सुखी वैवाहिक जीवन में कई बार ऐसे हालात बन जाते हैं कि दो लोगों का एक साथ रहना संभव नहीं रह जाता और उनके रिश्ते का अंत होता है तलाक़ से. तलाक़ के बाद एकबारगी तो पुरुष ख़ुद को भावनात्मक और वित्तीय तौर पर संभाल लेते हैं, लेकिन महिलाओं के लिए यह स्थिति बहुत तकलीफदेह होती है, विशेष रूप से तब जब उनके साथ बच्चे भी हों तो. एक तो तलाक़ का दर्द, दूसरे असुरक्षित भविष्य का डर. इसी कशमकश में उलझी महिलाएं तलाक़ के बाद कैसे करें अपना भविष्य सुरक्षित, आइए हम बताते हैं-
ख़ुद को संभालें
तलाक़ के बाद ज़्यादातर महिलाएं भावनात्मक रूप से टूट जाती हैं. इस स्थिति से उबरने में उन्हें काफ़ी समय लग जाता है और जब तक वे इस स्थिति से निकल पाती हैं, तब तक उनका जॉइंट अकाउंट खाली हो चुका होता है. उनके जॉइंट अकाउंट में एक भी पैसा नहीं बचता. लिहाज़ा उन्हें मुआवज़े की राशि पर निर्भर रहना पड़ता है या फिर गुज़ारेभत्ते की छोटी-सी रक़म पर. महिलाओं को इन्हें ही अपनी जीविका का ज़रिया बनाना पड़ता है.
जॉइंट अकाउंट कैंसल करें
शादी के बाद अधिकतर दंपति जॉइंट अकाउंट खोलते हैं, ताकि दोनों घर की ज़िम्मेदारियों को बराबर बांट सकें. लेकिन महिलाएं तलाक़ के बाद सबसे पहले पूर्व पति के साथ खोले गए जॉइंट अकाउंट को कैंसल और बंद करें. तलाक़ के बाद यदि महिलाएं जॉइंट अकाउंट बंद नहीं करती हैं, तो पति द्वारा किए अनेक ट्रांज़ैक्शन्स, जैसे- क्रेडिट कार्ड की पेनाल्टी, ओवरड्राफ्ट आदि का भुगतान उन्हें करना पड़ सकता है. इसके अलावा महिलाएं तलाक़ के बाद बैंक को भी सूचित करें कि वे इस खाते को निलंबित करना चाहती हैं और भविष्य में पति द्वारा किए ट्रांज़ैक्शन का भुगतान वे नहीं करेंगी. अत: इस अकाउंट को सस्पेंड कर दिया जाए.
तय करें कि महिला अपना नाम बदलेगी या नहीं
तलाक़ के बाद महिला को यह ख़ुद तय करना है कि वह पूर्व पति का सरनेम लगाना चाहती हैं या नहीं. वैसे तो इस बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है कि महिला इस बारे में क्या ़फैसला लेती है, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि महिला का क़ानूनी नाम लोन या क्रेडिट अकाउंट से मिलता-जुलता होना चाहिए, क्योंकि खातों में मल्टीपल नाम और ग़लतियों के कारण उनका क्रेडिट स्कोर कम हो सकता है.
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नए अकाउंट खोलें
स्थितियों को ध्यान में रखते हुए महिलाएं जॉइंट अकाउंट कैंसल करने से पहले क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई कर सकती हैं. तलाक़ के बाद एक नई शुरुआत करने के लिए उन्हें लोन की ज़रूरत पड़ सकती है. ऐसी स्थिति में नया क्रेडिट कार्ड सपोर्ट सिस्टम का काम करता है. अत: तलाक़ के बाद महिलाओं को केवल क्रेडिट कार्ड ही नहीं, नया बैंक अकाउंट और दूसरे इन्वेस्टमेंट अकाउंट खोलने की ज़रूरत होती है.
आय और व्यय का हिसाब रखें
तलाक़ के बाद तनाव और डिस्टर्ब हुई लाइफ को दोबारा पटरी पर लाने के लिए ज़रूरी है कि महिलाएं एक नया बजट बनाएं, जिसमें बच्चों की परवरिश, अपना गुज़ाराभत्ता, वित्तीय निवेश और आय के स्रोतों की लिस्ट बनाएं. यह बजट मेडिकल व अन्य ख़र्चों के बारे में भी समय-समय पर अलर्ट करेगा.
