उषा वधवा “रिश्ते इतनी आसानी से नहीं तोड़े जाते. विवाह तो वैसे भी दो अलग-अलग व्यक्तित्व वाले प्राणियों को मिलाता…
पूर्ति खरे “हंस क्या रही हो. सच ही तो कह रही हूं. बचपन में मां कहती थीं ज़्यादा सज-संवर कर…
"ध्यान से सुन लो बुआ, वह व्यक्ति तुम्हारा भाई हो सकता है, मेरा पिता या मेरी मां का पति नहीं.…
"क्यों लाए... कम से कम पूछ तो लेते इतनी महंगी चीज़ लेने से पहले.” एकटक अंगूठी देखती अनामिका की आंखें…
“एक उम्र के रूमानी आकर्षण और सच्चे प्यार में फ़र्क़ समझना बहुत ज़रूरी है. रूमानी आकर्षण जीवनभर अपने एहसास से…
"मैं 45 साल का हो गया हूं. मनमौजी ज़िंदगी जीता हूं. अच्छा दोस्त बनने का वादा कर सकता हूं. पर…
वर के पिता ताया जी को ठोकर मार कर तेजी से विवाह वेदी तक आए थे और क्रोध में वर…
"अम्मा जी दही ठीक है या दूध से लेंगी?" उस समय वह सिर झुकाए थीं. सिर उठाया तो आंखें डबडबाई…
वह जी भर कर हंसती, खिलखिलाती, बात-बात पर चुटकुले सुनाती. उस दिन जब हम सभी बैठे थे, चाचीजी ने नौकरों…
वह जब भी अपने चेहरे पर उबटन मलती थी, तो वह हमेशा उससे यही कहते थे, "श्यामा मेरी बात काग़ज़…
और सुबह होते अनीता ने सुधेंदु को फोन किया. सारी बातें सुन सुधेंदु स्तब्ध रह गया, यह क्या हो जाता…
"प्रमेश उपहार में दी गई वस्तु में उपहार देने वाले का अपना अंश भी होता है, अपना व्यक्तित्व भी होता…