कहानी- टारगेट (Short Story- Target)

“घर पर होते हुए भी उसका ध्यान कहीं और ही रहता है दीदी. वो आजकल एक प्रोजेक्ट में बिज़ी है. इसी वजह से थोड़ा टेंस भी है. “यार तुम शादी से लेकर हनीमून और हनीमून से तेरी गृहस्थी इन छह महीनोेंं में हमारी जब भी बात हुई है या हम मिले हैं, ये आदित्य टेंस ही दिखा है. कहीं घूमने भी जाओ, तो आदित्य रिलैक्स नहीं दिखता. ऐसा लगता है मानों कोई दूसरा भूत उसके पीछे पड़ा हो.”

“निधी प्लीज़, कल कहीं नहीं जाएंगे. मैं बहुत थक गया हूं. तुम दीदी जीजाजी को बता देना.”
“आदित्य तीन दिन ही तो हैं कैसे करेंगे उदयपुर दर्शन?”
“अगली बार आएंगे तब देख लेंगे. इस भागदौड़ में कोई मज़ा नहीं है. “पर जीजाजी ने कितने प्यार से प्रोग्राम बनाया है उसका क्या…” “नहीं अब और अपनी छुट्टियां चौपट नहीं करूंगा, तुम अंजना दीदी को बोल दो कि हम कल सुबह माउंटआबू जाएंगे… वरना इस ट्रिप का हाल भी हमारे हनीमून जैसा होगा…” अचानक आदित्य ने उसकी दुखती रग पर अपना हाथ रखा, तो निधी के सामने उसके हनीमून का ट्रिप घूम गया. कितने सपने संजोए थे उस सुहाने सफ़र को लेकर, पर आदित्य के सेट टारगेट की वजह से अपने दस दिनों के हनीमून को तीन दिन में समेटना पड़ा था. निधी सोचती थी कि उसकी फांस स़िर्फ उसके दिल में चुभी है, पर ये टीस तो आदित्य के दिल से भी आज बयां हो गई. क्या कहती वह जब आदित्य ने उससे कहा, “निधी, मल्टीनेशनल कंपनी में सबके अपने टारगेट होते हैं. समय पर पूरे ना हों, तो परफार्मेंस पर फर्क़ पड़ता है. मैंने हमेशा अपना काम समय से पहले पूरा किया है. हनीमून पर ज़्यादा छट्टी लेने से मेरे सेट गोल पर असर पड़ेगा. हम तीन दिन के लिए चलते हैं. जो टारगेट मैंने सेट किया है, इससे मेरे इंक्रीमेंट पर भी असर पड़ेगा. इन तीन महिनों में नई कार लेने का टारगेट इस इंक्रीमेंट पर टिका है.” आदित्य के बिठाए समीकरण पर कुछ बोलते नहीं बना. कैसे कहती कि हनीमून जीवन में एक बार आता है. इंक्रीमेंट तो फिर मिल जाएगा पर हनीमून से जुड़ी अनुभूतियां क्या फिर किसी सफ़र में उमड़ेंगी-घुमड़ेंगी. हनीमून जैसे सुहाने सफ़र से तो जीवन के सफ़र का आरंभ होता है. उसी सफ़र की जल्दबाज़ शुरुआत, तस्वीरों में कैद जल्दबाज़ पल, सब कुछ तीन दिनों में समेट लेने की आकांक्षा के बोझ तले प्रेम, रोमांच, लगाव, भावनाएं सब दब गई थीं. निधी जानती थी कि आदित्य को सब मंज़ूर था बस टारगेट का फेल होना कतई मंज़ूर नहीं था. शादी से पहले का वो किस्सा भी कहां भूलने वाला था, जब पहली बार मिले आदित्य ने उससे उसके टारगेट पूछे थे. इस प्रश्न पर निधी को भौचक्का देखकर आदित्य ने अपने प्रश्न को ज़रा दुरुस्त किया, “मेरा मतलब है, जीवन में आप क्या हासिल करना चाहती हैं?”
“एक सुकून भरी ज़िंदगी.” निधी के मुंह से बेसाख्ता निकला. क्या जानती थी कि यही एक चीज़ दुर्लभ साबित होने वाली है. एक जगह ना रुकने का मूलमंत्र ही, तो आदित्य की सफलता की कुंजी थी. पहली बार शुरुआती मुलाक़ात में आदित्य के स्वभाव में इसकी तीव्रता को वो भांप नहीं पाई, जबकि आदित्य ने साफ़गोई से बताया था कि वो हमेशा टारगेट सेट करता है. इसी से उसे आगे बढ़ने में प्रोत्साहन मिलता है, मसलन- पुरानी कार को बदलने का टारगेट, दो सालों में ढेर सारे टूर करके सेविंग से नया घर लेने का टारगेट.“
