अक्सर देखा गया है कि हम अपने ज़रूरी काग़ज़ात, इन्वेस्टमेंट्स, सेविंग्स के बारे में सभी जानकारी अपने तक ही सीमित रखते हैं. कई बार पैरेंट्स, पत्नी, बच्चों को पता ही नहीं होता कि कहां-कहां इन्वेस्टमेंट किया गया है. कितनी सेविंग्स है, ज़रूरी डाक्यूमेंट्स कहां पर है आदि की भी जानकारी परिवार को नहीं होती. ऐसे में कभी कोई हादसा हो जाए और अपना बिछड़ जाए या दुनिया में ना रहे, तब दावेदारी के लिए तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
आंकड़ों के अनुसार ऐसी कितनी ही पत्नियों को दिक़्क़तों का सामना करना पड़ा, जिनके पति दुर्घटना में या अचानक काल के गाल में समा गए. तब पति के चले जाने पर पत्नी को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
कई बार तो कितने ही निवेश के बारे में जानकारी ना होने पर वह पैसा भी डूब जाता है और दावेदार को नहीं मिल पाता. ऐसी स्थिति ना हो इसके लिए अपने ख़ास, चाहे वह माता-पिता हों, पत्नी या बच्चे हों उन्हें आपके बचत, निवेश और ज़रूरी दस्तावेज़ के बारे में पूरी जानकारी ज़रूर होनी चाहिए. साथ ही आपको अपने हर ज़रूरी डॉक्यूमेंट्स, पॉलिसी, इन्वेस्टमेंट के पेपर्स संभालकर सुव्यवस्थित ढंग से रखनी चाहिए और इसकी जानकारी अपनों को भी देनी चाहिए.
जीवन बीमा कंपनी और कई ऐसी कंपनियों के रिकॉर्ड में ऐसे कई गुमशुदा लोगों के निवेश मिल जाएंगे, जिन्होंने पैसों के इन्वेस्टमेंट तो कर दिए, मगर सालों उसकी सुध नहीं ली. अब इसकी कई वजह हो सकती है. वह व्यक्ति इस दुनिया में नहीं रहा या तो कोई दुर्घटना, प्राकृतिक आपदा में ज़रूरी काग़ज़ात नष्ट हो गए हैं. ऐसी कई बातें होती हैं जीवन में, जिससे हमारे ख़ुद के निवेश किए गए पैसे वापस नहीं मिल पाते हैं. अगर रिकॉर्ड की बात करें तो बैंकों में, वित्तीय कंपनियों में ऐसे तमाम रिकॉर्ड पड़े हैं, जिनकी रकम लेने दावेदार नहीं आए और यह तक़रीबन 82,000 करोड़ रुपए हैं, जिनका कोई मालिकाना हक़ लेनेवाला नहीं है. इसलिए अपने बचत, निवेश और ज़रूरी दस्तावेज़ के बारे में अपनों को ज़रूर बताएं, कहीं देर ना हो जाए.
उन बातों को भी जान लेते हैं, जिसके करने से न केवल सब चीज़ें व्यवस्थित रहेंगी, बल्कि कभी भी किसी भी पेपर या ज़रूरी काग़ज़ात की जानकारी तुरंत मिल भी जाएगी.
डायरी और फाइल मेंटेन करें
आपके जीवन बीमा पॉलिसी, बैंक के खाते, पूंजी निवेश, अगर आप शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट करते हों तो उनके डीटेल्स, प्रॉपर्टी है तो उनके पूरे डॉक्यूमेंट्स और यदि आपने लोन वगैरह लिया है तो उसकी जानकारी सभी का रिकॉर्ड लिख कर रखें. एक तरह से अपनी ज़िंदगी से जुड़े हुए सभी बचत, निवेश, वसीयत हर चीज़ की जानकारी एक डायरी में लिख कर रखें और इससे जुड़े पेपर्स को भी सिलसिलेवार व्यवस्थित ढंग से फाइल करके रखें. इन सभी पेपर्स की दो फाइल बनाकर रखें, ताकि एक के खो जाने या नष्ट होने की स्थिति में दूसरा काम आ सके.
