ब्रेस्ट कैंसर यानी स्तन कैंसर भारतीय महिलाओं में कैंसर के कारण होनेवाली मौतों के मुख्य कारणों में से एक है. यह महिलाओं को प्रभावित करनेवाला मुख्य कैंसर भी हैं. आइए, इसके बारे में विस्तार से जानें.
एक अध्ययन के मुताबिक़ साल 2016 में देश में तक़रीबन 1,18,000 मामले पाए गए और 5,20,000 से अधिक मामले पहले से ही दर्ज थे. प्रतिष्ठित पत्रिका नेचर्स में प्रकाशित परिणाम इसकी वास्तविकता पर रोशनी डालते हैं. ग्लोबोकन 2018 आंकड़ों के मुताबिक़ भारत में दोनों लिंगों में कैंसर के कुल 11,57,294 नए मामले थे, जबकि स्तन कैंसर के मामलों के लिए पांच साल की प्रसार दर 4,05,456 थी. आसान भाषा में कहें, तो स्तन कैंसर भारतीय महिलाओं में कैंसर का सबसे बड़ा प्रकार है. हालांकि इस कैंसर का इलाज संभव है, लेकिन इसके बावजूद हर साल इससे बड़ी संख्या में मौतें होती हैं. हर साल अक्टूबर माह स्तन कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है. इसके बारे में एसआरएल डायग्नोस्टिक्स की डॉ. सिमी भाटिया ने महत्वपूर्ण जानकारियां दीं.
स्तन कैंसर के लक्षण
स्तन कैंसर तब होता है, जब स्तनों के भीतर कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं. ऐसा आमतौर पर दूध बनानेवाली ग्लैण्ड्स यानी लोब्यूल्स या डक्ट में होता है, जो निप्पल तक दूध लेकर जाती हैं. रक्त या लिम्फ के ज़रिए कैंसर स्तनों के बाहर भी फैल सकता है.
अक्सर लंबे समय तक इसका पता नहीं चलता, ख़ासतौर पर भारत में जहां महिलाएं इसके बारे में खुलकर बात नहीं कर पातीं. स्तन कैंसर में स्तनों में गांठ बन जाती है या स्तन के शेप या साइज़ में बदलाव आ जाता है. कुछ अन्य लक्षण हैं, स्तन या बगल में नई गांठ बनना, साइज़ बढ़ना या सूजन, खुजली, स्तनों की त्वचा की परतें उतरना, स्तन के किसी हिस्से ख़ासतौर पर निप्पल में दर्द.
ख़ुद जांच करें
भारत में महिलाएं अक्सर अपने स्तनों में होनेवाली गांठ, इनके शेप या साइज़ के बारे में बात नहीं करना चाहती. इस बारे में वे अपने पति या यहां तक कि परिवार की अन्य महिलाओं से भी बात नहीं कर पातीं. यहां तक कि समाज के ज़्यादातर वर्गों की महिलाएं अपने स्तनों में होनेवाले बदलाव को समझ हीं नहीं पातीं. इसलिए यह बेहद ज़रूरी है कि महिलाएं अपने स्तनों की ख़ुद जांच करना सीखें और कम-से-कम महीने में एक बार ऐसा नियमित रूप से करें.
जागरुकता ज़रूरी
अगर आपको स्तनों में कोई बदलाव या गांठ महसूस हो, तो याद रखें कि हर गांठ कैंसर की नहीं होती. वास्तव में दस में से आठ गांठें कैंसर की नहीं होती हैं. हालांकि गांठ कैंसर की है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए डाॅक्टर को बायोप्सी करनी होती है. स्तन कैंसर के बढ़ते मामलों और इसके कारण बढ़ती मृत्यु दर को देखते हुए स्तन कैंसर के बारे में जागरुकता फैलाना बेहद ज़रूरी है. पुरुषों और महिलाओं दोनों को इसे समझना चाहिए, ताकि समय पर निदान कर उपचार किया जा सके.
समय पर डायग्नोसिस
स्तन कैंसर को पहचानने में उसके लक्षण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इस बीमारी का इलाज पूरी तरह संभव है, लेकिन इसके डायग्नोसिस में देरी से मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है, इसलिए जैसे ही आपको शक हो, तुरंत डाॅक्टर से संपर्क करें.
डायग्नोसिस का एक तरीक़ा है मैमोग्राफी, जिसमें कम स्तर की एक्स-रे की मदद से स्तनों के टिश्यूज़ में होनेवाले बदलावों को देखा जाता है. अगर मैमोग्राफी में कुछ असामान्यता दिखाई दे, तो स्तन कैंसर की जांच की जाती है, जिसमें विभिन्न कोणों से एक्स-रे लिए जाते हैं और इसके बाद अल्ट्रासाउंड किया जाता है. महिलाओं को 40 साल की उम्र के बाद हर साल मैमोग्राफी कराने की सलाह दी जाती है, चाहे उनमें स्तनों से संबंधित कोई लक्षण दिखाई दे या न दें.
जांच के अन्य तरीक़े
स्तनों में कैंसर के ट्यूमर की जांच का एक और तरीक़ा है फाइन नीडल एस्पीरेशन सायटोलोजी. इस प्रक्रिया में गांठ में नीडल डाली जाती है और एस्पीरेट ड्रेन किया जाता है. इसके बाद सेल्स को स्लाइड पर ट्रांसफर किया जाता है और माइक्रोस्कोप से जांच की जाती है.
