कहानी- सपनों की बैसाखी (Short Story- Sapno Ki Baisakhi)

मिस्टर सैमुअल ने मन ही मन सोचा, ‘देखो कितनी टेक्निकली डॉक्टर रूही ने मेरे केस को संभाला है. वह तो मन ही मन डॉक्टर रूही से अपने फेसबुक अफेयर को लेकर शेयर किए क़िस्से से डर गए थे. कहीं डॉक्टर रूही ने मेरा फेसबुक क़िस्सा शेयर कर दिया, तब क्या होगा. आज तो उसका क्लाइमेक्स था, लेकिन थैंक गॉड उन्होंने अपना प्रॉमिस पूरा किया.’

पूरे हॉस्पिटल में हड़कंप मचा हुआ था आख़िर बेड नंबर 17 का मरीज़ अचानक कहां गायब हो गया. उससे बड़ी बात यह कि जब वह यहां लाया गया था, तो बैसाखी के सहारे चल कर आया था तो फिर वह दसवीं मंजिल से गया तो कहां गया. उसकी उम्र भी कोई कम नहीं थी मेडिकल फॉर्म के रिकॉर्ड के हिसाब से सत्तर साल. इतने नामी अस्पताल में अगर वह मरीज़ गायब हो गया, तो कितनी बदनामी होगी. चीफ एडमिनिस्ट्रेटर राजेश ने खिड़की से झांक कर देखा. दसवीं मंजिल से नीचे कुछ साफ़ दिखना भी मुश्किल था, लेकिन बंद खिड़की इस बात का इशारा कर रही थी कि कोई यहां से कूद नहीं सकता. प्राइवेट और जनरल वॉर्ड के वॉश रूम अच्छी तरह चेक किए जा चुके थे. वहां कोई नहीं मिला.
सुबह के पांच-साढ़े पांच बजे जब आधी दुनियां सो रही होती है और बाकी आधी जाग कर सोने का बहाना कर लेटी रहती है ऐसे में आख़िर हॉस्पिटल में जल्दी उठ कर कोई करेगा भी क्या. आजकल जब से ऑटोमाइजेशन बढ़ गया है, तब से गैलरी खाली रहती है. लिफ्ट ऑपरेटर भी अब हटा दिए गए हैं. शिफ्ट चेंज का टाइम होने से मॉर्निंग स्टाफ आने वाले थे और नाइट वाले फ्रेश हो कर जाने की तैयारी में लगे थे, सो कोई यह जवाब देने की हालत में नहीं था कि यहां से कौन आया कौन गया.


