लघुकथा- ख़ुशी का बरगद (Short Story- Khushi Ka Bargad)

यह महाधरना उसके लिए लाटरी साबित हो रहा था. वो कितना प्रसन्न रहने लगा था कि उसने तो वो पैसे की तंगीवाले दिन अब गए ही मान लिए थे. बात भी सही थी. आज तीन महीने हो गए थे और वो हर दिन कमाई कर रहा था.

मनुवा ने अपने तीन साल के बालक को प्यार से सहलाया और पूरा कंबल उसको ओढाकर उठ बैठा. पत्नी ने चट से चाय और पाव थमा दिया. वो जानती थी कि इसके बाद वो दो मिनट में अपना थैला लेकर भागेगा और पांच घंटे बाद जब लौटेगा, तो कम से कम पांच-सात सौ रुपए नगद उसकी जेब में होंगे.
वो इतना सोच ही सकी थी कि मनुवा चाय गटककर बाहर आ चुका था. उसके साथ कुछ और भाई निकल चुके थे. सबको कुछ ज़्यादा नहीं चलना था. इस चालनुमा बिल्डिंग से बस पांच मिनट पैदल रास्ता पार करके वो सब धरना स्थल पहुंच गए. आजकल सबके कितने अच्छे दिन आ गए थे. उनका पूरा कामगार समूह दिनभर काम करके इस टूटी-फूटी चाल में चैन की नींद सो रहा था. आनंद ही आनंद था. चाय, कॉफी, केसर, दूध, समोसे, पकौडे़, राजमा, चावल, चना, मठरी आदि के मुंहमांगे दाम मिल रहे थे.

यह भी पढ़ें: प्रेरक प्रसंग- बात जो दिल को छू गई… (Inspirational Story- Baat Jo Dil Ko Chhoo Gayi…)

मनुवा के थैले में कैप, हैट, रूमाल, झंडी आदि रखे थे. इन सबमें छोटे-छोटे नारे लिखे थे. रोज़ उसका सामान बिक जाता. थैला खाली और जेब भारी. वो कभी रसमलाई, तो कभी पेस्ट्री लेकर घर जाता था. जैसे ही दिन ख़त्म होता, नोटों की गर्मी से उसकी ज़िंदगी में रौनक़ आ जाती. जैसे किसी बरगद के नीचे चींटी को कभी तीखी धूप नहीं लगती, वैसा ही हाल आजकल मनुवा का था.
यह महाधरना उसके लिए लाटरी साबित हो रहा था. वो कितना प्रसन्न रहने लगा था कि उसने तो वो पैसे की तंगीवाले दिन अब गए ही मान लिए थे. बात भी सही थी. आज तीन महीने हो गए थे और वो हर दिन कमाई कर रहा था. आज दोपहर में अचानक कुछ घोषणा हुई और मनुवा की ख़ुशी का बरगद जड़ सहित उखड़ गया. वापसी के हर कदम के साथ उसको ऐसा लगा कि उसके पैरों तले ज़मीन ही खिसक गई है. मनुवा को हवा, रोशनी, आवाज़ किसी का कुछ भान नहीं हो रहा था. अभी तो सुख की एक सीढ़ी चढ़ी भर थी कि यह दुख नुकीले दांत लिए फिर से काट खाने को आ पहुंचा.

यह भी पढ़ें: स्टडीज़ कहती हैं, शंख बजाने से न सिर्फ़ हम हेल्दी रहते हैं, बल्कि शंख की ध्वनि से वातावरण में मौजूद कई रोगाणु भी नष्ट होते हैं, जानें ऐसी ही मान्यताओं के पीछे का विज्ञान (Hinduism And Science: Studies Say That Blowing Shankh Not Only Keeps Us Healthy But The Sound Of Conch Also Destroys Many Germs Present In The Environment)

भारी कदमों से कमरे पर पहुंचकर उसने पत्नी से कहा, “अब सामान गठरी में बांध लो. कल सुबह लौटना है. अब यह रैली-धरना ख़त्म हो गया है.” सुनकर वो हैरत में थी कि बेरोज़गारी का यह चक्रव्यूह आख़िर उनको ही बार-बार घेरकर क्यों जकड़ लेता था? मनुवा की पत्नी सोच रही थी कि पिछले सौ दिन से जिस कारण उसके जैसे सैकड़ों लोग रोजी-रोटी पा रहे थे, यह सरकार कैसी पागल है ऐसा अच्छा प्रदर्शन-धरना बंद करा दिया. वो आगे सोच रही थी कि कुदरत का करिश्मा हो और जल्द ही ऐसा धरना फिर से शुरू हो जाए…

– पूनम पांडे

अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES

Photo Courtesy: Freepik

डाउनलोड करें हमारा मोबाइल एप्लीकेशन https://merisaheli1.page.link/pb5Z और रु. 999 में हमारे सब्सक्रिप्शन प्लान का लाभ उठाएं व पाएं रु. 2600 का फ्री गिफ्ट.

Usha Gupta

Share
Published by
Usha Gupta

Recent Posts

पाय हलवणे हा अपशकुन नाही, हे या आजाराचे लक्षण आहे (Leg Shaking: More Than Just A Habit?)

काही लोकांना पाय हलवण्याची सवय असते हे तुम्ही अनेकदा लक्षात घेतले असेल. कोणाशी तरी बोलत…

April 26, 2024

‘डर्टी पिक्चर’नंतर विद्या बालनला लागले होते धूम्रपानाचे व्यसन; अभिनेत्रीने स्वतः केला खुलासा (Vidya Balan Got Addicted To Smoking After The Dirty Picture)

विद्या बालन ही बॉलिवूडमधील सर्वात प्रतिभावान अभिनेत्रींपैकी एक आहे. विद्याने आपल्या दमदार अभिनयाने नेहमीच प्रेक्षकांचे…

April 26, 2024

पसंती (Short Story: Pasanti)

सुधीर सेवेकरत्याने अभ्यासपूर्वक जाणीवपूर्वक पोलंड देशाची, त्याच्या निवासासाठी, कामासाठी निवड केलीय. त्याला आता काही वर्षे…

April 26, 2024
© Merisaheli