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प्लास्टिक पॉल्यूशन: कैसे बचाएं ख़ुद को? (Plastic Pollution: Causes, Effects And Solutions)

प्लास्टिक पॉल्यूशन: कैसे बचाएं ख़ुद को? (Plastic Pollution: Causes, Effects And Solutions)

यह माना कि प्लास्टिक ने हमारी ज़िंदगी आसान बना दी है. पिछले दशक में प्लास्टिक ने हमारे रोज़मर्रा के जीवन में इतनी घुसपैठ की है कि उसके बिना अब हमें अपना जीवन अकल्पनीय लगने लगा है, लेकिन जब प्लास्टिक नहीं था, तब भी तो हमारा काम चलता ही था… पर आज बिना प्लास्टिक के हम ख़ुद को अधूरा-सा महसूस करते हैं. बच्चों के टिफिन, वॉटर बॉटल से लेकर हमारे ऑफिस तक का खाना व पानी प्लास्टिक में ही रहता है, क्योंकि प्लास्टिक लाइट वेट, अनब्रेकेबल और सुविधाजनक लगता है.

लेकिन प्लास्टिक की इस सुविधा की हमें बड़ी क़ीमत भी अब चुकानी पड़ रही है, क्योंकि प्लास्टिक अब हमारी सेहत को बुरी तरह प्रभावित करने लगा है. जी हां, पहले भी कई शोधों में यह बात साबित हो चुकी है और अब एक चौंकानेवाला अध्ययन यह कहता है कि हम हर हफ़्ते एक क्रेडिट कार्ड जितना प्लास्टिक खाते हैं.

क्या कहता है शोध?

  • यह स्टडी कहती है कि आप खाने के ज़रिए, पानी के ज़रिए और यहां तक कि सांस के ज़रिए भी लगभग 2,000 प्लास्टिक के कण अपने शरीर में हर हफ़्ते लेते हैं, जो एक क्रेडिट कार्ड के वज़न के बराबर है.
  • हवा और पानी से लेकर हमारा भोजन तक प्लास्टिक की चपेट में है. समुद्री जीवन को भी प्लास्टिक का यह प्रदूषण बुरी तरह प्रभावित कर रहा है. इसी तरह से हमारी सेहत भी इसके प्रभाव से अछूती नहीं है.
  • स्टडी कहती है कि अधिकांश प्लास्टिक पीने के पानी के ज़रिए हमारे शरीर में प्रवेश करता है, इसके अलावा सी फूड और नमक के ज़रिए भी यह हमारे शरीर में आता है.
  • प्लास्टिक का यह ज़हर माइक्रोप्लास्टिक्स से आता है. माइक्रोप्लास्टिक का मतलब है, प्लास्टिक के वो कण जो 5 मिलीमीटर से छोटे होते हैं.

प्लास्टिक का कचरा है सबसे बड़ी चुनौती…

पर्यावरण विद्वानों के लिए प्लास्टिक के कचरे से निपटना सबसे बड़ी चुनौती है, क्योंकि हम अधिकांश प्लास्टिक एक बार इस्तेमाल करके फेंक देते हैं, जो पर्यावरण को दूषित करता है और पानी व खाने के ज़रिए हमारे शरीर में पहुंचता है.

प्लास्टिक को नष्ट करना बेहद मुश्किल काम है.  इसे नष्ट होने में हज़ारों साल लग जाते हैं. यदि प्लास्टिक को ज़मीन में दबाया जाता है, तो वह पानी के स्रोतों के ज़रिए हम तक पहुंच ही जाता है और यदि प्लास्टिक को जलाया जाता है, तो उससे ज़हरीले केमिकल्स निकलते हैं, जो हमारे साथ-साथ पूरे पर्यावरण के लिए हानिकारक होते हैं.

