काफ़ी समय पहले एक गांव में एक किसान अपनी पत्नी के साथ रहता था. किसान बूढ़ा था, लेकिन उसकी पत्नी जवान थी और इसी वजह से किसान की पत्नी अपने पति से खुश नहीं थी. वो हमेशा दुखी रहती थी, क्योंकि उसके मन में एक युवा साथी का सपना पल रहा था. यही वजह थी कि वो हमेशा बाहर घूमती रहती थी.
उसकी मन की दशा एक ठग भांप गया और वो उस महिला का पीछा करने लगा और एक दिन उस ठग को मौक़ा मिल ही गया. उसने किसान की पत्नी को ठगने के इरादे से एक झूठी कहानी सुनाई. ठग ने कहा- मेरी पत्नी का देहांत हो चुका है और अब मैं अकेला हूं. मैं तुम्हारी सुंदरता पर मोहित हो गया हूं. मैं तुम्हारे साथ ही जीवन यापन करना चाहता हूं और तुम्हें अपने साथ शहर ले जाना चाहता हूं.
किसान की पत्नी यह सुनते ही खुश हो गई. वो तैयार हो गई और झट से बोली- मैं तुम्हारे साथ चलूंगी, लेकिन मेरे पति के पास बहुत धन है. पहले मैं उसे ले आती हूं. उन पैसों से हमारा भविष्य सुरक्षित होगा और हम जीवनभर आराम से रहेंगे. यह सुनकर चोर ने कहा कि ठीक है तुम जाओ और कल सुबह इसी जगह आना मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा.
किसान की पत्नी ने सारी तैयारी कर ली. जब उसने देखा कि पति गहरी नींद में है तो उसने सारे गहने और पैसों को पोटली में बांधा और ठग के पास चली गई. दोनों दूसरे शहर की ओर निकल गए. इसी बीच ठग के मन में बार बार यही विचार आता रहा कि इस महिला को साथ ले जाने में ख़तरा है, कहीं इसका पति इसे खोजते हुए पीछे ना आ जाए और मुझ तक पहुंच गया तो ये सारा धन भी हाथ से जाएगा.
ठग अब उस महिला से पीछा छुड़ाने का उपाय सोचने लगा. तभी रास्ते में एक नदी मिली. नदी को देखते ही ठग को एक तरकीब सूझी और वह महिला से बोला- यह नदी काफ़ी गहरी है, इसलिए इसे मैं तुम्हें पार करवाऊंगा, लेकिन पहले मैं यह पोटली नदी के उस पार रखूंगा फिर तुम्हें साथ ले जाऊंगा, क्योंकि दोनों को साथ ले जाना संभव नहीं. महिला ने ठग पर ज़रा भी शक नहीं किया और वो फ़ौरन मान गई, उसने कहा- हां, ऐसा करना ठीक रहेगा. इसके अलावा ठग ने महिला के पहने हुए गहने भी उतरवा के पोटली में रख लिए, उसने कहा भारी ज़ेवरों के साथ नदी पार करने में बाधा हो सकती है.
बस फिर क्या था, ठग मन ही मन खुश हुआ और पोटली में बंधा धन लेकर नदी के पार चला गया. किसान की पत्नी उसके लौटने का इंतजार करती रही, लेकिन वो फिर कभी लौटकर नहीं आया. किसान की पत्नी को अपनी बेवक़ूफ़ी पर रोना आने लगा, लेकिन बहुत देर हो चुकी थी. पैसे भी गए, इज़्ज़त भी गई और वो कहीं की ना रही.
सीख : ग़लत कर्मों और धोखेबाज़ी का फल हमेशा बुरा ही होता है. रिश्तों में ईमानदारी ही सबसे बड़ी पूंजी और ख़ुशी होती है. जो जैसा बोता है, वैसा ही काटता है, जैसी करनी वैसी भरनी!
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