“शादी भी आप किसी टारगेट के तहत ही कर रहें है क्या?” निधी के प्रश्न पर सहसा आदित्य का ध्यान अपनी रौब पर गया. मौक़े की नज़ाकत समझते हुए उसने अपने शुष्क व्यवहार को समेटते रूमानी अंदाज़ में बोला, “शादी टारगेट के निहित कैसे हो सकती है, ये ज़रूर है कि जीवनसाथी की जो खोज आपसे शुरू हुई वो आप पर ही ख़त्म हो, पर इसके लिए आपकी रज़ामंदी चाहिए.” आदित्य का अंदाज़, उसकी अदा निधी का मन ले उड़ी और उसने शादी के लिए हां कर दी. कई दिनों तक कज़िंस और दीदी इस किस्से को लेकर उसका मज़ाक बनाते रहे. आदित्य का बाकायदा उपनाम भी रखा गया. मिस्टर टारगेट.
“कहां खो गई, कह दो अंजना दीदी से कल कहीं का प्रोग्राम ना बनाए. हम माउंटआबू जाएंगे.” आदित्य के फ़ैसले से निधी अपने विचारों से बाहर आती बोली, “कैसे बोलूं, कितने मन से दीदी और जीजाजी हमें घुमाने का प्रोग्राम बनाए बैठे हैं. नरेंद्र जीजाजी ने तो बाकायदा सब लिख कर रखा है कि किस दिन कौन-कौन से दर्शनीय स्थल देखने हैं, कितना समय कहां बिताना है.”
“अरे तो जीजाजी कुछ अगली बार के लिए छोड़ेंगे या नहीं.”
“अगली बार कब? एक साल के लिए तो कनाडा जा रहे हो. अभी भी सोच लो शादी के चार महीने ही हुए हैं और तुम एक साल के लिए कनाडा वो भी अकेले.”
“अब तुम उदास मत हो जाना. एक साल की कमी पूरी करने के लिए तो छुट्टी ली है. जिसमें तीन दिन तुम्हारे जीजाजी ने उदयपुर-भ्रमण के नाम पर दौड़ाकर ख़त्म कर दी.” निधी को अब भी संकोच हो रहा था कि जीजाजी के बनाए कार्यक्रम को दरकिनार कर सहसा माउंटआबू जाने की बात करना… क्या सोचेंगे वो लोग?..
रात को खाना खाते समय माउंटआबू की बात छेड़ी, तो अंजना और नरेंद्र चौंक पड़े अंजना ने कहा, “ऐसे कैसे अचानक प्रोग्राम बना लिया है. फिर अभी तो उदयपुर पूरा घूमा ही नहीं. अभी कुंभलगृह फोर्ट, हल्दी घाटी किला और रनकपुर फोर्ट भी नहीं देखा. लाइट एंड साउंड के टिकट भी ख़रीद लिए हैं और वाइल्डलाइफ सेंचुरी वो…”
“दीदी इस बार पूरा उदयपुर घुमा दोगे, तो अगली बार देखने के लिए कुछ रह ही नहीं जाएगा. हम भारतीयों की आदत होती है कि हम ट्रिप को एंजॉय नहीं करते, बल्कि ख़ुद को थकाते हैं. हमारा बस चले तो एक दिन में पूरा शहर निपटा दें.” आदित्य की बात पर अंजना चुप रही.
रात को खाना खाने के बाद निधी ने धीमे से कहा, “आदित्य की बात पर आप लोगों को बुरा तो नहीं लगा.” उसकी बात पर पहले तो अंजना चुप रही फिर सहसा बोली, “यहां तुम्हारे जीजाजी छुट्टी लेकर तुम लोगों के गाइड बने हैं और तुम लोग हो कि घूम-घूम कर थक गए.” अंजना दीदी के इस तरह बोलने पर संकोच में गड़ती निधी अचानक नरेंद्र जीजाजी और दीदी को बेसाख्ता हंसते देखकर चौंक पड़ी.
“सिर्फ़ तुम्हारे मिस्टर टारगेट को ही परेशान करना आता है क्या. तुम्हारे जीजाजी भी ये काम कर सकते हैं.” हंसते हुए उनका साथ नरेंद्र जीजाजी भी दे रहे थे, तो आश्‍चर्य से निधी बोली, “मतलब आप लोगों ने जान-बूझकर इतना हेक्टिक शेड्यूल बनाया.” निधी विस्मित थी और दीदी-जीजाजी आदित्य के स्थिति पर ठहाके लगा रहे थे. “निधी ले जा माउंटआबू आदित्य को और इतनी शांति और आराम देना कि तुम्हारा मिस्टर टारगेट सारे टारगेट कैंसिल कर दे. उसकी रफ़्तार को थाम ले अब यही टारगेट है.”
“ओह! दीदी लव यू.” कहती निधी उनके गले लग गई थी. निधी ख़ुुशख़बरी आदित्य को बताने गई, तो अंजना को तीन महीने पहले की निधी याद आई. परेशान और कंफ्यूज़ सी निधी. नरेंद्र और अंजना निधी की नई-नई गृहस्थी देखकर अभिभूत थे. एल.सी.डी हो या फ्रिज, सोफा हो या म्यूज़िक सिस्टम सब कुछ लेटेस्ट. निधी ने बताया, “आदित्य को लग्ज़री चीज़ें इकट्ठी करने का जुनून है. एक आती नहीं कि दूसरी ख़रीदने का टारगेट सेट कर लेता है. अगले दो महीनें में बाज़ार में आई महंगी लग्ज़री कार भी उसके घर में होगी उसके लिए आदित्य ताबड़तोड़ टूर कर रहे हैं ताकि सेविंग्स हो.” अंजना को निधी की बातें सुनकर हैरानी हुई. दो दिनों में वो ख़ुद भी दोनों की दिनचर्या से हैरान थी. नई शादी की खुमारी और अलमस्त जीवन की झलक तक नहीं थी.
