संस्कृति के धुंधलके में कहींसमाज नेमेरे माथे पर चस्पां कर दिएचंद लेबलममतामयी, त्यागमयी,कोमलांगी.. और चाहा उसनेजिऊं मैं वैसे हीभूल जाऊं…
रसिक श्यामलेकर अधरों पर मुस्कानछेड़ वंशिका की तानपुकार रहे राधा नाम राधामन ही मन रिझायेरसिक मन को समझायेश्याम तेरे बिनये…
कभी धूप में छांव बन जाती है कभी पसीने में रूमाल बन जाती है थाम लो जो एक बार इसे…
तुम मेरी मुस्कान को देखोजो तुम्हें देखते हीइस चेहरे पर खिल उठती हैउन आंसुओं की मत सोचोजो सालों सालमैंने चुपचाप…
अब यही आवाज़ दिल कीधड़कनों से आ रही हैज़िंदगी कम हो रही हैउम्र बढ़ती जा रही है.. इस तरह कब तक…
बहुत ख़ूबसूरत है यह ज़िंदगीहर रंग चुराया इसका मैंने जीने के लिएउम्मीद का दामन पकड़े रही हमेशाज़िंदगी के जाम का…
होली की चढ़ती खुमारी मेंचटकीले रंगों भरी पिचकारी मेंश्रीमान का जाम छलकता हैकुछ नशा सा ज्यों ही चढ़ता हैपड़ोसन को…
एक छवि बसी हुई हैअब तक आंखों मेंबड़े जतन सेमेरा कुरता प्रेस करते हुए.. एक छविपहला कौरमुझे खिलाने कोउठे हुए…
बहाव के विपरीत बहती हूंइसीलिए ज़िंदा हूंचुनौती देता है जो पुरज़ोर हवाओं कोखुले गगन में उड़ता वो बेबाक़ परिंदा हूं..…
स्मृति पट परआज भी चित्रित है वह दिनजब तुम किन्हीअनजाने, अनदेखे लोक से उतरमेरी गोद में आए थे.. और मुझे…
संवरे सारे बिगड़े काम विपदा का हो काम तमाम संशय हटे तब मन का सारा प्रभु राम का लें जब…
कभी कभीमुझे लगता हैमुझे इश्क़ का चैप्टर क्लोज़ कर देना चाहिएकि तभी तुम आ जाती होमुस्कुराते हुएमेरे सीने पर हाथ…