हिस्टोपैथोलोजी स्लाइड की जांच के लिए उच्चस्तरीय विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है. यह प्रक्रिया बेहद जटिल होती है. कई बड़ी डायग्नाॅस्टिक्स चेन्स आईटी के दिग्गजों के साथ साझेदारी कर रही हैं, ताकि आर्टीफिशियल इंटेलीजेन्स एवं अन्य डिजिटल तकनीकों की मदद से सटीक एवं तीव्र निदान किया जा सके. उदाहरण के लिए डिजिटल पैथोलॉजी में बदलाव लाना माइक्रोसाॅफ्ट एआई फाॅर हेल्थ प्रोग्राम का उद्देश्य है. वर्तमान में यह अपने दूसरे चरण में है. अगर ट्यूमर मैलिग्नेन्ट हो, तो स्तन कैंसर की पुष्टि हो जाती है.
स्तन कैंसर की पांच अवस्थाएं
स्तन कैंसर के बढ़ने के आधार पर इसे पांच अवस्थाओं में बांटा जाता है.
शून्य अवस्था- जब स्तन कैंसर नाॅन-इनवेसिव होता है, इस बात के कोई प्रमाण नहीं कि इस अवस्था में कैंसर आसपास के टिश्यूज़ में फैल सकता है या नहीं.
पहली अवस्था- इसमें कैंसर इनवेसिव हो जाता है, किंतु स्तनों के क्षेत्र में ही सीमित रहता है. आमतौर पर इस समय ट्यूमर का आकार 2 सेंटीमीटर से कम होता है.
दूसरी अवस्था- इसमें दो उप श्रेणियां होती हैं और निम्न फीचर्स होते हैं. पहली श्रेणी में ट्यूमर का अधिकतम आकार 2 सेंटीमीटर हो जाता है और यह बगल में लिम्फ नोड में फैल जाता है या ट्यूमर का आकार 2 से 5 सेंटीमीटर के बीच होता है और यह लिम्फ नोड तक नहीं फैलता. दूसरी श्रेणी में ट्यूमर का आकार 5 सेंटीमीटर से बढ़ जाता है या 2 से 5 सेंटीमीटर तक रहता है और लिम्फ नोड्स तक फैल जाता है.
तीसरी अवस्था- यह कैंसर की स्थानिक एडवान्स्ड अवस्था होती है, जिसे तीन श्रेणियों में बांटा गया है. पहली श्रेणी में ट्यूमर का आकार 5 सेंटीमीटर से कम होता है और लिम्फ नोड में फैल जाता है. इसके बाद बढ़ते हुए क्लम्प बनाने लगता है. दूसरी श्रेणी में ट्यूमर किसी भी आकार का हो सकता है, किंतु छाती की दीवार या स्तनों की त्वचा में फैल जाता है. इसमें त्वचा में गांठें बनने लगती हैं और स्तनों में सूजन आ जाती है. तीसरी श्रेणी में ट्यूमर किसी भी आकार का हो सकता है, किंतु लिम्फ नोड तक फैल जाता है और स्तनों की त्वचा एवं छाती की दीवार के आसपास फैल सकता है.
चौथी अवस्था- वास्तव में एडवान्स्ड अवस्था होती है, जिसमें कैंसर स्तनों से शरीर के अन्य अंगों में फैल जाता है.
इलाज
स्तन कैंसर का इलाज कई तरह से किया जाता है. यह अक्सर कैंसर की अवस्था और इस बात पर निर्भर करता है कि स्तनों में कैंसर के उतकों का विकास कितना गंभीर है. आम तकनीकों में सर्जरी, कीमो थेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और हार्मोन थेरेपी शामिल है. मामले की गंभीरता के आधार पर सर्जिकल विकल्प जैसे लम्पेक्टोमी (गांठ को निकालना) या मास्टेक्टोमी (पूरे स्तनों को निकालना) को भी चुना जा सकता है. इसलिए ज़रूरी है कि दूसरी अवस्था से पहले ही मरीज़ का निदान हो जाए.
हेल्थ अलर्ट
किसी भी बीमारी में रोकथाम करना उपचार से बेहतर विकल्प होता है. हालांकि स्तन कैंसर के प्रत्यक्ष कारण ज्ञात नहीं हैं, किंतु पाया गया है कि सेहतमंद जीवनशैली जीनेवाली महिलाओं में इसकी संभावना कम होती है. स्तन कैंसर की संभावना को कम करने के लिए निम्न बातों पर ध्यान दें.
स्तन कैंसर का उपचार शत-प्रतिशत संभव है, अगर समय पर निदान कर जल्द-से-जल्द उपचार शुरू कर दिया जाए. हालांकि महिलाओं को सलाह दी जाती है कि सेहतमंद जीवनशैली अपनाएं, नियमित रूप से अपनी जांच करें, अगर कोई भी संदेह हो, तो तुरंत डाॅक्टर से संपर्क करें. पुरुषों को भी चाहिए कि वे महिलाओं की नियमित जांच, निदान एवं उपचार में सहयोग दें. हालांकि स्तन कैंसर ज़्यादातर महिलाओं को ही होता है, लेकिन पुरुषों को भी हो सकता है. इसलिए इस बीमारी को गंभीरता से लें और यथासंभव एक-दूसरे को सहयोग भी दें.
– ऊषा गुप्ता
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