“निधी सच बता, क्या आदित्य हमेशा ऐसे ही रहता है… मतलब जल्दबाज़ी में.“
“घर पर होते हुए भी उसका ध्यान कहीं और ही रहता है दीदी, वो आजकल एक प्रोजेक्ट में बिज़ी है. इसी वजह से थोड़ा टेंस भी है.” “यार तुम शादी से लेकर हनीमून और हनीमून से तेरी गृहस्थी इन छह महीनोेंं में हमारी जब भी बात हुई है या हम मिले हैं ये आदित्य टेंस ही दिखा है. कहीं घूमने भी जाओ, तो आदित्य रिलैक्स नहीं दिखता. ऐसा लगता है मानों कोई दूसरा भूत उसके पीछे पड़ा हो.”
“दीदी ये दूसरा भूत आदित्य का काम और उसके तय किए टारगेट हैं.”
“सच बता निधी, तू ख़ुश तो है ना.”
“दीदी, आदित्य व्यस्त ज़रूर रहते हैं, पर सच है कि उनके प्यार में कोई कमी नहीं है. मुझे ख़ुश रखने की हर मुमकिन कोशिश करते हैं, पर कुछ चीज़ें उसके बस में नहीं हैं, जैसे शॉपिंग के लिए ले जाना ख़ुद मोबाइल में बिज़ी हो जाना. मूवी जाते हैं, आधी पिक्चर के बीच आदित्य बाहर आकर मोबाइल पर अपने काम के सिलसिले में बातें करते हैं. मज़ा किरकिरा होता है, पर आदित्य कहते हैं कि मैं मूवी एंजॉय करूं. उनके हिसाब से मुझे फर्क़ नहीं पड़ना चाहिए. होटल जाते हैं, तो वहां, जहां क्विक सर्विस हो. यहां तक कि हमारे अंतरंग पलों में भी ठहराव नहीं है. डरती हूं इनका स्वभाव हमारे वैवाहिक जीवन को कौन सी दिशा देगा.”
“निधी, आदित्य का मूल स्वभाव एकदम से बदले ऐसी अपेक्षा नहीं है, लेकिन उसे इस बात का एहसास कराया जाना ज़रूरी है कि पाने की दौड़ में जो वो खोे रहा है, वो भी कम महत्वपूर्ण नहीं है.”
कनाडा जाने से दुखी निधी की उदासी को दूर करने के लिए अंजना ने कुछ दिन के लिए उदयपुर आने के लिए कहा, तो आदित्य सहर्ष तैयार हो गया, पर यहां नरेंद्र ने दो-तीन दिनों में इतना घुमाया कि आज उसकी हिम्मत जवाब दे गई. दूसरे दिन सुबह दोनों माउंट आबू के लिए निकले. ठहरने का इंतज़ाम भी नरेंद्र ने करवा दिया था. हवेलीनुमा होटल की लोकेशन एक ही पल में आदित्य को भा गई. पूरा माउंटआबू उस हवेली से दिखता था. मैनेजर ने भी कहा, “आप बहुत लकी हैं, जो ये हवेली आपको रहने के लिए मिल गई, वरना इसकी बुकिंग महीनों पहले से हो जाती है. वाक़ई माउंट आबू में इससे बेहतर कोई जगह नहीं है, परफेक्ट.”
आदित्य को यूं ख़ुश और रिलैक्स देखकर निधी भी ख़ुश थी. कितने दिनों बाद सुकून के पल आए थे. शाम को निधी तैयार हुई, तो आदित्य उसे देखता ही रह गया. नीले अनारकली सूट में वो अलग सी नज़र आई या आज आदित्य ने ध्यान दिया कि वो जब हंसती है, तो उसके दाएं गाल में हल्का गड्ढा पड़ता है, जो उसकी हंसी में चार चांद लगा देता है. बिना किसी नियोजित प्रोग्राम के दोनों का घूमना फिर वापस हवेली में आकर साथ समय बिताना सब अद्भुत था. अंतरंग क्षणों में अक्सर दोनों भावुक होते कि एक साल का अंतराल कैसे पटेगा. निधी तो पहले भी ऐसी प्रतिक्रिया देती थी, पर आदित्य की भावुकता उसके व्यक्तित्व के नए पक्ष को उजागर कर रहा थी, जिससे निधी अब तक अंजान थी और शायद आदित्य भी. एक दिन भी सेट गोल और टारगेट की बातें आदित्य के मुंह से सुनने को नहीं मिलीं.
