शुभ दीपावली: दीपावली की इस तरह पूजन-विधि द्वारा घर में लाएं सुख-समृद्धि… (Effective Vaastu Tricks To Invite Prosperity And Peace This Diwali)

हिंदुओं के त्योहारों में दीपावली का विशेष महत्व है. दीपावली का अर्थ है दीप की अवनी अर्थात पंक्ति का त्योहार. दिवाली 5 दिनों का त्योहार होता है, जो धनतेरस से शुरू होकर नरक चतुर्दशी, लक्ष्मी पूजन, गोवर्धन, अन्नकूट पूजा और भैया दूज तक रहता है. इन सभी दिनों में किस दिन किस तरह से पूजा की जाए, जिससे घर में सुख-समृद्धि और धन लाभ हो, इसके बारे में डॉ. मधुराज वास्तु गुरु ने हमें विस्तारपूर्वक जानकारी दी. वेबसाइट: https://www.madhurajvastuguru.com/

इस दीपावली इन उपायों से महालक्ष्मी देंगी आपके घर पर दस्तक…
इस दीपावली पर कुछ उपाय आपके जीवन में मां लक्ष्मी का आगमन ला सकता है. उसके पहले मां लक्ष्मी के अर्थ को जानना ज़रूरी है. ऐसा क्यों है कि महालक्ष्मी की कृपा हर एक पर नहीं होती, मगर जिस पर होती है, उस पर भरपूर होती है.
इस पर डॉ. मधुराज कहते हैं कि ऐसा इसलिए घटित होता है कि जब हम मां लक्ष्मी की बात करते हैं, तो उनके नाम में ही गहरा अर्थ छुपा हुआ है. लक्ष्मी यानी लक्ष्य पर मेहनत करना ही आपको लक्ष्मी के समीप ले जाता है. इसका तात्पर्य यह है कि आपके घर में लक्ष्मी का आगमन तभी होता है, जब आप अपने जीवन में लक्ष्य पर मेहनत करें.

दीपावली के दिन मां लक्ष्मी का आगमन होता है ऐसा क्यों कहा गया?..
दीपावली के दिन जो मान्यताएं हैं, उनके आधार पर दीपावली आनेवाली होती है, तो सबसे पहले घरों की सफ़ाई शुरू हो जाती है. यानी आप अपने घर को शुद्ध करना शुरू कर देते हैं. अपने घर-भवन को शुद्ध एवं साफ़ करना यानी अपने मनस को शुद्ध एवं साफ़ करना. मन को शुद्ध करना यानी आपके ज़िंदगी से भवन के तल पर, मन के तल पर, मनस के तल पर और शरीर के तल पर गंदगी साफ़ होना.

वास्तु के अनुसार, आपका घर आपका निर्माण करता है…
इसका क्या अर्थ है.. पहला नियम स्वच्छता है. अगर हम उसे हर दिन पालन करते हैं, तो हर दिन दीपावली है. दीपावली के दिन महालक्ष्मी का आना यानी लक्ष्यों पर मेहनत करना और वह वो व्यक्ति कर सकता है, जिसका माइंडसेट हो कि उसे चाहिए क्या? यानी आपको यह पता होना चाहिए कि आपको जीवन में क्या चाहिए. यदि किसी व्यक्ति का मन ही स्थिर ना हो और ना ही इस बात के लिए माइंडसेट हो कि उसे चाहिए क्या, तो भला उस पर मां लक्ष्मी कैसे प्रसन्न हो सकती हैं?
लक्ष्मीजी अपनी कृपा उसी पर करती हैं, जो व्यक्ति अपने ज़िंदगी में एक लक्ष्य लेकर चलता है और उस लक्ष्य को पाने के लिए उस पर मेहनत करता है. लक्ष्मी का आगमन दीपावली पर इसलिए होता है, क्योंकि जब आप अपने घर को स्वच्छ करते हैं, तो आपका मन-मस्तिष्क भी स्वच्छ होता है. स्वच्छ दिमाग़ के साथ जब आप काम करते हैं, तो आप सही लोगों के साथ जुड़ते हैं और जीवन में ऐसी एनर्जी पैदा करते हैं, जो आपके जीवन में प्रगति का कारक होता है.

