कंगना अपने बेबाक बयानबाजी के लिए जानी जाती हैं. हाल ही में उन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन से जुड़ी कई सनसनीखेज बातों का खुलासा किया. जहां उन्होंने अपने पहले किस, पहला क्रश व सेक्स के बारे में बिंदास अंदाज़ में बताया, वहीं सेक्स की खुलकर पैरवी भी की.
कंगना को 14-15 साल की उम्र में जब वे नौवीं क्लास में थीं, तब अपने टीचर से ही प्यार हो गया था. वह उनका पहला क्रश था. वे हमेशा टीचर को लेकर इमेजिन करती थीं. टीचर के ख़्यालों में खोई रहती थीं. उन दिनों चांद छुपा बादल में… गाना बहुत मशहूर हुआ था. वह उस गाने में साथी के रूप में अपने टीचर की कल्पना करती थीं.
कंगना ने अपने किस को लेकर बड़े ही अजीबोगरीब तरीक़े से विस्तार से बताया. उनके अनुसार, उनका पहला जो किस था वह बहुत ही ख़राब था. वे अपने होंठों को हिला नहीं पा रही थीं. पहले किस में ही वे चूक गईं और अनाड़ी साबित हुईं.
अपनी सहेली के साथ उसके बॉयफ्रेंड से मुलाकात, फिर उसके दोस्त के साथ सेक्स, तब वे जहां 16-17 साल की थीं, वहीं वो दोस्त 28 साल.. उनके संबंध बनना, लड़के का अलग होना, कंगना की मिन्नतें ना जाने कितना कुछ कंगना बताती चली गईं, बिना किसी संकोच, हिचक के…
इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि जब उनके माता-पिता उनकी बेटी की इन सब हरकतों का पता चला, तब दोनों ही हैरान रह गए थे. काफ़ी सदमे में आ गए थे. कंगना ने इस बात को लेकर भी ज़ोर दिया कि बच्चों को सेक्स के बारे में जानकारी देनी चाहिए. साथ ही उन्हें एक ही पार्टनर के साथ सेक्स करने की सलाह भी देनी चाहिए.
कंगना का कहना है कि पहले शादियां 12-14 साल की छोटी उम्र में हो जाती थी. तब सेक्स पार्टनर सही समय पर मिल जाते थे, पर अब शादियां देरी से होती हैं, क़रीब 25-30 में. ऐसे में शरीर सेक्सुअल काफ़ी ऐक्टिव हो जाता है. हार्मोंस बदलते हैं… ऐसे में अगर आपने अपने लिए सेक्स पार्टनर चुन लिए हैं, तो कोई ग़लत नहीं किया है.. ना ही इसमें कोई हर्ज है…
बात रिश्तो की हो, प्यार की हो, किस या सेक्स की, सभी की अपनी मर्यादा और ख़ूबसूरती होती है. हर व्यक्ति इन सब बातों को अलग ढंग से सोचता है. सेक्स एजुकेशन देना अच्छी बात है, पर सेक्स को लेकर एकदम खुलापन यह भी ठीक नहीं है. कंगना की राय से काफ़ी लोग सहमत ना होंगे, पर हम पाठकों से पूछना चाहते हैं कि सेक्स एजुकेशन को लेकर उनकी क्या राय है… वे क्या कहना चाहते हैं कि हमें इसे शिक्षा के सिलेबस में शामिल करना चाहिए कि नहीं. जिस तरह आए दिन छेड़खानी, बलात्कार की घटनाएं होती हैं, कहीं ना कहीं सेक्स की अधूरी जानकारी या गुमराह होते बच्चों, युवाओं को सेक्स को लेकर ग़लत सोच तो ज़िम्मेदार नहीं है.
आपसे गुज़ारिश है कि इस पर स्पष्ट और बेबाक राय दें. बताएं कि आख़िर सेक्स को लेकर इतनी शर्मिंदगी, डर-छुपाव क्यों है? आखिर क्यों नहीं हम इसे लेकर जागरूक होते हैं. उस पर खुलकर बात करते हैं. कंगना ने अपनी बात कही थोड़े अलग ढंग से, पर उसमें सच्चाई भी बहुत कुछ है. हम सभी को इस बारे में गंभीरता से सोचना होगा और एक सार्थक पहल करनी होगी…
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