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ज़िंदगी जीने के लिए ज़रूरी है स्पीड पर कंट्रोल (Importance Of Control And Speed In LIfe)

आजकल जिसे देखिए, वह जल्दबाज़ी में नजर आता है. व्यस्तता का आलम यह है कि लोगों को सांस लेने तक की या यूं कहें कि ज़हर खाने तक की फ़ुर्सत नहीं है. रफ़्तार ऐसी मानो ज़िंदगी को जीना ना हो, बल्कि जल्दी से जल्दी बिताना हो. हालात ऐसे हैं कि ज़्यादातर लोग व्यस्त कम, अस्त-व्यस्त ज़्यादा नज़र आते हैं. तेज़ रफ़्तार के कारण सेहत का संतुलन इस कदर बिगड़ चुका है कि जनसंख्या का बड़ा भाग हार्ट डिजीज़, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़ और मोटापा जैसी लाइफस्टाइल बीमारियों की चपेट में है और मानसिक बीमारियों जैसे डिप्रेशन, एंग्ज़ायटी और स्ट्रेस से ग्रस्त हो चुका है. इन दिनों दुनियाभर के लाइफ कोच, समाजशास्त्री, मनोविज्ञानी और व्यवहार विशेषज्ञ ख़ुशहाल और संतुष्ट जीवन के लिए रफ़्तार की बजाय संतुलन साधने की सलाह दे रहे हैं.


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अच्छी है पटरिंगं
पटरिंग यानी धीमी गति से बेपरवाह होकर एवं आराम से पसंदीदा एक्टिविटीज़ में समय व्यतीत करना. दुनिया के सबसे अमीर लोगों में शुमार अमेजॉन के चीफ एग्ज़ीक्यूटिव जेफ बेजोस ने अपनी लेटेस्ट बुक इन्वेंट एंड वांडर: द कलेक्टेड राइटिंग ऑफ जेफ बेजोस में लिखा है कि वह अपने दिन की शुरुआत पटरिंग से करते हैं. सुबह रिलैक्स मूड में रहते हैं. कोई जल्दी नहीं, कोई हड़बड़ी नहीं. वे लिखते हैं, मैं अख़बार पढ़ना पसंद करता हूं. कॉफी पीता हूं. आराम से बच्चों के साथ ब्रेकफास्ट करता हूं. रात को आठ घंटे की नींद मेरा रूटीन है. इससे मुझे सही ढंग से सोचने, मूड अच्छा रखने और एनर्जी लेवल ऊंचा रखने में मदद मिलती है. मेरा वर्किंग समय सुबह दस बजे से शुरू होता है. जल्दी सोना और जल्दी जागना मेरी आदत है. आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि रात को सोने से पहले जैफ बेजॉस और बिल गेट्स जैसे अमीर लोग अपने खाने के बर्तन ख़ुद धोकर रखते हैं.

क्रिएटिविटी बूस्ट करे धीमी रफ़्तार
अब तक ऐसे कई अध्ययन हो चुके हैं, जिनमें पाया गया कि कम रफ़्तार और रिलैक्सिंग मोड में दिन का कुछ समय बिताया जाए, तो क्रिएटिविटी बूस्ट होती है और सही तरीक़े से महत्वपूर्ण निर्णय लेने में मदद मिलती है. फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि गुनगुने पानी और साबुन की सुगंध ब्रेन को स्टीमुलेट करती है, जिससे स्ट्रेस लेवल कम होता है. डिश वॉशिंग के दौरान भी यह फ़ायदा मिलता है. लेकिन फ़ायदा तभी मिलता है, जब आप इस काम में ही अपना ध्यान रखें ना कि कहीं दूसरी जगह. दुनिया के कई सफलतम लोगों पर किए गए अध्ययनों से मिले नतीजे बताते हैं कि नियमित रूटीन और पसंदीदा एक्टिविटीज़ में इन्वॉल्व होना, रिलैक्स मूड में होना उनकी सफलता का मंत्र है. ज़्यादातर सफल और ख़ुशहाल लोगों ने अपना समय परिवार के साथ बिताने, अच्छी तरह नींद लेने, एक्सरसाइज़, मेडिटेशन, अवेयरनेस और पटरिंग से ख़ुशी और सुकून मिलने की बात की. उनका कहना था कि संतुलित और ग्राउंडेड ज़िंदगी बहुत ज़रूरी है.


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धीमी शुरुआत से बढ़े प्रोडक्टिविटी
एरियल करियर्स के मारे मार्केटिंग डायरेक्टर स्टीवन मैक कोनेल का कहना है कि इंसानी दिमाग़ किसी कंप्यूटर जैसा है जिसे समय-समय पर रिबूट करना ज़रूरी है. यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास में रॉबर्ट ड्यूक की अगुवाई में शोधकर्ताओं के एक समूह ने अपने अध्ययन में पाया कि स्लो डाउन एक स्ट्रेटजी है, जो ब्रेन को रिफ्रेश करती है. ब्रेन को ब्रेक देने या स्लो मूवमेंट के दौरान ताज़गी मिलती है, सोचने का ज़्यादा वक़्त मिलता है और डिसीजन मेकिंग ज़्यादा अच्छी होती है, जिससे ग़लतियां होने की संभावना कम रहती है. इससे पहले यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सहित अन्य शोधकर्ताओं ने पाया कि दिन की धीमी शुरूआत से प्रोडक्टिविटी और एनर्जी लेवल बढ़ता है. जब आप रिलैक्स मूड में रहते हैं, तो महत्वपूर्ण कामों पर ज़्यादा फोकस कर सकते हैं. एक काम से दूसरे काम की तरफ़ आसानी से शिफ्ट कर सकते हैं.

कुदरत से सीखें संतुलन
हम हमेशा सब कुछ जल्दी हासिल करने में लगे रहते हैं. कभी अतीत को लेकर तो कभी भविष्य को लेकर हमेशा परेशान रहते हैं. हम ज़्यादा सफलता, ज़्यादा धन, ज़्यादा आराम, ज़्यादा शोहरत और ज़्यादा खुशी जल्दी से जल्दी पाने के फेर में हमेशा असंतुष्ट रहते हैं. यह असंतुष्टि और हड़बड़ी हमारे दिमाग़, पाचन प्रणाली, इम्यूनिटी सिस्टम और ओवरऑल हेल्थ पर नकारात्मक प्रभाव डालती है.


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लेकिन क्या आपने कभी कुदरत को ऐसा करते देखा है? कुदरत हमेशा वर्तमान में रहती है. धीमी रफ़्तार के बावजूद उसे सब कुछ हासिल होता है. बीज ज़मीन में दबा रहकर अपने अंकुरित होने का इंतज़ार करता है. बाहर आकर सूरज की रोशनी और बादलों के पानी का इंतज़ार करता है. उनसे खुराक हासिल करते हुए वह धीरे-धीरे बड़ा होता है. फूल और फल आने का इंतज़ार करता है और वक़्त आने पर सब कुछ हासिल कर लेता है. इसी प्रकार हमें ज़्यादातर समय अपनी बेहतरी की स्ट्रेटजी बनाने, अपना बौद्धिक कौशल बढ़ाने में और सेहत को दुरुस्त रखने में बिताना चाहिए, ताकि हम ख़ुद को सफलता हासिल करने के काबिल बना सकें. सफलता सिर्फ़ चाहने या जल्दबाज़ी से नहीं, बल्कि कुछ करने से मिलेगी.

– शिखर चंद जैन

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Usha Gupta

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