दुल्हन बनना हर महिला का ख़्वाब होता है और शादी के बाद हर महिला के जीवन में कई खूबसूरत बदलाव आते हैं… हमारे देश में दुल्हन के श्रृंगार का बहुत महत्व है… दुल्हन के हर श्रृंगार के पीछे एक ख़ास वजह होती है… क्या आप जानते हैं दुल्हन के श्रृंगार के पीछे छिपे ये रहस्य..?
शादी के बाद भारतीय महिलाएं मांग में सिंदूर क्यों भरती हैं?
शादी के बाद भारतीय महिलाएं मांग में सिंदूर क्यों भरती हैं? मांग में सिंदूर भरने के पीछे कौन सी धार्मिक मान्यताएं और क्या वैज्ञानिक रहस्य हैं? भारत में सुहागन स्त्रियों के लिए मांग भरना अनिवार्य क्यों माना जाता है? शादी के समय मांग भरने की रस्म को ख़ास महत्व क्यों दिया जाता है? यदि आप भी इन सवालों के जवाब नहीं जानते, तो हम आपको बता रहे हैं मांग में सिंदूर भरने से जुड़ी मान्यताएं और वैज्ञानिक रहस्य.
1) हमारे देश में सिंदूर को सुहाग का प्रतीक माना जाता है इसलिए शादी के समय वर सिंदूर से वधू की मांग भरता है.
2) सिंदूर सुहागन स्त्रियों के शृंगार में महत्वपूर्ण स्थान रखता है इसलिए शादी के बाद लगभग सभी महिलाएं मांग में सिंदूर भरती हैं.
3) पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती अपने पति शिवजी को बुरी नजर से बचाने के लिए सिंदूर लगाती थीं. इसी तरह माता सीता भी भगवान राम की लंबी उम्र के लिए मांग में सिंदूर लगाती थीं.
4) ऐसी धार्मिक मान्यता है कि मां लक्ष्मी का पृथ्वी पर पांच स्थानों पर वास है, जिसमें से एक स्थान सिर भी है, इसीलिए विवाहित महिलाएं मांग में मां लक्ष्मी का प्रिय सिंदूर भरती हैं, ताकि उनके घर में लक्ष्मी का वास हो और घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहे.
5) शास्त्रों के अनुसार, जो महिलाएं मांग में लंबा सिंदूर लगाती हैं, उनके पति को बहुत मान-सम्मान मिलता है.
6) सिंदूर में पारा जैसी धातु की अधिकता होती है, जिससे चेहरे पर जल्दी झुर्रियां नहीं पड़तीं यानी सिंदूर लगाने से महिलाओं के चेहरे पर बढ़ती उम्र के संकेत जल्दी नज़र नहीं आते और उनका चेहरा ख़ूबसूरत नज़र आता है.
7) सिंदूर लगाने से स्त्री के शरीर में स्थित वैद्युतिक उत्तेजना नियंत्रित रहती है.
8) लाल रंग महिलाओं की ख़ुशी, ताकत, स्वास्थ्य, सुंदरता आदि से सीधे जुड़ा है इसलिए मांग में सिंदूर लगाना सेहत की दृष्टि से भी फायदेमंद है.
9) महिलाएं इस बात का ख़ास ध्यान रखें कि कभी भी किसी दूसरी महिला का सिंदूर न लगाएं और न ही अपना सिंदूर किसी को दें. ऐसा करने से पति का प्यार बंट जाता है.
10) बिना स्नान किए सिंदूर कभी न लगाएं. यदि सिंदूर जमीन पर गिर जाए, तो उसे उठाकर डिब्बी में न भरें. जमीन पर गिरा हुआ सिंदूर लगाना सही नहीं माना जाता.
शादी के बाद महिलाएं बिंदी क्यों लगाती हैं?
दुल्हन के माथे पर सजी बिंदी उसके सुहाग का प्रतीक मानी जाती है. दुल्हन के श्रृंगार और शादी की रस्मों में बिंदी का विशेष महत्व है. शादी के बाद हर भारतीय स्त्री मांग में सिंदूर और माथे पर बिंदी जरूर लगाती है. महिलाओं के श्रृंगार को ध्यान में रखते हुए आजकल मार्केट में बिंदी के कई डिज़ाइन्स उपलब्ध हैं, फिर भी लाल रंग की बिंदी दुल्हन की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है.
* वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार, बिंदी लगाने से महिला का आज्ञा चक्र सक्रिय हो जाता है. यह महिला को आध्यात्मिक बने रहने में तथा आध्यात्मिक ऊर्जा को बनाए रखने में सहायक होता है. बिंदी आज्ञा चक्र को संतुलित कर दुल्हन को ऊर्जावान बनाए रखने में सहायक होती है.
विवाहित महिलाएं मंगलसूत्र क्यों पहनती हैं?
विवाहित महिलाएं मंगलसूत्र क्यों पहनती हैं? ये सवाल कभी न कभी आपके दिमाग में भी ज़रूर आया होगा. भारत में सुहागन स्त्रियां मंगलसूत्र ज़रूर पहनती हैं, ऐसा क्यों है? क्यों शादी के बाद ही महिलाएं मंगलसूत्र पहनती हैं? मंगलसूत्र पहनने के पीछे क्या धार्मिक मान्यता है? क्या मंगलसूत्र पहनने का कोई वैज्ञानिक महत्व भी है? आख़िर भारतीय महिलाएं मंगलसूत्र क्यों पहनती हैं? आपके मन में उठने वाली ऐसी ही तमाम जिज्ञासाओं का समाधान आपको इस लेख में मिलेगा.
मंगलसूत्र पहनने की धार्मिक मान्यता
भारत में विवाह के समय मंगलसूत्र का विशेष महत्व है. शादी की सबसे ज़रूरी रस्म है मंगलसूत्र पहनाने की रस्म. सात फेरों के सात वचन निभाने का संकल्प लेने के साथ ही वर वधु के गले में मंगलसूत्र पहनाता है. इसके बाद ही शादी की रस्म पूरी होती है. भारत में मंगलसूत्र पहनने की धार्मिक मान्यता ये है कि यहां मंगलसूत्र को सुहाग का प्रतीक माना जाता है इसीलिए सभी सुहागन महिलाएं मंगलसूत्र ज़रूर पहनती हैं. ज्योतिष की दृष्टि से देखा जाए, तो ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सोना गुरू के प्रभाव में होता है और गुरु ग्रह वैवाहिक जीवन में खुशहाली, संपत्ति व ज्ञान का प्रतीक माना जाता है. यदि मंगलसूत्र में पिरोए हुए काले मोतियों की बात करें, तो काला रंग शनि का प्रतीक माना जाता है. शनि स्थायित्व तथा निष्ठा का प्रतीक माना जाता है. अतः ऐसा माना जाता है कि मंगलसूत्र के प्रतीक के रूप में गुरु और शनि मिलकर वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि और स्थायित्व लाते हैं.
मंगलसूत्र पहनने का वैज्ञानिक महत्व
मंगलसूत्र पहनने की धार्मिक मान्यता के साथ-साथ मंगलसूत्र पहनने का वैज्ञानिक महत्व भी है. वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो मंगलसूत्र सोने से निर्मित होता है और सोना शरीर में बल व ओज बढ़ानेवाली धातु है, इसलिए ये शारीरिक ऊर्जा का क्षय होने से रोकती है. सोने का मंगलसूत्र पहनने से महिलाओं में शारीरिक ऊर्जा बरकरार रहती है और इससे उनकी सुंदरता भी निखरती है.
विवाहित महिलाएं इसलिए पहनती हैं मंगलसूत्र
शादी के बाद दुल्हन पायल और बिछिया क्यों पहनती है?
पैरों में पहनी जानेवाली पायल चांदी की ही सबसे उत्तम व शुभ मानी जाती है. पायल कभी भी सोने की नहीं होनी चाहिए. शादी के समय मामा द्वारा दुल्हन के पैरों में पायल पहनाई जाती है या ससुराल से देवर की तरफ़ से यह तोहफ़ा अपनी भाभी के लिए भेजा जाता है. इसी तरह हर वैवाहिक महिला पैरों की उंगलियों में बिछिया पहनती है. बिछिया भी चांदी की ही सबसे शुभ मानी गई है.
ये है दुल्हन के पायल और बिछिया पहनने का महत्व
शादी के बाद महिलाएं चूड़ियां क्यों पहनती हैं?
चूड़ियां हर सुहागन का सबसे महत्वपूर्ण श्रृंगार है. शादी के बाद महिलाएं बड़े शौक से चूड़ियां पहनती हैं. महिलाओं के लिए कांच, लाक, सोने, चांदी की चूड़ियां सबसे महत्वपूर्ण मानी गई हैं. ख़ास बात ये है कि चूड़ियां पहनना सिर्फ़ महिलाओं का शौक़ नहीं है, बल्कि चूड़ियां पहनने के कई धार्मिक और वैज्ञानिक लाभ भी हैं.
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