kahani in hindi

पंचतंत्र की कहानी: शेरनी का तीसरा पुत्र (Panchatantra Story: The Lioness Third Son)

बहुत समय पहले की बात है घने से जंगल में एक शेर और एक शेरनी साथ-साथ रहते थे. उन दोनों…

July 5, 2022

Kids Story: शहरी चूहा और देहाती चूहे की कहानी (The Town Mouse And The Country Mouse Story)

दो चूहे बहुत अच्छे दोस्त थे, लेकिन एक चूहा शहर में रहता था और दूसरा गांव में. दोस्त की याद…

March 2, 2021

पंचतंत्र की कहानी: दो सिर वाला जुलाहा (Panchatantra Story: The Two Headed Weaver)

एक गांव में मन्थरक नाम का जुलाहा यानी बुनकर रहता था. वो मेहनत से अपना काम करता था पर वो बेहद गरीब था. एक बार जुलाहे के उपकरण, जो कपड़ा बुनने के काम आते थे, टूट गए. जुलाहा चाहता था जल्द से जल्द उपकरण बनजाएं ताकि उसका परिवार भूखा ना रहे, लेकिन उपकरणों को फिर बनाने के लिये लकड़ी की जरुरत थी. जुलाहा लकड़ीकाटने की कुल्हाड़ी लेकर समुद्र के पास वाले जंगल की ओर चल पड़ा. बहुत ढूंढ़ने पर भी उसे अच्छी लकड़ी नहीं मिली तबउसने समुद्र के किनारे पहुंचकर एक वृक्ष देखा, उसकी लकड़ी उत्तम थी तो उसने सोचा कि इसकी लकड़ी से उसके सबउपकरण बन जाएंगे. लेकिन जैसे ही उसने वृक्ष के तने में कुल्हाडी़ मारने के लिए हाथ उठाया, उसमें से एक देव प्रकट हएऔर उसे कहा, मैं इस वृक्ष में वास करता हूं और यहां बड़े ही आनन्द से रहता हूं और यह पेड़ भी काफ़ी हराभरा है तो तुम्हेंइस वृक्ष को नहीं काटना चाहिए.  जुलाहे ने कहा, मैं बेहद गरीब हूं और इसलिए लाचार हूं, क्योंकि इसकी लकड़ी के बिना मेरे उपकरण नहीं बनेंगे, जिससे मैंकपड़ा नहीं बुन पाऊंगा और मेरा परिवार भूखा मर जाएगा. आप किसी और वृक्ष का आश्रय ले लो.  देव ने कहा, मन्थरक, मैं तुम्हारे जवाब से प्रसन्न हूं, इसलिए अगर तुम इस पेड़ को ना काटो तो मैं तुम्हें एक वरदान दूंगा, तुममांगो जो भी तुमको चाहिए.  मन्थरक सोच में पड़ गया और बोला, मैं अभी घर जाकर अपनी पत्‍नी और मित्र से सलाह करता हूं कि मुझे क्या वर मांगना चाहिए.  देव ने कहा, तुम जाओ मैं तब तक तुम्हारी प्रतीक्षा करता हूं.  गांव में पहुंचने पर मन्थरक की भेंट अपने एक मित्र नाई से हो गई. उसने दोस्त को सारा क़िस्सा सुनाया और पूछा, मित्र, मैं तुमसे सलाह लेने ही आया हूं कि मुझे क्या वरदान मांगना चाहिए. नाई ने कहा, क्यों ना तुम देव से एक पूरा राज्य मांग को, तुम वहां के राजा बन जाना और मैं तुम्हारा मन्त्री बन जाऊंगा. जीवन में सुख ही सुख होगा. Image courtesy: thesimplehelp.com मन्थरक को मित्र की सलाह अच्छी लगी लेकिन उसने नाई से कहा कि मैं अपनी पत्‍नी से सलाह लेने के बाद ही वरदान का निश्चय करुंगा. मंथरक को नाई ने कहा कि मित्र तुम्हारी पत्नी लोभी और स्वार्थी है, वो सिर्फ़ अपना भला और फायदा ही सोचेगी.  मन्थरक ने कहा, मित्र जो भी है आख़िर मेरी पत्नी है वो तो उसकी सलाह भी ज़रूरी है. घर पहुंचकर वह पत्‍नी से बोला, जंगल में आज मुझे एक देव मिले है और वो मुझसे खुश होकर एक वरदान देना चाहते हैं, बदले में मुझे उस पेड़ को नहीं काटना है. नाई की सलाह है कि मैं राज्य मांग लूं और राजा बनकर सुखी जीवन व्यतीत करूं, तुम्हारी क्या सलाह है? पत्‍नी ने उत्तर दिया, राज्य-शासन का काम इतना आसान नहीं है, राजा की अनेकों जिम्मेदारियाँ होती हैं, पूरे राज्य और…

January 4, 2021

कहानी- यथार्थ (Short Story- Yatharth)

  क्या लड़का है! कितने अधिकार से अपनी पसंद बताकर लौट गया. सीटी तो ऐसे बजा रहा है, जैसे उसका…

March 2, 2017

कहानी- डायरी का अंतिम पृष्ठ (Short Story- Dairy ka antim prishth)

  मैं तो आजकल कुछ अधिक ही भावुक होती जा रही हूं. इतने प्यारे और आज्ञाकारी बच्चों के रहते भला…

February 28, 2017
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