मॉल और अर्बन लाइफ स्टाइल से दूर बच्चों को कुछ और घुमाना और दिखाना चाहते हैं, तो उन्हें नेचर के क़रीब ले जाएं. टीवी और बुक में दिखने वाले जानवरों और पंछियों से उनकी मुलाक़ात कराएं. मॉडर्न लाइफ स्टाइल को फॉलो करते-करते हम प्रकृति और उसकी बनाई तमाम ख़ूबसूरत चीज़ों से महरूम होते जा रहे हैं. ऐसे में आने वाली पीढ़ी का नेचर के प्रति लगाव कम होता जा रहा है. कहीं आपके बच्चों के साथ भी कुछ ऐसा ही तो नहीं हो रहा. फैमिली ट्रिप को और भी मज़ेदार बनाने के लिए करें दुनिया के कुछ चुनिंदा ज़ू की सैर.
मैसूर ज़ू देश का सबसे पुराना और प्रसिद्ध ज़ू है. 157 एकड़ में बना ये ज़ू मैसूर पैलेस के पास ही स्थित है. 1892 में यह बनकर तैयार हुआ. पहले इसे पैलेस ज़ू भी कहते थे. राजा चामाराजेंद्र ने इसे बनवाया. इसलिए इसे चामाराजेंद्र ज़ूलोजिकल गार्डन भी कहते हैं. शुरुआत में स़िर्फ रॉयल फैमिली के लोग ही इस ज़ू में जाते थे, लेकिन 1902 में इसे आम लोगों के लिए खोला गया. झूले पर बैठकर आराम फरमाता गोरिल्ला, अफ्रिकन एलिफैंट, ज़ेब्रा, जिराफ आदि के साथ हज़ारों जीव-जंतुओं, पंछियों से ये ज़ू भरा है. ज़ू के अंदर जगह-जगह बैठने के लिए कुर्सियां लगाई गई हैं. हैंडिकैप लोगों के लिए व्हील चेयर की भी व्यवस्था है. बच्चों के खेलने के लिए ज़ू के अंदर सुंदर पार्क भी है. इसके साथ ही रेस्ट रूम, कैफेटेरिया आदि की भी व्यवस्था है.
कैसे जाएं?
फ्लाइट, ट्रेन, बस, कार के माध्यम से आप मैसूर पहुंच सकते हैं. मैसूर रेल्वे स्टेशन से मैसूर ज़ू की दूरी स़िर्फ 3 किलोमीटर है.
मैसूर ज़ू में संडे और दूसरे नेशनल हॉलिडे
पर पैलेस बैंड ऑर्केस्ट्रा के माध्यम से
पर्यटकों का मनोरंजन किया जाता
है. इस बैंड के माध्यम से भारतीय
संस्कृति और सभ्यता की एक
झलक भी पर्यटकों को
दिखायी जाता है.
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हैदराबाद में मीर आलम टैंक के पास स्थित नेहरू ज़ूलोजिकल पार्क 26 अक्टूबर 1959 को बनकर तैयार हुआ. 6 अक्टूबर 1963 को इसे आम लोगों के लिए खोला गया. 380 एकड़ में बने इस ज़ू को हैदराबाद ज़ू के नाम से भी जाना जाता है. पक्षियों की 100 से भी ज़्यादा प्रजातियां और 1100 जानवरों से भरा ये ज़ू पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है. ज़ू के अंदर सफारी ट्रिप भी सैलानियों को ख़ूब भाती है.
कैसे जाएं?
प्लेन, ट्रेन, बस के माध्यम से आप हैदराबाद पहुंच सकते हैं. उसके बाद वहां के लोकल वेहिकल से आप ज़ू तक पहुंच सकते हैं.
ज़ू का पूरा लुत्फ़ उठाने के लिए टॉय ट्रेन, सफारी ट्रिप,
चिल्ड्रेन पार्क, जुरासिक पार्क, बटरफ्लाई पार्क,
अक्वेरियम, म्यूज़ियम, बोटिंक आदि की
व्यवस्था भी है.
