कहानी- जहां चाह वहां राह (Short Story- Jahan Chah Wahaa Raah)

“ऐसे टीम नहीं बनेगी. टीम मेरे हिसाब से बनेगी.” सभी बच्चों को एक लाइन में खड़ा करके कहा, “पहला बच्चा विषम, दूसरा सम, तीसरा विषम…” इस प्रकार पूरी लाइन में खड़े बच्चों को सम-विषम में बांट दिया. अब प्रत्येक बच्चे को मालूम हो चुका था कि कौन सम है और कौन विषम. तभी हेडमास्टर साहब ने आदेश दिया, “सम एक कदम आगे चल.”
फिर क्या था पूरे बच्चे दो टीम में विभाजित हो चुके थे और फिर कबड्डी खिलाई गई. इस खेल से बच्चे खेल-खेल में सम-विषम को समझ चुके थे.

मोहिनी गांव के विद्यालय में कक्षा चौथी क्लास की स्टूडेंट थी. वह अपने भाई को अच्छे कपड़े पहनकर अन्य स्कूल जाते हुए देखा करती थी. उसका मन भी भाई के साथ पढ़ने जाने का हुआ करता था. प्रतिदिन उसकी मां उसके भाई को अच्छी तरह तैयार करके गांव की पुलिया के पास पहुंच जाती थी. स्कूल की बस वहीं से मिला करती थी. उसे बस में जाने का बड़ा शौक था.
एक दिन उसने अपने मन की बात अपनी मां से कह दी कि उसका नाम भी उसी स्कूल में लिखवा दो.
मां बोली, “तुझे तो पराये घर जाना है. अगर तुझे स्कूल भेज दिया, तो तेरी छोटी बहन नन्ही बिटिया की देखरेख कौन करेगा और तेरा नाम गांव के विद्यालय में तो लिखा है. मेरे काम पर न जाने की दशा में तूं स्कूल जाया कर. स्कूल में एक मैडम ही तो हैं, वह अकेले क्या-क्या और किस किसको पढ़ा लेगी?”
कुछ दिन बाद मोहिनी की सहेली नव्या आई और बोली, “अपने स्कूल में दो अध्यापक और आए हैं. अब स्कूल आया करो.” मोहिनी ने अपनी व्यथा उसको सुना दी नव्या सुनकर चली गयी.
हेडमास्टर ने अभिभावकों की एक मीटिंग बुलाई और कहा, “अब तक मैडम अकेले इस विद्यालय को देख रही थीं, लेकिन अब मैं, राकेशजी और मैडम सहित तीन लोग हो गए हैं. अपने बच्चों को प्रतिदिन विद्यालय में भेजिए. हम आपके बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने की कोशिश करेंगे और किसी ने कहा है कि कोशिश करनेवालों की कभी हार नही होती है या तो सीख मिलती है या जीत मिलती है.”


यह भी पढ़ें: स्पिरिचुअल पैरेंटिंग: आज के मॉडर्न पैरेंट्स ऐसे बना सकते हैं अपने बच्चों को उत्तम संतान (How Modern Parents Can Connect With The Concept Of Spiritual Parenting)