यहां पर वास्तु गुरु डॉ. मधुराज जी कुछ सरल उपाय भी बता रहे हैं, जिसे दिवाली पर करने के बाद महालक्ष्मी की कृपा आप पर बन सकती है, मगर इसका यह अर्थ नहीं है कि आप कर्म करना छोड़कर केवल उपाय करें, इसके साथ आपको कर्म यानी काम भी निरंतर करते रहना है.

धनतेरस

  • एक चांदी का चौकोर टुकड़ा जिस पर स्वास्तिक बना हो, उसे किसी भी सुनार, ज्वेलरी की दुकान से ख़रीदकर ले आए. वज़न आपके अनुसार कुछ भी हो सकता है.
  • कुबेर यंत्र और कुबेर की मूर्ति ख़रीदना अत्यंत शुभ होता है और इस दिन उनकी पूजा करना विशेष लाभकारी होता है.
  • अपने घर के उत्तर दिशा में एक चांदी के कलश में गंगाजल भरकर रखें.
  • 5 गोमती चक्र, 3 पीली कौड़ी ख़रीदना अत्यंत लाभकारी होता है आज के दिन.
  • साबुत धनिया एवं कमलगट्टे की माला अवश्य ख़रीदें. आज के दिन इससे विशेष लाभ होता है.

नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली)
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था और सोलह हज़ार कन्याओं का उद्धार किया था.

  • इस दिन यमराज के लिए दीपदान किया जाता है.
  • शाम के समय घर के बड़े-बुज़ुर्गों द्वारा दीप जलाना चाहिए.
  • इस दीये में एक तांबे का सिक्का, एक पीली कौड़ी और तिल का तेल का इस्तेमाल करना चाहिए.
  • जब दीपक ठंडा हो जाए, तो उसमें रखी इस कौड़ी और तांबे के सिक्के को अपने धन रखने की जगह या तिजोरी में रख दें.

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दीपावली- प्रकाश पर्व

  • इस दिन पूरे घर की साफ़-सफ़ाई करें.
  • पूरे घर में नमक के पानी से पोंछा लगाए.
  • पूरे घर को सुगंधित द्रव्य से सुगंधित करें. जैसे-
    उत्तर-पूर्व दिशा में तुलसी के इत्र से
    दक्षिण-पूर्व दिशा में गुलाब के इत्र से
    दक्षिण-पश्चिम दिशा में लेवेंडर के इत्र से
    उत्तर-पश्चिम दिशा में लेमन ग्रास के इत्र से
    सुगंधित करें.
    इसके लिए आप एरोमा डिफ्यूजर या रूम फ्रेशनर या धूप अगरबत्ती का इस्तेमाल कर सकते हैं.
  • घर के मुख्यद्वार पर रंगोली से सजावट करें एवं तोरण का प्रयोग करें, मगर वास्तु अनुसार दिशा के हिसाब से रंगों का चयन करें, जैसे-
    पूर्व दिशा में हरे रंग का प्रयोग करें.
    पश्चिम दिशा में सफ़ेद रंग का प्रयोग करें.
    दक्षिण दिशा में लाल रंग का प्रयोग करें.
    उत्तर दिशा में नीले रंग का प्रयोग करें.
  • पूजा के लिए गणेशजी की मूर्ति लेते समय जिस मूर्ति में गणेश भगवान की सूंड उनके बाएं हाथ की तरफ़ हो, वही लें. साथ ही लक्ष्मीजी की बैठी हुई मूर्ति ले.
    *मंगल कलश की स्थापना करें. इसके लिए एक लोटे में चांदी का सिक्का, हल्दी, कुमकुम, चावल और फूल डालकर उसके ऊपर नारियल रखकर घर के ईशान कोण में रखें.
  • एक चांदी के प्लेट में पांच गोमती चक्र, तीन पीली कौड़ी और एक छोटा मोती शंख रखकर उसकी पूजा करें.
  • चांदी का चौकोर टुकड़ा, जिसमे स्वास्तिक बना है जो आप धनतेरस पर लाए हैं, उसे दीपावली के दिन 14-11-2020 को दोपहर के समय 3:16 बजे यानी तीन बजकर सोलह मिनट पर अपने घर, फ्लैट, बंगला आदि के उत्तर पूर्व (नॉर्थ ईस्ट) एरिया में यानी ईशान कोण में रखें.
    अगर व्यावसायिक स्थान या दुकान, फैक्ट्री में रखना हो, तो इस चौकोर चांदी के टुकड़े को उस स्थान के दक्षिण पूर्व (साउथ ईस्ट) एरिया यानी अग्नि कोण में रखें.
  • एक महालक्ष्मी का कमल पर बैठे हुए चित्र को ब्राउन में फ्रेम कराकर घर या प्रतिष्ठान के पूर्व की दिशा में लगाएं. इससे वर्षभर मां लक्ष्मी की कृपा आप पर बनी रहेगी.

