आज उम्र की इस दहलीज़ पर खड़ी हूंमैं जाऊं उधर, या कि अंदर लौट आऊं? चलती रही अब तक नियति…
न!कहीं मत जाओयूँ ही बैठे हमदेखते रहेंउस नभ खंड कोजहाँ अभी अभीइक सिंदूरी गोलासोने के सागर मेंडूब गया हैबिखरे हैं…
कोई याद खटखटाती रहीउम्र भर खिड़कीदरवाज़े चेतना के, परखुल न सका कोईयाद का झरोखा कहींरूह कसमसाती रहीसदियों तक…तब फलक से…
रक्षाबंधन का पावन त्योहारहै प्रेम प्यार से जुड़ा हुआसावन माह की पूर्णिमा का दिनसाल में जब भी आता हैबहनों और…
संस्कृति के धुंधलके में कहींसमाज नेमेरे माथे पर चस्पां कर दिएचंद लेबलममतामयी, त्यागमयी,कोमलांगी.. और चाहा उसनेजिऊं मैं वैसे हीभूल जाऊं…
रसिक श्यामलेकर अधरों पर मुस्कानछेड़ वंशिका की तानपुकार रहे राधा नाम राधामन ही मन रिझायेरसिक मन को समझायेश्याम तेरे बिनये…
कभी धूप में छांव बन जाती है कभी पसीने में रूमाल बन जाती है थाम लो जो एक बार इसे…
तुम मेरी मुस्कान को देखोजो तुम्हें देखते हीइस चेहरे पर खिल उठती हैउन आंसुओं की मत सोचोजो सालों सालमैंने चुपचाप…
अब यही आवाज़ दिल कीधड़कनों से आ रही हैज़िंदगी कम हो रही हैउम्र बढ़ती जा रही है.. इस तरह कब तक…
बहुत ख़ूबसूरत है यह ज़िंदगीहर रंग चुराया इसका मैंने जीने के लिएउम्मीद का दामन पकड़े रही हमेशाज़िंदगी के जाम का…
होली की चढ़ती खुमारी मेंचटकीले रंगों भरी पिचकारी मेंश्रीमान का जाम छलकता हैकुछ नशा सा ज्यों ही चढ़ता हैपड़ोसन को…
एक छवि बसी हुई हैअब तक आंखों मेंबड़े जतन सेमेरा कुरता प्रेस करते हुए.. एक छविपहला कौरमुझे खिलाने कोउठे हुए…