सभी अभिभावकों ने अपने बच्चों को भेजने का वायदा किया. अगले दिन उपस्थिति फिर भी कम.
हेडमास्टर ने सरला मैडम से पिछले साल और वर्तमान साल के उपस्थिति रजिस्टर लाने को कहा और बोले, “मैडम, ऐसे बच्चों की सूची बनाओ, जो इस सत्र और पिछले सत्र में कम आए हैं और कम आने का क्या कारण है?”
सरला मैडम ने कहा, “सर, इस गांव में मजदूर वर्ग ज़्यादा है. परिवार के सभी सदस्य दिहाड़ी पर चले जाते हैं. उनके छोटे बच्चों की देखरेख यही बच्चे करते हैं, जो विद्यालय कम आते हैं.”
हेडमास्टर ने कहा, “तो क्या हमारे विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति ऐसे ही रहेगी?”
मैडम बोली, “बिलकुल.”
राकेश सर ने अपनी बात रखी, “सर, हर विद्यालय की यही कहानी है.”
हेडमास्टर ने कहा, “हमें हर हाल में बच्चों की उपस्थिति बढ़ानी है. इसके लिए हमे व्यवस्था में परिवर्तन करना पड़ेगा.”
अगले दिन हेडमास्टर आधा घंटे पहले ही विद्यालय में आ गए, और अनुपस्थित रहनेवाले बच्चों में से पांच बच्चों के घर पर गए. उन्होंने कारण भी वो ही पाया, जो मैडम ने बताया था. तब तक विद्यालय का समय हो गया था. सभी बच्चों को एक साथ एकत्रित करके कक्षा वार दौड़ करा दी. इस दौड़ के संपादित होने के दौरान सरला मैडम और राकेश भी आ गए. दौड़ में सराहनीय स्थान प्राप्त करनेवाले बच्चों को पुरस्कार के रूप में एक-एक पेन दिया. सभी बच्चे बहुत ख़ुश हुए. जाड़े के दिनों में बच्चों को यह अभ्यास अच्छा लगा. नए सर के साथ बच्चों को अच्छा लग रहा था. धीरे-धीरे अनुपस्थित रहनेवाले बच्चों तक नए सर के क्रियाकलाप पहुंचने लगे. अब बच्चों की उपस्थिति धीरे-धीरे बढ़ रही थी. मोहिनी का मन भी स्कूल जाने को करने लगा.
हेड मास्टर साहब ने प्रतिदिन पांच बच्चों के घर जाना जारी रखा. इसी के क्रम में मोहनी के घर भी गए. सौभाग्य से मोहनी के माता-पिता भी मिल गए.


हेडमास्टर, “आपकी बच्ची स्कूल कम आती है.” उन्होंने मोहिनी को बुलाकर कई सामान्य ज्ञान के प्रश्न पूछे. सभी प्रश्नों के जवाब मोहिनी ने बिल्कुल सही दिए.
हेडमास्टर ने कहा, “आपकी बच्ची तो बहुत होशियार है. पता चला है कि आपका बच्चा अन्य स्कूल में जाता है. मैं यह वादा करता हूं कि अगर आप मोहिनी को स्कूल भेजते हैं, तो मोहनी अपने भाई से ज़्यादा होशियार हो जाएगी.”
मोहनी के पिता ने स्कूल भेजने की बात से सहमत हो गए.
अब उपस्थिति बढ़ रही थी. सातवां क्लास हेडमास्टर साहब का था. उन्होंने सभी बच्चों को मैदान में आने को कहा. इस पर राकेश सर बोले, “सर, गणित की कक्षा मैदान में क्यों?”
हेडमास्टर ने कहा, “हर एक विषय को कहीं भी पढ़ाया जा सकता है.”
सम-विषम की अवधारणा को समझाने के लिए उन्होंने सभी बच्चों से कहा, “आज बच्चों एक खेल खिलाएंगे. बोलो कौन-सा खेल खेलोगे?” सभी बच्चों ने अपनी मनपसंद टीम बनाकर कहा, “कबड्डी.”
हेडमास्टर ने कहा, “ऐसे टीम नहीं बनेगी. टीम मेरे हिसाब से बनेगी.” सभी बच्चों को एक लाइन में खड़ा करके कहा, “पहला बच्चा विषम, दूसरा सम, तीसरा विषम…” इस प्रकार पूरी लाइन में खड़े बच्चों को सम-विषम में बांट दिया. अब प्रत्येक बच्चे को मालूम हो चुका था कि कौन सम है और कौन विषम. तभी हेडमास्टर साहब ने आदेश दिया, “सम एक कदम आगे चल.”
फिर क्या था पूरे बच्चे दो टीम में विभाजित हो चुके थे और फिर कबड्डी खिलाई गई. इस खेल से बच्चे खेल-खेल में सम-विषम को समझ चुके थे.