यूरोप के बेहतरीन और सबसे ज़्यादा पसंद किए जाने वाले में से ये एक है. यहां पर सालभर पर्यटकों की भीड़ रहती है. 1844 में बना ये जर्मनी का पहला ज़ू है. 84 एकड़ में फैले इस ज़ू में 20 हज़ार से ज़्यादा जानवर आपको देखने को मिलेंगे. तरह-तरह के पक्षी, मछलियां आदि यहां के मुख्य आकर्षण के केंद्र हैं. खुले आसमान के नीचे अपनी फैमिली के साथ आराम फरमाते जानवरों को देखना आपके बच्चों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं होगा.
कैसे जाएं?
मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता आदि जगहों से आप सीधे जर्मनी के लिए उड़ान भर सकते हैं. जर्मनी पहुंचने के बाद बर्लिन ज़ूलोजिकल गार्डन ज़ू रेल्वे स्टेशन से आप वहां के प्राइवेट वेहिकल से ज़ू तक पहुंच सकते हैं.
जिस दिन ज़ू का प्लान बनाएं उस दिन किसी
और जगह घूमने का प्लान न बनाएं. ज़ू
के खुलने के समय से देर शाम तक
बच्चों के साथ यहां पर
समय बिताएं.
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कनाडा के सबसे बड़े शहर टोरंटो में स्थित टोरंटो ज़ू दुनिया के बड़े ज़ू में से एक है. 5000 से ज़्यादा जानवर और पक्षियों की 500 से ज़्यादा प्रजातियां इस ज़ू के मुख्य आकर्षण हैं. 15 अगस्त 1974 को इसे कनाडा वासियों के लिए खोला गया. दुनियाभर के सैलानी यहां पर दुनियाभर के जानवरों, पक्षियों और दूसरे जीवों को देखने आते हैं. टोरंटो ज़ू की सबसे बड़ी ख़ासियत ये है कि यहां पर पूरी दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से आए पशु-पक्षी पर्यटकों को देखने को मिलते हैं.
कैसे जाएं?
मुंबई, चेन्नई, दिल्ली, बैंग्लोर जैसे महानगरों से आप फ्लाइट के माध्यम से टोरंटो पहुंच सकते हैं. टोरंटो पहुंचने के बाद आप वहां के लोकल वेहिकल से ज़ू तक पहुंच सकते हैं.
टोरंटो ज़ू सात अलग-अलग भागों में बटा है. इंडो-मलया, अफ्रिका,
कनेडियन डोमेन, अमेरिकाज़, ऑस्ट्रेले़शिया, यूरेशिया, टुंड्रा-ट्रेक
और डिस्कवरी ज़ोन. हर भाग में उस जगह के जानवर और
पेड़-पौधों को पर्यटक देख सकते हैं. ये नज़ारा आपको
दुनिया के किसी और ज़ू में नहीं मिलेगा.
स्मार्ट टिप्स
– ज़ू घूमते समय जल्दबाज़ी में न रहें, लेकिन एक ही जगह बहुत ज़्यादा समय भी न बिताएं.
– ज़ू में घूसते ही बोर्ड पर लिखे निर्देश को ज़रूर पढ़ें. उसके बाद ही अपनी यात्रा शुरू करें. इससे आप ज़ू के नियम से भलीभांति परिचित हो जाएंगे.
– धूप से बचने के लिए हैट और गॉगल्स ले जाना न भूलें. कपड़े और जूतों का सही चुनाव करें.
– अपने पास हेल्दी स्नैक्स और पीने के लिए पानी, जूस आदि ज़रूर रखें.
– ज़ू के हर एक क्षण को ़कैद करने के लिए कैमरा ज़रूर ले जाएं.
– ज़ू जाने से पहले निर्धारित कर लें कि आपको क्या देखना है.
– जल्दबाज़ीं में फोटोग्राफी करने की बजाय स्पेशल मोमेंट का इंतज़ार करें.
– जानवरों को देखते समय उसके बारे में जो लिखा है, वो अपने बच्चों को पढ़कर ज़रूर सुनाएं. बच्चों को अकेला न छोड़ें.
– किसी भी जानवर को देखने के लिए जितनी दूरी निर्धारित की गई है, उसका पालन करें. इससे किसी भी तरह की दुर्घटना से आप दूर रहेंगे. ज़ू के किसी भी जानवर या दूसरे जीवों से छेड़छाड़ न करें.
– अपनी पूरी ट्रिप को टुकड़ों में बांटे. समय-समय पर ब्रेक लें. इससे थकान भी मिट जाएगी और आप पूरे ज़ू का लुत्फ़ भी उठा सकेंगे.
– श्वेता सिंह
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