राजेश की हालत अपने बाल नोंचने जैसी हो गई थी. अभी आठ बजते इस पेशेंट के घरवाले आ जाएंगे. मैं क्या जवाब दूंगा और इसके बाद पुलिस इंक्वॉयरी, मैनेजमेंट… ओह गॉड. उनका सिर घूम गया. तभी स्टाफ नर्स ने कॉफी दी, “सर प्लीज़, रिलैक्स सब ठीक हो जाएगा आप कॉफी पीजिए.”
राजेश को सचमुच इस समय कॉफी की ज़रूरत महसूस हो रही थी और जैसे ही राजेश ने कॉफी होंठों से लगाई कि कप उसके हाथ से छूटते-छूटते बचा. देखा तो सामने से उसके पेशेंट मिस्टर सैमुअल चले आ रहे हैं.
ख़ैर उसने ख़ुद को कंट्रोल किया और आश्चर्य से उन्हें देखने लगा. उसे जैसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हुआ. सैमुअल बिना किसी सहारे के आराम से चले आ रहे थे. उसने चैन की सांस ली और ख़ुद को संयत करते हुए कहा, “गुड मॉर्निंग सर, हाऊ आर यू फीलिंग नाऊ?” वैसे यह सवाल तो सैमुअल को राजेश से पूछना चाहिए था, लेकिन वे मुस्कुराते हुए बोले, “आई एम फाइन. आप देख तो रहे हैं.”
“ओह दैट स राइट , सर आप कहां थे हम लोग आधे घंटे से आपको ढूढ़ रहे हैं.”
“ओह! आई एम सॉरी, वो ज़रा नीचे वॉकिंग के लिए गया था. कई दिनों से सोच रहा था आज रहा नहीं गया, तो बस नीचे लॉन का एक चक्कर लगा आया. प्लीज़ आप बैठिए, मैं अब आराम करूंगा.” इतना कहते हुए सैमुअल बेड पर लेट कर बस पांच मिनट में खर्राटे भरने लगे.
यह देखकर वहां खड़े सारे स्टाफ को पसीना आ गया. सिस्टर ने तो नब्ज़ छू कर देखा तब उसे भरोसा हुआ. मॉर्निंग ड्यूटी वाले जूनियर डॉक्टर जतिन ने तो सीनियर डॉक्टर को इमरजेंसी कॉल लगा कर बड़े सरप्राइज़ के साथ बुला लिया.
“सर प्लीज़, जल्दी आइए सैमुअल जी का चेकअप करना है.” सीनियर डॉक्टर पारीख पहुंचे, तो उनकी समझ में कुछ नहीं आया. मिस्टर सैमुअल अपने बेड पर आराम फरमा रहे थे और पूरा स्टाफ उन्हें घेरे खड़ा था. उन्होंने किसी से कुछ नहीं कहा. पेशेंट की नब्ज़ देखी, माथे पर हाथ रखा और पूछा, “क्या हुआ जतिन मुझे क्यों कॉल किया? ही इज़ नॉर्मल.” डॉक्टर पारीख बोले.
डॉक्टर जतिन कुछ कहते की राजेश बोले, “सर, आपको मैंने कॉल किया है, डॉक्टर जतिन ने नहीं. एक्चुअली नॉर्मल होना तो ठीक है, लेकिन कोई सात दिन में इतना नॉर्मल कैसे हो सकता है कि बैसाखी छोड़ कर दौड़ने लगे.“
डॉक्टर पारीख आश्चर्य से पूछे, “क्या हुआ राजेश मैं कुछ समझा नहीं.”
वह एक प्राइवेट वॉर्ड था. एक रूम में दो बेड थे दूसरा अभी खाली था. सब वहीं थोड़ा दूर हट कर खड़े थे. डॉक्टर पारीख बड़े ध्यान से सुन रहे थे और राजेश ने जो क़िस्सा बताया उसने डॉक्टर पारीख को चौंका दिया.
“हूं तो तुम कह रहे हो यह पेशेंट अभी बीस मिनट पहले नीचे से चल कर अपने बेड पर आ कर लेटा है. ठीक है मैं मान लेता हूं ऐसा हो तो सकता है, लेकिन रेयर ऑफ द रेयरेस्ट केस में ही यह संभव है. चलो यह बेहतर हुआ है कि किसी पेशेंट के साथ. लेकिन अभी इस बारे में किसी से ज़्यादा बात नहीं करते. मुझे एक बार फिर सभी दवाई व रिपोर्ट्स देख लेने दो. और हांं राजेश सुनो, तुम साएक्रेटिस्ट रूही को भी बुला लो. वो भी सैमुअल जी के केस में शुरू से इन्वॉल्व रही हैं. हम लोग साथ बैठ कर डिस्कस करते हैं तब किसी कन्क्लूजन पर पहुंचेंगे.”
“जैसा आप ठीक समझे सर, पर सच कहूं तो सैमुअल जी को यहां न देखकर मेरी तो जान ही निकल गई थी. थैंक्स गॉड वो सही हैं.” राजेश ने कहा.
इधर जतिन ने केस की नज़ाकत देख मैडम रूही को कॉल कर दिया था. वो भी बस दस मिनट में पहुंच गई थीं. वो हॉस्पिटल के पास ही कहीं रहती थीं.


मुस्कुराता चेहरा, गोरा रंग उम्र कोई पैंतालीस, संतुलित भाव-भंगिमा और एक अजीब-सी गंभीरता. हां, अपनी आदत के अनुसार लाइट कलर की पिंक साड़ी में थीं.
“साएक्रेटिस्ट रूही आप ही कुछ बताएं इस पेशेंट के बारे में, क्योंकि डॉक्टर पारीख कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं है.“ राजेश बोले.
इधर साढ़े सात बजते ही सैमुअल एक झपकी ले कर जाग चुके थे, लेकिन जैसे ही उन्होंने अपने आसपास इतने लोगों की भीड़ देखी और राजेश की आवाज़ सुनी उनके कान खड़े हो गए.
उन्होंने ख़ामोशी से नींद का बहाना किए हुए चुपचाप लेटे रहना ही बेहतर समझा.
डॉक्टर रूही ने कहा, “देखिए एक साएक्रेटिस्ट के नाते मैं सिर्फ़ इतना कह सकती हूं कि मिस्टर सैमुअल उतने बूढ़े नहीं हैं जितना आप सोच रहे हैं.”
“आप क्या कह रही हैं मैडम. एक सत्तर साल का इंसान आपकी नज़र में बूढ़ा नहीं है.“ डॉक्टर पारीख बोले.