“सर, आपने एक दिन भी यहां के उगते सूरज को नहीं देखा. कल आप जा रहे हैं, तो सुबह उगते सूरज का नज़ारा ज़रूर देख लीजिएगा.” रात डिनर के बाद मैनेजर ने टोका, तो निधी झेंप गई. “सच हम लोगों ने तो पूरे छह महीनेे का रिकॉर्ड तोड़ दिया. ये अलमस्त, अस्त-व्यस्त दिनचर्या का मज़ा पहली बार जाना.” माउंट आबू प्रवास के आख़िरी दिन का आरंभ सूर्योदय दर्शन से हुआ. उगते सूरज ने पूरे माउंट आबू को नई आभा से भर दिया. निधी के हाथों को थामे आदित्य कहे बिना नहीं रह सका, “उदयपुर में कितनी जगहें घूमी कितने लेक और हवेलियां देख डाली, पर जो आनंद इस ठहराव और शांति में मिल रहा है वो अद्भुत है. अपनी भागती-दौड़ती ज़िंदगी की रुटीन को ब्रेक नहीं करते, तो इस ख़ूबसूरत एहसास से वंचित रह जाते. साल में एक छुट्टी का…” कहते हुए पलभर को आदित्य रुका सावधानीपूर्वक टारगेट शब्द से बचते हुए वाक्य को पुन: प्रवाह दिया, “एक छुट्टी अपने लिए ज़रूर प्लान करेंगे.” निधी को मुस्कुराते देख आदित्य हंसकर बोला, “टारगेट शब्द में एक तनाव है. इस शब्द को सीमित रखूंगा.” निधी भावविभोर हो उसके गले लग गई.
माउंट आबू से एक नई आभा और ऊर्जा समेटे उदयपुर पहुंचे. उमंग में डूबी निधी अंजना को बता रही थी, “जीजाजी ने हमारे लिए कितनी ख़ूबसूरत जगह ढ़ूंढ़ी, काश! वो हवेली मेरा घर होता.” बोलती निधी के मुंह पर अंजना ने ऐसे हाथ रखा मानो उसने कोई अनर्थ कह दिया हो.
“वो हवेली टूरिस्ट के लिए ठीक है. उसे घर बनाने का सपना देखना भी पाप है.” आश्‍चर्य से देखते आदित्य और निधी को अंजना ने बताया, “उस हवेली का मालिक रोहित खुराना नरेंद्र का स्कूल-कॉलेज के ज़माने का दोस्त है. अति महत्वाकांक्षी, क़िस्मत वाला, जिससे प्यार किया, उसे जीवनसंगिनी भी बनाया. दोनों उदयपुर के थे. ये हवेली उसने अपनी पत्नी चेतना के लिए बनवाई थी. इस हवेली को ड्रीम प्रोजेक्ट बना लिया था. जिसके लिए बनवाना चाहता था उसको ही अपने जुनून में भूल गया. सालों-साल उसमें झोंक दिए जिसके लिए बनवाने का संकल्प लिया था, उसे ही खो दिया. जब ये हवेली बनकर तैयार हुई, तब तक चेतना का कैंसर तीसरे स्टेज पर पहुंच गया था. बहुत बुरा लगता है रोहित के लिए सोचकर.”
“दीदी ये तो इत्तेफाक था. अब रोहित को क्या पता था कि ऐसा होगा. अवांछित घटनाओं से डरकर कोई आगे बढ़ने और अपनी ग्रोथ करने की ना सोचे ये भी तो व्यावहारिक नहीं है.”
“मानती हूं तुम्हारी बात, पर हमारे लक्ष्य इतने भी बड़े ना हो जाएं कि उनके सामने रिश्ते छोटे लगने लगे.हर काम का समय होता है. अपनी उम्र के अनुसार समय और रिश्तों को तरजीह देना ही आर्ट ऑफ लिविंग है. अब इन बातों को छोड़ो अगली बार जल्दी आना उदयपुर. तुम लोगों को घुमाने का टारगेट अधूरा रह गया है.” अंजना के मज़ाक पर सम्मिलित हंसी छूटी.
दूसरे दिन भावभीनी विदाई के साथ निधी आदित्य संग दिल्ली पहुंच गई. पंद्रह दिन बाद कनाडा जाने के नाम पर घर में स्वाभाविक उदासी छा गई. शाम को चुपचाप निधी को आसमान की ओर ताकते देखकर आदित्य ने टोका तो वो बोली, “इन परिंदों को ध्यान से देखो. कितनी लय और ताल है. सोचती हूं कि शाम को घर आते समय इनको दिशाबोध कैसे होता होगा. अपने घोंसलों तक कैसे पहुंचते होंगे.”
“शायद वैसे ही, जैसे मैं पहुंचा हूं तुम्हारे पास. बस अब तय कर लिया एक-दो साल बाद कनाडा जाऊंगा. घर दो की जगह चार साल में बन जाएगा, गाड़ी नई हो या पुरानी तुम्हारा साथ महत्वपूर्ण है. यार नई शादी का लुत्फ़ अभी ना उठाया, तो ज़िंदगी से शिकायत रह जाएगी. अब मेरा टारगेट तुम्हें ख़ुश रखना है. तुम ख़ुश हो तो संपूर्णता है, वरना कुछ अधूरा सा छूटा हुआ सा महसूस होता है.” आदित्य की बातों से निधी की आंखों से ख़ुशी के आंसू निकल पड़े थे. आख़िर दिशाबोध हो ही गया था आदित्य को, जो शाम को सही अपने नीड़ तक पहुंच ही गया.

