हम सभी चाहते हैं हमारे रिश्तों की उम्र लंबी हो और उसके लिए कोशिश भी करते हैं, लेकिन यह कोशिश एक तरफ़ा हो तो थोड़ा रुकें, सोचें और चीज़ों को बदलें!
ऐसा नहीं होना चाहिए कि रिश्तों में आप वन वे ट्रैफ़िक चाहती रहें और बाक़ियों को इसका ख़याल तक ना आए. इसलिए खुद को परखें इन पहलुओं पर…
क्या आपको सब कैज़ुअली लेते हैं?
बच्चों से लेकर बड़े तक आपके लिए यही धारणा बनाए हुए हैं कि ये जो भी करती है ये तो इसका रुटीन है, इसका फ़र्ज़ है, ज़िम्मेदारी है और वो आपको काफ़ी हल्के में लेने लगते हैं. ना आपके प्रयासों की कभी सराहना होती और ना ही वो सम्मान मिलता. आप हर किसी के ग़ुस्से, फ्रस्ट्रेशन और स्ट्रेस का शिकार होती हैं. आप सबको खाना परोसती हैं लेकिन आपने कब खाया, कितना खाया इसका ख़याल किसी को नहीं आता.
क्या घर से जुड़े बड़े निर्णयों में आपकी राय नहीं ली जाती?
अगर ऐसा है तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए. अक्सर पति या घर के अन्य सदस्य भी यही सोचते हैं कि पैसों, सम्पत्ति, ज़मीन या अन्य बड़े लेन देन में सारे निर्णय लेने का हक़ उन्हीं का है, भला पत्नी या घर की महिलाओं का इसमें क्या रोल. वो मानकर चलते हैं कि महिलाओं का काम सिर्फ़ घर के काम और रिश्तों की देखभाल तक ही सीमित होते हैं. उन्हें इतनी समझ ही नहीं कि वो कोई राय दे सकें इसलिए आपसे राय तक नहीं ली जाती.
क्या आपकी छोटी-मोटी ग़लतियों की कोई माफ़ी नहीं?
आपसे कहीं कोई चूक हो जाए हल्की सी भी, जैसे- कभी रोटी जल गई या सब्ज़ी में नमक कम-ज़्यादा हो गया तो हर कोई आपकी गलती पर बिना बोले नहीं रहता. आपको एहसास कराया जाता है कि आज खाना अच्छा नहीं बना, कोई भी यह नहीं सोचता कि आप भी इंसान हैं और गलती तो आपसे भी हो सकती है. उल्टा आपको यह एहसास कराया जाता हेर कि आपको कोई काम ठीक से नहीं आता.
आपको बराबरी का दर्जा तो दूर, पार्टनर ने मनचाहा प्यार और सम्मान भी नहीं मिलता!
पार्टनर की सोच भी यही होती है कि मेरी पत्नी का काम मेरी सेवा करना है तो भला इसके बदले वो क्यों कुछ चाहेगी… जबकि हर पत्नी चाहती है कि उसका पति ना सिर्फ़ उससे प्यार करे बल्कि उसे सम्मान और समानता की नज़र से भी देखे. कुछ स्पेशल करे, डिनर या मूवी पर ले जाए.
लेकिन इसकी बजाय क्या पति सिर्फ़ सेक्स की ज़रूरत पूरी करने के लिए ही आपके क़रीब आता है? और आप बिना शिकायत यह करती भी हैं तो आप एक तरफ़ा रिश्ते में ही हैं.
आपके स्वास्थ्य और पैसों की ज़रूरतों को नज़रअंदाज़ किया जाता है?
आप बीमार हो जाती हो तो सबको तकलीफ़ तो होती है लेकिन वो तकलीफ़ इस बात की होती है कि आपके बीमार होने से उन्हें असुविधा होने लगती है, इसलिए ऐसा नहीं है कि वो आपकी फ़िक्र के चलते चाहते हैं कि आप जल्दी ठीक हो जाओ बल्कि वो चाहते हैं कि उन्हें वक़्त पर खाना, कपड़े और बाक़ी चीज़ें मिलती रहें इसलिए आपका जल्दी ठीक होना ज़रूरी है. सिर्फ़ स्वास्थ्य ही नहीं आपके पैसों की ज़रूरतों को भी नज़रअंदाज़ किया जाता है और पैसों के कम-ज़्यादा खर्च होने व पैसे माँगने का कारण व हिसाब भी मांगा जाता है.
क्या करें अगर आपका रिश्ता ऐसा है तो?
अगर इन करणों से आप रिश्तों में घुटन, तनाव और खुद को ठगा हुआ सा महसूस करती हैं तो आप वन वे ट्रैफ़िक ही चला रही हैं, बेहतर होगा इन सब पर बात करें और परिस्थिति को बदलें. अगर आप अपने रिश्ते में एक तरफ़ा गाड़ी चला रही हैं तो इसे बदलने के बारे में ज़रूर सोचें!
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