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“देखिए डॉक्टर पारीख, एक साएक्रेटिस्ट के लिए किसी इंसान की फिज़िकल एज उतना अर्थ नहीं रखती जितना उसकी मेंटल एज. आप तो जानते ही हैं कि हर इंसान के भीतर चाइल्ड, एडल्ट और पैरेंट ईगो स्टेट हमेशा प्रेजेंट रहती है और वह कब, क्या व्यवहार करेगा यह उसकी एज पर कम, ईगो स्टेट पर अधिक निर्भर करता है. मैंने मिस्टर सैमुअल को एडल्ट ईगो स्टेट से बात करते हुए पाया है, जो एक साएक्रेटिस्ट के बिहेविरल थेरेपी के लिए ईज़ी टास्क हो जाता है. ऐसे शख़्स को लंबी उम्र के लिए आसानी से प्रेरित किया जा सकता है, जो ख़ुद को बूढ़ा नहीं मानता.“ डॉक्टर रूही ने कहा.
मिस्टर सैमुअल ने मन ही मन सोचा, ‘देखो कितनी टेक्निकली डॉक्टर रूही ने मेरे केस को संभाला है. वह तो मन ही मन डॉक्टर रूही से अपने फेसबुक अफेयर को लेकर शेयर किए क़िस्से से डर गए थे. कहीं डॉक्टर रूही ने मेरा फेसबुक क़िस्सा शेयर कर दिया, तब क्या होगा. आज तो उसका क्लाइमेक्स था, लेकिन थैंक गॉड उन्होंने अपना प्रॉमिस पूरा किया.
जब डॉक्टर रूही से बातचीत शुरू हुई थी, तो वे थोड़ा हिचकिचा रहे थे. लेकिन जब रूही ने उनका हाथ अपने हाथ में लेकर दबाते हुए कहा था, “यू मे ट्रस्ट मी, मैं आपकी फीलिंग समझ सकती हूं. यक़ीन रखिए आपकी बातें मुझसे आगे नहीं जाएंगी. यह हमारे प्रोफेशन का प्रिंसिपल है कि हम किसी पेशेंट की केस हिस्ट्री शेयर नहीं करते और तब वो खुलते गए थे. उन्होंने लैपटॉप पर स्वाति की फोटो और उसके साथ पिछले कई साल से चल रही चैट के कुछ अंश भी दिखाए थे. फिर कहा था, “यू सी हाऊ ब्यूटीफुल शी इज़. मैं इसे कॉलेज के टाइम से जानता हूं, नो चेंज.“
यहां तक तो ठीक था. सोचने वाली बात यह थी कि वो इसके साथ अपनी ज़िंदगी के वो सीक्रेट भी शेयर कर रहे थे, जो वे अपनी वाइफ से भी शेयर नहीं करते. यहां तक कि वो स्वाति से अपनी फैंटेसी भी डिस्कस करते थे.


मज़े की बात यह थी कि डॉक्टर रूही ने उनके मामले में कोई टोकाटाकी नहीं की थी. वो बस सब कुछ सुन रही थी. कोई नैतिक-अनैतिक बात नहीं, कोई गिल्ट फीलिंग से सरोकार नहीं. इस उम्र के आदमी को समझाने से अधिक उसे समझने की ज़रूरत होती है. इतना ही नहीं हर इंसान का वैल्यू सिस्टम उसका व्यक्तिगत मामला है. डॉक्टर रूही से उन्होंने आज की होने वाली घटना शेयर की थी.
कल रात स्वाति के बेटे की शादी थी और बहू की विदाई के बाद वह इस रूट से गुज़रने वाली थी. स्वाती के साथ उसकी कार में उसकी सहेलियां होंगी यह बात उसने बताई थी. यह भी कहा था कि यदि वो गेट पर आ सके, तो दो मिनट गाड़ी रोक कर मुलाक़ात हो सकती है.
और मिस्टर सैमुअल ने अपने भीतर ढेर सारी हिम्मत पैदा कर सुबह बैसाखी छोड़ स्वाति से मिलने का हौसला पैदा कर लिया था. वैसे भी वे इस दिन के लिए चुपचाप दस मिनट रोज़ बिना बैसाखी के चलने की प्रैक्टिस कर रहे थे. उनका प्लान था कि बस दस मिनट में मिल कर वापस आ जाएंगे. यह अस्पताल और रोड उनके लिए नई नहीं थी, लेकिन कुदरत को तो कुछ और ही मंज़ूर था. उनका दस मिनट का प्लान आधे घंटे में बदल गया था. वे अति उत्साह में पांच बजे ही गेट पर पहुंच गए थे.
इस क्लाइमेक्स की कहानी उन्हें डॉक्टर रूही को सुनानी थी, लेकिन दिलचस्प यह रहा कि डॉक्टर रूही ने बड़ी ही ख़ूबसूरती से मेडिकल की भाषा में उनके जीवन के सच को पर्दे के पीछे ढंक दिया था.
खै़र, जैसे ही सैमुअल जी को एहसास हुआ कि मामला ठीक चल रहा है उन्होंने बिस्तर से पैर निकाले और एक बार फिर स्लीपर पहन कर वॉशरूम चल पड़े. सब उन्हें आश्चर्य से देखने लगे. उन्होंने सभी को इस तरह आश्चर्य से देखते देखा, तो अनभिज्ञ बनते हुए पूछा, “अरे डॉक्टर साहब इतने सारे लोग. क्या हुआ सब ठीक तो है? और आप लोग मुझे आश्चर्य से क्यों देख रहे हैं?”
अब डॉक्टर पारिख की बारी थी, “ओह मिस्टर सैमुअल आप ठीक तो हैं. सुबह आप बेड पर नहीं थे, सो हम लोग चिंतित हो गए थे.”

