Kids Story: शहरी चूहा और देहाती चूहे की कहानी (The Town Mouse And The Country Mouse Story)

दो चूहे बहुत अच्छे दोस्त थे, लेकिन एक चूहा शहर में रहता था और दूसरा गांव में. दोस्त की याद आने पर एक दिन शहर के चूहे को दोस्त से मिलने का मन किया, तो वो चल पड़ा गांव की ओर. गांव पहुंचकर शहरी चूहा सोच रहा था कि ये कैसी जगह है, ना आलीशान इमारतें और ना सुख-सुविधा और साधन.

शहरी चूहा जैसे ही अपने दोस्त के यहां पहुंचा तो गांव के चूहे ने अपने दोस्त का स्वागत बहुत खुशी से किया. दोनों ने खूब सारी बातें की. उसके बाद गांव के चूहे ने कहा कि तुम हाथ-मुंह धोकर आराम करो मैं तुम्हारे लिए खाने का इंतज़ाम करता हूं. गांव का चूहा पास के बगीचे से ताज़ा फल और सब्ज़ियाँ लाया और उसने अपने दोस्त को बड़े प्यार से खाना परोसा. शहरी चूहे ने कहा कि ये कैसा खाना है, इसमें इतना स्वाद नहीं, देहाती चूहे ने कहा कि ये तो एकदम ताज़ा है, तुम्हें पसंद नहीं आया इसके लिए माफ़ी चाहता हूं.

ख़ैर खाने के बाद दोनों गांव की सैर पर निकल पड़े, शहरी चूहे ने गांव के खूबसूरत नजारे और हरियाली का आनंद लिया. शहरी चूहे ने दोस्त से विदा लेते वक्त अपने दोस्त को शहर आने का निमंत्रण दिया और कहा कि तुम वहां आकर देखना वहां का स्वादिष्ट खान-पान और सुख-सुविधा वाला रहन-सहन.

picture credit: YouTube

एक दिन देहाती चूहे ने सोचा चलो शहर जाकर अपने दोस्त से मिल आता हूं और वहां का रहन-सहन देखकर मैं भी मज़े ले लेता हूं. देहाती चूहा शहर पहुंचा तो आलीशान, ऊंची-ऊंची इमारतें देख हैरान हो गया, उसने सोचा कि अब मैं भी यहीं रहूंगा. शहरी चूहा यहां एक बड़े से घर के बिल में रहता था. उतना बड़ा घर देख गांव का चूहा आश्चर्यचकित रह गया. शहरी चूहे ने दोस्त को कहा कि चलो खाना खाते हैं. उसने देखा टेबल पर कई तरह के व्यंजन और पकवान थे. दोनों चूहे खाने के लिए बैठ गए और गांव के चूहे ने पनीर का टुकड़ा चखा, उसे बड़ा स्वादिष्ट लगा, लेकिन अभी दोनों खाना खा ही रहे थे कि घर का नौकर आ गया और उनको वहां देख लकड़ी से उनको भगा दिया. शहर के चूहे ने गांव के चूहे को तुरंत बिल में छुपने को कहा. गांव का चूहा काफी डर गया था.

Picture Credit: YouTube

शहर के चूहे ने गांव के चूहे को हिम्मत देते हुए कहा कि ये सब तो यहां के जीवन का हिस्सा है, सामान्य बात है. इसके बाद दोनों घूमने गए तो एक फ़ूड स्टोर में ढेर सारा खाना देख उनके मुंह में पानी आ गया. देहाती चूहा काफ़ी खुश हुआ तो शहरी चूहे ने शान दिखाते हुए कहा कि ये देखो इसको कहते हैं खाना, तुम्हारी गांव जैसा नहीं है यहां तो पनीर, बटर, टोस्ट, चीज़ aur ना जाने क्या-क्या है. लेकिन तभी सामने से एक बड़ी सी बिल्ली आती दिखी और चूहों को देख वो उनकी तरफ़ लपकी. शहरी चूहे ने कहा दोस्त जल्दी भागो, दोनों छुप गए और किसी तरह बच गए. देहाती चूहे ने तभी वहां एक पिंजरा देखा और उसके बारे में पूछा क्योंकि उसमें खाना था. शहरी चूहे ने कहा इस खाने के लालच में मत आना, इसमें जाओगे तो पकड़े जाओगे.

Picture Credit: YouTube

इसके बाद दोनों घर लौट आए लेकिन तभी घर के मालिक का बेटा अपने डॉगी को लेकर आ गया. शहरी चूहे ने फिर अपने दोस्त को जल्दी से बिल में छुपने को कहा और दिलासा दिए कि थोड़ी देर में ये कुत्ता चला जाएगा. कुत्ते के जाने के बाद दोनों चूहे बिल से बाहर आए. इस बार गांव का चूहा पहले से भी ज्यादा डरा हुआ था, क्योंकि लगातार इतने डरावने हादसों से उसकी जान पे बन आई थी. गांव के चूहे ने अपने दोस्त से जाने के लिए इजाजत मांगी और कहा तुमने मेरा ख़याल रखा और स्वादिष्ट खाना भी खिलाया इसके लिए तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया, लेकिन भले ही यहां कितनी भी सुविधाएं हैं पर ये भी सच है कि यहां सुकून और शांति नहीं, क्योंकि यहां हर पल जान का जोखिम है और मैं हर दिन अपनी जान को जोखिम में डालकर नहीं रह सकता दोस्त. स्वादिष्ट भोजन और सुख-सुविधाएं अपनी जगह है लेकिन मानसिक सुकून और जान की क़ीमत से बड़ा तो कुछ भी नहीं.
उसके बाद देहाती चूहा गांव के लिए निकल गया और गांव पहुंचकर ही उसने चैन की सांस ली, क्योंकि गांव का सुकून, मानसिक शांति और ताज़ा हवा में जो बात है वो शहरी जीवन में नहीं.

सीख: जान के जोखिम और इतने खतरों से भरी आराम की जिंदगी में सुकून कहां? सुरक्षित जीवन ही सुखी जीवन है, क्योंकि सुख-सुविधाओं और तरह-तरह के टेस्टी भोजन से कहीं ज़्यादा ज़रूरी मन का संतोष और मानसिक शांति व सुकून है!

यह भी पढ़ें: तेनालीराम की कहानी : मनहूस रामैया (Kids Story: Tenali Rama And The Cursed Man)

Geeta Sharma

Recent Posts

Minus The Sinus

Experiencing a sinus problem is a misery. The battle to deal with a runny nose…

November 2, 2024

कविता- एक दीप… (Poetry- Ek Deep…)

इस दिवाली सौ दीपों में एक दीपक मन का भी जलानाजगमगाते दीपों के बीच केएक दीया ख़ुद…

November 1, 2024
© Merisaheli