तलाक़ के बाद नया बजट बनाएं
अधिकतर महिलाओं को मंथली बजट बनाना नहीं आता है. अतीत में चाहे उन्होंने ऐसा न किया हो, पर तलाक़ के बाद ऐसा करना बेहद ज़रूरी है. इस बजट में वे अपने मासिक व दैनिक ख़र्चों (ग्रॉसरी, पर्सनल लोन, कार लोन, घर के मेंटेंनेस आदि) और दीर्घकालीन ख़र्चों (मेडिकल, रिटायर फंड) को सूचीबद्ध करें. इस बजट को बनाने का सबसे बड़ा फ़ायदा यह होगा कि वे यह जान सकती हैं कि सुरक्षित भविष्य के लिए उन्हें कितना निवेश करना है और किन-किन फ़िजूलख़र्च पर रोक लगानी है.
टैक्स के बारे में सोचें
तलाक़ के तुरंत बाद अपनी आय व ख़र्चों का बजट बनाएं. इस बजट के आधार पर अपनी कर देयता को चेक करें कि आप टैक्स पेयेबल है या नहीं. नई टैक्स लायबिलिटी के आधार पर कम या ज़्यादा टैक्स का भुगतान करने के साथ-साथ आपको अपने इन्वेस्टमेंट में बदलाव करने पड़ सकते हैं.
इमर्जेंसी रिज़र्व फंड बनाएं
सिंगल होेने के बाद महिलाएं अपनी आकस्मिक ज़रूरतों को पूरा करने लिए इमर्जेंसी रिज़र्व फंड ज़रूर बनाएं. यह फंड नक़दी के रूप में होना चाहिए, ताकि छह महीने से लेकर सालभर का ख़र्च चिंतारहित होकर उठाया जा सके. इस फंड को बैंक में एफडी या किसी अन्य योजना में इन्वेस्ट करें, ताकि उस पर ब्याज भी मिल सके.
सभी डॉक्यूमेंट्स में नाम चेंज करें
तलाक़ के बाद महिलाओं को सब जगह, सब डॉक्यूमेंट्स में मैरिटल स्टेटस अपडेट करना चाहिए, जैसे- टैक्स रिकॉर्ड, बिजली-पानी-टेलीफोन के बिल, बैंक, बीमा, घर और कार के डॉक्यूमेंट्स में अपने मैरिटल स्टेटस (वैवाहिक स्थिति) को अपडेट करें.
प्रॉपर्टी से संबंधित सभी डॉक्यूमेंट्स अपडेट करें
तलाक़ के तुरंत बाद प्रॉपर्टी के बारे सोचना सही समय नहीं होता है, लेकिन यदि पति या पत्नी ने अपनी वसीयत, बीमा इंश्योरेंस, पीपीएफ, एफडी और पावर ऑफ अटॉर्नी आदि डॉक्यूमेंट्स में पार्टनर को नॉमिनी बनाया है, तो तलाक़ के बाद उन्हें अपडेट करना ज़रूरी है. इन डॉक्यूमेंट्स को अपडेट करने के लिए ज़रूरी है कि पहले अपने वकील, बैंक और इंश्योरेंस कंपनी को सूचित करें.
ख़ुद के लिए हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज लें
शादी के बाद पति या पत्नी पूरे परिवार की सुरक्षा के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते हैं, लेकिन तलाक़ के बाद सेपरेट पॉलिसी के आधार पर दोनों को अपने लिए अलग-अलग हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेनी चाहिए.
इन हेल्थ इंश्योरेंस में अन्य विकल्पों को शामिल करें
तलाक़ से पहले ली गई बीमा पॉलिसी की तुलना में तलाक़ के बाद लिए जानेवाले हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में महिलाओं को अतिरिक्त संभावित कवरेज पर ध्यान देना चाहिए. इस नई पॉलिसी में उन्हें अतिरिक्त चीज़ों को ऐड करने की ज़रूरत है, जैसे- तलाक़ के बाद इस मुश्किल समय में यदि उन्हें अपने या नाबालिग बच्चों को काउंसलिंग की ज़रूरत होती है, तो उनके लिए काउंसलिंग कवरेज को शामिल करें.
ध्यान रखें कि बच्चों को पूरा कवरेज मिले
कुछ स्थितियों में तलाक़ के बाद नाबालिग बच्चे मां के साथ ही रहते हैं. ऐसी स्थिति में तलाक़शुदा महिलाओं को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि नाबालिग बच्चों को सेवानिवृत्ति खातों और जीवन बीमा पॉलिसी से मिलनेवाले कवरेज का लाभ मिलें.
– पूनम नागेंद्र शर्मा
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