़ में परफेक्ट नहीं होता, मगर कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं जिन्हें लगता है कि वो परफेक्ट मॉम हैं और बच्चे की परवरिश का उनका तरीक़ा सही है. ऐसी मांएं दूसरों की नसीहतें नहीं मानतीं. यदि कोई इनसे इनके बेटे/बेटी की शिकायत करता है, तो ये उल्टे शिकायत करने वाले पैरेंट्स और उस बच्चे को ज़िम्मेदार ठहराने लगती हैं. मेरा बच्चा ऐसा कर ही नहीं सकता, मैं उसे अच्छी तरह जानती हूं, ज़रूर आपके बच्चे ने ही कोई शरारत की होगी… इस तरह वो सामनेवाले पर ही बरस पड़ती हैं. ज़रा सोचिए, यदि मां-बाप ही बच्चों की ग़लतियों पर परदा डालने लगेंगे, तो बच्चा बिगड़ेगा ही. साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि दूसरों की बात सुनने का ये मतलब नहीं है कि आप बच्चे की बात सुने बिना ही उसे डांटने लगें. पहले उससे पूछें कि उसने इस तरह का बर्ताव क्यों किया? कारण जानने के बाद उसे प्यार से समझाएं.
बच्चे को लाड़-प्यार करना अलग बात है, मगर उसकी ग़लतियों को नज़रअंदाज़ करना आगे चलकर आपको भारी पड़ सकता है. इससे बच्चे के व्यक्तित्व पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा.
♦ ऐसा करके पैरेंट्स ख़ुद बच्चे के भविष्य के दुश्मन बन जाते हैं. यह जानते हुए भी कि वो अन्य बच्चों को परेशान कर रहा है, बड़ों से तमीज़ से पेश नहीं आ रहा, उसने झूठ बोलना शुरू कर दिया है और आपसे भी बातें छुपा रहा है, बावजूद इसके यदि आप उसकी इन हरक़तों को नज़रअंदाज़ करती हैं, तो आगे चलकर वो आपके साथ भी बदतमीज़ी कर सकता है.
♦ बच्चे हमेशा अपने मन की ही करते हैं. हर बात के लिए ज़िद्द करते हैं, क्योंकि वो जानते हैं कि माता-पिता से वो अपनी बातें मनवा सकते हैं. ऐसे बच्चों के अभिभावक बाद में बच्चों से बदलाव की अपेक्षा करते हैं, लेकिन तब ये बहुत मुश्किल हो जाता है.
♦ छोटी उम्र से ही बच्चों में अच्छी आदतें व संस्कार डालने चाहिए, तब कहीं जाकर बड़े होने पर भी वो संस्कारी बनेंगे और सबका सम्मान करेंगे. अतः बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए उनकी ग़लतियों पर परदा डालने की भूल न करें.
♦ जब कोई आपके बच्चे के बारे में कुछ कहे, तो उसे ध्यान से सुनिए. यदि आप किसी की बात नहीं सुनेंगी, तो लोग आपसे और आपके बच्चे से हमेशा दूरी बनाए रखेंगे और कोई भी आपके बच्चे से दोस्ती करना पसंद नहीं करेगा.
♦ अपने बच्चों के व्यवहार पर नज़र रखें और समय रहते उन्हें उनकी ग़लतियों के लिए टोकें.
♦ बच्चे तभी सफल होंगे जब उनमें अच्छे संस्कार हों. मॉडर्न होने के साथ साथ अपने रीति-रिवाज़ों को भी समझें और उनके बारे में बच्चों को भी बताएं.
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