गोवर्धन एवं अन्नकूट
इस दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के क्रोध से ब्रजवासियों की रक्षा करने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था. इसी दिन काशी में विशेष रूप से मां अन्नपूर्णा का अन्नकूट भी मनाया जाता है.

  • इस दिन मां अन्नपूर्णा की पूजा-अर्चना करने का विशेष विधान है, जिससे सालभर मां अन्नपूर्णा की कृपा-आशीर्वाद आप पर बनी रहती है और धन-धान्य की वृद्धि होती है.
  • इस दिन शाम को इंद्रजाल की भी पूजा-अर्चना की जाती है. इंद्रजाल एक तरह का जड़ी होता है, जो समुद्र से प्राप्त होता है.
  • भैया दूज के बाद इस इंद्रजाल को फ्रेम कराकर अपने घर या ऑफिस के दक्षिण दीवार पर लगा दें.

भैया दूज
इस दिन बहनों को अपने भाई के मस्तक पर अंगूठे से रोली का टीका लगाना चाहिए, जिससे उनकी सुख-समृद्धि में वृद्धि हो.

  • रोली से तिलक लगाने के बाद उस पर अक्षत यानी चावल अवश्य लगाएं.
  • भाई की कपूर से आरती नौ बार क्लॉक वाइज घुमाकर अवश्य करें.
  • भाई भी बहन को अपने क्षमताअनुसार उपहार प्रदान करें.

दीपावली का मास्टर स्ट्रोक…
इस वर्ष भाग्यांक के अनुसार अपने धन, तिजोरी या पर्स, बटुआ को निम्नलिखित दिशा में रखने से महालक्ष्मी का आशीर्वाद वर्षभर बना रहे.

  • भाग्यांक 1 वाले उत्तर पश्चिम (North West) दिशा में अपना पर्स-तिजोरी रखें.
  • भाग्यांक 2 और 3 वाले पूर्व (East) दिशा में पर्स-तिजोरी रखें.
  • भाग्यांक 4 वाले उत्तर दिशा में पर्स-तिजोरी रखें.
    *? भाग्यांक 5 वाले दक्षिण-पूर्व दिशा में पर्स-तिजोरी रखें.
    *भाग्यांक 6 वाले उत्तर दिशा में पर्स-तिजोरी रखें.
  • भाग्यांक 7 वाले पश्चिम दिशा में अपना पर्स-तिजोरी रखें.
  • भाग्यांक 8 वाले दक्षिण पश्चिम दिशा में पर्स-तिजोरी रखें.
  • भाग्यांक 9 वाले पूर्व दिशा में पर्स-तिजोरी रखें.

यहां पर आपको पूजा-विधि के नियमों के बारे में भी हम संक्षेप में जानकारी दे रहे हैं. जानिए घर पर पूजा करने की सही विधि और उससे संबंधित नियम.
अपने परिवार में सुख और समृद्धि प्राप्त करने के लिए देवी-देवताओ की पूजा करने की परंपरा वर्षों से निरंतर चली आ रही है. आज भी हम इस परंपरा को निभाते आ रहे है. भगवान की पूजा द्वारा हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. परन्तु हम सभी को पूजा करने से पूर्व कुछ ख़ास नियमों का पालन करना चाहिए, तभी हमें पूर्ण फल प्राप्त होगा!
हम आज आपको यहां पर ऐसे 30 नियम बताने जा रहे, जो सामान्य पूजन में भी आवश्यक है तथा इन्हें अपनाकर आप पूजा से होनेवाले शुभ फल पूर्ण रूप से प्राप्त कर सकते हैं.