“क्या डॉक्टर साहब आप भी कमाल करते हैं. देख नहीं रहे कितना बढ़िया मौसम है मेरा मन हुआ थोड़ा घूम लूं, सो वॉक करने गया था.“ सैमुअल जी मुस्कुराते हुए बोले.


“नहीं वो तो ठीक है, लेकिन वो आपके पैर में तो…“ इससे पहले कि डॉक्टर पारीख बात पूरी करते सैमुअल जी ने कहा.
“अरे मैं आपको बताना तो भूल ही गया. आपके ट्रीटमेंट से मुझे बहुत फ़ायदा हुआ है. मैं तो बस बिना सोचे ही निकल पड़ा. मैंने सोचा इतना स्टाफ है कहीं कोई दिक़्क़त हुई, तो सिक्युरिटी से हेल्प ले लूंगा, क्यों किसी को तंग करना. अभी आता हूं.” कहकर वे वॉशरूम चल दिए.
उन्हें ठीक जान कर सभी चले गए. डॉक्टर पारीख के राउंड का टाइम हो रहा था उन्हें भी जल्दी थी. बस डॉक्टर रूही बैठी थीं और जैसे ही सैमुअल जी लौटे कि उनकी नज़रें मिलीं और वे मुस्कुरा उठीं.
“हूं, कैसी मीटिंग रही सर?” डाक्टर रूही ने पूछा.
वो मुस्कुराए, बोले, “मीटिंग क्या थी? बस आपने मेरे सपनों की बैसाखी तोड़ दी.“


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“क्या हुआ मैं समझी नहीं. आप तो सुबह से ही बेड पर नहीं थे.“ डॉक्टर रूही ने कहा.
“वही तो…” सैमुअल जी बोले, “मैं मिला, लेकिन वो मेरी स्वाति नहीं थी. उसका चेहरा तो फेसबुक से बिल्कुल अलग था. चेहरे पर झुर्रियां भी थीं. हाथ भी तो कड़े हो गए थे. डाई लगाने के बाद भी बालों की जड़ों में सफ़ेदी थी.“
“ओह और क्या हुआ?“ डॉक्टर रूही ने पूछा, “कुछ और बातें, कुछ रोमांस…?”
“अरे कैसा रोमांस, कौन-सी बातें… उसने तो अपनी सहेली से कहा कि यह मेरा बहुत बड़ा फैन और ब्लाइंड फॉलोअर है… कॉलेज के ज़माने से ही फॉलो करता है, लेकिन बहुत ही शरमाता है. ओके सैमू, गेट वेल सून… और बात ख़त्म.” सैमुअल जी बोले. यह बताते हुए जैसे वे कुछ और युवा हो उठे थे.
“ओह और क्या हो सकता था. आपने क्या सोचा था?“ डॉक्टर रूही ने जानना चाहा.
वह हंसे, “रियली फेसबुक और हक़ीक़त में बहुत फर्क़ है. मैडम, आपने मेरी लकड़ी और सपने दोनों की बैसाखी तुड़वा दी. अब ज़िंदगी में और कोई फैंटेसी नहीं करूंगा और थैंक्स अपने प्रॉमिस को रखने के लिए.“ इतना कहकर सैमुअल जी चुप हो गए.
डॉक्टर रूही हंसी और बोलीं, “यह मेरा प्रोफेशन है. आप मुझ पर विश्वास कर सकते हैं.”

मुरली मनोहर श्रीवास्तव

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