कहानी- लव इक्वेशन साॅल्व्ड 5 (Story Series- Love Equation Solved 5)

“तुम कहना क्या चाहती हो?” फाइनली उसके बेतुके सवालों से मैं झल्ला गया.

“यही कि मम्मी ने आपकी ख़ुशी के लिए हमेशा समझौते किए और आप बजाय उन्हें रोकने के, हर बार उन्हें अच्छी बीवी होने का सर्टिफिकेट थमाते चले गए… कभी ये जानने की कोशिश नहीं की कि आपको ख़ुश रखने के चक्कर में वे कितनी सप्रेस हो रही हैं…” मुझे लगा जैसे इस बार उसने मेरे ऊपर सीधा पत्थर फेंक मारा हो.

 

 

 

… “हां, क्योंकि दस साल पहले आपको शुगर हो गई थी, इसलिए मम्मी अपनी पसंद छोड़ आपके जैसी चाय पीने लगी.“ इस बार मुझे धक्का लगा. आहना क्या दिखाना चाह रही है कि मुझे मेरी बीवी के बारे में कुछ नहीं पता…
“अच्छा पापा ये बताओ हर औरत मायके जाने को मरती है, मगर मम्मी कभी क्यों रहने नहीं जाती.“
“क्योंकि उसे हमारी, घर की हर वक़्त फ्रिक़ रहती है, उसे अपने घर को छोड़कर कहीं जाना अच्छा ही नहीं लगता…” इस बार मेरी आवाज़ तल्ख़ हो उठी.
“मगर आप तो दोस्तों के साथ ट्रिप प्लैन कर चले जाते हैं, तो क्या आपको हमारी फ्रिक़ नहीं?” आहना की आवाज़ भी तेज़ हुई.
“तुम कहना क्या चाहती हो?” फाइनली उसके बेतुके सवालों से मैं झल्ला गया.
“यही कि मम्मी ने आपकी ख़ुशी के लिए हमेशा समझौते किए और आप बजाय उन्हें रोकने के, हर बार उन्हें अच्छी बीवी होने का सर्टिफिकेट थमाते चले गए… कभी ये जानने की कोशिश नहीं की कि आपको ख़ुश रखने के चक्कर में वे कितनी सप्रेस हो रही हैं…” मुझे लगा जैसे इस बार उसने मेरे ऊपर सीधा पत्थर फेंक मारा हो.
“देखो आहना, मुझे नहीं पता तुम क्या प्रूव करना चाहती हो, लेकिन यह सप्प्रैशन नहीं, बल्कि तुम्हारी मम्मी का मेरे लिए प्यार है. प्यार में ऐसा ही होता है. हम ख़ुद को भूलकर दूसरे के हिसाब से जीने लगते हैं.” मैंने अपना बचाव किया.
“अगर यही प्यार है, तो यह दोतरफ़ा होना चाहिए ना. आपकी लव इक्वेशन में हमेशा X + Y इजिक्वलटू X रहा, क्योंकि Y की वैल्यू तो कभी 0 से आगे बढ़ी ही नहीं… आप दोनों के सारे डिसीज़न सिर्फ़ आप लेते हैं. मम्मी को क्या पहनना है, क्या खाना है, कौन-सी फिल्म देखनी है, कहां घूमना है, बर्थडे कैसे मनाना है, सब आप डिसाइड करते हैं. उनका डीपी तक आप सेट करते हैं… नमन आप जैसा बन गया, मगर रिया मम्मी जैसी नहीं बनना चाहती थी, इसलिए चली गई. उसने बताया था मुझे कि नमन अपनी बात मनवाने के लिए उसे प्यार के नाम पर कैसे-कैसे इमोशनल ब्लैकमेल करने लगा है, शायद इसीलिए वो…” यह सब सुनकर मेरे पैरों से ज़मीन खिसक गई.
“तो क्या… मैं एक अच्छा हसबैंड नहीं हूं..?” मैं बुझ गया था.

यह भी पढ़ें: रिश्तों की बीमारियां, रिश्तों के टॉनिक (Relationship Toxins And Tonics We Must Know)

 

 

“अच्छे हो, मगर सोसायटी की परिभाषा और अपनी सोच के हिसाब से… प्यार का रिश्ता तो बराबरी का होना चाहिए ना पापा और आपके रिश्ते में बराबरी नहीं है…” हम बाप-बेटी के बीच कुछ देर गहरी ख़ामोशी पसरी रही.
“अ… ह… बेटा तुम घर जाओ, मैं आता हूं थोड़ी देर में..” गले से बमुश्किल आवाज़ निकली. इस वक़्त मैं अकेला हो जाना चाहता था, क्योंकि अकेले में ख़ुद में झांकना ज़्यादा आसान होता है.
आहना के जाने पर कुछ बीते पल आंखों के आगे घूमने लगे. मेरे लेट आने पर मालती खाना लगा रही है, “अरे तुमने भी अभी तक नहीं खाया, लेट खाने से तुम्हें एसिडिटी हो जाती है ना…”
अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें…

 


दीप्ति मित्तल

 

 

 

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Usha Gupta

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