  1. शिव, दुर्गा, विष्णु, गणेश और सूर्यदेव ये पंचदेव कहलाते है. इनकी पूजा हर कार्यो में अनिवार्य रूप से की जानी चाहिए. प्रतिदिन पूजा करते समय इन पांच देवों का ध्यान करना चाहिए. ऐसा करने से घर में लक्ष्मी का वास होता तथा समृद्धि आती है.
  2. प्लास्टिक की बोतल में या किसी अन्य धातु के अपवित्र बर्तन में गंगाजल नहीं रखना चाहिए. लोहे अथवा एल्युमिनियम के बर्तन अपवित्र धातु की श्रेणियों में आते हैं. गंगाजल को रखने के लिए तांबे का बर्तन उत्तम तथा पवित्र माना जाता है.
  3. यदि घर में भगवान शिव, गणेश और भैरवजी की मूर्ति हो या आप मंदिर में इन तीनो देवताओं की पूजा करते हैं, तो ध्यान रहे की इन तीनों देवों पर तुलसी ना चढ़ाए, अन्यथा पूजा का उल्टा प्रभाव पड़ता है.
  4. मां दुर्गा की पूजा के समय उन्हें दुर्वा ना चढ़ाए, क्योंकि यह भगवान गणेश को विशेष प्रकार से चढ़ाई जाती है.
  5. सूर्य देव को शंख से अर्घ्य नहीं देना चाहिए.
  6. तुलसी का पत्ता बिना स्नान किए नहीं तोड़ना चाहिए, क्योकि शास्त्रों में बताया गया है कि यदि कोई व्यक्ति बिना नहाए ही तुलसी के पत्तों को तोड़ता है, तो पूजा के समय तुलसी के ऐसे पत्ते भगवान द्वारा स्वीकार नहीं किए जाते.
  7. शास्त्रों के अनुसार, दिन में दो बार देवी-देवताओं के पूजन का विधान है. वैसे नियमानुसार सुबह पांच बजे से छह बजे तक के ब्रह्म मुहूर्त में पूजन और आरती होनी चाहिए. यदि आपके लिए यह समय अनूकूल नही है, तो इसके बाद प्रातः छह बजे से आठ बजे तक का समय पूजन अवश्य होना चाहिए. इस पूजन के बाद भगवान को विश्राम करवाना चाहिए. इसके बाद शाम को पुनः पूजन और आरती होनी चाहिए.
    रात को छह बजे से आठ बजे (ऋतु अनुसार यह समय बदल जाता है.) शयन आरती करनी चाहिए. जिन घरों में नियमित रूप से दो बार पूजन होता है, वहां देवी-देवताओं का निवास माना जाता है. ऐसे घरों में धन-धान्य की कोई भी कमी नहीं होती.
  8. स्त्रियों व पुरुषों द्वारा अपवित्र अवस्था में शंख नहीं बजाना चाहिए. यदि इस नियम का पालन नहीं किया जाए, तो घर में बसी लक्ष्मी रूठ जाती है तथा उस घर से चली जाती है.
  9. देवी-देवताओं की मूर्ति के सामने कभी भी पीठ करके नहीं बैठना चाहिए.
  10. केतकी का पुष्प शिवलिंग पर अर्पित नहीं करना चाहिए.
  11. भगवान से कोई भी मनोकामना मांगने के बाद उसकी सफलता के लिए दक्षिणा अवश्य चढ़ानी चाहिए. दक्षिणा चढ़ाते समय अपने दोषों को छोड़ने का संकल्प लेना चाहिए. जितने शीघ्र आप अपने उन दोषों को छोड़ेगे आपकी मनोकामनाएं उतनी शीघ्र ही पूरी होगी.
  12. विशेष शुभ कार्यो में भगवान गणेश को चढ़ने वाला दूर्वा को कभी भी रविवार को नहीं तोड़ना चाहिए.
  13. यदि आप मां लक्ष्मी को शीघ्र प्रसन्न करना चाहते हैं, तो उन्हें रोज़ कमल का पुष्प अर्पित करें. कमल के फूल को पांच दिनों तक लगातार जल चढ़कर पुनः अर्पित कर सकते है.
  14. शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव के शिवलिंग पर चढ़नेवाला बिल्व-पत्र को तीन दिन तक बासी नहीं माना जाता, अतः हम इन बिल्लव पत्रों पर जल छिड़ककर उन्हें पुनः शिवलिंग पर चढ़ा सकते है.
  15. तुलसी के वृक्ष से टूटे हुए तुलसी के पत्तों को बासी नहीं माना जाता, अतः बासी तुलसी पत्तों पर जल छिड़ककर पुनः प्रयोग में ला सकते है.
