Health & Fitness

ब्रेस्ट कैंसर से डरें नहीं लड़ें !(Fight Breast Cancer )

ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) से पीड़ित महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है. जागरूकता की कमी और बदलती लाइफस्टाइल इसका मुख्य कारण है. महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूकता लाने के लिए अक्टूबर माह को पूरी दुनिया में ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाया जाता है. ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूक करने की एक कोशिश हमारी भी.

हमारे देश में ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है. भारत में तो करीब 22-25 % महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित हैं. जागरूकता की कमी और बदलती लाइफस्टाइल इसके मुख्य कारण हैं, लेकिन अगर थोड़ी सावधानी बरती जाए तो इससे बचा जा सकता है.

 

क्या हैं कारण?

 

– ग़लत लाइफस्टाइल
– देर से शादी और लेट प्रेंग्नेंसी
– बच्चों को ब्रेस्ट फीडिंग न कराना
– रेडियाएक्टिव व केमिकल्स का एक्सपोज़र
– फैमिली हिस्ट्री
– ओबेसिटी
– हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी
– अर्ली पीरियड्स और देरी से मेनोपॉज. जिन महिलाओं को पीरियड्स जल्दी शुरू हो जाता है और मेनोपॉज़ लेट होता है, उन्हें ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना ज़्यादा होती है.
– बढती उम्र भी ब्रेस्ट कैंसर की बड़ी वजह है. ब्रेस्ट कैंसर के 80% मामले 50+ की उम्र की महिलाओं में देखे जाते हैं.
– जिन महिलाओं का कद लंबा होता है, उन्हें भी ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क ज़्यादा होता है.
– अल्कोहल पीने और स्मोकिंग करनेवाली महिलाएं भी रिस्क जोन में होती हैं.
– नाइट शिफ्ट में काम करनेवाली महिलाओं को भी ख़तरा ज़्यादा होता है.

 

क्या हो सकते हैं लक्षण

– ब्रेस्ट में गांठ या सूजन
– अंडरआर्म्स में गांठ, सूजन या दर्द.
– ब्रेस्ट की त्वचा का लाल हो जाना
– निप्पल से डिस्चार्ज
– ब्रेस्ट के आकार में बदलाव
– निप्पल का अंदर धंस जाना
– निप्पल या ब्रेस्ट की त्वचा का निकलना
अगर उपरोक्त लक्षण दिखाई दें तो फौरन डॉक्टर को कंसल्ट करें और ज़रूरी जांच जाएं.
ब्रेस्ट चेकअप ज़रूरी
– समय-समय पर ब्रेस्ट की जांच करती रहें, ताकि समय रहते इनके लक्षणों को पहचानकर इलाज किया जा सके.
– सेल्फ ब्रेस्ट एक्ज़ामिनेशन करें.
– अपने गायनेकोलॉजिस्ट से चेकअप करवाएं और ज़रूरी हो तो मेमोग्राफी भी करवाएं.
– इसके अलावा डॉक्टर आपको ब्रेस्ट की सोनाग्राफी. 2 डी या 3 डी मेमोग्राम, ब्रेस्ट एमआरआई, बायोप्सी करवाने की सलाह भी दे सकते हैं.

अगर आपको ब्रेस्ट कैंसर का पता चल जाए तो डरें नहीं. एक बात ध्यान रखें, कैंसर लाइलाज नहीं है. जितना जल्दी कैंसर के बारे में पता चलेगा, जितनी जल्दी आप ट्रीटमेंट शुरू करेंगी, इलाज उतना ही आसान हो जाएगा. कैंसर का टाइप, स्टेज, मरीज़ की हेल्थ कंडीशन, उसकी उम्र आदि को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर इलाज की प्रक्रिया तय करते हैं.

 

सावधानियांः अपनाएं हेल्दी हैबिट्स

– वज़न को कंट्रोल रखें.
– जितना ज़्यादा हो सके, फल और सब्ज़ियां खाएं.
– एक्सरसाइज़ करें व एक्टिव रहें.
– ब्रेस्ट फीडिंग ब्रेस्ट कैंसर से प्रोटेक्ट करता है. इसलिए अपने बच्चे को ब्रेस्ट फीड ज़रूर कराएं.
– शराब और सिगरेट से दूर रहें.
– स्ट्रेस से दूर रहें. पॉज़िटिव सोच रखें.

 

 

एक नज़र आंकड़ों पर

 

 

इंडियन काउंसिल फॉर मेडीकल रिसर्च (आईसीएमआर) के मुताबिक़ भारत में महिलाओं में औसतन 23 फीसदी कैंसर स्तन कैंसर होते हैं. कैंसर से होने वाली कुल मौंतों में 50 फीसदी का कारण स्तन कैंसर है. हर साल स्तन कैंसर के एक लाख पंद्रह हज़ार (1,15,000) नए मरीज़ सामने आते हैं, जिनमें 53 हज़ार की मौत हो जाती है. यानी हर दो नए स्तन कैंसर मरीज़ में एक की मौत हो जाती है. आईसीएमआर के मुताबिक़ स्तन कैंसर रोगियों की तादाद ढाई लाख के ऊपर है. स्तन कैंसर के सबसे ज़्यादा मामले 45 से 55 की उम्र के बीच होते हैं. क़रीब 70 फीसदी मामलों में स्तन कैंसर के मरीज़ के अस्पताल पहुंचने के समय ट्यूमर का आकार पांच सेंटीमीटर से ज़्यादा यानी मरीज़ थर्ड स्टेज में होता है. पहले स्टेज के पांच फ़ीसदी मरीज़ अस्पताल पहुंच पाते हैं.

Meri Saheli Team

Share
Published by
Meri Saheli Team

Recent Posts

औषधि का ख़ज़ाना है जामुन (Jamun is a treasure of medicine)

जामुन डायबिटीज़, कब्ज़, एनीमिया, जानकााटख पथरी में काफी उपयोगा है. इसके बीज में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स…

June 28, 2025

प्रेरणादायक लघु कथा- हर समस्या का हल होता है (Inspirational Short Story- Har Samasya Ka Hal Hota Hai)

यह सुनकर किसान एवं उसकी बेटी दोनों अचम्भे में आ गए. कहां वह अधेड़ उम्र…

June 28, 2025
© Merisaheli