  • आपकी कोशिश यह होनी चाहिए कि प्लास्टिक  को इस्तेमाल करने के बाद रिसाइकल सेंटर भेज सकें.
  • ख़ुद प्लास्टिक को नष्ट करने का प्रयास न करें.

स्वास्थ्य को किस तरह नुक़सान पहुंचाता है प्लास्टिक?

  • जैसा कि हम पहले भी चर्चा कर चुके हैं कि प्लास्टिक हर जगह है और यह सभी स्रोतों से हमारे शरीर में पहुंच ही रहा है.
  • पानी की बोतल से लेकर प्लास्टिक के टिफिन्स, मसाला स्टोर करने के बर्तनों से लेकर माइक्रोवेव तक में अब प्लास्टिक ही यूज़ होता है.
  • यही वजह है कि प्लास्टिक के अंश हम सभी के, जी हां, हम सभी के रक्त से लेकर टिश्यूज़ तक में पाए जाते हैं.
  • लेकिन हार्ड प्लास्टिक में बीपीए होता है, जो एक तरह का टॉक्सिन है.
  • वैज्ञानिकों ने पाया है कि बीपीए का संबंध कैंसर, बर्थ डिफेक्ट्स, इम्यून फंक्शन्स में गड़बड़ी, अर्ली प्यूबर्टी, ओबेसिटी, डायबिटीज़ और हाइपर एक्टिविटी जैसी समस्याओं से है.
  • आजकल मार्केट में माइक्रोवेव सेफ प्लास्टिक आसानी से मिलते हैं, लेकिन माइक्रोवेव में प्लास्टिक का इस्तेमाल न ही करें, तो बेहतर होगा, यहां तक कि माइक्रोवेव सेफ प्लासिक के बर्तन भी नहीं.
  • इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि माइक्रोवेव सेफ का मतलब स़िर्फ यह होता है कि प्लास्टिक मेल्ट नहीं होगा, लेकिन बहुत ज़्यादा हीट की वजह से केमिकल्स ट्रांसफर तेज़ी से होते हैं.
  • एसिडिक फूड प्लास्टिक में स्टोर न करें, क्योंकि वो रिएक्ट कर सकते हैं.
  • इसी तरह से फैटी और ग्रीसी फूड भी प्लास्टिक में स्टोर करना अवॉइड करें.
  • बहुत पुराने, बहुत ज़्यादा यूज़ किए हुए, स्क्रैच पड़े हुए या टूटे-फूटे प्लास्टिक का इस्तेमाल न करें.
  • हार्ड प्लास्टिक मेलामाइन डिशेज़ का भी इस्तेमाल अवॉइड करें, क्योंकि ये मेलामाइन केमिकल को फॉर्मलडिहाइड के साथ मिलाने से बनता है, जो कैंसरस माना जाता है.
  • एक अन्य रिसर्च यह कहता है कि बीपीए फ्री प्लास्टिक में भी सिंथेटिक केमिकल्स होते हैं, जो खाने में जा सकते हैं.
  • हां, अगर फिर भी आपको प्लास्टिक का इस्तेमाल करना ही है, तो कोशिश करें कि वो बीपीए फ्री और पीवीसी फ्री प्लास्टिक हो.

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कुकिंग व स्टोरेज के लिए सेफ ऑप्शन