कॉन्टेक्ट, नॉमिनी और वसीयत
बैंक के अकाउंट नंबर से लेकर फोन नंबर तक, पॉलिसी के नंबर, उसके नॉमिनी, शेयर मार्केट के शेयर ब्रोकर के डीटेल्स, सीए से कंसर्न करते हों, तो उसके फोन नंबर, आपका ईमेल आईडी, पासवर्ड आदि इन सभी कॉन्टेक्ट नंबर, पासवर्ड व आईडी को एक सुरक्षित जगह दर्ज करके रखें. यदि डॉक्यूमेंट्स के फाइल के अंदर एक तरफ़ लिखकर रखेंगे, तो अधिक सुविधाजनक रहेगा. हर तरह के इन्वेस्टमेंट और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में नॉमिनी का नाम अवश्य रजिस्टर्ड करवाएं. इससे यदि पॉलिसी धारक की मृत्यु होती है, तो लीगल फॉर्मेलिटीज़ बहुत कम होती है और पैसे भी जल्दी मिल जाते हैं, वरना कई तरह की औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ती है और काफ़ी समय लगता है.
आपकी जो भी प्रॉपर्टी है फिर घर-मकान हो, दुकान-बिज़नेस हो, उन सब पर यानी पूरी संपत्ति की वसीयत ज़रूर बनाएं, ताकि बाद में किसी तरह की परेशानी और वाद-विवाद न पैदा हो. अक्सर हम देखते हैं कि अगर वसीयत नहीं बनाई रहती है, तो व्यक्ति के चले जाने के बाद बच्चों में काफ़ी लड़ाइयां होती हैं. रिश्तों में खटास भी आने लगती हैं. यदि ऐसे में वसीयत बनाकर उत्तराधिकारी के नाम वगैरह हों, तो कई तरह की आपसी मतभेद से बचा जा सकता है. सभी ज़रूरी चीज़ों की जानकारी अपनों को यानी आपके माता-पिता, पत्नी, बच्चे, किसी विश्वसनीय व्यक्ति को अवश्य दें, जिससे कि उन्हें पता रहे कि कहां-कहां आपने निवेश किया है.
व्यक्ति की मृत्यु होने पर बैंक से बाकी रकम और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के पैसे को पाने की प्रक्रिया को भी जान लेते हैं. सबसे पहले आपको बैंक में मृतक की डेथ सर्टिफिकेट और आईडेंटी कार्ड देने होते हैं और इसकी पुष्टि करने के बाद मृतक के अकाउंट को क्लोज़ कर दिया जाता है और बची रकम नॉमिनी को मिल जाती है. लेकिन इसमें ध्यान देनेवाली बात यह है कि यदि बैंक में नॉमिनी का नाम नहीं है, तो यह प्रोसीज़र काफ़ी मुश्किलों भरा हो जाता है.
साधारणतया 25,000 हज़ार तक की रकम बैंक के ब्रांच मैनेजर के ज़रिए मिल जाती है. लेकिन यदि रकम अधिक है, तो इसके लिए कोर्ट से उत्तराधिकारी का सर्टिफिकेट, शपथ पत्र आदि तमाम लीगल फॉर्मेलिटिज़ करने पर ही रुपए मिल पाते हैं.
इंश्योरेंस कंपनियां अपनी वेबसाइट पर हज़ार से ज़्यादा रुपए की रकम का रिकॉर्ड रखती हैं. आप नाम, बर्थ डेट और पॉलिसी नंबर आदि से सर्च कर सकते हैं. यदि वहां पर अनक्लेम अमाउंट दिखाया जा रहा है, तो आप ब्रांच में भी पूछताछ कर सकते हैं और वहां से जानकारी लेकर ज़रूरी डॉक्यूमेंट के साथ क्लेम फॉर्म भरने की प्रक्रिया पूरी करके रकम पा सकते हैं.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया भी अपनी वेबसाइट पर बिना दावेदारीवाली रकम का रिकॉर्ड रखते हैं. ऐसे में आप नाम, बर्थ डेट और पैन नंबर या फिर पासपोर्ट नंबर आदि के माध्यम से सर्च करके पूरी जानकारी ले सकते हैं.
– ऊषा गुप्ता
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