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कहानी- रहिमन धागा प्रेम का (Short Story- Rahiman Dhaga Prem Ka)

रोहित ने मुझे कुर्सी पर बैठाते हुए कहा, “ये अस्तित्व की लड़ाई, ये तुलना… बस तुम्हें ख़राब लगती है? और जो बात-बात पर तुम तराजू उठाकर एक पलड़े में मुझे और दूसरे पलड़े में अपने पापा, भइया और चाचाजी को रख देती हो… वो सही है?..”

“वाह! क्या कढ़ी बनाई है यार! मम्मी भी एकदम ऐसी बनाती हैं…” रोहित तारीफ़ों के पुल बांधे जा रहे थे, लेकिन मेरा मन खिन्न हो गया था. किसी तरह एक-डेढ़ रोटी गटक कर मैं उठ गई. रसोईं में आते ही आंखें भर आईं. मन किया उड़कर पापा के पास पहुंच जाऊं और ख़ूब रो लूं…
“क्या हुआ गीतू? तुम रो क्यों रही हो.” रोहित हड़बड़ा गए.
“मैंने ऐसा क्या कह दिया?.. मैं तो तारीफ़ ही…”

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“ऐसी तारीफ़ अपने पास ही रखिए.” ना चाहते हुए भी मैं फट पड़ी.
“हद है रोहित, हर बात में तुलना… परसों खीर खाते समय आपने कहा, अच्छी है, लेकिन दीदी की खीर वाली बात नहीं आई और आज कढ़ी अच्छी लगी, तो आपकी मम्मी की बनाई कढ़ी जैसी हो गई… मतलब मैं कुछ नहीं! मेरा अस्तित्व ही नहीं…” मैं सुबकने लगी थी.
रोहित ने मुझे कुर्सी पर बैठाते हुए कहा, “ये अस्तित्व की लड़ाई, ये तुलना… बस तुम्हें ख़राब लगती है? और जो बात-बात पर तुम तराजू उठाकर एक पलड़े में मुझे और दूसरे पलड़े में अपने पापा, भइया और चाचाजी को रख देती हो… वो सही है?
मैं तुम्हें कहीं ले जाऊं, तो कहती हो ऐसे ही पापा मुझे घुमाने ले जाते थे… मैंने गाना सुनाया तो ऐसे ही भइया भी बहुत अच्छा गाते हैं, इतनी मेहनत करके मैंने पिज़्ज़ा बनाना सीखा… क्योंकि तुम्हें पसंद है, लेकिन वो भी चाचाजी पहले ही कर चुके थे, वाह भई!”
हमारी शादी हुए एक महीना हो गया था, लेकिन रोहित को इतने ग़ुस्से में मैंने कभी नहीं देखा था. मुझे आश्चर्य हो रहा था इन्हें एक-एक बात याद थी, अपराधबोध तो हुआ, फिर भी मैंने कहा, “आप समझिए तो… मैं पूरा परिवार छोड़कर आई हूं, सबसे अलग होकर…”
रोहित मुस्कुराने लगे, “और मैं? मैं अपने पूरे खानदान के साथ रह रहा हूं ना यहां? मैं भी तो सबसे अलग रह रहा हूं, मुझे भी याद आती है यार! तुम भी तो समझो… और ये तुम्हारे हाथ में क्या हुआ है?”
“गर्म तेल गिर गया था… ओह, लाल पड़ गया…” बहस के चलते मेरा ध्यान ही नहीं गया था. रोहित जल्दी से टूथपेस्ट ले आए और लगाने लगे, मैं सोचने लगी… ऐसे ही एक बार पापा ने लगाया था.

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“क्या सोच रही हो? पापा, चाचा या भइया किसी ने लगाया होगा, है ना!”  रोहित हंसते हुए पूछ रहे थे, मैं चौंक गई, लेकिन सच कहते-कहते रुक गई, “मैं सोच रही थी… जलने पर टूथपेस्ट लगाते हैं, ये तो आज ही पता चला!”

लकी राजीव

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Photo Courtesy: Freepik

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Usha Gupta

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