अब हर दिन हेडमास्टर खेल-खेल में पढ़ाने लगे. उन्हें अपने स्टाफ का भी सहयोग मिलने लगा. मोहनी भी यदा-कदा स्कूल आने लगी. हेडमास्टर ने अपने स्टाफ में चर्चा की, “अब बच्चो की उपस्थिति ठीक चल रही है. अगर हमें और उपस्थित बढ़ानी है, तो अपने विषय मे रोचक क्रियाकलाप भी शामिल करने होंगे.”
“सर, आपके क्रियाकलापों को देखकर हमारे अंदर भी ऊर्जा का संचार हो गया है. अब हम हर एक पाठ को रोचक क्रियाकलापों के द्वारा पढ़ाएंगे.”
हेडमास्टर, “वो तो ठीक है, पर अभी भी कुछ बालिकाएं जैसे मोहनी स्कूल कम आ रही है. ऐसा करते हैं कि इन बच्चों के माता-पिता की एक मीटिंग बुलाते हैं.”
अगले दिन मोहनी सहित अनेक छात्राओं के माता-पिता स्कूल पहुंच चके थे.
हेडमास्टर मोहनी के पिता की ओर देखते हुए, “आपने तो मोहनी को हर रोज़ स्कूल भेजने का वादा किया था?”
मोहनी की मां, “सर, हम सब काम पर चले जाते हैं. घर मे छोटे बच्चों की देखभाल तो यही करती हैं. फिर पढ़-लिखकर ये क्या करेंगी? ससुराल में चूल्हा-चौका ही तो संभालना है.”

यह भी पढ़ें: महिलाओं के हक़ में हुए फैसले और योजनाएं (Government decisions and policies in favor of women)

हेडमास्टर, “बहुत छोटी सोच है आपकी. अगर एक लड़की पढ़ती है, शिक्षित होती है, तो पूरा परिवार और समाज शिक्षित होता है. अगर आपकी लड़की अनपढ़ रह जाएगी, तो जीवन के हर राह पर कांटे हैं. आप सभी संकल्प लें कि आप अपने बच्चों को नियमित रूप से स्कूल भेजेंगे.”
सभी लोगों ने वायदा किया कि अब हम रोज़ बच्चियों को स्कूल भेजेंगे.
फिर क्या था स्कूल का माहौल बिल्कुल बदल गया. मोहनी, नंदनी, नव्या, नवरत्न, पीयूष और गोपी ने लर्निंग ऑउट कम परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त किए. पांचवी क्लास पास करके मोहिनी, नंदनी और नव्या ने जवाहर नवोदय स्कूल की प्रवेश परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त किए और नवोदय विद्यालय में एडमिशन ले लिया.

– डॉ. कमलेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES

Photo Courtesy: Freepik

अभी सबस्क्राइब करें मेरी सहेली का एक साल का डिजिटल एडिशन सिर्फ़ ₹599 और पाएं ₹1000 का कलरएसेंस कॉस्मेटिक्स का गिफ्ट वाउचर.

Usha Gupta

Share
Published by
Usha Gupta

Recent Posts

रिश्तों में क्यों बढ़ रहा है इमोशनल एब्यूज़? (Why is emotional abuse increasing in relationships?)

रिश्ते चाहे जन्म के हों या हमारे द्वारा बनाए गए, उनका मक़सद तो यही होता…

July 3, 2025

कहानी- वो लड़की कम हंसती है… (Short Story- Who Ladki Kam Hasti Hai…)

नेहा शर्मा “सब मुस्कुराते हैं, कोई खुल कर तो कोई चुपचाप और चुपचाप वाली मुस्कुराहट…

July 3, 2025

आपके मोबाइल की बैटरी की सबसे ज़्यादा खपत करते हैं ये ऐप्स (These Apps Drain Your Phone’s Battery the Most)

आपके पास चाहे कितना भी महंगा और लेटेस्ट फीचर्स वाला स्मार्टफोन क्यों न हो, लेकिन…

July 2, 2025
© Merisaheli