  16. आमतौर पर फूलों को हाथों में रखकर हाथों से भगवान को अर्पित किया जाता है. ऐसा नहीं करना चाहिए. फूल चढ़ाने के लिए फूलों को किसी पवित्र पात्र में रखना चाहिए और इसी पात्र में से लेकर देवी-देवताओं को अर्पित करना चाहिए.
  17. तांबे के बर्तन में चंदन, घिसा हुआ चंदन या चंदन का पानी नहीं रखना चाहिए, ऐसा करना शास्त्रों के अनुसार, अपवित्र माना गया है.
  18. कभी भी दीपक से दीपक को ना जलाए, क्योकि ऐसा करनेवाला व्यक्ति रोग से ग्रसित हो जाता है.
  19. रविवार और बुधवार को पीपल के वृक्ष में जल अर्पित नहीं करना चाहिए.
  20. पूजा हमेशा पूर्व की ओर या उत्तर की ओर मुख करके की जानी चाहिए. पूजा करने का उत्तम समय प्रातः काल छह बजे से आठ बजे तक का होता है.
  21. पूजा करते समय आसन के लिए ध्यान रखें कि बैठने का आसन ऊनी होगा, तो श्रेष्ठ रहेगा.
  22. घर में मंदिर में सुबह और शाम दीपक अवश्य जलाए. एक दीपक घी का और एक दीपक तेल का जलाना चाहिए.
  23. भगवान की पूजन का कार्य और आरती पूर्ण होने के पश्चात उसी स्थान पर 3 परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए.
  24. रविवार, एकादशी, द्वादशी, संक्रान्ति तथा संध्या काल में तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ना चाहिए.
  25. भगवान की आरती करते समय निम्न बातें ध्यान रखनी चाहिए. भगवान के चरणों की आरती चार बार करनी चाहिए. इसके बाद क्रमश: उनके नाभि की आरती दो बार तथा उनके मुख की आरती एक या तीन बार करनी चाहिए. इस प्रकार भगवान के समस्त अंगों की सात बार आरती होनी चाहिए.
  26. पूजाघर में मूर्तियां 1, 3, 5, 7, 9,11 इंच तक की होनी चाहिए. इससे बड़ी नहीं तथा खड़े हुए गणेशजी, सरस्वतीजी, लक्ष्मीजी की मूर्तियां घर में नहीं होनी चाहिए.
  27. घर में कभी भी गणेश या देवी की प्रतिमा तीन, शिवलिंग दो, शालिग्राम दो, सूर्य प्रतिमा दो, गोमती चक्र दो की संख्या में कदापि न रखें.
  28. अपने मंदिर में सिर्फ़ प्रतिष्ठित मूर्ति ही रखें. उपहार, कांच, लकड़ी एवं फायबर की मूर्तियां न रखें. खण्डित, जली-कटी फोटो और टूटा कांच तुरंत हटा दें. शास्त्रों के अनुसार खंडित मूर्तियों की पूजा वर्जित की गई है. जो भी मूर्ति खंडित हो जाती है, उसे पूजा के स्थल से हटा देना चाहिए और किसी पवित्र बहती नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए . खंडित मूर्तियों की पूजा अशुभ मानी गई है . इस संबंध में यह बात ध्यान रखने योग्य है कि सिर्फ शिवलिंग कभी भी, किसी भी अवस्था में खंडित नहीं माना जाता है .
  29. घर में मंदिर के ऊपर भगवान की पुस्तकें, वस्त्र एवं आभूषण न रखे. मंदिर में पर्दा रखना आवश्यक है. अपने स्वर्गीय पितरो आदि की तस्वीरें भी मंदिर में ना रखें. उन्हें घर के नैऋत्य कोण में स्थापित करना चाहिए.
  30. हमेशा भगवान की परिक्रमा इस अनुसार करें- विष्णु की चार, गणेश की तीन, सूर्य देव की सात, दुर्गा की एक एवं शिव की आधी परिक्रमा कर सकते है.

ऊषा गुप्ता

यह भी पढ़ें: राशि के अनुसार ऐसे करें मां लक्ष्मी को प्रसन्न (How To Pray To Goddess Lakshmi According To Your Zodiac Sign)

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