– मीनू त्रिपाठी

अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES

डाउनलोड करें हमारा मोबाइल एप्लीकेशन https://merisaheli1.page.link/pb5Z और रु. 999 में हमारे सब्सक्रिप्शन प्लान का लाभ उठाएं व पाएं रु. 2600 का फ्री गिफ्ट.

Usha Gupta

Share
Published by
Usha Gupta

Recent Posts

बधाई हो: राजकुमार राव-पत्रलेखा ने दी पैरेंट्स बनने की ख़ुशख़बरी (Congratulations: Rajkumar Rao-Patralekha gave the good news of becoming parents)

राजकुमार राव ऐसे अभिनेता हैं, जो हर भूमिका को बख़ूबी निभाते हैं, फिर चाहे अभिनेता…

July 9, 2025

पर्सनल और टॉप-अप लोन में क्या है अंतर? (What is the difference between personal and top-up loans?)

ज़िंदगी को आसान और आरामदायक बनाने के लिए लोग अब बैंक लोन पर तमाम सुविधाएं…

July 9, 2025

कहानी- एक जन्मदिन ऐसा भी (Short Story- Ek Janamdin Aisa Bhi)

भावनाओं के कशमकश में तनी दूर्वा सोच रही थी कि काल्पनिक पात्रों के कारण सजीव…

July 9, 2025

#happybirthday नीतू कपूर को कपिल शर्मा ने प्यारे अंदाज़ में कुछ इस तरह जन्मदिन की बधाई दी… (Kapil Sharma wished Neetu Kapoor a happy birthday in this cute way…)

अभिनेत्री नीतू कपूर आज अपना 67 वां जन्मदिन मना रही हैं. इस ख़ुशी के मौक़े…

July 8, 2025
© Merisaheli