  • प्लास्टिक जितना हो सके, कम यूज़ करें.
  • अगर प्लास्टिक कंटेनर्स को स्टोरेज के लिए यूज़ करते हैं, तो इस बात का ज़रूर ध्यान रखें कि स्टोर करने से पहले खाना पूरी तरह से ठंडा हो. उसके बाद उसे फ्रिज में रख दें.
  • प्लास्टिक के उन बर्तनों को माइक्रोवेव में बिल्कुल भी यूज़ न करें, जिन पर माइक्रोसेफ का टैग या लेबल न लगा हो.
  • स्टोरेज के लिए ऐसे बर्तनों को चुनें, जिनमें केमिकल्स का रिसाव व केमिकल रिएक्शन न होता हो.
  • मिट्टी व लोहे के बर्तन सबसे सेफ और हेल्दी होते हैं. आयरन वैसे भी शरीर में रेड ब्लड सेल्स के निर्माण के लिए बहुत ज़रूरी है. ऐसे में आयरन के बर्तन हेल्दी ऑप्शन हैं, लेकिन इसकी अधिकता भी ख़तरनाक हो सकती है.
  • ]स्टेनलेस स्टील, ग्लास, आयरन या सिरामिक भी एक तरह से सेफ माने गए हैं.
  • इसी तरह से सिलिकॉन कुकवेयर भी आजकल काफ़ी पॉप्युलर हो रहे हैं. फूड ग्रेड सिलिकॉन कुकवेयर के कोई साइड इफेक्ट्स नहीं देखे गए. न तो यह खाने के साथ रिएक्ट करता है, न ही इसके धुएं से कोई हानि होती है.
  • ये दरअसल सिंथेटिक रबर होता है, जिसमें बॉन्डेड सिलिकॉन (प्राकृतिक तत्व, जो रेत और पत्थरों में प्रचुर मात्रा में होता है) और ऑक्सीजन होता है.

धीरे-धीरे प्लास्टिक फ्री होम व लाइफ बनाएं

  • बर्थडे पार्टीज़ में इस्तेमाल होनेवाले प्लास्टिक ग्लास व प्लेट्स, सब्ज़ियों के लिए कैरी बैग्स, फ्रिज की बॉटल्स व स्टोरेज के बर्तन आदि को नॉन प्लास्टिक से रिप्लेस करें.
  • कपड़े के कैरी बैग्स यूज़ करें.
  • स्टोरेज के लिए स्टील व कांच के बर्तनों का इस्तेमाल करें.
  • यदि प्लास्टिक यूज़ भी कर रहे हैं, तो ऐसे प्लास्टिक का प्रकार यूज़ करें, जो आसानी से रिसाइकिल हो सके.
  • पॉलिथीन का प्रयोग बंद ही कर दें. इनको रिसाइकिल नहीं किया जा सकता है और यह पर्यावरण व स्वास्थ्य को बहुत अधिक नुक़सान पहुंचाते हैं.
  • दूसरों को भी जागरूक करें, ताकि प्लास्टिक का इस्तेमाल कम हो.
  • बच्चों को भी प्लास्टिक के टिफिन व बॉटल्स की जगह स्टील या अन्य मेटल के बर्तनों में खाना व पानी दें.
  • आप ख़ुद भी यही करें.
  • प्लास्टिक के टॉयज़ भी काफ़ी नुक़सान पहुंचाते हैं और छोटे बच्चे इन्हें अक्सर मुंह में डालते हैं, जो उनके लिए हानिकारक होते हैं.
  • बेहतर होगा कि उनकी जगह अन्य मटेरियल के टॉयज़ यूज़ करें.
  • हार्ड प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम कर दें.
  • मिनरल वॉटर या जूस वगैरह की प्लास्टिक की बोतल को यूज़ करने के बाद उन्हें फ्रिज में पानी के स्टोरेज के लिए न रखें.
  • प्लास्टिक के बर्तनों में जो पैक्ड फूड आता है, उन्हें भी अन्य चीज़ों के स्टोरेज के लिए न रख लें.
  • इस तरह यदि आप प्रयास करेंगे, तो धीरे-धीरे प्लास्टिक का प्रयोग कम कर सकेंगे.
  • प्लास्टिक से होनेवाले नुक़सान के बारे में जानकारी इकट्ठी करें और अपने बच्चों को भी उसके बारे में जागरूक करें.

– गीता शर्मा

यह भी पढ़े: गुड मॉर्निंग से पहले ख़ुद से पूछें ये 5 सवाल (5 Inspiring And Motivational Thoughts To Start Your Day)

 

Geeta Sharma

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